Shayad mai bada ho gaya hu in Hindi Poems by Prakharpurvanchal Dainik books and stories PDF | शायद मैं बड़ा हो गया हूँ,

Featured Books
Categories
Share

शायद मैं बड़ा हो गया हूँ,

1..... मौत दरवाजे पर खड़ी इंतजार कर रही थी,दर्द के दिये को गुलजार कर रही थी,
सभी गमजदा थे मंजरे मौत को देख,
जो कभी किसी से हारा नहीं ,
आखिर वो मौत से हारकर बेजान पड़ा था।


2.....मंजरे मौत को देखा तो जिंदगानी याद आई,
अतीत को देखा तो जवानी याद आई,
असहाय पड़ा जब मौत की सैया पर,
तब जाकर अपने कर्मो की कहानी याद आई।


3....समय का खेल देखो यारो,
बीबी आने के बाद भाई के भाव बदल जाते है,
जिस भाई से कभी आँख नही मिलाता था, उसी भाई को आँख दिखाये जाता है।
जिस माँ की बनाई रोटियां झपट कर चाव से खाते थे , आज बीबी के हाथ से खाये जाते है।
माँ की डांट से आंखों में आँसू आ जाते थे कभी,
आज उसी माँ के आंखों में आँसू लाये जाते है।
जिस घर मे बचपन बीता था, उसी घर मे दीवार बनाये जाते है।
जिस घर मे कभी एक चूल्हा जलता था,
आज उसी घर में कई चूल्हे जलाए जाते है।
जिस बाप ने कभी अपना पैसा नही छुपाया,
आज उसी बाप से अपने रुपये छुपाये जाते है।
जिस भाई को छोटी छोटी बात बताकर मन हल्का कर लेते थे, आज उसी भाई से हर बात छुपाये जाते है।


4.... शायद मैं बड़ा हो गया हूँ,
पहले माँ समझाती थी ,
अब मैं माँ को समझता हूं।
शायद मैं बड़ा हो गया हूँ,,,,
पहले भईया से हर बात होती थी,
अब सिर्फ हिस्से की बात होती है।
शायद मैं बड़ा हो गया हूँ,,,,,,
पहले पापा से 10 रुपया मांगने से डरता था,
अब सीना तानकर अपना हिस्सा मांगता हूं।
शायद मैं बड़ा हो गया हूँ,,,,,
पहले पैसे हक से मांगता था,
अब हक मांगता हूँ।
शायद मैं बड़ा हो गया हूँ,,,,,


5..... सास, ससुर साला सरहज सब हो गए ख़ास,
बीबी आई जबसे देखो बदल गए हालात,

मम्मी पापा भाई भाभी सब हो गए हताश,

घर की मुर्गी दाल बराबर वाली हो गई बात,

प्यारी साली जीजा जी से फ़ोन पर खूब करे है बात,
एक फ़ोन पर साला आये दौड़ते जीजा के पास,
क्योकि अब तो बदल गए हालात।


6..... नई मंजिल के चलते पुराने मक़ाम छूट रहे है,
शहर में घर के लिए गांव के मकान छूट रहे है,
कुछ अलग करने की चाह में, अपनो के अरमान छूट गए,


7.... आज फिर यादों का कारवां गुजरा मेरी गली से,
कुछ दर्द थे, कुछ ख़्वाब थे और कुछ अपनो द्वारा दिये हए हालात थे।


8....... जिंदगी बहुत कुछ सिखा गई एक पल में इज्जत बढ़ाई और दूसरे पल में पल में बेज्जती कर आ गई जिंदगी बहुत कुछ सिखा गई भरी हुई जेब से दुनिया की पहचान कराई और खाली जेब से अपनों की पहचान करा गई जिंदगी बहुत कुछ सिखा गई

9..... वह मम्मी की बातें हो पापा का ठंडा बहुत याद आता है रात का चंदा ।

दीपावली में दीए को चुराना दीए को चुराकर तराजू बनाना , तराजू बनाकर खरीदने बेचने का होता था धंधा, बहुत याद आता है वह रात का चंदा।

वो दादी की बातें परियों की यादें परियों की यादों में होता था, कहानियों का फंदा बहुत याद आता है वह रात का चंदा।