(8)
प्यार पाने के लिए अपनी एक पात्रता होती है और यह पात्रता आप अर्जित नही कर सकते इसको आपकी डेस्टनी निर्धारित करती है। अंक भर स्नेह को समेटने के लिए असीमित आकाश सा मन और जल सी तरलता चाहिए होती है।
दुनिया मे बहुत सा प्यार पात्रता के अभाव में यूं ही अनिच्छा के पतनालों से बह जाता है वो ना ही धरती की प्यास बुझाता है और न समन्दर का जलस्तर बढ़ा पाता है।
   राज तय की गई जगह पर पहुंच जाता है, जेसे ही कार पार्क करता बाहर निकालता है, सामने से मिताली आती हुई नज़र आती है, 
राज मिताली को देखता ही रहेता हे, खुले बाल, सफेद पटियाला सूट मे मानो जेसे बदलो को चीरते हुवे चाँद जमी पर उरत आया हो किसी जिल मे गोता खाने को, चाल तो, गजगामिनी जंगलों मे घूमती हो जेसे, नज़रे राज की ओर गड़ाए हुवे सीधी राज की तरफ ही बढ़े आ रही थी, पूरी दुनिया रुक सी गई हो ऎसा राज को लग रहा था मानो जहा में वोह दोनों ही हे अगलबगल मे वीराना हो जेसे, मिताली राज के सामने आ गई पर उसको पता भी ना चला, 
मिताली : हैलो,... हैलो.. हैलो.. कहा खोए हुए हैं,
(तीन बार आवाज लगाने के बाद कहीं जाके राज के कानो मे मिताली की आवाज पहुची और मिताली को देखने मे इतना खो गया था कि उसे पता ही नहीं चला के मिताली अकेली नहीं आई उसके साथ कोई और भी था,) 
मिताली : कहा खो गए थे? और किसे देख रहे थे? 
राज :ओह हाइ सॉरी मेने देखा नहीं (झूठ बोल देता है) मेरा ध्यान कहीं और था, 
मिताली और उसकी सहेली साथ मे : कहीं और कहा था आसमा मे चाँद को देखते थे क्या, ( राज बड़बड़ाता हुवा  हाँ चाँद को ही देख रहा था जो ज़मी पर आज उतर आया है) 
मिताली :क्या? क्या? 
राज : कुछ नहीं काम के बारे मे सोच रहा था. 
मिताली : मुजे लगा कुछ मेरे बारे मे कहा आपने (हस्ते हुवे) 
राज : नहीं नहीं मे तुम्हारे बारे मे क्यू सोचूं? 
पागल हू क्या? 
मिताली : मुजे क्या पता वोह तो तुम ही जानो 
राज : ठीक है क्या काम था बताओ? क्यू बुलाया था मुजे 
मिताली :अरे इतनी क्या जल्दी हे, काम काम ही काम करना हे पूरी जिंदगी मे 
राज : हा तो इंसान को काम के वक्त काम ही करना चाहिए फालतू मे वक़्त नहीं बर्बाद करना चाहिए. 
मिताली : क्या मे कोई फालतू हू? मे तुम्हारा वक़्त फालतू मे बर्बाद कर रही हू? ठीक हे तो जाओ और अपना काम करो मुजे माफ कर ना आपका बहोत क़ीमती वक़्त हमने बर्बाद किया. 
राज : अरे गज़ब हो बे तुम भी, मेरे कहने का वोह मतलब नहीं, तुम अपने माथे ओढ़े जा रही हो. 
मिताली : हा पता हे तुम्हारे चहरे से साफ साफ पता चलता है, तुम मुजे ही सुनाते हो, जब आना नहीं था तो मना कर देते मेने कसम थोड़ी दी रक्खी थी. 
राज : ओह जब चावल की बोरी उठानी ही नहीं थी तो भिजवाई क्यू? 
मिताली : मेने कब चावल की बोरी मंगाई? 
