kaisa ye ishq hai - 4 in Hindi Fiction Stories by Apoorva Singh books and stories PDF | कैसा ये इश्क़ है....? (भाग -4)

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कैसा ये इश्क़ है....? (भाग -4)

उन्हे बेवजह हंसते हुए जवाब देते देख अर्पिता उनसे कहती है...।लगता है टेलीविजन पर वो क्लोज अप वाला एड बहुत देखते हो।तभी बिना वजह दांत निकल आते है।बात तो सुनाई पड़ती नहीं बस दांत ही दांत दिखते है वो भी पीले पीले।

अर्पिता की बात सुन कक्षा में मौजूद बाकी लड़कियों की हंसी छूट पड़ती है।और उन लडको की बत्तीसी मुंह के अंदर ही दुबक जाती है।

फिर भी उनमें से एक हिम्मत कर कहता है।बहुत बोल रही हो इतने सब लोगो के सामने हमारी बेइज्जती कर दी बहुत महंगा पड़ेगा तुम्हे।

उसकी बात सुन कर अर्पिता सभी लड़कियों की ओर देख कहती है।यहां मौजूद जितनी भी लड़कियां है वो सभी सुन ले हमें अभी अभी इन महोदय ने बड़े ही सभ्य तरीके से धमकी दी है कि हमारे लिए महंगा पड़ेगा।अर्थात ये हमें नुक़सान पहुंचाएंगे। आप सभी हमारी ओर से गवाही का कार्य करना अगर हमे कहीं भी कभी भी कोई नुक़सान हुआ तो।अरे अब ये कॉलेज के पीजी के स्टूडेंट है।कॉलेज में कुछ नहीं कहेंगे।बाहर ही करेंगे जो भी करेंगे।तो आप लोग भी ध्यान रखना इस बात का।

अर्पिता की बेबाकी देख उनके भी तोते उड़ जाते है।वो कुछ न कहने में ही अपनी भलाई समझते है।

उनमें से एक लड़का बड़े ही गौर से अर्पिता की बातचीत करने के तरीके को ऑब्जर्व कर रहा था।बात करते समय अर्पिता के चेहरे पर झूलती हुई जुल्फे उसे भा जाती है।उसके मुख से सहसा ही निकल पड़ता है "ब्यूटीफुल"। ब्यूटी के साथ ब्रेन का क्या जबरदस्त तालमेल।उसके पास खड़े सभी लड़के उसकी ओर देखने लगते है।और कहते है तालमेल तो अभी देख ही लिया हम सबने।

ये तो रही निराधार बाते अब मुद्दे पर आते है तो फिर फाइनल बात ये बताइए कि आप में से कौन कौन अब हमसे दोस्ती करना चाहता है।क्यूंकि अभी अभी हमने यही सुना था न कि कोई हमसे भी पूछ ले दोस्ती के लिए।अर्पिता अब खड़े होकर पूछती है।

ये देख सारे के सारे लड़के वहां से खिसकने में ही अपनी भलाई समझते है और वहां से नौ दो ग्यारह हो जाते है।अर्पिता वापस से श्रुति के पास आती है और उसके पास बैठते हुए कहती है तो मिस श्रुति क्या आप हमसे दोस्ती करेंगी।उसकी बात सुन उदास श्रुति मुस्कुराने लगती है और अर्पिता के सामने अपना हाथ बढ़ाते हुए कहती है। "हां बिल्कुल करेंगे"! और मुस्कुराने लगती है।

बस ऐसे ही हंसते हुए रहा करो।कहते हुए अर्पिता उसके हाथ को कस कर दबाती है।पता है तुम्हारा वो उदास चेहरा देख हमें बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था।तभी हमने सोचा तुमसे बातचीत कर इसका कारण पता किया जाए।अर्पिता ने श्रुति से कहा।

अर्पिता की बात सुन श्रुति हंसते हुए कहती है जो प्रॉब्लम थी उसे तो तुमने यूं हवा की तरह उड़ा दिया।अब कोई प्रॉब्लम नहीं है।दरअसल ये लड़के मुझे रोज ऐसे ही परेशान करते है।इनसे कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी मेरी।

