The Boscomne Valley Mystery - 3 in Hindi Adventure Stories by Sir Arthur Conan Doyle books and stories PDF | बोसकोंब वैली का रहस्य - 3

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बोसकोंब वैली का रहस्य - 3

दी एडवेंचर्स ऑफ़ शेरलोक होम्स

बोसकोंब वैली का रहस्य

(3)

“और उससे आपको क्या जानकारी मिली?”

“कुछ नहीं”

“वो कोई रोशनी नहीं डाल पाया?”

“ज़रा भी नहीं। एक बार के लिए मैं यह मानने को तैयार था कि उसे पता है यह काम किसने किया है और वो उसे बचा रहा है, पर अब मुझे यक़ीन है कि वो भी उतना ही उलझा हुआ है जितने बाक़ी सब। वो उतना चालक युवक नहीं है, हालाँकि देखने में सुहावना है और, मैं मानता हु की दिल का भी अच्छा है।”

“मैं उसकी पसंद की सराहना नहीं कर सकता,” मैंने कहा, “अगर यह वास्तव में सच है कि वो मिस टर्नर जैसी आकर्षक स्त्री के साथ शादी करने के ख़िलाफ़ था”

“आह, उसमें एक और दर्द भरी कहानी छुपी हुई है। यह बंदा बहुत ज़्यादा, पागलपन की हद तक उससे प्यार करता है, पर कुछ दो साल पहले, जब वो सिर्फ़ एक लड़का था, और उसके मिस टर्नर को अच्छे से जानने के पहले, क्यूँकि वो पाँच साल तक बोर्डिंग स्कूल में थी, इस मूर्ख ने क्या किया, ब्रिस्टल में एक बार में काम करने वाली लड़की के चक्कर में जा फँसा और उससे रजिस्ट्री में जाके शादी कर ली? इसके बारे में कोई कुछ नहीं जानता, पर तुम कल्पना कर सकते हो कि जो करने के लिए वो कुछ भी कर सकता है वो ना करने के लिए डाँट खाना और यह जानना की अब वो बिलकुल असम्भव है यह उसके लिए कितना अफ़सोसजनक रहा होगा। इस तरह का निपट बावलापन ही था जो वो हवा में हाथ उठा उठा कर अपने पिता से बात कर रहा था जब वो उनकी आख़री मुलाक़ात के वक़्त उसे मिस टर्नर को विवाह का प्रस्ताव रखने के लिए उकसा रहे थे। दूसरी तरफ़ उसके पास जीवनयापन का कोई ज़रिया नहीं था, और उसके पिता ने, जोकि हर तरह से काफ़ी सख़्त इंसान थे, उसे बुरी तरह से निकल बाहर किया होता अगर वो सच्चाई जान जाते। उसकी इसी बार में काम करने वाली पत्नी के साथ उसने ब्रिस्टल में पिछले तीन दिन गुज़ारे थे, और इस के बारे में उसके पिता कुछ भी नहीं जानते थे कि वो कहाँ था। मगर इस बात पे ध्यान दो। यह महत्वपूर्ण है। हालाँकि इस हादसे से कुछ अच्छा भी हुआ है, क्यूँकि बार में काम करने वाली उस औरत ने, जब अखबारो से पता लगाया कि वह बड़ी मुसीबत में है और संभवत: फाँसी भी चढ़ सकता है तो उसने रिश्ता ख़त्म कर दिया और लिख भेजा कि बर्म्यूडा बंदरगाह में पहले से ही उसका एक पति है, सो उनके बीच में अब कुछ नहीं है। मुझे लगता है कि इस समाचार ने युवा मेक्कार्थी को काफ़ी आश्वस्त किया है।

“किंतु वह बेगुनाह है, यह सब किसने किया होगा?”

“आह! कौन? मैं आपका ध्यान, दो मुख्य बातों की ओर ले जाना चाहता हुँ। पहली ये कि जिसका खुन हुआ है, उसका तालाब के किनारे किसी से मुलाकात का समय तय था और वह शख्स उसका बेटा नहीं हो सकता, क्यों कि वह कहीं बाहर गया हुआ था। दुसरी बात ये कि जिस आदमी का खुन हुआ था, वह ये जान पाता कि उसका बेटा लौट आया है, उसके मुँह से चीख निकली थी ‘कूईईई!” यही वे महत्वपुर्ण बातें है जिस पर यह केस निर्भर करता है। और अब, यदी आप चाहे, तो हम जॉर्ज मॅरेडिथ के बारे में बात करें, और बाकी की सभी छोटी छोटी बातों को कल के लिये छोड दें.”

होम्स की भविष्यवाणी के अनुसार, दुसरे दिन कोई बारिश नही थी और आकाश चमकिला और स्वच्छ दिखाई दे रहा था। नौ बजे लेस्ट्रॅड ने हमें लेने के लिय गाडी भेजी थी, और हम हादर्ले फाँर्म तथा बॉस्कॉम्बे तालाब की ओर रवाना हो चले।

“आज सुबह एक गंभीर बात सुनने को मिली,” लेस्ट्रॅड देखते हुये बोला। “ऐसा कहा जा रहा है कि हॉल के मि. टर्नर, इतने बिमार है कि उनकी जिंदगी पर आन पडी है।”

“मैं समझता हुँ, वे एक बुढे आदमी है?” होम्स ने कहा।

“करीब साठ बरस के होंगे; किंतु उनकी जिंदगी, अक्सर बाहर रहने की वजह से अब बदहाल हो चुकी है, और उनकी तबियत कुछ समय से खराब भी चल रही है। उनके व्यापार ने ही उनकी तबियत पर बुरा असर डाला है। वे मॅकार्थी के पुराने मित्र थे, और, यहाँ मैं ये भी बता दुँ कि वे उनके लिये एक महान दानदाता भी थे, जिन्होने उन्हे हादर्ले फाँर्म को बिना किसी किराये के दे रखा था।”

“वाकई, काफी दिलचस्प बात है,” होम्स ने कहा।

“जी, हाँ! उन्होने ऐसे सैंकडो बार उनकी मदद की थी। यहाँ सभी उनकी दयालुता की चर्चा करते है।”

“सचमुच! क्या आपको जरा भी नही लगता कि ये मॅकार्थी, जो ऐसे दिखाता है कि उसके पास कुछ भी नहीं है, और जो हमेशा टर्नर की दया पर पल रहा है, और फिर भी अपने बेटे का विवाह टर्नर की बेटी से करवाने की बात कर रहा है, जो कि, संभवतः इस सारी जायदाद की वारीस है, और वह भी इतने खुदगर्जी से ये बात कर रहे है कि यह तो सिर्फ एक शादी का प्रस्ताव है और सब इसे मान लेंगे? ये और ज्यादा विचित्र है, क्यों की हमे मालुम है टर्नर खुद इस रिश्ते के खिलाफ थे। उनकी बेटी ने हमें ये सब बताया है। क्या तुम अब भी कोई परिणाम निकालने की स्थिती में नहीं हो?”

“हम परिस्थितीजन्य बातों में आकर सिर्फ अनुमान लगा रहे है,” लेस्ट्रॅड मुझे आँख मारते हुए बोला। “मैं केवल सिद्धांतो और कल्पनाओं के आधार पर इतनी जल्दी तथ्यों के सहारे हवा में नहीं उडता, होम्स।”

“तुम सही बोल रहे हो,” होम्स बडी विनम्रता से बोला; “क्या तुम तथ्यों तक पहुँचने में बडी कठिनाई महसुस कर रहे हो।”

“जो भी हो, मैंने एक तथ्य का पता लगा लिया है जो तुम्हे बडी मुश्किल से मिल पाता,” लेस्ट्रॅड जरा गर्मजोशी से बोला।

“और वह है ---”

“यही कि मॅकार्थी सीनियर का देहांत, मॅकार्थी जुनियर की वजह से ही हुआ था और इसके विपरित सारे सिद्धांत सिर्फ एक आभास है।”

“आभास, धुँधलाहट से ज्यादा चमकिली होती है,” होम्स ने हँसते हुए कहा। “किंतु यदी मैं गलत नहीं हुँ तो बायीं ओर ही हादर्ले फाँर्म है।”

“जी हाँ, यही है।” वह एक अच्छी खासी दिखने में आलिशान इमारत थी, दो-मंजीला, कवेलु से ढँकी छत, मटमैली दिवारों पर फफुँद के पिले दागों से भरी। खुली खिडकीयाँ और धुँआरहित चिमनीयाँ, होने पर भी, दिखने में काफी अच्छी लग रही थी, हालाँकी, उस पर डर का साया मँडरा रहा था। हमने दरवाजे पर आवाज दी, जब होम्स के कहने पर, महरी ने हमें उसके साहब के जुते दिखाये जो उन्होंने उनकी मौत के समय पहन रखे थे, और उनके बेटे के जुते भी दिखाये जो उसके पास थे। करिब सात आठ जगह पर बारिकी से देखने के बाद, होम्स की ईच्छानुसार हम बरामदे से होते हुए, बॉस्कॉम्बे तालाब की ओर जाने वाली पगडंडी के ओर आगे बढने लगे।

