Fell out of love fell in love in Hindi Biography by Dear Zindagi 2 books and stories PDF | घर से निकाल गया प्यार में गिर गया

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घर से निकाल गया प्यार में गिर गया

में खुद से अलग हुआ जब मुझे घर से निकाला गया। तब मे कुछ नहीं करता था, मे बस घूमता रहता था, इसीलिए मुझे अपने घर से निकला दिया था।

घरवालों ने कहा, "घर से निकाल जाओ।" तो में फिर निकल गया, और उसके बाद वहां से में सुरत मे रहे ने गया। जहां में सिर्फ बस एक दोस्त को जानता था। तो में अपने दोस्त को फोन किया। और उससे पूछा, " तुम कहा हो?" इसने बोला, "मे सुरत रहेता हूँ।" मेने उसे घरके बारे में कुछ ना बता कर सिर्फ इतना कहा, "तेरे साथ रहे शकता हुँ?"

"हा रहे शकता हैं। क्यों नही!" उसने पड़े प्यार से कहा।

" ठीक हैं मे आ रहा सुरत।"

उसने पूछा, " क्या हुआ?"

"मे आ रहा हूँ तब आके बताऊँगा।" - मेने सिर्फ इतना जवाब दिया।

उसने कहा, " ठीक हैं। "

में घर से निकलने के बाद उस दोस्त के पास चला गया। में उसके घर गया। और घर और हुई हर बात बताई और वो मेरी मदद के लिए मेरे साथ खड़ा रहा। मने बोला," घरवालोंने निकल दिया।"

उसने पूछा, "क्या हुवा था घर पे?"

" कुछ नहीं...मे कुछ नही करता हूँ। पुरा दिन घूमता हूँ और आवारगी करता रहता हूँ ये कह कर घर से निकाल दिया है। बस अब में कुछ करके दिखाना चाहता हूँ। इसलिए तेरे पास आया हूँ।"

उसने कहा, " ठीक है, लेकिन यहाँ नही चलेगी तेरी आवारगी। काम करना पड़ेगा। मे यहा पे कोलेज काम करने जाता हूँ। मेरी हालत इतनी अच्छी नहीं हैं इसलिए खर्च नही उठा शकता ठीक हैं। पर तु कुछ काम कर, जिससे हम दोनों को गुजारा हो सकेगा।"

मेने बोला, " ठीक में दो दिन बाद कुछ काम ढूंढ ने जाऊँगा।"

तब मेरा दोस्त बोला, "कल सुबह मेरे साथ आना है तुजे। मुजे कुछ काम है।"

मेने बोला, " ठीक हैं। "
" मुजे कल जरूरी काम हैं, तु साथ मे होगा तो मेरा खत्म हो जायेगा काम" - उसने मुझसे कहा।

मेने बोला, " ठीक हैं कल सुबह मे तेरे साथ आऊँगा।"

अगले दिन मे इसके साथ कोलेज गया, मे बहार बेठा बेठा पता नही कुछ सोंच रहा था। तब उसी वक्त वहां से एक लड़की गुजरी। मेने उसे एक लड़की देखा, वो अपने दोस्तों की साथ जा रही थी,

पूरी रात उसके बारे में सोचते हुए कब नींद आई और कब सुबह हो गई पता ही नही चला। मेंने सोचा इस बारे में आने दोस्त से बात कर लूं। इसलिए मैंने उससे कहा, " दोस्त, कल में तेरे साथ कॉलेज आया था तब में बाहर बैठा था तभी मेने एक लड़की को देखा। यार वो मुजे पहेली नज़र में ही पसंद आ गई है। बहोत अच्छी लगी मुजे।"

तब मेरा दोस्त बोला, " मे लड़कियों से बात नही करता, तु भी बात मत करना।"

मे चुप होया, क्यु की वो मेरे से बडा था। इसलिए कुछ बोल नही पाया। हम दोनों आज फिर वहां गए जहा मेरा दोस्त काम करता है।

मेरे दोस्त जोब करता है। वहा उसके साथ बेठा रहा। शाम को उसकी छुट्टी होने के बाद रात को हम लोग घर पे आए। खाना तो बाहर से लाये थे तो हम लोगों ने खाना खा लिया।

हम सोने लगें पर मेरे दिल मे एक सवाल आ रहा था। को होगी वो? क्या में उससे मिल पाउँगा? बस मुझे एकबार लड़की को देखना हैं। मे सुबह का इंतजार कर रहा था,धीरे-धीरे मुझे नींद आ गईं।

सुबह हो गईं हम लोग रोज की तरह 10 बजे कोलेज की ओर चलने लगें। हम लोग कोलेज पोहच गए। वो चला गया रूम मे। और में बहार ही बैठकर उस लड़की की राह देख रहा था। आखिर कुछ देर ही सही। मेरा इंतजार खत्म हुआ।