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Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Poems in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cultures. Th...Read More


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  • कविताएं

    - शैलेन्द्र चौहान दया : दलित संदर्भ में सोचता रहा हूँ सारी रात औरों के द्वारा...

  • मेरी तूटी फूटी ग़ज़लें..!

    1. प्यार कब था..!आप के लिए प्यारके अलावा ही! सब था !हमारे लिए प्यारके अलावा कुछ...

  • इक उधार सी ज़िन्दगी...

    #इक उधार सी ज़िन्दगी... तुझको खो कर बचा ही किया था, ज़िन्दगी में..! खोने के लिए..ब...

क्षणभर By महेश रौतेला

१.बेटी से संवादतुम्हारा हँसना, तुम्हारा खिलखिलाना,तुम्हारा चलना,तुम्हारा मुड़ना , तुम्हारा नाचना ,बहुत दूर तक गुदगुदायेगा।मीठी-मीठी बातें ,समुद्र की तरह उछलना,आकाश को पकड़ना ,हवा की...

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कविताएं By Shailendra Chauhan

- शैलेन्द्र चौहान दया : दलित संदर्भ में सोचता रहा हूँ सारी रात औरों के द्वारा की गई दया के बारे में किस किस पिजन होल में रखी है कितनी और किस तरह की दया न जाने कितने दयालु देखे...

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मेरी तूटी फूटी ग़ज़लें..! By Parmar Bhavesh

1. प्यार कब था..!आप के लिए प्यारके अलावा ही! सब था !हमारे लिए प्यारके अलावा कुछ कब था ?खुदा भी तुम और भगवान भी तुम ही थे !तुमको ही माना, ऊपर वाला कहाँ रब था ?क्या बताऊँ तुमको तुम क...

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इक उधार सी ज़िन्दगी... By Haider Ali Khan

#इक उधार सी ज़िन्दगी... तुझको खो कर बचा ही किया था, ज़िन्दगी में..! खोने के लिए..बस इक उधार सी ज़िन्दगी जी रहा था..तेरी यादों का कर्ज़ लिए..माफ़ करना तेरी यादों को हम यूँ ही बुला लेते ह...

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बेटियाँ - शर्म नहीं सम्मान है..... By Satender_tiwari_brokenwordS

1. वो दौर-----------न जाने वो कैसा दौर रहा होगा जब बेटियों के पैदा होने पर घर गाँव मे सन्नाटा छा जाता थाकहीं मातम भारी शाम होती थीकहीँ पर बेटियों को दफना दिया जाता थान जाने वो कैसा...

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हे मधुकर... By pradeep Kumar Tripathi

1. हे मधुकर हे मधुकर थारो चरण पकड़ी के झुलहुँ।या चरनन के भगति बहुत हैं जो वा चरनन को छूलौ।।हे मधुकर थारो चरन पकड़ी के झुलहुँ...हे मधुकर थारो रंग म्हारे दिल को ले हैं छुलहुँ।या रंग के...

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ज्ञान और मोह By Ajay Amitabh Suman

(1) ज्ञान और मोह दो राही चुप चाप चल रहे,ना नर दोनों एक समान,एक मोह था लोभ पिपासु ,औ ज्ञान को निज पे मान। कल्प गंग के तट पे दोनों,राही धीरे चले पड़े ,एक साथ थे दोनों किंतु, मन...

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दिल मेरा By अmit Singh

देखा तुमको जब प्रथम बार, चांदनी में चमकता रूप तेरा। फिर जब देखूं मैं तेरा ख्वाब, जोरों से धड़कत...

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चलोगे क्या फरीदाबाद? By Ajay Amitabh Suman

(१) चलोगे क्या फरीदाबाद? रिक्शेवाले से लाला पूछा, चलोगे क्या फरीदाबाद ?उसने कहा झट से उठकर, हाँ तैयार हूँ भाई साब. हाँ तैयार हूँ भाई साब कि,लाए क्या अपने साथ हैं?तोंद उठाकर लाल...