शरलॉक होम्स अब पुरी तरह अपने अवतार में आ चुके थे। आप उस आदमी को अब पहचान ही नही पाओगे जो बेकर स्ट्रीट पर शांत चित्त से सोचने वाला और तार्किक जान पडता था। उनका चेहरा कभी चमकता तो कभी गहराता। उनकी भँवे दो गहरी काली रेखाओं में बदल चुकी थी, जबकी उसके निचे से उनकी दोनों आँखे चमक रही थी। उनका चेहरा निचे को झुका था और कँधे मुडे हुए, उनके ओंठ दबे हुए, और उनके गले की नसे, उनकी लंबी मजबुत गरदन पर ऐसी तनी हुई थी मानो किसी चाबुक की चाप की हो। उनकी नाक किसी हवस से भरे जानवर की भाँती चौडी हो गयी थी, और उनका दिमाग इतना एकाग्रचित्त होकर अपने काम पर केंद्रित था कि कोई प्रश्न या टिप्पणी भी उन्हे सुनाई नही दे रही थी, या, ज्यादा से ज्यादा, वे उकसाने पर बेताबी से सिर्फ इशारा भर कर रहे थे। बडी चपलता व खामोशी से उन्होने अपने लिये झाडियों के बीच से रास्ता बनाया, जो जंगल से होता हुआ बॉस्कॉम्बे तालाब की ओर जा रहा था। वह एक गिला और दलदल से भरा मैदान था, जैसा सब जगह होता है, और उस पर तथा दोनो ओर उगी छोटी घास पर पैरों के कई निशान थे। होम्स कभी तेज गती से चलते तो कभी रूक जाते, उन्होने झाडियों में से एक चक्कर भी लगाया। लेस्ट्रॅड और मैं उस उदासिन और तिरस्कारी जासुस के पिछे पिछे चल रहे थे, मैं अपने दोस्त को बडी जिज्ञासा से देख रहा था, जो इतनी तेजी से दोषसिद्ध करते थे कि उनकी हर चाल एक निश्चित दिशा में आगे बढ रही थी।

(पृष्ठ क्र.-8)

बॉस्कॉम्बे तालाब, कुछ रेतीला और पथरीला सा जिसके पानी पर उँची घास उगी हुई थी, कुछ पचास गज दूर, हादर्ले फाँर्म और मि. टर्नर की निजी जमीन से सटा हुआ स्थित था। जंगल के उपरी भाग पर हम लाल रंग की शिखरमाला देख सकते थे जो किसी रईस जमींदार के रिहायशी इलाके को दर्शा रही थी। तालाब के हादर्ले की तरफ का जंगल थोडा घना था और वहाँ पेडों के और उँची घास के बीच करीब बीस कदम की दुरी पर घास की दबी-दबी सी संकरी पट्टी सी बनी हुई थी। लेस्ट्रॅड ने हमें वह सटीक जगह दिखायी जहाँ लाश मिली थी, और, वास्तव में, वह जगह इतनी गीली थी कि मैं बडे आसानी से उस आदमी के गिरने के निशान देख सकता था। होम्स, जिसका बेचैन चेहरा और झाँकती आँखे, मैं देख सकता था, जो रौंदी हुई घास पर बहुत सी अन्य वस्तुओं को भी देख रही थी। वे किसी कुत्ते की तरह दौड रहे थे, जिसे हवा से कुछ गंध मिल गई हो, और वे मेरे साथी की ओर मुड कर बोले।

“तुम तलाब में क्या करने गये थे?” उन्होने पुछा।

“मैं तलाब को खंगाल रहा था. मैंने सोचा वहाँ से कोई हथियार या ऐसी कोई और चीज मिले। लेकिन यहाँ जमीन पर क्या हाल है, कुछ मिला?”

