"अलीम साहब ने कहा वो साया ज़ीनत से दूर हो कर बहुत गुस्से में हैं।
वो किसी भी हद तक जा सकता है आपको दुआए गंजूल "अर्श का वजीफा करना होगा 40 दिन अपने घर में..! अब आगे ।
भाग 12
नूरी घर आकर अपने पति को सारी बाते बताती है जिसे नूरी का पति डर जाता है ।
ओर बोलता है कि ज़ीनत की शादी तक हमे बहुत साभाल के रहना होगा ।
आज ज़ीनत को हल्दी लगना शुरू की गई ज़्यादा नहीं बस घर वाले हल्दी की रस्म में शामिल हुए।
ज़ीनत की एक सहेली हाथ पे ताबीज़ देख कर बोली l
" अरे इसका ताबीज़ तो खोल दो नहीं तो हल्दी में हो जाएंगा।
उसने ताबीज़ निकालने को हाथ जैसे ही बढाया वैसे ही नूरी ने उसे रोका ओर कहा l
"हल्दी में हो जाने दो ताबीज़ को लेकिन हाथ से दूर नहीं करना उसे ।
चांदनी ने अपना हाथ दूर ले लिया ओर कहा ठीक है हम ऐसे ही ज़ीनत को हल्दी में पूरा कर देगे।
ज़ीनत को परेशान करते हुए वो लोग मस्ती मज़ाक में लग गई l
आज ज़ीनत के निकाह का दिन आ गया!
रात बारात आई l सारी रस्में निभाई गई।
ज़ीनत ओर शान बहुत खुश भी थे ओर उनकी फैमिली भी बहुत खुश थी।
बिदाई हो कर ज़ीनत ससुराल आ गई l आज उनकी शादी की पहली रात है।
इस दिन का हर लड़की-लड़के को इंतजार रहता है ये पहली रात उन दोनों के लिए बहुत खास थी ।
दोनो अपनी इस रात को एक बेहतरी ओर खुशनुमा रात बनाना चाहते थे।
यहां ज़ीनत अपने सुहाग की सेज़ पर शान का इंतजार कर रही थी।
वहीं शान भी उसके पास जाने को बहुत बेकरार था लेकिन बहनों की मस्ती उसे रूम में जाने नहीं दे रही थी ।
बहुत मिन्नते करने के बाद बहनों ने गेट रुकाई की रस्म में शान से पैसे लिए ओर उसे जाने दिया ।
शान अपने रूम में आया ओर बिना देर किए दरवाज़ा बंद कियाl
ज़ीनत को देख कर बोला ।
"या अल्लाह..! ऐसा लगता है जैसे आज चांद ज़मीं पर उतर आया हो।
ज़ीनत के पास आ बैठा शान..l
ज़ीनत की सांसे तेज होने लगी l
शान ने ज़ीनत का घूंघट उठाया l
उसे मुंह दिखाई में शान ने अपने हाथ से रिंग पहनाई।
ओर कहा l
"ज़ीनत तुम्हे पहली बार देखा था तब से अब तक इस दिन का इंतज़ार था।
अल्लाह ने आज हमे एक कर दिया अब हमे इस रात को एक खूबसरत रात बनाना है।
इतना बोल कर वो ज़ीनत के ओर करीब आ गयाl
उसके हाथ अपने हाथों में लेकर चूमने लगा ।
ज़ीनत को धीरे धीरे अपने आगोश में ले लिया l
उसके ज़ेवर उतार ने लगा ।
ज़ीनत को छू कर शान उत्तेजित करने लगा l
ज़ीनत भी शान की आगोश में आने को तड़प रही थी।
शान ने ज़ीनत को अपनी बाहों में कस लिया, तभी बाहर से चीखने की आवाज आई ।
ओर शान तभी अपने रूम से बाहर निकल आयाl
आकर देखा कि शान की अम्मी बेतहाशा रो रही थी चीख रही थी ।
शान ने आकर उनको बोला l
"अम्मी क्या हुआ ? आप ऐसे क्यू रो रही है बोलिए अम्मी ?"
अम्मी ने इशारा करते हुए कहाl कुछ दिखया शान को l
शान ने पास जा कर देखा तो जैसे किसी ने जानवर को खा कर शान की अम्मी के सामने फेक दिया था..l
इस सबको देखते हुए शान की अम्मी बहुत डर गई थी l शान ऐसे पड़ा हुए था जैसे डर से बच्चा लिपट जाता है।
शान ऐसी हालत में अम्मी को छोड़ कर नहीं जा सकता था l उसने ज़ीनत को बोला l
"ज़ीनत तुम रूम में जाकर सौ जाओ में अम्मी को ऐसी हालत में अकेला नहीं छोड़ सकता।
ज़ीनत अपने रूम में जाकर बैठ गई लेकिन ज़ीनत बहुत समझदार लड़की थी वो बिना कोई नाराजगी से सौ गई ।
शान अपनी अम्मी के पास पूरी रात बैठा l उनको सुलाने की कोशिश करता रहा।
लेकिन वो इतनी डरी हुई थी कि उनकी आंखो में नींद का नाम नहींl बस आंसू निकलते रहे थे l
यहां शान ज़ीनत की फिक्र में था कि "ज़ीनत क्या सोचती होगी पहली रात उसे अपने रूम में अकेले बिताना पड़ रही है?"
यहां शान को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि कोन है जिसने जानवर को खाकर घर में फेक दिया...?
क्रमश: