Marriage of the Brahmachari in Hindi Adventure Stories by Dear Zindagi 2 books and stories PDF | शादी बालब्रह्मचारी की

Featured Books
  • एक कब्र का रहस्य

    **“एक कब्र का रहस्य”** एक स्कूल का मासूम लड़का, एक रहस्यमय क...

  • Kurbaan Hua - Chapter 45

    अधूरी नफ़रत और अनचाहा खिंचावबारिश अब पूरी तरह थम चुकी थी, ले...

  • Nafrat e Ishq - Part 24

    फ्लैट की धुंधली रोशनी मानो रहस्यों की गवाही दे रही थी। दीवार...

  • हैप्पी बर्थडे!!

    आज नेहा अपने जन्मदिन पर बेहद खुश थी और चहक रही थी क्योंकि आज...

  • तेरा लाल इश्क - 11

    आशना और कृषभ गन लोड किए आगे बढ़ने ही वाले थे की पीछे से आवाज...

Categories
Share

शादी बालब्रह्मचारी की

शादी बालब्रह्मचारी की...

ये कहानी है एक ऐसे लड़के की, जिसने कभी प्यार का एहसास ही नही किया। में सोचता हूँ, क्या बिना प्यार के ये दुनिया चलती है? खैर, बात है महेश नाम के एक नोजवान की। जिसने हमेशा ब्रह्मचारी रहने का प्रण लिया है।

लेकिन वक़्त सबका बदल जाता हैं। महेश की जिंदगी में भी कुछ ऐसा ही हुआ। वो रोज़ाना मंदिर जाता और उसके बाद ही कोई दूसरा काम करता। एक दिन वो मंदिर गया उसी वक़्त उस मंदिर में एक लड़की भी आई। उसने उस लड़की को देखा और उसे देखते ही रह गया। वो लड़की हर रोज़ मंदिर आने लगी। वो भी मंदिर हर रोज जाता था , उस लड़की रोज देखते हुए वो बोलता, "में क्यूँ इतने साल बालब्रह्मचारी रहा, मुझे अब तो नही रहेना हैं, अब तो में शादी करूँगा। अब मुझसे अकेले जिंदगी नही कटेगी।" और इतना सोचते हुए घर आया और घर पे पापा से कहा, " पापा मुझे शादी करनी हैं।"
पापा बोले, " तुम तो बालब्रह्मचारी रहेने वाला थे।"

लड़का बोला, " पापा अब तो मुझे नही रहना, मुझे एक लड़की पसंद आयी हैं, मुझे बस उस लड़की के साथ शादी करा दो।"

"बेटा लेकिन लड़की कोन है बताओ तो सही।"

" पापा मुझे नहीं पता।"

" तो हम तेरी शादी कैसे करोगे। कुछ तो जानते होंगे ना।"

"नही पापा बस इतना मालुम हैं, वो रोज मंदिर आती हैं।"

" ठीक हैं, कल पता लगा कर मुझे कहना हम लोग लड़की के घर जायेंगें।"

" ठीक है पापा!!!"- महेश इतना कह के माँ के पास गया और माँ से मिलकर अपने कमरें में चला गया।

उस दिन महेश सोचता ही रहा की रात कब होंगी, दिन कब निकलेगा। और सोचते सोचते पूरी रात नींद ही नही आई और एक एक पल सदियों की तरह गुज़रा। सुबह हुई और वो उठकर तैयार हुआ और मंदिर गया दर्शन किए और सीडियों पर ही बैठ गया वो उस लड़की की राह देखता रहा, लेकिन लड़की नहीं आई।

महेश घर चला गया, घर आकर वो सोच में डूब गया कि हर रोज आने वाली लड़की आज क्यों नही आई। घर जाते ही पापा ने पूछा, " बेटा लड़की के घरका पता लगा?"

" नहीं पापा वो आज आई ही नही, मे कल जाऊँगा कल आयेगी तब मे उसके पीछे जाके पता लगा कर आप बोल दुगा।"- महेशने जवाब दिया।

पापा बोले, "ठीक है बेटा !"

दूसरे दिन भी अगले दिन की तरह महेश मंदिर गया। वो लड़की आई दोनो एक साथ मंदिर मे गये भगवान के पास जाकर शिश जुकाया। बाद में लड़की वहां से चलने लगीं, और महेश धीरे-धीरे उसका पीछा करने लगा, लड़की अपने घर पहोंच गई। महेश भी इधर से निकल गया और अपने घर चल गया। घर जाकर उसने अपने पापा को खुश होकर आज की बात बताई। वो बोला, " पापा मे ने पता लगा लिया वो कहा रहती है।

पापा बोले," किसीकी लड़की है वो बेटा!"

" पापा वो तो आपके बचपन के दोस्त संदीपकाका की लड़की हैं।"

" अरे! वो माधवी की बात कर रहे हो।" - महेश के पापाने खुश होकर कहा।

" हा पापा! वो ही।" - अपनी खुशी जताते हुए महेश बोला।

" ठीक बेटा हम कल ही जायेंगे औए संदीपभाई से तेरी शादी बात करंगे ठीक हैं।"

महेश बस मुस्कुरा के अपने कमरें की तरफ चल दिया। अब तो महेश बस सुबह का इंतजार कर रहा था। और सोचते सोचते ही सुबह हो भी गई। महेश अपने पापा और मम्मी के साथ तीनों लोग संदीपभाई के घर गये। उधर जाते ही संदीपभाइने देखकर खुश हो गए और बोले, " आज मेरा दोस्त सालों बाद मेरे घरके आँगन मे खील गया। आओ मेरे दोस्त इतने सालों बाद क्यु याद किया।"

महेश पापा बोले, " आज दोस्त की हैसियत से नही आया, आज मे अपने महेश रिश्ता आपकी माधवी के लिए लेके आया हूँ मेरे दोस्त!"

संदीप भाई बोले," बरसों की दोस्ती आज तुम रिश्ते दारी मे बदल ने आये हो, और में मना करू ऐसा कैसे हो शकता है। तू दोस्त है मेरा। और मेरे माधवी के लिए महेश जैसा लड़का कही नही मिलता।"

महेश के पापा बोले," ठीक हैं आज हम दोस्त नही समधी हो गये आज ये रिश्ता पक्का मेरे दोस्त! अब जल्दी शादी का मूहर्त निकालो।"

पापा की खुश रहने वाली माधवी भी शादी के लिए राजी थी, और एक हप्ते के बाद दोनो की शादी हो गयी।


हर किसीका मन चंचल होता है,
वो भी तो इंसान हैं,
कभी भी बदल शकता हैं...