“ओह, च..च..! मेरे पास बिल्कुल समय नहीं है। तुम्हारे बाँये पैर के निशान हर तरफ फैले हुए है जो की अंदर को थोडा मुडा हुआ है। कोई छछुँदर भी इन निशानों को ढुँढ सकता है, और वे निशान उन उँची घास के समीप जाकर समाप्त होते है। ओह, उनके आने और भैंस की तरह हर तरफ लोटने से पहले, यदी मैं आ गया होता तो ये सब ढुँढना कितना आसान होता। ये वह जगह है जहाँ चौकीदार और उनके आदमी आये होंगे और उन्होने लाश के चारो और छह-आठ फिट की दुरी तक निशानों को ढक दिया होगा। लेकीन यहाँ एक ही पैरों के तीन अलग अलग निशान बने हुए है।” उन्होने लेंस निकाला और खुद से, ना की हमसे, बातें करते हुए अपने पानीरोधक जॅकेट पर लेट कर ध्यानपुर्वक निरीक्षण करने लगे। “ये तो मॅकार्थी जुनियर के पैरों के निशान है। दो बार वे चल रहे थे और एक बार वे जल्दी जल्दी दौड रहे थे, इसलिये तलवों के निशान एडीयों से ज्यादा गहरे दिख रहे है। यही उनकी कहानी बयान कर रहे है। जब उन्होंने अपने पिता को जमीन पर देखा तो वे दौडे होंगे. फिर यहाँ उनके पिता के पाँव के निशान है, जो कि उपर निचे लग रहे है। फिर ये क्या है? यह तो बंदुक के पिछले भाग का हिस्सा लग रहा है, जब बेटा सुन रहा होगा। और यह? हा..,हा..! हमें यहाँ क्या मिला? जुतों के निशान! चौकोन, बडे अजीब जुते है! वे आ रहें है, वे जा रहें है, वे फिर आ रहे है- यकिनन उस लबादे के लिये। अब वे आये कहाँ से?” वे उपर और नीचे दौड रहे थे, कभी निशान छुट रहे थे तो कभी मिल रहे थे, जब तक कि हम सभी जंगल के किनारे, घने पेड की छाँव तले, जो की आसपास के पेडों में सबसे बडा था, आराम से पहुँच ना गये। होम्स अपना रास्ता दुसरी ओर ढुँढ रहे थे और वे एक बार फिर, अपने चेहरे पर एक सुख भरा आनंद लिये, लेट गये। वे लंबे समय तक पत्तों और सुखी लकडीयों को उलटाते पलटाते, उन्हें जमा करते वहाँ रहे। मेरे मुताबिक वे एक धूल से भरे लिफाफे की तरह लग रहे थे, और हाथ में एक लेंस लिये जमीन ही नही दरख्तों के आखरी छोर तक कुछ ढुँढते नजर आ रहे थे। दलदल के उपर एक नुकीला पत्थर पडा था। उसका भी उन्होंने सावधानीपुर्वक निरीक्षण किया था। फिर उन्होंने जंगल में से एक पगडंडी पकडी और चलते हुए एक महामार्ग पर पहुँच गये, जँहा सभी निशान समाप्त हो गये।

“यह एक मजेदार और महत्वपुर्ण केस है।” उन्होने नैसर्गिक भाव में वापस आते हुए अपनी टिप्पणी दी। “मैं समझता हुँ दाँयी ओर का यह जो मटमैला सा घर है, एक रैनबसेरा है। मैं सोचता हुँ कि मैं अंदर जाकत मोरान के साथ कुछ बातचित करूँ, और शायद एक छोटी सी टिप्पणी भी लिखुँ। इतना करके हम लोग दोपहर के खाने के लिये वापस चल सकते है। आप गाडी तक पैदल पहुँचें, जब तक मैं भी आता हुँ।”

करीब दस मिनट हुए होंगे हमें अपनी गाडी तक पहुँचे और फिर हम सब रॉस की तरफ वापस जाने लगे। होम्स के हाथों में अब भी जंगल से मिला वह नुकीला पत्थर था।

“लेस्ट्रॅड तुम्हें शायद इस पत्थर में दिलचस्पी हो,” उन्हें दिखाते हुए वे बोले, “यह खुन इसी पत्थर से हुआ था।”

“मैं तो इस पर कोई निशान नही देख रहा हुँ।”

“कोई निशान नहीं है।”

“फिर, तुम्हें कैसे पता चला?”

“इसके नीचे घास उगी हुई थी। यह अभी कुछ ही दिनों पहले वहाँ पडा हुआ था। इस पर और कोई निशान नहीं है, जिससे ये पता लगे कि ये कहाँ से उठाया गया है। इसका संबंध घावों से है। किसी और हथियार के कोई भी सुराग नहीं है।”

“और वह खुनी?”