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मेरी चार कविताए By Dr Narendra Shukl

घोटालेवाला सर्दी की एक सुबह जब मैं धूप में बैठा ‘क्लासीफाइड‘ में नौकरी तलाश कर रहा था - अचानक , गली से आती हुई , एक आवाज़ कानों से टकराई । रातों -रात अमीर बनाने वाला स्वर्ग की...

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ऐ जिंदगी........... By pradeep Kumar Tripathi

1.ऐ जिंदगी आ तुझे कुछ इस तरह से, आजमाया जाए।।मैं जिन्दा भी रहूँ और, मर कर के दिखाया जाए।।वो मुझसे नाराज है, मालूम है मुझको।चल उसकी नाराजगी को, थोड़ा और बढ़ाया जाए।।वो नाराज...

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दरिया - एक ग़ज़ल संग्रह By रामानुज दरिया

नाम - राम अनुज तिवारी , s/o- श्याम सगुन तिवारी, ग्राम- दरियापुर माफी,पोस्ट - देवरिया अलावल, जिला- गोण्डा,अवध उत्तर प्रदेश. "दरिया" यह एक ग़ज़ल संग्रह है.

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शब्दों की कहानी By Satender_tiwari_brokenwordS

1.जय जवान तू वीर है, तू चट्टान है, तू मेरा अभिमान हैतू ही पहचान मेरी है, तू मेरा स्वाभिमान है।।कुछ लिखकर गर अदा कर सकूँ तेरा कर्ज़मेरा सुकूने ज़िन्दगी पर जो तेरा एहसान है।।इस बार जश्...

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एक दिन... By Sarvesh Saxena

एक दिन मैं उदास कहीं जा रहा था,उदासी में ही कोई उदास गीत गा रहा था,थक कर एक पेड़ की छांव में बैठ गया, सोचने लगा कि ये क्या हो गया... अचानक किसी की हंसी सुनाई पड़ी, मुड़कर देखा तो ह...

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दिलकी बाते - २ By Vrishali Gotkhindikar

..दिलके राज ..! दिलके हसीन राज किसीको बताये कैसे ,...

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दिया की कलम से इश्किया By Divya Modh

तुझे भूलाकर अब...तेरी यादों से निकलकर अब, में खुदमे खोना चाहती हूं तुझे भूलाकर अब ,में खुद को पाना चाहती हूं। चल जब गिनवा ही दी है तूने मुझ को कमिया मेरी तो बि...

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माँ: एक गाथा - भाग - 2 By Ajay Amitabh Suman

ये माँ पे लिखा गया काव्य का दूसरा भाग है . पहले भाग में माँ की आत्मा का वर्णन स्वर्ग लोक के ईह लोक तक , फिर गर्भधारण , तरुणी , नव विवाहिता से माँ बनने तक लिया गया है . प्रस्तुत है...

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भोजपुरी माटी By Radheshyam Kesari

आइल गरमी ------------- सूरज खड़ा कपारे आइल, गर्मी में मनवा अकुलाइल। दुपहरिया में छाता तनले, बबूर खड़े सीवान। टहनी,टहनी बया चिरईया, डल्ले रहे मचान। उ बबूर के तरवां मनई, बैईठ ,बैईठ सुस...

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अल्हड़ By Mukteshwar Prasad Singh

तेज छिटकती बिजलीबादलों की गडगडाहटहवा के झूले पर डोलतीवारिस की बूंदें आ बैठती हैचेहरे पर।जलकणों से भीगता रोम रोम और सांसेंउतावली।बार बार तेज चमक से चौंकचुंधियाती आंखें मूंद जाती हैं...

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शायराना कलाम By Dr Gayathri Rao

शायराना कलम - कुछ भावनाये,कुछ एहसास,...मेरी शायरी के कुछ नगीने जो आप सबको पेश करती हु.

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ज्यादा बदलाव चाहोगे तो पीट दिये जाओगे (जुलाई २०१९) By महेश रौतेला

जुलाई २०१९१.ज्यादा बदलाव चाहोगे तोपीट दिये जाओगे,अधिक परिवर्तन चाहोगे तोमार दिये जाओगे,बहुत सुधार चाहोगे तोजेल भेज दिये जाओगे!मांगने पर कौरवों नेपाँच गांव भी नहीं दिये थे,और तुम जन...

