adhuri havas - 6 in Hindi Horror Stories by Baalak lakhani books and stories PDF | अधूरी हवस - 6

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अधूरी हवस - 6

(6)

आपने आगे कहानी मे पाढा की खुशी ने राज से पूरी सच्चाई बताई की वोह कौनसी वजह से राज को बताये बिना चली गई थी और और अब राज भी कुछ भी बोले बिना खुशी के पास से चला गया ये बात मिताली को बताता है ,

मिताली :क्या तुम ऎसे ही वहा से चले आए?
कुछ देर रुक कर खुशी खुशी से वहा से नहीं निकल सकते थे? तुम जेसे लोग वेसे भी पत्थर दिल ही होते हैं रिस्तों को आधे मोड़ पे छोड़ कर चले जाते हो.

राज : हा तुम्हारी सोच से ये तुम कह सकती हो मुजे तुम्हारी राय पे सवाल उठाने का कोई हक़ नहीं, मे होता भी कोन हू, वेसे भी बात पानी की तरह साफ हो चुकी थी, मुजे मेरे जबाव मिल गए थे और बचा कुछ नहीं था
तो ज्यादा देर रुक कर कोई बात करने का कोई मतलब ही नहीं था उसको जो चाहिए था उसे मिल गया था, फिर मूड के देखने का क्या फायदा

मिताली :तुम तो बहोत प्यार करते थे तो उस रिश्ते मे फायदा और नुकशान देखते थे ये केसी सोच रखते हों

राज :क्यू नहीं जब सामने वाले ने अपना फायदा ही देखा मुजे साफ साफ दिखाई दे रहा है, पूरी तरह से समझ आ गया हो तो मुजे भी सोचना चाहिए, हाँ ये बात अलग हे उसने मुहोबत का नाम दे के अर्थ बदल दिया, तो क्या सच सच नहीं रहेता?

मुड़कर नहीं देखते .....अलविदा के बाद ...!!

कई मुलाकातें ...बस ...इसी गुरुर ने खो देनी पड़ती हैं ...!!

जाने दो

मिताली :ठीक है तुम्हें जो सही लगे वोह सोचो पर जो गलत वोह गलत है

राज :वेसे तो तुम्हारा मुजसे बात करना भी गलत है, तो तुम्हें मुजसे बात नहीं करनी चाहिए, तुम किसी की मंगेतर हो.

मिताली : ओ मेरे दिल मे तुम्हारे लिए कुछ ख़यालात नहीं है, जो तुम ऎसे बात करते हो
तुम्हारे साथ बात करना भी बेकार हे

राज : हा तो मुजे कहा कोई तेरी लत लगी है
तुम मेरे अतीत को कुरेद रही हो, तुम्हें जानना था, तुम्हें सही गलत का फर्क़ करके तोलना है, मुजे तो पता ही है, में कहीं गलत नहीं हू,
और मुजे किसी की नज़र मे अपने आप को बदलना नहीं है,

जब अपनों ने हमे समजा नहीं तो औरो से
मे सही हू उसकी उम्मीद मे करता नहीं
चलो रखो फोन मुजे काम हे तुम्हारी तरह फ्री नहीं हू,

मिताली: अरे मेने कहा तुम्हें रोके रखा हे
जाओ ना जहा जाना हो वहा, (गुस्से मे कॉल काट देती है और मन ही मन कहती है कितना घमंडी इंसान हे ये सब कहते हैं सही कहते हैं एक नंबर का मतलबी है, कोई लड़की बात करती हैं तो कुछ तमीज नाम की चीज़ है ही नहीं.)

इस तरफ राज ये सोच रहा है ( क्या समझे के मुजे अपना एटिट्यूड दिखती है, जेसे मेरी गर्ल फ्रेंड्स हो, और बाते तो बड़ी फीलोसीफर हो मुफ़्त मे सलाह बाटने आ जाती है, खुद कॉल करती है और खुद कहती है मुजे क्या तो क्यू कोल करती है मुजे )

राज अपने काम मे जुड़ गया पर काम मे दिल नहीं लगता था मिताली ने जो खराब कर दिया था बरसों से दबे हुवे घावों को मिताली ने कुरेद दिए जो थे उसकी आँखों के सामने वोह वक्त गुजर ने लगा जेसे कोई फिल्म चल रही हो वोह हर एक लम्हा जो खुशी के साथ बिताया था

राज ने अपने दोस्त को कॉल लगाया
हैलो अमन कहा हो तुम

अमन : कुछ नहीं बोर हो रहा हू कुछ खास कोई काम नहीं है, तुम क्या कर रहे हों?