श्रुति अगर खुद कुछ नहीं कर पा रही थी तो कॉलेज में कंप्लेन करती।नहीं तो अपने घर ही किसी से कहती भाई या फादर किसी से भी।अब यूं चुप रहने से कोई समस्या का समाधान तो होना नहीं था।देखा न तुम्हारे चुप रहने के कारण कितनी हिम्मत बढ़ गई थी इन सब की।

अर्पिता मेरे पिताजी मेरे साथ नहीं रहते।मै यहां अपने कजिन भाई के साथ रहती हूं उनसे अगर कुछ कहती न तो वो इन सब की अक्ल यूं(चुटकी बजाते हुए) ठिकाने लगा देते। लेकिन बात वही है न कि मुझे यहां डेली आना है कोई एक दिन तो है नही जो भाई से कह इन जाहिलो से पंगा ले लूं।श्रुति ने अपनी परेशानी अर्पिता को बताई।

ओह गॉड।श्रुति! ये कोलेज है और यहां ही अगर ये मजनुओं वाली ओछी हरकत होनी लगी तो फिर कॉलेज किस बात का।हम जितना चुप रहेंगे उतना ही ऐसे लोग हमें कमजोर समझेंगे। सो बोलना शुरू करो डियर।यूं चुप रह इग्नोर करने से ऐसे ही परेशानियां बढ़ेगी।और तुम्हारे चुप रहने से या यूं परेशान होने से इन पर कोई असर तो पड़ना नहीं है।

ये लोग तो परेशानियों की पोटली रखे बैठे है।जो भी इनके सामने आ गया तो ये पोटली उसी को डिलीवर करने की कोशिश कर देंगे अब ये हमारे हाथ में है कि हम उस पोटली के साथ क्या करते है। बारगेनिंग कर पोटली वाले को ढंग से पोटली की कीमत बताते है या सीधा एक ही बार में पैसे दो और पोटली लो।
समझी कि नहीं।अर्पिता ने श्रुति की थोड़ी पकड़ हिलाते हुए कहा।

हम समझ गई मै।अब कोशिश करूंगी जवाब देने की बाकी तुम तो हो ही मेरे साथ मुझे गाइड करने के लिए।

हां श्रुति हम तो है ही अगर अब किसी ने कोशिश की तुम्हे परेशान करने की तो मिलकर बैंड बजाएंगे इसी बात पर हाई फाइव!अर्पिता ने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा।

हम हाई फाइव।श्रुति हाथ बढ़ा कहती है।दोनों मुस्कुराते हुए आपस में बात कर रही होती है कि तभी क्लास में लेक्चरर आ जाते है सभी शांत हो अपनी अपनी सीट पर बैठ जाते है।लड़के भी अंदर आ चुके है।इनमें से एक को छोड़कर सभी बोर्ड पर देखते है जहां लेक्चरर कोई टॉपिक के विषय में समझाते हुए कुछ पॉइंट्स लिख रहे होते है।वहीं एक लड़का जो अपना ध्यान बोर्ड पर न देकर अपने से एक सीट आगे बैठी अर्पिता की तरफ दे रहा है।वो मुस्कुराते हुए उसके चेहरे को देख रहा है।लेक्चरर पीछे मुड़ते है और छात्रों की ओर देखते है।जिसमें वो उस लड़के को देख लेते है।लेक्चरर उस समय उससे कुछ नहीं कहते है और वापस से अपने कार्य में लग जाते है।

कुछ ही देर में क्लास ख़तम हो जाती है।सभी छात्र बाहर जाने लगते है तब लेक्चरर इस लड़के को आवाज़ दे कहते है

सात्विक, आप स्टाफ रूम में मुझसे मिलकर जाना ठीक है।

जी सर सात्विक कहता है और वहीं सीट पर बैठ जाता है।लेक्चरर स्टाफ रूम में चले जाते है।वहीं दूसरी तरफ अर्पिता और श्रुति भी वहीं बैठी हुई होती हैं।अर्पिता श्रुति की नोट्स लेकर उनके इंपॉर्टेंट टॉपिक की कुछ पिक क्लिक कर रही होती है।
सात्विक लगातार बिन पलके झपकाए अर्पिता को ही देख रहा है।।उसके गालों पर झूमती लट उसे बेहद पसंद आती है। सभी लोग दरवाजे से निकल जाते है।
अर्पिता अपना काम ख़तम कर श्रुति को साथ ले वहां से निकल जाती है तो सात्विक अपनी नोट बुक्स उठा वहां से स्टाफ रूम के लिए निकल जाता है।
स्टाफ रूम में सात्विक से प्रोफेसर उससे कहते है सात्विक! अब आप सोच रहे होंगे अचानक से मैंने आपको यहां क्यों बुलाया।उसके पीछे भी एक कारण है।