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थोड़े से तो थोड़े से, हम बदले तो है..! By Akshay Mulchandani

शायद, हम थोड़े से, अब बड़े हो गए है..। उसके ऑनलाइन आने की राह, हम आज भी देखते है, जैसे कुछ साल पहले देखा करते थे..! पर थोड़ा सा तो थोड़ा सा, हम बदले तो है ।---------------------------...

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व्यवधान By Ajay Amitabh Suman

एक फूल का मिट जाना हीं उपवन का अवसान नहीं,एक रोध का टिक जाना हीं विच्छेदित अवधान नहीं । जिन्हें चाह है इस जीवन में स्वर्णिम भोर उजाले की,उन राहों पे स्वागत करते घटाटोप अन्धियारे भी...

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तेरा घमंड By Manjeet Singh Gauhar

मत कर इतना घमंड , ऐ तू ना-समझ इंसानतेरा घमंड ही एक दिन तुझे हरायेगा ।मेरा बारे में तू सोचना छोड़ देमैं क्या हूँ , ये तुझे वक़्त बतायेगा ।।. .तू कितना भी कमाले , धन-दौलत ये सब...

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मैं तो बस इतना चाहूँ By Ajay Amitabh Suman

(१) मैं तो बस इतना चाहूँ हाँ मैं बस कहना चाहूँ,हाँ मैं बस लिखना चाहूँ,जो नभ में थल में तारों में,जो सूरज चाँद सितारों में। सागर के अतुलित धारों में,और सौर मंडल हजारों में,जो...

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गजल - वतन पर मिटने का अरमान By DrAnamika

" गरीब हूँ साहब" **************************"भीगे हुए अरमान आज रोने को है|मत रोको गरीबी को, पेट के बल भूखा मानव अब सोने को है"||"वक्त गुजर गए इंसान फरिश्ता...

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राख़ By Ajay Amitabh Suman

(१) ये कविता मैंने आदमी की फितरत के बारे में लिखा है . आदमी की फितरत ऐसी है कि इसकी वासना मृत्यु पर्यन्त भी बरकरार रहती है. ये मृत्यु के बाद भी ईक्छा करता है कि मारने के बाद उसकी...

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नर या मादा By Ajay Amitabh Suman

(१) माना कि समय के साथ बदलना वक्त की मांग है . पर आधुनिकीकरण और फैशन के नाम पे किसी तरह का पोशाक धारण करना , किसी तरह के हाव भाव रखना , किसी तरह की भाव भंगिमा बनाना , आजकल के य...

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कैसे कहूँ है बेहतर, हिन्दुस्तां हमारा? By Ajay Amitabh Suman

(१) कैसे कहूँ है बेहतर ,हिन्दुस्तां हमारा? कह रहे हो तुम ये , मैं भी करूँ ईशारा,सारे जहां से अच्छा , हिन्दुस्तां हमारा। ये ठीक भी बहुत है, एथलिट सारे जागे ,क्रिकेट में जीतत...

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स्मृति शेष By Namita Gupta

पिता की अचानक हुई मृत्यु से मैं बहुत व्यथित हो गई । इस झटके को मैं काफी समय तक भूल नहीं पाई । यह सदमा आज भी मुझे सालता है । मेरी लेखनी आज अपने उस दर्द को व्यक्त कर अपनी श्रद्धांजलि...

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पत्नी महिमा By Ajay Amitabh Suman

(१) पत्नी महिमा लाख टके की बात है भाई,सुन ले काका,सुन ले ताई।बाप बड़ा ना बड़ी है माई, सबसे होती बड़ी लुगाई। जो बीबी के चरण दबाए , भुत पिशाच निकट ना आवे।रहत निरंतर पत्नी तीरे, घटत...

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श्रंगार का सम्मोहन By Neerja Dewedy

श्रंगार का सम्मोहन ------------------------ १. प्रथम प्रणय की ऊष्मा. २. ऐ मेरे प्राण बता. ९. (अ) बन्सरी प्रीति की बज रही है विजन. (ब) आओ न मेरे...

