ye sab likhna jaruti tha kya ? in Hindi Short Stories by Gadhavi Prince books and stories PDF | ये सब लिखना ज़रूरी था क्या?

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ये सब लिखना ज़रूरी था क्या?


◆यहां बस कुछ लेेेख हे जो आपको अच्छे लगेेंगे!



1. एक पुरानी बात।

वह मेरी बचपन कि दोस्त थी, फीर हम बडें हो गया,मैं समज दार हो गया ,मुजे पता लग गया था कि पसंद आने ओर प्यारा लगने मे क्या अंतर होता है, मुजे वो प्यारी लगती थी, शायद उसे भी मै प्यारा लगता था,पर वो अभी मेरै जितनी बडी नहीं हुई थी, उसे नहीं पता था किसी भेद के बारे मे,हम छत पर एक रात को बातें कर रहे थे,उसनें मुजे कहा कि मै उसका सबसे पसंदीदा दोस्त हू,तभी एक सितारा गिरता है वो मेरै हाथ अचानक पकड लेती हैं,और मुजे तुटते सितारे को देख के कुछ मांगने का इशारा करती हैं,उसने मेरा हाथ पकड़ रखा था मैं और भला क्या मांगता, मेनै आसमान में देख कर मन में ख्वाहिश मांगी की....


"काश उसे पसंद करनै ओर प्यारा लगने के बीच का अंतर इसी समय समज मे आ जाए!"



2. मैं सोचता रहता हूं!

मैं सोचता रहता हूं, बारिश कि बूंदें जब जमीन से टकराती हैं तब उन मे कोन इत्र घोलता हैं,जन्म से अंधा इंसान सपने में क्या देखता होगा! मैं ये सोचता रहता हूं, कोनसी चिमनी मे तप कर आँख के आँसु गुनगुने हो जाते हैं, जुठ बोलने मे हमारी पलकें तक नहीं झपकती पर सच बोले अगर तो होठ हमरें क्यों कपकपते हैं? मैं सोचता रहता हूं,मेरे दिल पे लगे छाले मेरे बदन पे क्यों नहीं दिखते हैं? मै आजभी क्यों आइने मे पहले जैसा दिखता हूं? मैं सोचता रहता हूं,पथजड मे ये बुढा दरख्त मुजे लाचारी से क्यों देखता है? बरसात में मकान से टपकता पानी मुजे कलाई से नीकलते लहु जैसा क्यों लगता है! मुस्तकबिल कि फिक्र को मैं सीगरेट मे डाल कर धुएं मे उडा क्यों नहीं सकता,मेरे ये बेजान हाथ शब्दों को झीन्दा केसै कर देते हैं ये फन इन्हें कीसने सिखाया? मैं ये सब सोचता रहता हूं!


3.जूठो को ताना!

आपका feminism मेरी समज के बाहर है

क्योंकि ये coffee shops कि दिवारों के अंदर ही रहता है....ये नहीं पहोंच पाता भुला दिया गयें गाव मे..तपती सडक पर....धूंधली आँखों मे...हर सांस कि पीड़ा तक....ये नहीं देखता काटें चुभें पेरो को...ये नहीं देखना चाहता फटी साडी के रेसों को..ये अंग्रेजी में थोड़ी पंक्तियां बोलने पर ताली बजाता है...पर ये लाठी से मारे जाने कि आवाज़ नहीं सुन पाता है...आपके उस खुशबूदार कोफी हाउस से बोहत दूर इक गाव है जहां दूपहर के तीन बजे है..और गाव के कुवें मे इक लडकि पानी भरने आए हैं... उसका शरीर पसीने से लतपथ है...और उसे पता भी नहीं है के उसके शरीर के एक भाग मेसे लाल रंग का कुछ स्राव हो रहा है, वो स्राव पसीने के साथ मिल कर उसकीं साडी को और भी गहरा लाल कर रहा है ।

कितना पीड़ा दाई हैना ये दृश्य!
●आखिरी वाला थोड़ा डरावना है.....

4.सपना

एक दुनिया है, जहां मे अकेला झिन्दा हूँ.ये महसूस होता हैं कि चारों और अंधकार ही अंधकार है..उस अंधकार के असीम सामराज्य मे एक सडक है,सडक के दोनौं कीनारो पे खून से सने दरख़्त है,हवा हर बार अपने साथ सडे मास कि गंध लाती हैं, मे उस सडक पे चल रहा हूँ अचानक बिजली होती है,दरख्त जल उठते है ,मै दौडता हूँ,तेज ,बोहत तेज,मेरे फेफड़े सांस लेने के लिए मशक्कत करते है ,तभी मेरा पेर फिसलता है,और मे कीसी खाई मे गीरने लगता हूँ,मे लगातार गीरता रहता हूँ,मुजे लगता है उस खाई का कौई अंत नहीं,मेरी आंखे ऊपर उन जलते पेडों को देखती है,मे बस चिल्लाने के लिए मुह खोलता हूँ तभी मे खाई के सीरे से टकराता हूँ!


मेरी आंखे खुल जाती हैं, मे अपने आप को पलंग पे लेटा हुआ पाता हूँ, मेरा ध्यान घडी कि ओर जाता है, रात के दो बजे है,बाहर बारीश है, मेरे चहेरे पर पसीना है,इक पल मे रुकता हूँ, फीर मे सांस लेने का सोचता हूँ, जेसे ही मे सांस लेता हूँ वहीं सडे मास की गंध आती है!

सवाल ये हैं कि सपना खत्म हुआ या नहीं!


● मुजे आशा है कि आपको ये सब पढके अच्छा लगेगा।