karmaa - 2 - it gives you back in Hindi Adventure Stories by Sushma Tiwari books and stories PDF | कर्मा - 2 (पैसा ये पैसा)

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कर्मा - 2 (पैसा ये पैसा)

पैसा ये पैसा.. हाय पैसा...
(गतांक से आगे)

जसपाल फोन पर सिर्फ ह्म्म ह्म्म करता है.. जी भाई, हाँ भाई के अलावा पूनम को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। फिर वो फोन रख कर आकर कुर्सी पर बैठ गया।

" क्या हुआ कुछ बताओ तो सही? कौन भाई.. कहाँ का भाई.. और तुम्हें क्या साँप सूँघ गया?"
पूनम बेचैनी में पूछे जा रही थी और मासूम सिद्धार्थ कोने में सहमा खड़ा था।
झकझोरने पर जसपाल पूनम की तरफ मुस्कराता हुआ बोला
" अरे पुन्नी ! सीधे विदेश से भाई का फोन था.. भाई मेरे आंकड़ों को समझने से बहुत खुश है.. वो तारीफ कर रहे थे कम समय में मेरी इतनी तरक्की का.. ये बहुत बड़ी बात है पुन्नी.."

" ओह! पर जाने मुझे क्यों लगता है अब तुम्हें अपना कोई काम शुरू करना चाहिए.. हो गया ये जितना होना था.. सोचो ना बाहर वाले पूछेंगे क्या करते हो तो क्या ये काम बताओगे? ये कोई सही काम नहीं.. बच्चे पर क्या असर पड़ेगा?" पूनम ने प्यार से समझाया।

" बस यही तकलीफ है तुम औरतों की यार.. चाहिए सब पर आसमान से टपकना चाहिए... क्या बुराई है इस काम में.. ना चोरी कर रहा हूं.. ना डाका डाल रहा हूं.. ना हत्या कर रहा हूं.. यार मैं अपने घर में बैठ कर सिर्फ दिमाग का इस्तेमाल कर आंकड़े सही बिठा रहा हूं बस!!.. और कौन सा काम शुरू करू जिसमें बिना मेहनत इतनी आमद हो?" जसपाल बिफर पड़ा था।
" हाँ वही तो बिना मेहनत.. तुम्हारा फायदा किसी ना किसी का नुकसान होगा.. सोचो कितनी हाय लगेगी.. "
" बस करो! अब इस मुद्दे पर बात नहीं करेंगे.. जल्दी ही एक बड़ा हाथ लग जाये तो कोई अच्छा काम देख कर शुरू कर लूँगा और छोड़ दूँगा.. खुश!"
पूनम जानती थी जसपाल जिद्दी था और बहस कर के फायदा नहीं अब आगे ईश्वर मालिक।

1996 का भारत पाकिस्तान वर्ल्ड कप मैच चल रहा था और जसपाल टीवी के सामने पेपर पेन, फोन लिए बैठा था। पूनम किचन में थी और पांच साल का सिद्धार्थ वही खेल रहा था। जसपाल आम दिनों से ज्यादा तनाव में दिखाई दे रहा था। मैच को बारीकी से देखते हुए वह बार बार कुछ नोट करता और फटाफट फोन लगाता।

"सुनो इंडिया पर मेरे 5000"
फ़िर फोन काट कर मैच देखने लगता है।

" कितनी बार कहा है तुमको कि कम से कम बच्चे के सामने यह सब मत किया करो.. क्या असर पड़ेगा उस पर?" पूनम किचन से तेजी से आती है।
" बच्चा है वो.. क्या समझेगा उसे? तू छोड़ ये सब बात "
पूनम आगे बढ़कर टीवी बंद कर देती है और सिद्धार्थ को अंदर लेकर चली जाती है।
जसपाल गुस्से में उठ कर बाहर चला जाता है।
पूनम जानती है कहीं ना कहीं देखने का इंतजाम वो कर लेगा पर किसी भी हाल में सट्टेबाजी का बुरा असर वो सिद्धू पर नहीं पड़ने देना चाहती थी।

जसपाल पूरे वर्ल्ड कप परेशान चल रहा था.. पहली बार एक साथ सारी दुनिया के टीमों पर किस्मत आज़मा रहा था और आंकड़े उसके दिमाग के बाहर जा रहे थे। छोटी जीत होती तो बड़ी हार उसको निगल जाती थी पर वो हार कहाँ मानने वाला था।
रात के खाने पर सब चुप बैठे थे। पूनम सुबह की बात से नाराज थी पर ऐसे सन्नाटा बनाए रखना कब तक चलता आखिर?

" सुनो! सिद्धू के स्कूल से फोन आया था दो महीने की फीस नहीं जमा की है.. क्या जवाब दूं... सबके सामने टोकेंगे तो कैसा लगेगा?" पूनम ने रोटी देते हुए कहा।
जसपाल के दिमाग में यही चल रहा था कि स्कूल की लेट फीस उस रकम द्वारा कमाए गए मुनाफे के सामने कम होगी।

" हाँ हाँ तू बोल दे इस हफ्ते हो जाएगा पक्का.. मैं करता हूं कुछ "
पूनम आगे कुछ ना बोले इसके लिए वह उठ कर सोने चला जाता है।