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बिकी हुई एक कलम By Damini Yadav

1 - ताज़ा ख़बरों का बासीपन
2 - मेरी अमर कलम
3 - एक फ़ालतू से समय में
4 - बिकी हुई एक कलम
5 - यूज़ एंड थ्रो वाला भगवान
6 - आत्ममुग्ध शिखर के नाम
7 - अधर में लटके हुए विश्वासों...

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संवेदनाओं के स्वरः एक दृष्टि - 10 By Manoj kumar shukla

संवेदनाओं के स्वरः एक दृष्टि (10) बदलते समीकरण मधु मक्खियों को छेड़ना किसी समय मौत को दावत देना कहा जाता था, और शहद पाने के लिये तो उन्हें आग की लपटों में भी झुलसाया जाता था । किन्त...

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खुद के सहारे बनो तुम By Ajay Amitabh Suman

(१) मौजो से भिड़े हो पतवारें बनो तुम मौजो से भिड़े हो ,पतवारें बनो तुम,खुद हीं अब खुद के,सहारे बनो तुम। किनारों पे चलना है ,आसां बहुत पर,गिर के सम्भलना है,आसां बहुत पर,डूबे हो द...

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प्रकृति नटी का उद्दीपन By Neerja Dewedy

प्रकृति नटी का उद्दीपन. ------------------------------- १. ऋतुराज नवरंग भर जाये. २. किसलय वसना प्रकृति सुन्दरी. ३. भागीरथी के तट पर सुप्रभात. ४. भागीरथी...

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चंद पंक्तियॉं मातृभारती के लिए By Manjeet Singh Gauhar

ओ मेरे प्यारे भाग्य , तूने सच में मुझे बहुत कुछ दिया है । मेरी सभी परेशानियों और समस्याओ का हल भी तूने ही किया है ।।लेकिन अब आ गया है मेरे जीवन में तुझसे भी अच्छा साथी , मुझे...

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क्या करूँ मैं व्यंग By Lakshmi Narayan Panna

विषय सूची1.क्या करूँ मैं व्यंग2.तोते ने किया जगरात(अवधी हास्य)3.आल आउट4.नक्शेबाजी(अवधी हास्य-व्यंग)5.राम राज्य6.नई दुल्हन(अवधी हास्य)7.शिव भोले 8.इन्शान परेशान है 10.ईशक़ब...

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बिटिया थोड़ी बड़ी हो गयी है (अप्रैल २०१९) By महेश रौतेला

बिटिया थोड़ी बड़ी हो गयी है(अप्रैल २०१९)१.थोड़ा बड़ा कर दो राजनीतिकि ठंडी ,बेहद ठंडी  रातों मेंकिसान उसे ताप सकें।जवान उसे जी सकेंबेरोजगार उसे पा सकें,शिक्षा उसे माप सके।ओ राजनीति...

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क्षणभर By महेश रौतेला

१.बेटी से संवादतुम्हारा हँसना, तुम्हारा खिलखिलाना,तुम्हारा चलना,तुम्हारा मुड़ना , तुम्हारा नाचना ,बहुत दूर तक गुदगुदायेगा।मीठी-मीठी बातें ,समुद्र की तरह उछलना,आकाश को पकड़ना ,हवा की...

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कविताएं By Shailendra Chauhan

- शैलेन्द्र चौहान दया : दलित संदर्भ में सोचता रहा हूँ सारी रात औरों के द्वारा की गई दया के बारे में किस किस पिजन होल में रखी है कितनी और किस तरह की दया न जाने कितने दयालु देखे...

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मेरी तूटी फूटी ग़ज़लें..! By Parmar Bhavesh

1. प्यार कब था..!आप के लिए प्यारके अलावा ही! सब था !हमारे लिए प्यारके अलावा कुछ कब था ?खुदा भी तुम और भगवान भी तुम ही थे !तुमको ही माना, ऊपर वाला कहाँ रब था ?क्या बताऊँ तुमको तुम क...

