(ભાગ - ૧ માં આપણે જોયું કે અનિકેત, બૈનને પોતાની જીવનકથની કહે છે. ચિકી અનિકેતને શાળાએથી મળેલાં પુસ્તકો આપે છે અને અનિકેત બચ્ચાં પાર્ટીને સ્ટોરી પાર્ટી કરવા બોલાવે છે. હવે આગળ.....)
बैन...... एक चोर
રાત્રે અનિકેતની ખોલી પર બાળકોની મહેફીલ જામી. બધાં અનિકેતની આજુબાજુ ગોઠવાયાં. અનિકેતે ચિકીની બુકમાંથી
વાંચેલી સ્ટોરીઝ એક્શન સાથે કહી સંભળાવી. બૈનએ પોતાની મુંબઈયા બોલીથી બાળકોનું મનોરંજન કર્યું. આશરે સાડા નવે પાર્ટી પૂરી થઈ અને અનિકેતે બાળકોને રવાના કર્યા.
બાળકોના ગયા પછી બંનેએ ભોજન કર્યું અને ખુલ્લામાં ખાટલા પર લંબાવ્યું. રાત્રિઆકાશમાં જોતાં જોતાં અનિકેતે બૈનને એનાં બાળપણ વિશે પૂછ્યું.
बैन: अनि, अपन का स्टोरी से थोड़ा अलग है रे... अपन तेरी तरहां अनाथ नहीं था, अपन के आई बाबा थे, अपन से बड़ा प्यार करते थे, फिर एक दिन अपन को छोड़ के चले गए।
अनिकेत: चले गए, कहां चले गए?
बैन: वहां, गोड के पास....
अनिकेत: ओहहह.... सोरी बैन....
बैन: अपन के आई बाबा ने लव मैरिज कियेला था। हा...हा...हा.. दोनों का कोई नहीं था। दोनों हीच थे एक दूसरे का वास्ते। दोनों भाजी बेचते थे मंडी में, फिर मैं आया उनका लाइफ़ में..... दोनों बहोत प्यार करतें थे, मेरे को अपना लव स्टोरी भी सूनाता था.... हा.....हा....हा.....
अनिकेत: तु लकी है रे बैन.... बहोतीच लकी.... तु अपने आई बाबा को देख पाया, उनका प्यार महसूस कर पाया । अच्छा.... एक बात बता, बैन तेरा असली नाम है?
बैन: अरे... नाम के पीछू भी एक सोलिड स्टोरी है रे बाबा...
अनिकेत: ऐसा क्या?.... तो फिर बताना....
बैन: बोल, तु मानेगाइच नहीं! अपन का नाम के वास्ते जिंदगी में फस्ट टाइम आई बाबा में लड़ाई हूआ था ।
अनिकेत: अच्छा! और तुने वो सूना था ।
बैन: नहीं रे बाबा.... कैसे सूनाता? अपन तो आई के पेट में था । तू भी ना अनि... तेरे को कुछ नहीं पता ।
अनिकेत: ओहहह...
बैन: वो सब छोड़.... आई माझी महाराष्ट्रीयन, तो उसको अपन का नाम महाराष्ट्रीयन स्टाइल का रखना था और बाबा गोवा के तो, उसको अपून का क्रिश्चन नाम रखना था, आई बोली... बेनाली और बाबा बोला बैन्जामीन । मैं साला, इतना कंटाल गया के अगले सुबह अपूनीच दुनिया में आ गया ।
अनिकेत: फिर क्या नाम रखा तेरा?
बैन: क्या रखेंगे?... दोनों ने अलग-अलग नामीच रखा । आई ने बेनाली और बाबा ने बैन्जामीन । पर अपन ने भी चार साल की उमर में एकदम भेजेवाला काम किया, ना बेनाली रखा ना बैन्जामीन, बैन रख लिया ।
अनिकेत: चल... फेंक मत....चार साल का बच्चा अपना नाम कैसे रखेगा? चार साल में तो बच्चा अपना नाम ठीक से बोलना सिखता है ।
बैन: अरे... सच बोल रहा है ! कसम से... कोई अपन से अपून का नाम पूछता तो अपून वो दोनों में से एक भी नाम नहीं बोल पाता था तो अपन 'बैन' बोल देता था । अब बोल, रखा ना अपून ने अपन का नाम, है?
अनिकेत: हा...हा....हा.... हां, मान गया, तूनेइच रखा तेरा नाम ।
बैन: हां... अब समझा ना ।
फिर एक दिन वो मंडी से वापसीच नहीं आएं.... उनका.... आई बाबा का बोड़ी आया अनि....
(અનિકેત એને ગળે લગાવી લે છે.)
छह साल का था अपून अनि... उन दोनों को उठा रहा था क्योंकि अपून को लगा कि दोनों सो रहेले है । वो तो बाजू वाली आन्टी ने बोला अपून को वो दोनों गोड... गोड के पास चला गया... मर गया ।
फिर थोड़े दिन आजू-बाजू वालों ने खिलाया पन कोई कितना करता, कोई अपना सगा वाला तो था नहीं, भूखा पेट तो खाना हीच ढूंढता है ना अनि... और सही ग़लत कौन बताता, ग़लत संगत में उनके साथ चोरी करने लगा, चोर बन गया ।
अनिकेत: फिर सत्यबाबा से कैसे मिला?
बैन: वो एक दिन बाबा का पाकिट मारने का ट्राय किया था, पन बाबा ने अपन का हाथ पकड़ लिया, और अब तक पकड़ रखा है। कोई और होता तो अपन को मारता, पुलिस को दे देता पन बाबा ने ऐसा कुछ नहीं किया । अपन का हाथ इतनी ज़ोर से पकड़ा कि सही रास्ता दिखा के हीच छोड़ा । आज, अपन जो ये इज्जत की जिंदगी जी रहा है, वो बाबा की वज़ह से ही । अपन के आई बाबा बड़े खुश होएगे, अपन को शराफ़त से जीते हूए देख के, है ना? क्या बोलता अनि?
अनिकेत: हां... सही बोला, और क्या पता तेरे आई बाबा के आशिर्वाद से ही बाबा तुझे मिलें हो ।
बैन: हां... हो सकता है रे बाबा । आई बाबा थेक्यू ।
अनिकेत: चल अब सोजा, कल से गणपति बाप्पा का मूर्ति बनाने का काम शुरू करना है ।
ત્યારે જ થોડો કોલાહલ સંભળાયો અને અનિકેત તથા બૈન અવાજની દિશામાં દોડ્યાં.
(ક્રમશઃ)