दूसरे दिन फिर वो टीवी के सामने बैठ जाता है।

" आज के मैच के क्या है?" जसपाल फोन लगाता है।
" ऑलरेडी एक पेटी लॉस में हो, आज कुछ नहीं होगा.. पहले का संडे तक क्लीयर करो फिर आगे खेलना " उधर से बोल कर फोन कट जाता है।
तभी पूनम खाना लेकर आती है।
" मुझे नहीं खाना " बोलकर जसपाल उठ कर चला जाता है।
पूनम की आँखों से आंसू आ जाते हैं। हार जीत के इस खेल में जसपाल का मूड खराब होना रोज का हो चला था। वह पूनम से खुल कर कुछ नहीं बताता था। वह परेशान होकर भी क्या करती, चाह कर भी हालात पूनम के हाथ में नहीं थे।
अगले दिन :
जसपाल फोन पर " मुझे भाई से बात करनी है.. देखो थोड़ी मोहलत चाहिए.. इतने कम समय में नहीं हो पाएगा और.. और मुझे खेलने दो नहीं तो कहाँ से लाऊँगा पैसे मैं?" वह उस आदमी के सामने गिड़गिड़ा रहा था।

" देखो भाई अभी ना बात कर सकते हैं और ना मिल सकते हैं.. एक बात कान खोल कर सुनो.. पैसे दो दिन में नहीं मिले तो अंजाम बुरा होगा "
कहकर वह फोन काट देता है।

जसपाल परेशान होकर बाहर चले जाता है।

अगले दिन पूनम सिद्धार्थ को स्कूल छोड़ने जाती है वहाँ टीचर से फिर से फीस के बारे में सुन कर परेशान हो जाती है। एक गृहणी की व्यथा कौन समझेगा.. जो अपने माँ और पत्नी होने के भँवर में फंसी रहती है। वो चाहती है कि उसका पति आजाद रहे खुश रहें पर जिम्मेदारियों का क्या? कहीं ऐसा तो नहीं कि पति के प्रेम में वह एक कमजोर माँ साबित हो रही है। इन्हीं सब सोच में वह घर आ जाती है।

स्कूल छूटता है और सारे बच्चे पेरेंट्स के इंतज़ार में खड़े होते है तब तक कुछ लोग आते है और सिद्धार्थ को बहला फुसला कर साथ ले जाते है। जब पूनम स्कूल पहुंचती है तो सिद्धार्थ को ना पाकर परेशान हो जाती है। रो रोकर उसका बुरा हाल हो जाता है। स्कूल के रिसेप्शन से घर पर फोन कर जसपाल को सब बताती है।
" सुनो सिद्धू नहीं मिल रहा है.. तुम.. तुम जल्दी आ जाओ.. पुलिस में जाना है.. मेरा बच्चा जाने कहाँ गया.. ऐसे वो अकेले कहीं नहीं जाता मेरे बगैर.. प्लीज जल्दी आ जाओ..."
जसपाल के चेहरे पर तनाव उभर आता है।
" मैं आया अभी. तुम कुछ मत करना.. कहीं मत जाना "
जसपाल कुछ सोच कर एक फोन लगाता है
" मैंने कहा था, मैं पैसे दे दूंगा.. मेरा बच्चा कहां है प्लीज बताओ? देखो फैमिली को इसने मत शामिल करो मेरी जबान मतलब जबान है.. मैं कह रहा हूं मुझे भाई से बात करने दो सब ठीक कर दूंगा मैं.. " जसपाल थोड़े गुस्से में था।

" समझदार हो! हां बच्चा हमारे पास है सेफ्टी गारंटी के लिए रखा है.. टेंशन मत लो कुछ नहीं होगा, जब तक की तुम्हारे दिमाग में यह बात फिट रहेगी कि पैसे अभी के अभी लौटाने है। हमारे धंधे में इतना लंबा उधार नहीं चलता डेली पैसे से पैसे बनाते हैं और हम पहले भी बता चुके हैं भाई इतनी फुर्सत में नहीं है इतनी छोटे छोटे मामलों में बीच में आए.. तुम पैसों का इंतजाम करो तुम्हारे पास कल तक का समय है "
जसपाल परेशान हो गया इतनी बड़ी रकम का इंतजाम एक दिन में कहां से करेगा? अभी फिलहाल वह स्कूल से निकल गया। स्कूल पहुंचकर उसने पूनम को संभाला जो सिद्धार्थ के गम में बेहाल हुई जा रही थी।
" पूनम घर चलो सब ठीक हो जाएगा "

" क्या बोल रहे हो तुम? सब ठीक हो जाएगा? हमें पुलिस स्टेशन चलना चाहिए..."

" मैं कह रहा हूं सब ठीक हो जाएगा.. सिद्धार्थ घर आ जाएगा.. उसे कुछ नहीं हुआ है"

"देखो मैं कुछ नहीं जानती हूं.. मुझे मेरा बच्चा अभी के अभी किसी हाल में चाहिए.. तुम्हें पता भी है वह बहुत छोटा है, अगर यहां-वहां भटक गया उसे कुछ हो गया हो तो.. नहीं नहीं.. हमें अभी पुलिस में चलना चाहिए "
जसपाल मन ही मन सोचता है अगर हम पुलिस के पास गए तो मेरे धंधों की कलई भी खुल जाएगी और हो सकता है वह लोग सिद्धार्थ को भी वापस ना करें साथ ही साथ पुलिस मुझे भी जेल में डाल देगी.. नहीं-नहीं पुलिस नहीं..
पूनम के जब जोड़ से झकझोरने पर जसपाल जोर से चीख कर कहता है

" मैंने कहा ना वह घर आ जाएगा तो आ जाएगा "
पूनम सहम जाती है। उसे शक हो जाता है कि शायद सिद्धार्थ के गायब होने के बारे में जसपाल को सब कुछ पता है।

क्रमशः...

©सुषमा तिवारी