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इक उधार सी ज़िन्दगी... By Haider Ali Khan

#इक उधार सी ज़िन्दगी... तुझको खो कर बचा ही किया था, ज़िन्दगी में..! खोने के लिए..बस इक उधार सी ज़िन्दगी जी रहा था..तेरी यादों का कर्ज़ लिए..माफ़ करना तेरी यादों को हम यूँ ही बुला लेते ह...

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बेटियाँ - शर्म नहीं सम्मान है..... By Satender_tiwari_brokenwordS

1. वो दौर-----------न जाने वो कैसा दौर रहा होगा जब बेटियों के पैदा होने पर घर गाँव मे सन्नाटा छा जाता थाकहीं मातम भारी शाम होती थीकहीँ पर बेटियों को दफना दिया जाता थान जाने वो कैसा...

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हे मधुकर... By pradeep Kumar Tripathi

1. हे मधुकर हे मधुकर थारो चरण पकड़ी के झुलहुँ।या चरनन के भगति बहुत हैं जो वा चरनन को छूलौ।।हे मधुकर थारो चरन पकड़ी के झुलहुँ...हे मधुकर थारो रंग म्हारे दिल को ले हैं छुलहुँ।या रंग के...

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ज्ञान और मोह By Ajay Amitabh Suman

(1) ज्ञान और मोह दो राही चुप चाप चल रहे,ना नर दोनों एक समान,एक मोह था लोभ पिपासु ,औ ज्ञान को निज पे मान। कल्प गंग के तट पे दोनों,राही धीरे चले पड़े ,एक साथ थे दोनों किंतु, मन...

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दिल मेरा By अmit Singh

देखा तुमको जब प्रथम बार, चांदनी में चमकता रूप तेरा। फिर जब देखूं मैं तेरा ख्वाब, जोरों से धड़कत...

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चलोगे क्या फरीदाबाद? By Ajay Amitabh Suman

(१) चलोगे क्या फरीदाबाद? रिक्शेवाले से लाला पूछा, चलोगे क्या फरीदाबाद ?उसने कहा झट से उठकर, हाँ तैयार हूँ भाई साब. हाँ तैयार हूँ भाई साब कि,लाए क्या अपने साथ हैं?तोंद उठाकर लाल...

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मेरी चार कविताए By Dr Narendra Shukl

घोटालेवाला सर्दी की एक सुबह जब मैं धूप में बैठा ‘क्लासीफाइड‘ में नौकरी तलाश कर रहा था - अचानक , गली से आती हुई , एक आवाज़ कानों से टकराई । रातों -रात अमीर बनाने वाला स्वर्ग की...

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ऐ जिंदगी........... By pradeep Kumar Tripathi

1.ऐ जिंदगी आ तुझे कुछ इस तरह से, आजमाया जाए।।मैं जिन्दा भी रहूँ और, मर कर के दिखाया जाए।।वो मुझसे नाराज है, मालूम है मुझको।चल उसकी नाराजगी को, थोड़ा और बढ़ाया जाए।।वो नाराज...

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दरिया - एक ग़ज़ल संग्रह By रामानुज दरिया

नाम - राम अनुज तिवारी , s/o- श्याम सगुन तिवारी, ग्राम- दरियापुर माफी,पोस्ट - देवरिया अलावल, जिला- गोण्डा,अवध उत्तर प्रदेश. "दरिया" यह एक ग़ज़ल संग्रह है.

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शब्दों की कहानी By Satender_tiwari_brokenwordS

1.जय जवान तू वीर है, तू चट्टान है, तू मेरा अभिमान हैतू ही पहचान मेरी है, तू मेरा स्वाभिमान है।।कुछ लिखकर गर अदा कर सकूँ तेरा कर्ज़मेरा सुकूने ज़िन्दगी पर जो तेरा एहसान है।।इस बार जश्...

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एक दिन... By Sarvesh Saxena

एक दिन मैं उदास कहीं जा रहा था,उदासी में ही कोई उदास गीत गा रहा था,थक कर एक पेड़ की छांव में बैठ गया, सोचने लगा कि ये क्या हो गया... अचानक किसी की हंसी सुनाई पड़ी, मुड़कर देखा तो ह...

