Mean world in Hindi Short Stories by Ganesh books and stories PDF | मतलबी दुनिया

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मतलबी दुनिया

दुनिया का क्या है दोस्त, आज तेरे साथ है, कल किसी और के साथ। वो बोलते है ना कि दुनिया गोल है, गोल नहीं, दुनिया मतलबी है। आज हर इंसान एक दूसरे को हराने में लगा है, हर दूसरे इंसान को नीचा दिखाने में लगा है। पर क्या ये सही बात है?
अगर सबको पूछोगे सब ना ही बोलेंगे। ऐसा है की जब तक आप ऊपर हो, आपके पास पैसा, पावर है, तब तक आपकी इज्जत होगी, तब तक आप बड़े है, जैसे ही आपका पैसा खत्म आपकी जरूरत खत्म।

"आज कीमत लिबास की है, आपकी नहीं,
जरूरत आपकी काबिलियत की है, आपकी नहीं।"
दुनिया का उसूल ही कुछ ऐसा है, इसमें हम और आप कुछ नहीं कर सकते।
दुनिया के लोगों का भी शेयर बाजार की तरह है, जैसे मार्केट ऊपर जाता है, तो लोगो को फायदा है, और नीचे गया तो वही लोग जिन्हें फायदे हुए थे, वही गालियां देंगे। आज के इस दोगले जमाने में कोई कीसिका का नहीं है, सब अपना मतलब देखते है। इस लिए आज की ऐसी दुनिया में हर मानव को हर आते हुए बदलाव के साथ बदलना पड़ेगा। क्योंंकि अगर आपने ऐसा नहीं किया तो दुनिया आपसे आगे निकल जायेगी।
हम भी हमारे जीवन में इतने व्यस्त हो जाते है कि हमें हमारे अपनो के सामने कुछ दिखाई नहीं देता। और हम उन्हीं के चक्कर में बाहर की दुनिया को भूल जाते है। बल्कि हमारा काम तो दूसरो को खुश रखना है। और आज तो ये कोरोना की महामारी ने ये भी सीखा दिया है कि हमें साथ मिलके लड़ना जरूर है, पर वो भी एक दूसरे से दूरियां बनाकर। ये बीमारी भी हमें बहुत कुछ सीखा रही है।
आज हर मानव को अपनी इच्छाएं पूरी करनी है, फिर चाहे उसे पाने के लिए किसी भी हद तक क्यू ना जाना पड़े! पर वो नहीं सोचता की उसकी इस इच्छा की वजह से दूसरे लोगो को, या प्रकृति को क्या नुकसान होगा। अगर सभी ऐसे करने लगे तो आगे का भविष्य खतरे में हो सकता है। इसलिए आज के मनुष्य को अपने विचार बदलने होंगे। इस आधुनिक युग में माना की हमारी कुछ समस्याओं का समाधान मिला है, पर उससे कुछ दूसरी तकलीफे भी झेलनी पड़ रही है। हमें आज के युग में हमारी प्रकृति का ख्याल रखना पड़ेगा, क्योंकि इंसान एक वाक्य में यह कहता है कि प्रकृति ही जीवन है, और फिर वही इंसान अपनी पूरी ज़िंदगी मे एक पौधा ना लगा पाया तो फिर ये दोगलापन किस काम का?
आज यही दोगलेपन वाले इंसान की तादात बढ़ चुकी है। हमें इस दोगलेपन को काम करना होगा और एक नए तरीके से दुनिया को देखना होगा, तो ही ये दुनिया चल पाएगी, और हरकोई अपना जीवन शांति से गुज़ार पायेगा। में अपना ये लेख दो लाइन के साथ खत्म करना चाहूंगा,
"शराफत को देखे जमाना हो गया,
आज के जमाने में ये शब्द पुराना हो गया।"


ये मेरे विचार है। सबके विचार सामान नहीं होते, सबकी राय अलग अलग होती है। तो मेरे इस विचार से किसी को भी ठेस पोहची हो तो मुझे माफ़ करे।