kachchi umra ki samajdari in Hindi Motivational Stories by Monika kakodia books and stories PDF | कच्ची उम्र की समझदारी

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कच्ची उम्र की समझदारी

मई का महीना , आसमान से जैसे साक्षात आग बरस रही हो। सुनसान सड़के, गलियां, हमेशा मेले की तरह सजे धजे बाजार भी खाली सुने पड़े हुए थे।लू भी ऐसे जैसे सीधे सुलगती भट्टी में से आ रही हो। शहर की सड़कों को देखकर लगता था जैसे कोई कर्फ्यू लगा हो।कुछ गिने चुने लोग ही सड़कों पर दिखाई दे रहे थे। ऐसे में कहीं हलचल थी तो वह था शहर का सरकारी अस्पताल ।

भयंकर गर्मी के कारण लोग बीमारी की चपेट में आ रहे थे इससे अस्पताल में मरीजों का तांता लगा हुआ था। अस्पताल के बाहर लगी ज्यूस की दुकानों पर सारे शहर की भीड़ देखी जा सकती थी। पूजा बाजार से कुछ सामान लेकर लौट रही थी । ज्यूस की दुकान के बाहर लगी हुई भीड़ पर उसका ध्यान गया। गर्मी से उसका हाल बेहाल था गला सूख रहा था तो उमने भी रुक कर ज्यूस बनवाने का ऑर्डर दिया और दुकान में लगे एक छोटे से कूलर के सामने खड़ी हो गयी। दुकान के आगे जमा सभी लोगों को हवा देने की जिम्मेदारी इस कूलर पर ही थी।
"उफ्फ कितनी गर्मी है, पता नहीं क्या होगा, आग बरस रही है इस साल तो.." कहते हुए वहाँ जमा लगभग सभी लोग सूर्यदेव को कोस रहे थे।
तभी अचानक अस्पताल से बाहर निकलते हुए एक परिवार पर पूजा की नज़र गयी। एक व्यक्ति जिसकी उम्र लगभग चालीस वर्ष होगी ,एक बच्चे को गोद मे लिए हुए था ।उस बच्चे के हाथ मे केन्यूला लगा हुआ था ,शायद इस गर्मी के कारण वो बीमार हो गया था।उनके साथ एक महिला थी ,जोकि अपने दुप्पटे के एक छोर से गोद मे लिए अपने दूध मुहे बच्चे को ढक रही थी और दूसरे छोर से अपने पैदल चल रहे बच्चे को उस जलती हुई धूप से बचाने का प्रयास कर रही थी।
धूप से जलती अपनी आंखों की पुतलियों को सिकोड़े हुए, मां की छाँव में अपने नन्हे नन्हे नंगे कदमों को वह सडक पर बहुत जल्दी जल्दी रख रहा था।

उसे यूँ देख पूजा ने अपने पैरों की ओर देखा जैसे उसे भी वो जलन महसूस हो रही हो।

सड़क पार कर वे लोग ज्यूस की दुकान पर आए और उस छोटे से कूलर से हवा लेने की पंक्ति में खड़े हो गए।

उस व्यक्ति ने पहले अपने बच्चों की तरफ देखा ,फिर हाथ के इशारे से ज्यूस वाले से एक ज्यूस बनाने को कहा और एक ओर खड़ा हो गया।पूजा की नज़र उन सब से हट ही नहीं रही थी , पाँच लोग और एक ज्यूस....?
शायद पैसों की कमी के कारण उस व्यक्ति ने एक ही ज्यूस बनवाया होगा। इन सब बातों ने पूजा के मन मे एक अजीब सी हलचल मचा दी थी।

"भाईसाहब आपका ज्यूस "कहते हुए ज्यूस वाले ने उस व्यक्ति को गिलास थमाया । उसके हाथ से गिलास ले वह व्यक्ति अपने बीमार बच्चे को पिलाने लगा। ज्यूस पिलाते वक़्त उसकी नज़र बार बार पास खड़े दूसरे बच्चे पर भी थी जो आस पास खड़े लोगो को ज्यूस पीते देख कर ही अपना गला तर कर रहा था। लेकिन अजीब था उसने एक बार भी अपने माता पिता से ज्यूस की जिद्द नहीं कि ।

वे दम्पति तो अपने पैसों की कमी को समझते थे, इसीलिए उन्होंने अपनी इच्छाओं का त्याग करना शायद सीख लिया था । वह छोटा बच्चा उसके लिए तो माँ का दूध ही अमृत था इसके अलावा उसे अभी किसी इच्छा का कोई ज्ञान न था, लेकिन वह दूसरा बच्चा ....? उसमे इस कदर समझदारी..? सराहनीय ही थी।

पूजा से अब रहा न गया और उसने ज्यूस वाले से एक गिलास ज्यूस उस बच्चे को देने के लिये कहा।

ज्यूस का गिलास हाथ मे पकड़ते ही वह बच्चा मुस्कान लिए अपने माता पिता की ओर देखने लगा । जल्दी से एक घूँट भरी और गिलास अपनी माँ की ओर कर दिया...और फिर पिता की ओर...मां की गोद मे सोये हुए अपने छोटे भाई के होठों पर भी उसने दो बूंद रख दी।
यह सब देख पूजा की नजरें जैसे जम ही गयी..ये कच्ची उम्र और इतनी समझदारी.. भला कैसे?