(राज माथे पे हाथ पटकता है हे भगवान कहा आ गया मे) 
(मिताली हस पड़ती है) 
मिताली : हा बुद्धू ही हो आप, आप लड़की से ऎसे ही बात करते हो? किसी लड़की से केसे बात करते हैं आपको पता नहीं क्या? 
राज : हा मे ऎसे ही बात कराता हू, मे ऎसा ही हू मुजे कोई और तरीका नहीं आता, और जेसा हू वैसा ही रहूंगा, मुजे अच्छा लगता है मेरे जेसा होना. 
मिताली  : तो ऎसे ही रहो मे कहा कहती हू तुम बदलों 
राज : तुम ने ही तो अभी कहा ये तरीका सही नहीं है, 
मिताली : सबका तरीका अलग अलग ही होता है. 
राज : ठीक है मेन मुद्दे पर आओ 
मिताली : ठीक है, क्या तुम जिन लड़कीयो
से रिश्ते रखते थे उनको धोखा नहीं दिया ऎसा तुम कहते हो ये केसे मुमकिन है? 
कई सारी लड़कियों से तुम्हारे नाजायज रिश्ते रहे, उनमेसे किसी के साथ नहीं और किसी और से ही शादी कर ली, तो उन मे से किसी को भी तो दुख हुवा होगा ना? 
राज : नहीं मेने किसी भी लड़की को धोखा नहीं दिया, किसी का भी दिल नहीं दिखाया पहेले भी तुम्हें बताया है 
( राज ये बात मिताली के सामने आँखों मे आँखे डाले कहता है) 
मिताली : हा तुमने कहा था पर मुजे ये यकीन ही नहीं होता कि क्या किसीका दिल टूटा नहीं होगा? 
(मिताली भी राज की आँखों मे आँखे डाले बात कर रही थी मानो दोनों बरसों से एक दूजे को जानते हैं और लड रहे हो) 
राज : मुजे क्यू पूछ रही हो उन्हीं को पूछ लो 
मिताली : एक मिनिट क्या मे उनसे पूछ लू? 
राज : हा तुम ही पूछो तुम्हें ही यकीन करना हे मुजे थोड़े ही  अपने आप को साबित करना हे, ये तो दुनिया मे ना माना जाए एसी भी हकीकत होती है, जिसे यकीन करना नामुमकिन होता है, पर हे दुनिया मे ऎसे लोग जो लोगों की कल्पना से परे हे, मुखौटे ओढ़े घूमते हैं, जिस दुनिया की बात मे करता हू तुम उनसे अनजान हो, तुम इस दुनिया मे नही होना चाहिए और तुमको इस मतलबी दुनिया मे भेज दिया है. 
मिताली : में उनसे क्यू बात करू? , और बात करू तो भी क्या पूछूं उनको? और वोह बात भी करेगी कि नहीं क्या पता? . 
राज : वोह तो तुम्हारा लक  बात करेगी कि नहीं, ये लो एक का नंबर देता हूं, तुम्हारे फोन से डायल कर के देखो, 
मिताली : नहीं नहीं मुजे नहीं चाहिए, 
राज : अरे नहीं तुम करो बात तुम्हें करनी ही होगी बात. 
(जबरन मिताली के फोन से डायल कर दी कॉल) 
मिताली : हैलो, मे मिताली बात कर रही हू, आप से कुछ निजी बात करनी हे क्या ये सही समय है? 
सामने वाली लड़की : क्या हम एक दूसरे को जानते हैं? 
मिताली :नहीं. 
सामने वाली लड़की :तो आप क्यू बात करना चाहते हो और क्या बात करना चाहते हो? 
मिताली : मुजे राज ने आपका नंबर दिया है 
सामने वाली लड़की : ओह राज ने, अजीब लगा वोह याद करता नहीं है और मेरा नंबर था उसके पास ये यकीन नहीं होता. खेर छोड़ क्या बात करनी थी? 
मिताली : आप और राज रिश्ते मे थे तो आप ने रिश्ता क्यू तोड़ दिया? 
सामने वाली लड़की : किसने कहा राज ने? 