राज : काम तो बहोत हे पर काम मे दिल नहीं लग रहा है, कारीगरों पे बिना बात के चिल्ला रहा हू, गालियाँ पे गालियां खा रहे हैं.

अमन : कल तक सब ठीक था आज क्या हो गया?

राज : मे आ रहा हू तुम्हारी ऑफिस पर जो भी काम हो निपटा ले

अमन : ठीक है तू आ तो सही

राज अमन की ऑफिस की ओर निकल चुका अपनी कार ले के थोड़ी ही दूर थी
राज ने नीचे से ही कोल की तुरंत अमन नीचे आया राज ने अमन के हाथो मे कार की चाबी देते हुवे कहा अब तुम चलालो,

अमन :ठीक है मे चला लेता हूं उसमे क्या बड़ी बात है, (कहा जाना हे ये पता नहीं था
राज को देख के अमन को पता चल गया था
भाई आज बड़ा अपसेट है बिना बताये बार पे लेली)

राज : वाह यारा क्या जगह पर ले आया तू ही मेरी जान हे दोस्त बिना बोले तू मेरा हाल समाज जाता है मुजे क्या जरूरत है, लव यू यारा

अमन :लव यू यारा तेरे दिल का हम ना समज पाया तो क्या यारी हमारी लानत हे दोस्ती पे जो यारा की दिल की बात ना समज पाए दुनिया मे सभी इसीलिए तो जलते हे सब हमारी दोस्ती मे,

दोने ने टेबल पर जाके ओडर दिया बैकग्राउंड मे गाना बज रहा था नाजायज का

*अभी जिंदा हू जी लेने दो घड़ी बरसात की पी लेने दो *

जेसे बार वाले को पता हो कि राज भैया आज टूटे हुवे है दोनों गुम सुम अपने गिलास खाली किए और अमन ने धीरे से कहा यार क्या हुवा मुजे नहीं बतायेगा?

राज : तू ही तो एक जान हे मेरी जो इस राज का सारे राज तेरे सीने में दफन कर रक्खी हे

अमन : तो फिर बता ना क्या है जो तूजे इतना हिला के रख दिया? वापिस खुशी याद आ गई क्या?

राज : और कोन हे जिसने मुजे पत्थर दिल बनाया है, वोह तो सही है, पर और कोई हे जो घाव पे घाव दिया है, मुजे कहता हे कि मे
हवस का पुजारी हू एक नंबर का घटिया इंसान हू, जो कहता हे मेंने कई लड़कियों की फिलिंग के साथ खेला है, क्या मेने कभी किसी को कहा है मे तुमसे प्यार करता हूँ, सिर्फ एक के सिवा?

अमन : नहीं यारा, कोन हे तू बता मेरे को जो तुझसे एसी बात की क्या जनता हे वोह कोन हे वोह ला उसका नंबर दे मुजे

राज : नहीं यार में ही काफी हू, उसके लिए
तूजे क्या लगता है मे उसे नहीं कह सकता
ये तो शराफत का चोला क्या पहना लोक हमे
बाते सुनाते जा रहे हैं, वोह समझती क्या हे मुजे,

अमन : क्या भाई समझती? मतलब लड़की?
भाई तूने मुजे बताये बिना ही शिकार ढूंढ लिया, मेरा शेर फिर शिकार पे निकला?

राज : शेर सर्कस मे हे तो क्या हुवा शिकार करना कभी नहीं भूलता, हमे शिकार पर निकल ना नहीं वर्ना, ताकत किसी जो तेरे भाई के सामने दो बाते सुना दे,

अमन : तू बता कोन हे?

राज : अरे यार वहीं जो तूजे बताया था गाव मे शादी मे मिली थी.

अमन : अरे हाँ वहीं ना जो तुम्हें गाव की शादी मे मिली थी?

