Kapurush in Hindi Moral Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | कापुरुष

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कापुरुष

बस से उतरकर देवेन वेटिंग रूम में चला आया था।वेटिंग रूम मे प्रवेश करते ही उसकी नज़र वहां बैठी औरत पर पड़ी थी।उसे देखकर चोंकते हुए बोला"तुम यहां?"
"देवेन तुम?"श्वेता,देवेन को देखकर आश्चर्य से बोली,"मै यहां एक शादी में आयी थी।तुम यहां कैसे?"
"मै दोस्त की शादी में मंदसौर गया था।वंही से बस से आ रहा हूं।"देवेन ने श्वेता को बताया था।
"वैसे आजकल हो कन्हा?"श्वेता ने देवेन से पूछा था।
"गोरखपुर",देवेन अपने बारे में बताते हुए बोला,"तुम कन्हा जा रही हो?"
"मुम्बई"
श्वेता से देवेन की मुलाकात ट्रैन में हुई थी।देवेन शिमला जा रहा था।श्वेता भी अपनी मम्मी डैडी के साथ शिमला जा रही थी।उनके साथ नन्ही सी बातूनी बच्ची भी थी।उस नन्ही सी गुड़िया की तोतली जुबान से मीठी मीठी बाते सुनकर देवेन ने श्वेता से पूछा था,"यह आपकी बेटी है?"
देवेन के प्रश्न का उत्तर श्वेता की माँ ने दिया था,"श्वेता की बड़ी बहन रचना की बेटी है।रचना अब इस संसार मे नही है।"
"ओ हो---छोटी सी उम्र में बच्ची के बिन माँ की हो जाने पर देवेन नेअफ़सोस प्रकट किया था।
देवेन की दिल्ली में नई पोस्टिंग हुई थी जबकि वो लोग दिल्ली के ही रहनेवाले थे।देवेन की उनसे दोस्ती हो गई।शिमला में वे एक ही होटल में ठहरे थे।साथ साथ शिमला घूमें और वंहा से एक साथ ही दिल्ली लौटे थे।
देवेन और श्वेता दोस्त बन चुके थे।दिल्ली आने पर वे मिलने जुलने लगे।दिन गुजरने के साथ वे एक दूसरे के करीब आने लगे।उनके संबंध प्रगाढ़ होने लगे।
श्वेता के पिता हरिमोहन सेना से रिटायर होकर एक फैक्ट्री में सुरक्षा अधिकारी के पद पर कार्य कर रहे थे।देवेन, श्वेता के घर भी आनेजाने लगा था।उसके मातापिता को श्वेता की देवेन से दोस्ती पर ऐतराज नहीं था।श्वेता की माँ तो देवेन के आने पर खश होती थी।
देवेन, श्वेता को लेकर घूमने जाता,पिक्चर देखने जाता,होटल में खाना खाता,उसको साथ लेकर खरीददारी करता और समय समय पर उसे उपहार भी देता रहता।
एकदिन देवेन ने श्वेता के साथ पिक्चर देखने का प्रोग्राम बनाया।मैटिनी शो देखने के बाददेवें,श्वेता से बोला,"चलो आज तुम्हें अपना घर दिखाता हूं।"
देवेन, श्वेता को अपने घर ले गया था।कुछ देर बाद बरसात होने लगी थी।तेज़ बरसात।बरसात शुरू हुई तो उसने रुकने का नाम ही नही लिया।श्वेता बरसात बंध न होती देखकर बोली,"मै घर कैसे जाऊंगी?"
"यह घर भी तुम्हारा ही है।"
और उस रात बरसात नही रुकी थी।श्वेता को देवेन के घर पर ही रुकना पड़ा था।
सुबह देवेन, श्वेता को लेकर उसके घर पंहुचा था।रात को श्वेता ने फोन करके माँ को बता दिया था।बरसात की वजह से उसे देवेन के घर रुकना पड़ेगा।फिर भी श्वेता की माँ ने उसे टोका था,"बेटी बिना शादी के किसी मर्द के साथ रात गुजारने पर लोग उंगली उठा सकते है।"
"मम्मी लोगो से कंयो डरती है।मै हू ना।मै श्वेता से प्यार करता हूं।"माँ की बात का जवाब देवेन ने दिया था।
"क्या तुम श्वेता से शादी करने के लिए तैयार हो?"माँ ने देवेन से सीधा प्रश्न किया था।
"अगर आप इज़ाज़त देगी तो"।देवेन ने भी सीधा जवाब दिया था।
"मै धोखे से या किसी बात को छिपाकर शादी के खिलाफ हू।जो भी फैसला करो श्वेता का अतीत जानकर करना।"हरिमोहन नाश्ता करते हुए उनकी बातें सुन रहे थे।नाश्ता ख़त्म करके ऑफिस जाने से पहले वह बोले थे।उनके जाने के बाद देवेन ने श्वेता से पूछा था,"तुम्हारा अतीत भी है।"
"मेरे कोई बड़ी बहन नही है।प्रीति मेरी बेटी है।"
"मतलब तुम विधवा हो।"
"हॉ"।श्वेता ने अपना अतीत देवेन के सामने खोलकर रख दिया था।
एक बेटी की विधवा माँ के साथ शादी?देवेन जानता था।उसकी माँ पुराने विचारो की है।वह कभी भी श्वेता से उसकी शादी के लिए तैयार नहीं होगी।
पहले देवेन,श्वेता से रोज़ फोन पर बात करता था या मिलने जाता था।लेकिन श्वेता का अतीत जानने के बाद उससें मिलना फोन करना बंद कर दिया। कई दिनों तक न देवेन का फोन आया,न ही वह आया तब एक दिन श्वेता उसके पास जा पंहुची।
"देवेन क्या मुझे भूल गए?"
