पूरे जंगल में हँसी ख़ुशी का शोर था। चिंकी बंदरिया की शादी सोनू बन्दर के साथ होने वाली थी। दोनों परिवारों की ओर से पूरे जंगल को न्यौता दिया गया था। हम्पी हाथी वालो की कैटरिंग थीं । वही नदी के पास साथ वाला मगरमच्छ फार्म बुक हुआ था । सजावट की सारी जिम्मेदारी मेढक एंड पार्टी वालो की थीं। चिंकी बन्दरियाँ का शादी का लहंगा जंगल की प्रसिद्ध डिज़ाइनर रिमझिम मोरनी के द्वारा डिज़ाइन किया गया था । इस शादी का सबसे आकर्षण का केंद्र था प्रवासी पक्षी का म्यूजिक बैंड । ये सभी पक्षी दूर -देश के जंगलो से आए हुए हैं । ये छह महीने से विराट जंगल में रह रहे हैं । जब चिंकी और सोनू ने अपनी शादी में इन्हे गाने और नाचने के लिए कहा तो इन्होने बड़ी ख़ुशी से हामी भर दी आखिर वे सब भी जंगल का हिस्सा ही है । और इस शादी में गाकर वे विराट जंगल वासियों का इतना सम्मान और रहने के लिए स्थान देकर आभार व्यक्त करना चाहते थें ।
शादी का दिन भी आ गया । बरात सही समय पर पहुँच गयी । चिंकी की सहेलियाँ गिल्लू गिलहरी, लक्का कबूतरी, पिंकी कोयल तथा सोनू के दोस्त जो पूरे जंगल में लंगूर गैंग के नाम से मशहूर हैं। हर छोटी बड़ी रस्म में हँसी मज़ाक कर एक दूसरे की टांग खींच रहे थें । जहाँ सोनू दूल्हे को पिंकी कोयल ने शरबत में मिर्ची मिलाकर पिलाई वहीं लंगूर गैंग ने भी जूते के लिए सभी सहेलियों को खूब छकाया । जंगल के राजा शेरसिंह का सभी घरातियों ने स्वागत किया । और शेरसिंह के आते ही प्रवासी पक्षियों ने गाना शुरू किया । और फिर ग्रुप डांस ने सबका मन मोह लिया । सभी ने उनकी प्रशंसा की। सोनू और चिंकी ने उनकी शादी को यादगार बनाने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया ।
विराट जंगल में इसी तरह हँसी- ख़ुशी के छह महीने और गुज़र गए । मगर जब राजा शेरसिंह ने नया कानून लागू किया तो सभी सकते में आ गए । नए कानून के अनुसार सभी प्रवासी पशु-पक्षी वापिस अपने-अपने जंगल लौट जाए सभी को जंगल खाली करने के लिए एक महीने का समय दिया जाता है अन्यथा बाहर निकाला जायेंगा । तब नील पंछी सहित सभी प्रवासी शेरसिंह के पास पहुँचे । "आपको तो पता ही है महाराज हमारे जंगलो की हालत कितनी ख़राब है। कई जंगल तो इंसान की करतूतों से सूखते और वीरान बनते जा रहे है ।" नील पंछी ने हाथ जोड़कर कहा । "रेगिस्तान की हवाएँ हमारे जंगल और समुंद्र तक पहुंच गयी है । ऐसे में हम कहाँ जायेंगे?" एक अन्य पक्षी ने कहा। "मैं आप सभी की मजबूरी समझ सकता हूँ पर मैं भी क्या करुँ । यहाँ का राजा कई हफ्तों से विराट जंगल के पेड़ो को काटने में लगा हुआ है । शिकारी भी बहुत आ रहे हैं । मेरा कर्तव्य है कि यहाँ के पशु-पक्षियों की रक्षा करो और उन्हें संरक्षण दूँ । आबादी बढ़ने के कारण यह मुश्किल हो जायेंगा । इसलिए मुझे क्षमा करे और जंगल ख़ाली करें ।" शेरसिंह कहकर अपनी गुफा में चले गए ।
जंगल से जाने में सिर्फ़ पंद्रह दिन का समय बचा था । नीलपंछी का बेटा मिंकू पक्षी जो विभिन्न रंग वाला था। उदास होकर अपनी माँ से कहता है "मेरा मन लग गया था विराट जंगल में अब क्या होगा ? कहाँ जायेंगे माँ ?" "कहीं तो जायेंगे बेटा, तुम जाओं थोड़ा घूम आओं ।" मिंकू अपनी माँ की बात मान नगर की ओर घूमने निकल गया और वहीं किसी पेड़ पर बैठ गया । "सुनो ! सुनो ! सुनो ! सभी लोग सुनो! राजकुमारी को मौसमी बुखार हो गया है । बुख़ार को ठीक करने के लिए जो कोई भी सतलुज नदी में गिरने वाली बारिश से पैदा हुआ मोती लाकर राजा को देगा, राजा उन्हें उनकी पसंद का ईनाम देंगे।"
