Kaho nahi karo in Hindi Children Stories by Dietitian Snehal Malaviya books and stories PDF | कहो नहि करो

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कहो नहि करो

“रवि, देखो तुम्हारे लाडले ने क्या किया है” वो छोटा सा बच्चा अपनी माँ के पीछे छुप रहा था और एक आँख से अपने पापा को देख रहा था।
“मेरे पीछे क्यु छुप रहे हो? जाओ, और अपने पापा को बताओ की तुमने क्या किया है” ग्रीष्मा ने बोला।
“अरे ग्रीष्मा, छोटे से बच्चे पर इतना गुस्सा क्यू कर रही हो?” रवि ने बच्चे को अपनी ओर बुलाते हुए कहा।
बच्चे ने उसकी ओर जाने से मना किया और अपनी माँ के पीछे छुपता रहा।
“अर्जून, पापा तुम्हे बुला रहे है, जाओ और पापा को बताओ की तुमने क्या किया है”
फिर भी बच्चा बाहर नहि आ रहा था, अब वो छुपने के लिये अपनी माँ की चुनरी का सहारा ले रहा था। रवि वहा जा के अर्जून के सामने घूंटने टेक के बैठ गया और ग्रीष्मा वहा से एक ओर हो गई।
“मेरे बेटे ने क्या किया है और वह पापा से ईतना डर क्यू रहा है”? रवि ने प्यार से पूछा।
“ ये देखो पेन्सिल बोक्स” ग्रीष्मा अपने हाथ मे रवि को एक पेन्सिल बोक्स दिखाते हुए बोली जिसमे अर्जून की फेवरीट कार्टून बनायी हुइ थी।
“ ये आज स्कुल में से किसी का चुराके लाया है, मैने इसकी बेग मे देखा”
“ ये किसका है बेटा, किसीने तुम्हे गिफ्ट करा है?” इसके जवाब मे बच्चे ने सिर हिलाके ‘ना’ कहा।
“ये बता रहा था कि ये वरून का है, उसने वरून की बैग से चुराया है”
“अरे ये तो बहोत बुरी बात है बेटा, तुम वरून का बोक्स ले आये तो वरून अब रोयेगा ना!”
“ नही पापा,वो नहि रोयेगा क्यूकी इस बोक्स के बदले मे उसकी बैग मे मै अपना पेन्सिल बोक्स रख के आया हुं”
रवि को अर्जून की इस नादान बात पर हँसी आ रही थी पर उसने रोक ली क्यूकी अगर वह हँस पडता तो अर्जून बात को हल्के से ले लेता। रवि अर्जून को बिना कुछ बताये बाहर लेकर चल पडा। अर्जून को अपनी गलती के बदले सजा भी नहि मिलने पर अपने कार्य पर पछतावा हो रहा था।
रास्ते मे चलते चलते एक भिखारी मिला, अर्जून ने उसको अपने हाथ मे रखा सिक्का दे दिया।
“ तुमने वो सिक्का उसको कयू दे दिया?” रवि ने पूछा।
“ क्यूकी वह गरीब है और उसके पास पैसे नही है” अर्जून ने कहा!
“ ओह, तो तुम भिखारी हो?”
“नही पापा, मै भिखारी नही हू”
“तो फिर तुमने तुम्हारे पास होते हुए भी वह पेन्सिल बोक्स क्यू चुराया, कल ही वो उसको वापिस कर देना,ठीक है? मै तुम्हारे लिये नया बोक्स ले आउंगा”
अर्जून के चहेरे पे खुशी छा गई और वह अपनी गलती भी समज चूका था।
थोडे दिन बाद एक दिन ग्रीष्मा के पास अर्जून को स्कुल से लेने जाने का समय नहि था तो रवि उसे लेने गया। रवि पुलिस था और वह अभी ड्यूटी पर था इसीलिये वह अर्जून को सीधा पुलिस स्टेशन ले आया। अर्जून बैठकर वहा पे सब देख रहा था।
तभी अचानक एक आदमी आया और रवि के सामने हाथ जोडने लगा “सर, आपने जिसको जैल मे बंद किया है वो मेरा बेटा है आप प्लीज उसको छोड दो,आपको जो चाहिये वो मै आपको दूंगा ”।
रवि ने कुछ सोचा और फिर कोन्स्टेबल को उस आदमी के बेटे को जैल मे से छोडने का इशारा किया और उस आदमी ने हँसके 500 का बंडल रवि के हाथ मे थमा दिया जिसमे से रवि ने कुछ पैसे कोन्स्टेबल को भी दिये। अब घर जाने का वक्त हो चूका था। रवि ने अर्जून को गाडी मे बिठाया, वह कुछ खोया खोया सा लग रहा था। रवि के बुलाने पर भी चूप बैठा था। अचानक कुछ सोच के उसने रवि को पूछा “पापा, आप भिखारी हो?”

मोरल : आपका बच्चा आप “कहेते” हो वह नहि, पर आप “करते” हो वह ज्यादा सिखता है।