"नही तो।भूल कयों जाऊंगा?"
"शादी के बारे में क्या सोचा?"
"अभी निर्णय नही किया।"
"क्या निर्णय लेने में इतना समय लगता है?"
"मेरी शादी का निर्णय माँ करेगी।माँ से बात करनी पड़ेगी।"
"देवेन तुम्हारा अंश मेरे शरीर मे पल रहा है।इसलिए शादी का निर्णय जल्दी करो।"
"क्या?"श्वेता की बात सुनकर देवेन चोंकते हुए बोला,"तुम क्या कह रही हो?"
"देवेन उस रात तुम्हारे घर हमारे बीच जो कुछ हुआ उसने अपना असर दिखा दिया है।अभी तक सिर्फ मुझे ये बात मालूम है लेकिन ज्यादा दिनों तक इस बात को छिपाकर नही रखा जा सकता।"
श्वेता की बातें सुनकर देवेन बोलै था,"श्वेता तुम सफाई करवा लो।"
"क्या?"देवेन की बात सुनकर श्वेता चौकीथी।
"श्वेता अभी यही बेहतर होगा।"
देवेन की बात सुनकर श्वेता नाराज होकर चली गई थी।देवेन भी श्वेता का रुख देखकर समझ गया था कि वह ज्यादा दिनों तक श्वेता को धोखे में नहीं रख पाएगा ।इसलिए उसने चुपचाप अपना ट्रांसफर दिल्ली से गौहाटी करा लिया था।और एक दिन चुपचाप गौहाटी चला आया। यहां। आकर समय गुज़रने के साथ वह श्वेता को भूल गया था।उसे उम्मीद नही थी कि श्वेता से फिर कभी मुलाकात होगी।
देवेन ने श्वेता को ध्यान से देखा।गले मे मंगलसूत्र और मांग में सिंदूर।उसके विवाहित होने का प्रमाण थे।इसलिए बोलै,"तुमने शादी कर ली?"
"तुमने मुझे जिस स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया था।उससे निकलने का यही रास्ता था।मेरा पति रमेश मुम्बई में वकील है",श्वेता बोली,"तुम मुझे चाहते थे।प्यार करते थे।अपने प्यार का इज़हार भी करते रहते थे।मेरे साथ एक रात भी गुजार चुके थे।लेकुन मेरा अतीत जानकर मुझे बिना बताए चुपचाप चले गए।एक रमेश है जिसने सब जानकर भी मुझे अपनी पत्नी बना लिया।"
"उस बच्चे का क्या हुआ जो उसके गर्भ में पल रहा था?देवेन पूछना चाहता था लेकिन पूछने का साहस न जुटा पाया।
"मम्मी पैसे दे दो। आइसक्रीम लेनी है।"वे दोनों बातें कर रहे थे, तभी एक बच्चा श्वेता के पास आकर बोला।
"दीदी कन्हा है श्वेता ने पूछा था।
"बाहर है"।
"यह लो"।श्वेता ने पचास का नोट निकालकर उसे दिया था।
"यह दीपू है",बच्चे के जाने के बाद श्वेता बोली"उस रात हमारे बीच जो हुआ।उसका फल।तुमने गर्भ गिराने की सलाह दी थी।मर्द के लिए प्यार खिलौना होता है,लेकिन औरत उससे मातृत्व ग्रहण करती है।"
"श्वेता मै बहुत शर्मिंदा हूं।तुमसे शादी ना करके मैन बहुत बड़ी गलती की है।यह बात मुझे हमेशा सालती रहेगी।"
"पुरानी बातें दोहराने का अब क्या फायदा,"श्वेता ने पूछा था," अपनी पत्नी बच्चे के बारे में बताओ।"
"मैन शादी नही की।तुमसे मिलने के बाद कोई लड़की पसंद ही नही आई।"
"आएगी भी नही"
"कयों?"श्वेता की बात सुनकर देवेन बोला।
"हर लड़की का अतीत होता है।अतीत जानकर मुँह मोड़ लेने को सच्चा प्यार नही कहते।तुम जैसे मर्द मेरी जैसी औरत के जिस्म से खेल तो सकते है, लेकिन उसे अपना नही सकते।"श्वेता उतेजित हो गई थी।
"श्वेता में बहुत शर्मिंदा हू।तुमसे शादी ना करके मैंने बहुत बड़ी भूल की है।"देवेन माफी मांगते हुए बोला
"भूल तुमने नही मैंने की है।मै तुम्हें नही पहचान पाई"देवेन की बात सुनकर श्वेता बोली,"तुम्हारे प्यार के झांसे में आकर मैंने समर्पण कर दिया।ये मेरी भूल थी।मुझे जरा भी एहसास होता कि अतीत जानकर तुम शादी नही करोगे तो में हर्गिज़ समर्पण नही करती।"
"मैडम ट्रैन आनेवाली है।"कुली के साथ श्वेता चली गई थी।
देवेन बैठा सोच रहा था।अगर उसने गलती न की होती तो श्वेता उसकी होती।