यह सुनकर मिंकू उड़कर अपनी माँ नीलपंछी के पास पहुँचा और सारी बात बताई । "बेटा वहाँ जाना आसान नहीं है। रास्ते में बर्फीली हवाएँ और नदी में रह रहे विचित्र जीव-जंतु मोती को कभी ले जाने नहीं देंगे । कई हमारे दोस्त तो उसी रास्ते में मर चुके हैं। उस मोती के बारे में सोचना बेकार हैं । तुम सो जाओं। ये हमारा काम नहीं है ।" नीलपंछी ने मिंकू के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा। मगर मिंकू को नींद नहीं आई सुबह होते ही वह रिंकी चिड़ियाँ के पास पहुँच गया । "रिंकी सुना है तुमने समुन्द्र सुखा दिया था?" मिंकू ने आश्चर्य से पूछा। "हाँ बिलकुल सही सुना है, अगर कोशिश की जाए तो कुछ भी मुमकिन है मिंकू । इरादे मजबूत होने चाहिए । शरीर के आकार से फर्क नहीं पड़ता ।" रिंकी ने कहा । "तुम सही कह रही हूँ, मैं भी सतलुज नदी का मोती ले आऊँगा ।" यह कहकर मिंकू उड़ गया ।
उड़ते-उड़ते तीन दिन हो गए । वह थककर पेड़ पर बैठ गया । और भूख लगने पर नीचे गिरे दाने जैसे ही खाने लगा जाल में फँस गया । और रोने लगा । मगर उसने सोचा रोने से क्या होगा, कुछ करना पड़ेगा । पेड़ के तने में एक चूहे का बिल था उसने यह सोचकर मिंकू की मदद की लौटने पर मिंकू उसे सतलुज नदी के शानदार कीड़े लाकर देगा । वहाँ से छूटा तो बर्फ़ीली हवाओं ने उसके पंख जकड़ लिए। अब उसे उसकी माँ याद आने लगी । तभी तपस्या कर रहे ऋषि के पैर को बिच्छू से बचाया तो उसने हाथ फेरकर उसके पंख ठीक किये और आगे के लिए एक ऐसा पत्ता दिया जो आगे भी उसे तूफ़ान से बचाएगा । सतलुज नदी के किनारे पहुँच उसने बतख को मोती देने के लिए कहा तो उसने कहा कि जब हमारी नदी की कोई सफाई नहीं करवाता तो हम क्यों किसी की मदद करें। मिंकू ने वादा किया कि वह राजा से ज़रूर कहेंगा। जब डॉल्फिन उसे खाने को हुई तो एक नन्ही मछली ने उसे मोती दे, डॉलफिन का ध्यान भटका दिया। वह जाते हुए बोलकर गया कि "शुक्रिया नन्ही मछली ज़रूर तुम लोगों के लिए कुछ करूँगा ।"
मिंकू राजा के दरबार में पहुँच गया। मोती को पानी में डालकर उसका पानी पीने से राजकुमारी ठीक हो गई । और राजा ने मिंकू को मनचाहा पुरुस्कार माँगने के लिए कहा तो उसने कहा-, "महाराज मेरे जैसे और भी हज़ारों पक्षी विराट जंगल में रहने आये हुए थें पर अब जंगल काटने की वजह से हमें वहाँ से जाने के लिए कहा जा रहा है।" मिंकू ने कहा । राजा ने कहा-" ठीक है, मैं कल से कटाई का काम बंद करवाता हूँ ।" राजन बात सिर्फ़ विराट जंगल की नहीं है और बाकी के जंगल जहाँ से हम आये है, ये सतलुज नदी जो कितनी गन्दी हो गयी है उसकी सफाई कब होंगी? प्रकृति हम पर कितना उपकार करती है पर हम उस पर इतना अत्याचार क्यों करते है ? पेड़ काटे गए तभी तो बारिश नहीं हुई वरना यह मोती यहाँ भी मिल सकता था । कृपा प्रकृति को बचाएँ । नहीं तो सब जीव-जंतु, आप, मैं सभी प्रवासी बनकर रह जाएंगे।"