मिताली : नहीं, उसने ही तोड़ होगा ना? 
सामने वाली लड़की :  राज ने रिश्ता नहीं तोड़, और एसे रिश्ते को ज्यादा वक्त टिकते नहीं और बढ़ाने भी नहीं चाहिए 
मिताली : मतलब राज ने आपको फंसाया नहीं था? 
सामने वाली लड़की : किसीने किसी को नहीं फंसाया, मेरी जरूरयात थीं जो पूरी हुई और खुशी से एक अच्छे मोड़ पर मेने रिश्ते को पूरा कर दिया 
मिताली : राज ने खत्म नहीं किया रिश्ता? 
तुम्हें कोई दर्द नहीं कि उससे रिश्ता खत्म होने का? 
सामने वाली लड़की : जी नहीं बिल्कुल नहीं 
राज ने पहेले ही कह दिया था कि मे रिश्ते को आगे नहीं बढ़ा सकता, तुम्हारे मे कोई खामी नहीं है पर मे तुम्हें आगाह कर देता हू, हमारा रिश्ता प्रेम के नाम से शुरू नहीं हो सकता, एक नाजायज रिश्ता ही होगा तो तुम एक नाजायज रिश्ता रखना चाहती हो तो मुजे कोई एतराज नहीं सोच के कहना, 
मिताली : फिर क्या? 
सामने वाली लड़की : फिर क्या मेने उसकी बात को बहोत सोचा तो ये सही था, मे भी उसके साथ कोई पूरी लाइफ का प्लान तो था ही नहीं, एक तरीके से थोड़ा बेहूदा लगता है, पर वोह ही हकीकत होती है, प्यार के नाम से सुरु करो और फिर कोई बहाना या किसी को बेवफा का लेबल लगा के कट लो, उससे अच्छा पहले ही तय किए गए पे रास्ते पे चलो, ना कोई गिल्टी ना कोई शिकवे किसी के लिए भी मुजे ये सही लगा. जेसे फॉरेन मे फ्रेंड्स बेनिफिट का नाम दे रक्खा हे वहीं, 
मिताली : तो तुमने एसे रिश्ते के लिए हामी भी भरदी? 
सामने वाली लड़की : हा तो कहा तुम्हारे लिए गलत हो सकता है या दुनिया की नज़र मे भी गलत हो सकता है, पर अगर इसी रिश्ते को प्यार का नाम दे के सिर्फ जिस्मों को चाहना ये गलत ही है, ए बात मुजे राज की बातों से समज आ गया था. 
मिताली : ठीक है, बात करने के लिए शुक्रिया आपका. 
(इतना कहेके मिताली ने फोन काट दिया और राज के सामने देखने लगी ) 
क्या हे ये हकीकत एसी भी  सोच कोई रखता है भला. 
राज : जरूरी नहीं कि हर कोई तुमसे सहमत ही हो. 
(इतना कहे के कुछ और नंबर मिताली के हाथो मे थमा दिए और कहा और भी लड़कीया है जिनसे तुम बात कर के सबकी सोच जान सकती हों) 
मिताली : नहीं नहीं कर के नंबर ले लिए, बाद मे आराम से करूंगी, 
राज:ठीक हे करना हो तो करना जो मर्जी हो वोह करना , चलो अब मुजे जाना चाहिए और कुछ बात हो तो जल्दी बोल डालो मुजे देर हो रही है, 
मिताली : नहीं आने के लिए शुक्रिया इतना टाइम्स निकाला तुमने  और तुमने चाहा तो फिर कभी मुलाकात होगी 
( देखते हैं कहेके राज अपनी कार मे बेठ के निकल जाता है, मिताली कर को जाति देख रही होती है और राज ये अपने कार के मिरर मे देख रहा होता है मिताली उसे जाते हुवे देख रही है, जब तक देख सकते थे तब तक ऎसे ही दोनों एक दूसरे को देखते रहे) 
क्रमशः........ 
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❤️? Balak lakhani