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दिलकी बाते - २ By Vrishali Gotkhindikar

..दिलके राज ..! दिलके हसीन राज किसीको बताये कैसे ,...

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दिया की कलम से इश्किया By Divya Modh

तुझे भूलाकर अब...तेरी यादों से निकलकर अब, में खुदमे खोना चाहती हूं तुझे भूलाकर अब ,में खुद को पाना चाहती हूं। चल जब गिनवा ही दी है तूने मुझ को कमिया मेरी तो बि...

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माँ: एक गाथा - भाग - 2 By Ajay Amitabh Suman

ये माँ पे लिखा गया काव्य का दूसरा भाग है . पहले भाग में माँ की आत्मा का वर्णन स्वर्ग लोक के ईह लोक तक , फिर गर्भधारण , तरुणी , नव विवाहिता से माँ बनने तक लिया गया है . प्रस्तुत है...

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भोजपुरी माटी By Radheshyam Kesari

आइल गरमी ------------- सूरज खड़ा कपारे आइल, गर्मी में मनवा अकुलाइल। दुपहरिया में छाता तनले, बबूर खड़े सीवान। टहनी,टहनी बया चिरईया, डल्ले रहे मचान। उ बबूर के तरवां मनई, बैईठ ,बैईठ सुस...

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अल्हड़ By Mukteshwar Prasad Singh

तेज छिटकती बिजलीबादलों की गडगडाहटहवा के झूले पर डोलतीवारिस की बूंदें आ बैठती हैचेहरे पर।जलकणों से भीगता रोम रोम और सांसेंउतावली।बार बार तेज चमक से चौंकचुंधियाती आंखें मूंद जाती हैं...

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शायराना कलाम By Dr Gayathri Rao

शायराना कलम - कुछ भावनाये,कुछ एहसास,...मेरी शायरी के कुछ नगीने जो आप सबको पेश करती हु.

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ज्यादा बदलाव चाहोगे तो पीट दिये जाओगे (जुलाई २०१९) By महेश रौतेला

जुलाई २०१९१.ज्यादा बदलाव चाहोगे तोपीट दिये जाओगे,अधिक परिवर्तन चाहोगे तोमार दिये जाओगे,बहुत सुधार चाहोगे तोजेल भेज दिये जाओगे!मांगने पर कौरवों नेपाँच गांव भी नहीं दिये थे,और तुम जन...

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थोड़े से तो थोड़े से, हम बदले तो है..! By Akshay Mulchandani

शायद, हम थोड़े से, अब बड़े हो गए है..। उसके ऑनलाइन आने की राह, हम आज भी देखते है, जैसे कुछ साल पहले देखा करते थे..! पर थोड़ा सा तो थोड़ा सा, हम बदले तो है ।---------------------------...

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व्यवधान By Ajay Amitabh Suman

एक फूल का मिट जाना हीं उपवन का अवसान नहीं,एक रोध का टिक जाना हीं विच्छेदित अवधान नहीं । जिन्हें चाह है इस जीवन में स्वर्णिम भोर उजाले की,उन राहों पे स्वागत करते घटाटोप अन्धियारे भी...

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तेरा घमंड By Manjeet Singh Gauhar

मत कर इतना घमंड , ऐ तू ना-समझ इंसानतेरा घमंड ही एक दिन तुझे हरायेगा ।मेरा बारे में तू सोचना छोड़ देमैं क्या हूँ , ये तुझे वक़्त बतायेगा ।।. .तू कितना भी कमाले , धन-दौलत ये सब...

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मैं तो बस इतना चाहूँ By Ajay Amitabh Suman

(१) मैं तो बस इतना चाहूँ हाँ मैं बस कहना चाहूँ,हाँ मैं बस लिखना चाहूँ,जो नभ में थल में तारों में,जो सूरज चाँद सितारों में। सागर के अतुलित धारों में,और सौर मंडल हजारों में,जो...

