Little angel in Hindi Short Stories by zeba Praveen books and stories PDF | नन्हा फ़रिश्ता

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नन्हा फ़रिश्ता

सलमा आज के दिन का इंतज़ार कई सालो से कर रही थी, एक ऐसी ख़ुशी जिसने उसके घर को उजड़ने से बचा लिया, कई सालो से सूनी पड़ी उसकी गोद आज एक नन्ही सी जान को पाकर खिल उठा था, वो इस ख़ुशी को कैसे बया करे समझ नहीं पा रही थी, उसकी ख़ुशी उसके आँखों में डबडबाया आंसू साफ़ ज़ाहिर कर रहा था, वो बार-बार अपनी बाहो में लिपटी नन्ही सी जान को चूमे जा रही थी, ममता से ओत-परोत सलमा अपने आंसू को छुपाने की लाख कोशिशें कर रही थी लेकिन उसके आँखों से आंसू छलक ही जा रहे थे, एक ओर मुरशद अपने हाथ बांधे एक टक अपनी बीवी और बच्चे की ओर देखे जा रहा था, उसे पता था यही वो बच्चा हैं जिसकी वजह से सलमा उसकी ज़िन्दगी में दुबारा वापस आयी हैं, मुरशद की आँखे भी ख़ुशी से नम थी वो चाहता था जाकर अपनी बीवी बच्चो को सीने से लगा कर अपना गम हल्का करे लेकिन बगल में ही खड़ी उसकी माँ एक टक सलमा को घूरे जा रही थी, मुरशद अपनी नम आँखों पर ऊँगली फेरते हुए उस कमरे से बाहर निकला और क़िबला की तरफ हाथ उठा कर ऊपर वाले से शुक्रिया कहने लगा, मुरशद की माँ यानि रुकैया ख़ानम गुस्से से उस कमरे से बाहर निकली और मुरशद के ज़ेहन में शक का ज़हर घोलने लगी |

मुरशद "अम्मी आपको अभी भी हमारी ख़ुशी से दिक्कत हैं, आपने ही हम दोनों को अलग किया था न यह कह कर कि सलमा कभी माँ नहीं बन सकती और आज जब यह आपके सामने आपके पोते को गोद में रख कर यह उम्मीद कर रही हैं कि आप उसके बच्चे को प्यार से उसका हक़ दे तो आप इस तरह की बातें फिर शुरू करने लगी "

रुकैया "मुरशद, अपनी माँ से किस तरह से बात कर रहे हो, यह चार दिन कि आयी हुई लड़की तुम्हारी इतनी चहेती हो गयी हैं कि तुम मेरे दिए हुए तहज़ीब भूलते जा रहे हो, याद रखो मैं इसे अपनी बहुँ का दर्ज़ा कभी नहीं दे सकती, और तुम भी यह जान लो तो अच्छा हैं, न जाने किसका बच्चा लेकर हमारे गले बांधना चाहती हैं, इतने सालो से तुम्हारे साथ रही तब ऐसा कुछ नहीं हुआ, मायके जाने के बाद ही अचानक से एक बच्चा भी आ गया"

मुरशद " अम्मी आप कैसी बातें कर रही हैं, बीवी हैं वो मेरी, आपकी वजह से मैं इतने दिनों से सलमा से दूर रहा, मेरी फॅमिली हैं वो, और जो सलमा के गोद में हैं वो मेरा बच्चा हैं समझी आप"

रुकैया "मुरशद तुम्हे दिखाई नहीं दे रहा हैं किस तरह से यह नागिन हम दोनों माँ बेटे के रिश्ते में फ़न फैलाकर बैठी हैं, तुम्हे हर समय मेरी ही गलती दिखती हैं, कभी उससे इस तरह से बात किया हैं"

मुरशद की माँ उसके दिलो में सलमा के खिलाफ नफरत डालने की तमाम कोशिशे किये जा रही थी लेकिन मुरशद के लिए सिर्फ यह मायने था की किसी भी तरह सलमा उसकी ज़िन्दगी में वापस आ जाये, मुरशद दुबारा सलमा के करीब जाकर उससे माफ़ी मांगने लगा, रुकैया ख़ानम अपने बेटे को इस तरह बेबस देख नहीं पाती हैं, वो फ़ौरन आकर सलमा के ऊपर इलज़ाम लगाते हुए भला बुरा कहने लगती हैं , मुरशद अपनी माँ से मजबूर सलमा से माफ़ी मांगने लगता हैं, जब रुकैया ख़ानम चुप नहीं होती हैं तो मुरशद दुबारा उस कमरे से गुस्से में निकल जाता हैं, सलमा के लिए यह झगड़े आम थे, वो जानती थी मुरशद दिल का बहुत अच्छा इंसान हैं वो उसके हक़ में कभी बुरा नहीं सोचेगा, वो अपनी माँ के कहने में आकर कुछ दिन उससे दूर रहा हैं लेकिन उसे अपनी औलाद की मोहब्बत उसके पास खींच ही लाएगी, सलमा रुकैया और मुरशद के बीच तनाव को देख कर बीते दिनों को याद कर रही थी के किस तरह रुकैया ख़ानम मुरशद को उसके खिलाफ भड़काया करती थी, यह कह कर की वो कभी माँ नहीं बन सकती, मुरशद रोज़-रोज़ के झगड़े से तंग आकर सलमा को उसके मायके बिठा तो दिया था लेकिन दुबारा किसी को अपनी ज़िन्दगी में आने नहीं दिया तब तक रुकैया ख़ानम मुरशद की दुबारा शादी करवाने की तमाम कोशिशे कर चुकी थी, सलमा ने भी गुस्से में मुरशद को नहीं बताया कि वो माँ बनने वाली है लेकिन जब डिलीवरी के समय उसे पता चला कि उसे और उसके बच्चे को खून की ज़रूरत हैं तो उसने सबसे पहले मुरशद को ही फ़ोन किया, मुरशद ने आकर एक पिता और पति का फ़र्ज़ निभाया लेकिन खुद को सलमा का गुनहगार ही समझता रहा |