लेक्चरर की बात सुन सात्विक ने उनके चेहरे की ओर सवालिया नज़रों से देखा।

मै समझ रहा हूं सात्विक इस समय कुछ प्रश्न आपके मन में उठ रहे है।आपका ज्यादा समय न लेकर में सीधे मुद्दे कि बात पर आता हूं।

सात्विक! आप समझदार हो।अपना भला बुरा समझ सकते हो।लेकिन फिर भी मै आपसे कहना चाहता हूं आप पोस्ट ग्रेजुएशन में आ चुके है इसका अर्थ है आप मैच्योर हो चुके है चीजों को परिस्थितियों को समझते है।अभी ये समय है अपने करियर पर ध्यान देने का।इस समय तक मोस्टली स्टूडेंट्स अपनी मंजिल पर पहुंच चुके होते है या फिर अपनी मंजिल के करीब ही होते है। ऐसे में एक गलत कदम आपको अपनी मंजिल से दूर ले जा सकता है।मै ये नहीं कहता कि आपका चला हुआ हर कदम गलत ही होगा लेकिन रिस्क क्यूं लेना कह प्रोफेसर चुप हो जाते है।

सात्विक उनकी बात का तात्पर्य समझ जाता है।वो धन्यवाद देते हुए कहता है सर मै जानता हूं कि मेरा अच्छा ही सोचेंगे।आपकी इस सलाह को मै ध्यान रखूंगा और अपनी मंजिल तक पहुंच कर ही आगे कुछ सोचूंगा।

सात्विक की बात सुन प्रोफेसर मुस्कुरा देते है।सात्विक वहां से चला आता है।

अर्पिता तूने कुछ नोटिस किया? श्रुति अर्पिता से कहती है।

क्या श्रुति बताओ?अर्पिता ने कहा।

अर्पिता देख आज तो मेरे आगे पीछे कोई भी नहीं चल रहा है वैसे जब मै यहां से जाती थी न तो ये लड़के कमेंट कर कर के मुझे परेशान के देते थे।

ओह तो ये बात है।खैर कोई नहीं अब तुम खुद ही जवाब दे दिया करना।अर्पिता ने मुस्कुराते हुए कहा।

अच्छा श्रुति तुम मुझे कॉलेज ही घुमा दो।पता तो चले कौन सी चीज कहां है? लाइब्रेरी,ऑडोटोरियम वगैरह।

ओ तेरी तूने अच्छा याद दिला दिया ऑडिटोरियम का।मुझे भाई को बताना था कि हमारे कॉलेज में कल "एक शाम लखनऊ के नाम" से गजलों और शायरी की महफिल सज रही है।जिसमें पूरे लखनऊ से कुछ चुनिंदा लोग आ रहे है।क्यूंकि ये भी संगीत जगत का एक अहम भाग है और हमारा लखनऊ इसके लिए कितना फेमस है।श्रुति ने बेहद खुशनुमा अंदाज़ में अर्पिता से कहा।इसके चेहरे की खुशी देख अर्पिता उससे पूछती है लगता है तुम्हारे भाई को संगीत की ये दुनिया बेहद पसंद है।

बेहद! अरे पूछो मत कितनी पसंद है।वो गानों में अगर कुछ सुनेंगे तो गजल ही सुनेंगे बहुत कम ही मैंने उन्हें बॉलीवुड सोंग सुनते देखा है!और कुछ खास मौकों पर शेर ओ शायरी भी करते है।टीचिंग उनका पेशा भी है और शौक भी।

बहुत जुदा शौक है तुम्हारे भाई के।उनके बारे में इतना सुनकर ही हमारे मन में तुम्हारे भाई से मिलने की इच्छा होने लगी।अब तो तुम्हारे भाई से मिलना ही पड़ेगा अब जिसकी इतनी तारीफ हो रही है उससे मिलना तो बनता है अर्पिता ने मुस्कुराते हुए कहा।

