Meri shero-shayari in Hindi Poems by Rajesh Kumar books and stories PDF | मेरी शेरों-शायरी

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मेरी शेरों-शायरी

1.
तुम्हें देखे कोई और,मेरे दिल में,
जलना वाजिब है।
कैसे बताऊं तुम्हें मेरे दिल पर,
तेरा राज काबिज़ है।
2.
मत पूंछो मेरी उड़ान कहाँ तक होगी।
देखकर मेरी मंजिल को दुनिया हैरान जरूर होगी।।

3.
क्यों अल्फाज़ों को गूँथना बोल रहा हूँ।
कुछ तो है जो धीरे धीरे से खो रहा हूँ।।

4.
ए हसरत-ए-अंजाम पालने वाले,
पूछ जरा वक्त के आईने से।
हर अंजाम में तेरा कर्म ही नसीब होगा।।

5.
तेरे इश्क़ का नशा,अब सिर चढ़ चुका है।
तेरे सुर्ख लवों को चूमकर,तुम में समान है।

6.
माना कि दम बहुत है, तुम्हारे हौंसलों में।
देश जलाने वालों,तुम्हें देश माफ नही करेगा।।

7.
पूछते हो तुम,
क्या "खुशी की बात है"
अरे कैसे बताऊं तुम्हें,
बहुत अरसे के बाद ,
ख्वाबों में आज "वो" मेरे साथ है।
पूछते हो तुम,
क्या "खुशी की बात है"

8.
कुछ लोग तुम पर उठाते है उंगली,
वो मुझे अच्छा नही लगता है।
तुम जला रहे हो देश को सरेआम,
तुम्हारी वतनपरस्ती पर शक लगता है।
9.
जब इश्क़ की हवा,छू लेती है,
किसी भी सख़्श को।
अक्सर देखा हमने,जिंदगी की तासीर,
बदल जाया करती है।।

10.
हजारों लफ्ज़ है,मेरे जहन में।
पर छू सकें तेरे दिल को,
वो लफ़्ज़ में लिख न सका।

11.
मैं सिखाऊं तुम सिख लो जिंदगी के कुछ तराने।
जब भी मिलें नजरें हमारी,लगना प्यार से मुस्कुराने।

12.
कितना व्यस्त हो चुका है ज़माना,हर बात पर बहाना चाहिए।
क्या गज़ब ढाते है लोग,मुस्कुराने को भी वक्त चाहिए।।

13.
माना कि तुम ज़हर उगलने में माहिर हो।
हम भी शौकीन है जहरियों की अकड़ तोड़ने में।

14.
सर्दियों के दस्तूर में,"चाय" की हो चुस्कियां।
महरूम करती रिश्तों को, देती रहें खुशियां।।

15.
सर्द हवाओं से ठिठुरन में,
"चाय" ने कुछ उम्मीद जगाई।
हो कोई चुस्कियों संग मुस्कुराने वाला,
बेहतर हो उन लम्हों की गरमाई।

16.
दग़ाबाज़ी को नेकदिली बोलते हो तुम।
किस क़िस्म की राजनीति खेलते हो तुम।।

17.
तरक़्क़ी की दौड़ में जमाना कितना बदल गया है।
बनावटी हँसी के लिए लाफिंग क्लब खुल गया है।

18.
तलाश है मुझे उस सख़्श की,जो इश्क़ से मुझे रूबरू कराए।
जब झांके वो मेरी आँखों में, मैं उसे,वो मुझे समझ जाए।

19.
मौसम है...,
दस्तूर है...,
चाय ठंड में मगरूर है.., मसहूर है।
काश कोई साथ दे,
कुल्लड़ में "चाय" दिल में जगह भरपूर है।

20.
हो नसीब "इश्क़ के हाथों की चाय" ये ख़्वाब हसीं हैं।
इस सर्द जिंदगी में,"चाय".. पूँछने वाला कोई क्यूँ नही है।

21.
क्या सँभाले तुम्हें,तुम खुद मेरी सांसे बनकर बह रहे हो।
तुम हो जिंदगी हमारी और तुम हमें जिंदगी कह रहे हो।।

22.
रखो सच से यारी,
खुद को तसल्ली होगी।
जो रखे वास्ता झूठ से,
उसकी रागों में जरूर मक्कारी होगी।।

23.
चलो इश्क़ के समंदर में डूब जाए।
छूकर गहराईयां इश्क़ की,सादगी से उछर आएं।

24.
सजाकर ख़्वाव हृदय में,
मैं आगे बढ़ चला पथ पर।
लक्ष्य तक पहुँच जाऊंगा,
भरोसा है मुझे खुद पर।

25.
बस ज़िद जरा सी है मेरी,अब मुक़ाम पाना है।
हौंसले से पग बढ़ाकर,मुक़ाम तक पहुँच जाना है।

26.
रखो अदब झुकने का,जिंदगी में जरूरी है।
पेड़ न झुकें झोंके से,हवा का उसे तोड़ना मजबूरी है।

27.
चैन नही मिलता दिल को,
क्योंकि हर कोई दूसरे शख्स में
चैन ढूँढ़ता रहा है।
क्या कभी दिल के सकूँ के लिए,
खुद को खुद में ढूंढा है।
अगर मिले होते अकेले में खुद से,
तो ये सवाल ही न होता।
तेरे अंदर ही क्या सारी क़ायनात में,
तुझे चैन महसूस होता।।

28.
तज़ुर्बे मत पूंछो,हजार हैं।
कई लम्हें तो यूं ही नाराज़ है।
कभी पूंछो तो सिद्दातों से,
इस दिल में दफन कई राज है।
इश्क़ की गलियों में,
यूं तो हुक़ूमत थी हमारी।
मस्बीरों को आज हम,
नवेले आशिक़ों के सरताज़ है।
कई बसंत गुजरे हैं,
पतझडों के बाद हमारे सामने,
लेकिन आज तक हम,
अपने अल्फाजों से सदाबहार है।।

✍️- राजेश कुमार(9354264676)