राज : हा वहीं मिताली जो अभी हमारे ही टाउन मे हे, और मुजसे बात करती हे, और मुजे हवस पुजारी बोलती है, साली सब एक जेसी होती है, पहेले हमे खुद जाल में फंसा कर अपने मजे करती है, और हमे ही बदनाम करती है,

अमन : ओह तेरी उसकी इतनी हिम्मत की तुम्हें बुरा भला कहे ला तू उसका नंबर दे मुजे
उसकी एकड़ ठिकाने करता हूँ,

राज : ये तेरा भाई कर सकता है, रुक अभी ही बात करता हूँ, (मोबाइल निकाल के मिताली का नंबर जोड़ता है रिंग बजती है पर वोह उठाती नहीं)
देखा नहीं उठाया,

अमन : छोड़ भाई और एक पेग लगा और चिल्ल मार

( दोनों मिलके पूरी बोतल खत्म करते हैं और निकल ने की तैयारी करते हैं तभी मिताली का कॉल आ जाता है)

मिताली : हैलो कॉल किया था?

राज : हा किया था, क्यू? नहीं कर सकता?
तुम मेरे दिमाग का दही कभी भी कर सकती हो मे क्यू नहीं कर सकता?

मिताली : तुमने पी रखी है?

राज : हा पी रक्खी हे, तो क्या हुवा?

मिताली : में पीए हुवे से बात नहीं करती
मे रखती हू फोन

राज : नहीं रुको एक बात सुनो फिर मत करना मुजे भी कोई शोख नहीं तुमसे बात करने का

मिताली : ठीक है बको

राज : तू तुम अपने आप को क्या समझती हो
जो सब को ज्ञान बताती फिरती हों, ये सही वोह गलत हाँ, माना कि मे तुमको पसंद करता हू जब से तुम्हें देखा था तबसे, पर उसका मतलब ये नहीं के तुम मेरी बेज्जती करती रहो और मे सुनता रहु, हाँ मे हू बहोत कमीना इंसान तो तुम्हें क्या? तुमको कहा मुजसे कोई रिसता जोड़ ना हे, और नहीं मुजे कोई रिसता बढ़ाने की इच्छा अब तुमसे, मुझको जो जानते हैं करीब से वोह ही मेरे लिए काफी है, तो आज के बाद मुजे कॉल मत करना, अच्छे लोगों को बुरे लोगों को से बात नहीं करनी चाहिए, तुम बहोत अच्छी हो और मे बुराईयों का देवता, मुजसे कोई बात तुम्हें नहीं करनी चाहिए वर्ना तू बदनाम हो जाओगी जो मे हरगिज नहीं चाहता, मेरी कोई बात तुम्हें बुरा लगे तो माफ कर देना
और मुजे बाक्स दो.

मिताली : ठीक है मे नही करूंगी तुम्हें अब कॉल

( और मिताली कॉल कट कर देती है और राज ये सोच के खुश हो जाता है अब पीछा छुटा कर के,)

ऎसे एक हफ्ता बीत जाता है पर ना मिताली का कोल आता है और ना राज मिताली को कॉल करता है,

एक हफ्ते बाद मिताली का कोल आता है राज पे और राज भी जेसे दिल ही दिल मे मिताली के कोल का इंतजार करता हो वेसे तुरन्त रिसीव कर लिया

मिताली : हेलो

राज : हा बोलो

मिताली : मुजे तुमसे मिलना हे, क्या तुम मुजे मिलने आ सकते हो?

थोड़ी देर राज चुप हो जाता है
मिताली :हैलो हैलो क्या हुवा? अगर फ्री नहीं तो कोई बात नहीं पर मिलते तो अच्छा होता

राज :ठीक है मे फ्री होगा तो तुम्हें कोल करूंगा पर पक्का नहीं कहे सकता कि मिलूंगा के नहीं

मिताली : ठीक हे तुम्हें सही लगे तो बताना

राज: ठीक है

और दोनों कॉल काट देते हैं
क्रमशः

आगे के पार्ट मे देखते हैं कि राज मिताली को मिलने जाता है कि नहीं, और मिताली राज क्यू मिलने बुलाती है

( मेरी कहानी को पढ़ने सभी वाचक को दिल से शुक्रिया और अगर आप को टिपणी और सुधार या कुछ पसंद ना आए तो मुजे मेरे
Whotsup no : 8530201001 पर भी दे सकते हैं.)