हां हां मिल लेना कल वो यहां आएंगे तब।मेरे प्रशांत भाई है ही ऐसे एक बार जो उनके बारे में सुन ले मिलने की इच्छा खुद ब खुद होने लगती है।श्रुति ने इतराते हुए कहा।

क्या... क्या नाम बताया तुमने श्रुति? अर्पिता ने हैरानी से पूछा।

प्रशान्त! प्रशान्त मिश्रा! श्रुति ने मुस्कुराते हुए कहा।

प्रशान्त! कहीं ये वही तो नहीं किरण के कॉलेज की लाइब्रेरी वाले।अब ज्यादा पूछूंगी तो कहीं ये ही न हमसे प्रश्न पर प्रश्न करने लग जाए।

लेकिन अब चैन भी तो न पड़ेगा बिन जाने! इंतजार करने के अलावा और कोई विकल्प भी तो नहीं है। ओह गॉड! यही तो दुनिया जहां का सबसे मुश्किल कार्य है इंतजार। न जाने लोग कैसे कर जाते हैं।
खुद से ही अर्पिता कहती है।उसे बुदबुदाते देख श्रुति कहती है कहां खोई हो!क्या बडबडा रही हो।

क क कुछ नहीं बस ऐसे ही।बहुत बहुत बहुत प्यारा नाम है तुम्हारे भाई का प्रशांत!दिल की गहराई में उतरता चला जाता है।अर्पिता ने मुस्कुराते हुए कहा।

है न प्यारा नाम। मां भी यही कहती है।

श्रुति की बात सुन अर्पिता मुस्कुरा देती है।और दोनों कोरिडोर में पहुंच जाती है।जहां कल के प्रोग्राम का नोटिस लगा होता है।अर्पिता और श्रुति दोनों नोटिस पढ़ती है।भाई सुनेगा तो सच में उसके कदम जमीन पर नहीं रहेंगे।अब तो मुझसे रहा नहीं जा रहा तुम यही रुको मै अभी भाई को फोन कर उसे बता कर आती हूं।ओके कह श्रुति वहां से एक तरफ चली जाती है।

श्रुति के जाने के बाद अर्पिता मुस्कुराते हुए कहती है तो एक मुलाक़ात आपसे हो ही जाए श्रुति के भाई प्रशांत जी।हमारा मन कह रहा है आप वहीं है लाइब्रेरी वाले...! बाकी कल शाम को आपसे मिलते है तब पता लग ही जाएगा।

श्रुति आ जाती है और उसके चेहरे की मुस्कान देख अर्पिता उससे कहती है, " श्रुति तेरी ख़ुशी बता रही है कि कल तेरे भाई आएंगे साथ ही उनके साथ तू भी आएगी" यानी तुम्हे भी ये दुनिया बहुत पसंद है।

हम ये शौक तो मुझे मेरे भाई से ही मिला है।श्रुति ने मुस्कुराते हुए कहा।मै तो कह रही हूं कल तुम भी आना बहुत मज़ा आता है बहुत कुछ सीखने को मिलता है।कॉलेज में है तो एंट्री के लिए पास की भी जरूरत नहीं है।

ठीक है फिर कल हम भी आएंगे।अर्पिता कुछ सोचते हुए कहती है।दोनों वहां से लाइब्रेरी जाती है वहां अर्पिता अपना लाइब्रेरी कार्ड बनवाती है।
वहां से श्रुति उसे पूरे कॉलेज में घूमा देती है।और जाकर दोनों गार्डन में बैठ जाती है।उनके पीछे ही आकर बैठता है सात्विक! जो अपना ध्यान किताबो में लगाने की कोशिश करता है।लेकिन बार बार असफल हो जाता है।चित्त किताबो से हट अर्पिता पर जाकर टिक जाता है।वहीं अर्पिता बैठी श्रुति के साथ होती है लेकिन उसके जेहन में घूम प्रशांत रहा है जिससे उसके चेहरे पर अनायास ही मुस्कान खिल रही है।श्रुति उसके चेहरे की मुस्कान देख ही खुश हो रही है।


क्रमशः...