एक रिसर्च के अनुसार यदि आप किसी से सच्ची मित्रता करते हैं और वो 3 साल या उससे अधिक दिन तक रहता है। तो वह दोस्ती का रिश्ता लगभग आपके खून के रिश्ते की तरह हो जाता है। जैसे आप अपने माता-पिता, भाई- बहन को जीवन भर भूल नहीं सकते। वैसे भी आप उस दोस्त को, और वो दोस्त आपको भूल नहीं सकता।
ये कहानी है अभय और जीवन दो दोस्तों की। इनकी दोस्ती 18 साल तक रही। मतलब 18 साल तक ये साथ रहें, उसके बाद नौकरी के कारण दोनों अलग हो गए। मतलब दोस्ती नहीं टूटी, आज भी दोस्त है,लेकिन अलग- अलग शहरों में रहते हैं और नौकरी के कारण अलग हो गए हैं। अभय प्राईवेट कंपनी के सेल्स डिपार्टमेंट में काम करता है और जीवन भी किसी प्राईवेट कंपनी में मुंशी का काम करता है। जब से दोनों अलग हुए तब से बातचीत कम हो गई और अब तो बिल्कुल बंद ही हो गई। अभय रोज बाइक से आफिस जाता था।
रास्ते में रेलवे क्रासिंग का फाटक बंद रहता जिससे लगभग रोज वह जाम में फंस जाता। आफिस में डांट पड़ती। तीन साल से रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज बन रहा था। अभय भी चाहता था जल्दी से ओवरब्रिज बन जाए ताकी जाम की समस्या से छुटकारा मिलें और आफिस आने- जाने में सहुलियत हो। खैर ओवरब्रिज बन गया और लोगों के लिए उसे खोल दिया गया। अभय भी आज ओवरब्रिज से होकर आफिस जाने वाला था। चलो अब जाम से छुटकारा मिल जाएगा। बाईक से ओवरब्रिज पर जा ही रहा था अभी आधा ओवरब्रिज भी पार नहीं किया था की बाईक बंद पड़ गई।
अब अभय को पैदल ही गाड़ी लेकर ओवरब्रिज को पार करना पड़ा। ओवरब्रिज पार करने के बाद उसने बाईक को स्टार्ट करने का प्रयास किया बाईक तुरंत स्टार्ट हो गई। लेकिन अब रोज जब भी वह भी वह ओवरब्रिज से जाता उसकी गाड़ी ,उसी जगह पर खराब हो जाती या बंद हो जाती। अभय सोचने लगा आखिर फायदा क्या हुआ ओवरब्रिज से।
गाड़ी मैकेनिक को दे दी। अगले दिन अपने बास के गाड़ी में आफिस जा रहा था और फिर गाड़ी बिगड़ गई,उसी जगह पर। किसी तरह गाड़ी को धक्का देकर ओवरब्रिज के पार ले जाया गया।
एक दिन कंपनी का एक दूसरा ब्रांच अभय के घर के नजदीक खुल गया और अभय को इसी ब्रांच में भेज दिया गया। ओवरब्रिज और जाम से अभय को छुटकारा मिल गया। जिदंगी आराम से चलने लगी।
एक रात अभय के हेड ने रात को 10 बजे काल किया और कहा की पुराने आफिस आओ और एक फाईल ले जाओ क्योंकि कल मुझे दिल्ली जाना है और क्लाइंट से तुम्हे डील करना होगा।
अभय ने सोचा क्या मुसीबत है
बाईक निकाली और पुराने आफिस चल पड़ा। लेकर इस बार उसने ओवरब्रिज के नीचे से जाने का फैसला किया। वो आराम से बाईक से जा रहा था अभी वो ओवरब्रिज के नीचे से जा ही रहा था कि एक जगह से आवाज आई- मोटा भाई!!!!!!!
अभय ने बाईक रोक दी पीछे मुड़कर देखा कोई नहीं था
अभय बाईक स्टार्ट करने ही वाला था
फिर आवाज आई-............. मोटा भाई!!!!!!!!
अभय बाईक से उतर गया क्योंकि कुछ गिने चुने दोस्त ही उसे मोटा भाई कहकर बुलाते थे।
वो उतर के कुछ दूर पैदल गया
वहा ओवरब्रिज के नीचे एक पागल जैसा आदमी मिला
अभय को देखते ही उसने कहा-.... सुना न तुमने...... उसे सुना ना तुमने!!!!!!
............. लोग मुझे पागल कहते हैं
............. तुम कहो इसे चुप रहने के लिए
.............. कहोगे न...... चुप कराओगे न.....!!!!
............... चुप कराओ!!!!! भगवान के लिए इसे चुप करवाओ!!!!!!
अभय ने कहा-............... कौन हो तुम????
..................... कौन हो????
..................... बताओ?????
पागल आदमी ने पास पड़े बोरी में से एक लेडिज पर्स निकाला और अभय की ओर उछाल दिया
फिर दोनों हाथों से अपने दोनों कानों को बंद करके चिल्लाता हुआ भाग गया।
अभय आफिस चला गया, फाईल ली और लौटा
फिर ओवरब्रिज के नीचे से जा रहा था फिर से उसी जगह पर आवाज आने लगी-....... मोटा भाई!!!!!!
अभय आवाज को अनसुना करना चाहता था पर कर ना सका। बाईक से उतरा और बोला-........कौन है?????
क्या चाहिए तुमको...............??????
लेकिन कोई जबाब नहीं मिला
अभय घर लौट गया
घर जाकर उसने पर्स खोला
उसमें एक लड़की का आइ डी, कुछ कागजात और कुछ समान था
अभय दूसरे दिन उस लड़की के पास पहुंचा
और उसे उसका पर्स दे दिया
लड़की ने कहा- थैंक्यू सर!!!!!!!
और जीवन सर को भी थैंक्यु बोलिएगा। पर्स में बहुत जरुरी कागजात थे।
जीवन का नाम सुनते ही अभय के कान खड़े हो गए
अभय बोला-............ तुम जीवन को कैसे जानती हो?????
लड़की सकपका गई
बोली-....... आप जीवन सर के दोस्त नहीं हैं????
मैं जीवन का ही दोस्त हूँ
लेकिन जीवन कहाँ है
भगवान के लिए ........अगर जीवन के बारे में कुछ जानते हो तो बताओ......... तुम्हे भगवान का वास्ता
लड़की ने कहना शुरू किया- सर मैं एक कंपनी में काम करती हूँ। एक रात जब मैं आफिस से घर जा रहीं थी। रास्ते से कुछ लोगों ने मुझे उठा लिया और ओवरब्रिज के पास ले गए।उस समय ओवरब्रिज बन ही रहा था। उन लोगों में से एक लड़का वो था जिसके बाप की कंस्ट्रक्शन कंपनी को ओवरब्रिज का ठेका मिला था।
उसका छोटा सा आफिस भी वही था। वो लोग मुझे घसीट कर उसमें ले जाने लगे। तभी जीवन सर आफिस से बाहर आए और कहा की छोड़ दो लडकी को....
लड़के ने कहा- ..... दो टके के मुंशी
........... हमारा नौकर हो के हमीं से जबान लड़ाता है।
वो जीवन सर को मारने दौड़े
जीवन सर ने पास पड़े सरिये से चारों की पिटाई कर दी और मुझे बाईक पर ले कर निकल गए
मुझे मेरे घर छोड़ा
मेरा पर्स वही छूट गया था
जीवन सर ने कहा की कल मै तुम्हारा पर्स तुम्हे ला दूंगा
और वे लौट गए
और आज आप इतने दिनों बाद पर्स लौटने आंए तो लगा की जीवन सर ने आपको भेजा है।
अभय तुरंत ओवरब्रिज के नीचे पहुचा
और उस पागल को खोजने लगा
वहाँ एक चाय की दुकान थी।
अभय ने उससे पगले के बारे में पूछा
चाय वाले ने कहा- अरे साहब वो पुल बनाने वाले कन्स्ट्रक्शन कंपनी का गार्ड था लेकिन साल भर से पागल हो गया है
उसके बारे में पूछना है तो इससे पूछिए जो सामने चाय पी रहा है ये भी उसी कंपनी में गार्ड था।
अभय को देखते ही चाय पीने वाला गार्ड डर के भागने लगा
अभय ने उसे पकड़ लिया
और कहा-........ जीवन कहाँ है????
............ देख!!!!!! मेरे सर पर खून सवार है
............ तु आज जिन्दा घर नहीं जाएगा
गार्ड ने कहा-.........मारिए मत साब !!!!!....बताता हूँ
उसने वही कहानी सुनाई जो लड़की ने सुनाई थी
अभय चिल्लाया-...... इसके बाद बताओ
गार्ड ने कहा- जब जीवन साब लड़की का पर्स लेने वापस लाए तो मालिक के बेटे और उसके साथियों ने उन्हें मार डाला
और उनकी लाश....
तभी वो पागल चिल्लाया-..... इसमें है तुम्हारा दोस्त जीवन
अभय उसके पास गया।
वो पागल उसे ओवरब्रिज का एक पीलर दिखा रहा था
जिसपर लिखा था P-14
ये ओवरब्रिज का चौदहवां पीलर था
ये ही वो जगह था जिसके ऊपर ,अभय की बाईक रूक जाती थी
जिसमें अभय के दोस्त जीवन को मारकर दफना दिया गया था।
अभय धीरे-धीरे पीलर के पास गया।
पीलर को पकड़ लिया
तभी पीलर में से आवाज आई
......... मोटा भाई!!!!!!कैसे हो.........?