“वह एक लँबा आदमी है, बाँए हाथ से काम करने वाला, दाँए पैर से लँगडाते हुए चलने वाला, जो बडी एडीयों वाले शिकारी जुते और मटमैले रंग का लबादा पहनता है, जो इंडियन सीगार पीता है, सीगार केस रखता है और अपने साथ छोटा कुंद चाकू भी रखता है। और भी कई संकेत मिले है, किंतु फिलहाल इतने हमारी खोज के लिए पर्याप्त है।”

लेस्ट्रॅड हँसा. “मुझे डर है कि मैं अब भी नास्तिक ही हुँ,” वह बोला। सभी सिद्धांत बिल्कुल सही है, किंतु हमें कठोर दिल वाले ब्रिटिश न्यायाधिशों से भी निपटना पडेगा।”

“सामान्य बात है..!” होम्स ने शांती से उत्तर दिया। “तुम अपने ढंग से काम करो और मैं अपने तरीके से। मैं शायद इस दोपहर तक मशरूफ रहुँगा, और शायद शाम की ट्रेन से आपस लंडन को रवाना हो जाऊँ।”

“और अपना केस अधुरा छोड दोगे?”

“नहीं, खत्म कर चुका।”

“किंतु वह रहस्य?”

“वह तो हल हो चुका है।”

“तो, खुनी कौन है?”

“वही, जिसका मैंने जिक्र किया।”

“लेकिन वह कौन है?”

“उसे ढुँढना इतना भी कठीन नहीं है। यह कोई इतना भी मशहुर मोहल्ला नहीं।”

(पृष्ठ क्र.-9)

लेस्ट्रॅड ने अपने कँधे उचकाये। “मैं एक व्यावहारिक इंसान हुँ,” वह बोला, “और मुझमे पुरे देश में उस बाँये हाथ वाले लँगडाते आदमी को ढुँढने की हिम्म्त नहीं है। मैं पुरे स्कॉटलॅड में हँसी का पात्र बन जाउँगा।”

“ठिक है,” होम्स शांती से बोले। “मैंने तुम्हे एक मौका दिया है। यह रहा तुम्हारा सामान। खुदा हाफिज। मैं जाने के पहले तुमसे मिलता जाऊँगा।”

लेस्ट्रॅड को अपने कमरे में छोडते हुए, वे हमारे हॉटेल में आ पहुँचे, जहाँ उन्होने टेबल पर दोपहर के भोजन को सजा देखा। होम्स शांत थे और वे चेहरे पर शिकन लिये किन्ही ख्यालों में खोये थे, मानो किसी पहेली में उलझ गये हो।

“यहाँ देखो, वॉटसन,” वे बोले जब सब कुछ साफ हो गया, बस इस कुर्सी पर बैठ जाओ और मुझे तुमसे कुछ देर बात करने दो। मैं नही जानता कि मुझे ठिक ठिक क्या करना चाहिये, और मुझे तुम्हारी राय की आवश्यकता है। एक सीगार जलाओ और मुझे ठिक से व्याख्या करने दो।”

“प्रार्थना करो।”

“ठिक है, अब, इस केस की बात करें तो इसमें मॅकार्थी जुनियर की दो बाते हम दोनों को खटक रही है, हालाँकी मुझे उसकी बातों ने काफी प्रभावित किया, किंतु तुम उसके विरुद्ध थे। पहला तथ्य यह कि उसके कहे अनुसार, उसके पिता मरते वक्त उसे देखने से पहले, ‘कूईईई!’ ऐसे चिल्लाये थे। उसके द्वारा रखा गया दुसरा मुद्दा, एक मरते हुए चुहे की आवाज का था। वह कई तरह की आवाजो में बडबडा रहा था, तुम समझ रहे होंगे, किंतु वह क्या था जिसे उसके कानों ने सुना होगा। तो अब इन दो मुद्दों को लेकर हमें हमारी खोज को आगे बढना चाहिये, और हम इसे उस लडके की बात को सत्य मानते हुए आगे बढायेंगे।”

“फिर वह ‘कूईईई!’ क्या है?”

“जाहिर सी बात है, ये उस बच्चे के प्रति नही कही गई होगी। वह लडका, जहाँ तक उसे पता है, ब्रिस्टल में रहता है। ये महज इत्तेफाक है कि उसके कानों को आभास हुआ होगा। ‘कूईईई!’ यह एक संकेत मात्र होगा कि जिससे हमे मिलना हो उसे इस प्रकार आवाज दें। किंतु ‘कूईईई!’ यह यकिनन एक ऑस्ट्रेलियन आवाज है, और यह ऑस्ट्रेलियन्स के बीच बोली जाने वाली आवाज है। इस बात का पक्का यकिन है कि जिस व्यक्ति को मॅकार्थी बॉस्कॉम्बे तालाब के पास मिलना चाहता होगा वह ऑस्ट्रेलिया में रह चुका होगा।

***