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गजल - वतन पर मिटने का अरमान By DrAnamika

" गरीब हूँ साहब" **************************"भीगे हुए अरमान आज रोने को है|मत रोको गरीबी को, पेट के बल भूखा मानव अब सोने को है"||"वक्त गुजर गए इंसान फरिश्ता...

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राख़ By Ajay Amitabh Suman

(१) ये कविता मैंने आदमी की फितरत के बारे में लिखा है . आदमी की फितरत ऐसी है कि इसकी वासना मृत्यु पर्यन्त भी बरकरार रहती है. ये मृत्यु के बाद भी ईक्छा करता है कि मारने के बाद उसकी...

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नर या मादा By Ajay Amitabh Suman

(१) माना कि समय के साथ बदलना वक्त की मांग है . पर आधुनिकीकरण और फैशन के नाम पे किसी तरह का पोशाक धारण करना , किसी तरह के हाव भाव रखना , किसी तरह की भाव भंगिमा बनाना , आजकल के य...

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कैसे कहूँ है बेहतर, हिन्दुस्तां हमारा? By Ajay Amitabh Suman

(१) कैसे कहूँ है बेहतर ,हिन्दुस्तां हमारा? कह रहे हो तुम ये , मैं भी करूँ ईशारा,सारे जहां से अच्छा , हिन्दुस्तां हमारा। ये ठीक भी बहुत है, एथलिट सारे जागे ,क्रिकेट में जीतत...

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स्मृति शेष By Namita Gupta

पिता की अचानक हुई मृत्यु से मैं बहुत व्यथित हो गई । इस झटके को मैं काफी समय तक भूल नहीं पाई । यह सदमा आज भी मुझे सालता है । मेरी लेखनी आज अपने उस दर्द को व्यक्त कर अपनी श्रद्धांजलि...

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पत्नी महिमा By Ajay Amitabh Suman

(१) पत्नी महिमा लाख टके की बात है भाई,सुन ले काका,सुन ले ताई।बाप बड़ा ना बड़ी है माई, सबसे होती बड़ी लुगाई। जो बीबी के चरण दबाए , भुत पिशाच निकट ना आवे।रहत निरंतर पत्नी तीरे, घटत...

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श्रंगार का सम्मोहन By Neerja Dewedy

श्रंगार का सम्मोहन ------------------------ १. प्रथम प्रणय की ऊष्मा. २. ऐ मेरे प्राण बता. ९. (अ) बन्सरी प्रीति की बज रही है विजन. (ब) आओ न मेरे...

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बिकी हुई एक कलम By Damini Yadav

1 - ताज़ा ख़बरों का बासीपन
2 - मेरी अमर कलम
3 - एक फ़ालतू से समय में
4 - बिकी हुई एक कलम
5 - यूज़ एंड थ्रो वाला भगवान
6 - आत्ममुग्ध शिखर के नाम
7 - अधर में लटके हुए विश्वासों...

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संवेदनाओं के स्वरः एक दृष्टि - 10 By Manoj kumar shukla

संवेदनाओं के स्वरः एक दृष्टि (10) बदलते समीकरण मधु मक्खियों को छेड़ना किसी समय मौत को दावत देना कहा जाता था, और शहद पाने के लिये तो उन्हें आग की लपटों में भी झुलसाया जाता था । किन्त...

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खुद के सहारे बनो तुम By Ajay Amitabh Suman

(१) मौजो से भिड़े हो पतवारें बनो तुम मौजो से भिड़े हो ,पतवारें बनो तुम,खुद हीं अब खुद के,सहारे बनो तुम। किनारों पे चलना है ,आसां बहुत पर,गिर के सम्भलना है,आसां बहुत पर,डूबे हो द...

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प्रकृति नटी का उद्दीपन By Neerja Dewedy

प्रकृति नटी का उद्दीपन. ------------------------------- १. ऋतुराज नवरंग भर जाये. २. किसलय वसना प्रकृति सुन्दरी. ३. भागीरथी के तट पर सुप्रभात. ४. भागीरथी...

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चंद पंक्तियॉं मातृभारती के लिए By Manjeet Singh Gauhar

ओ मेरे प्यारे भाग्य , तूने सच में मुझे बहुत कुछ दिया है । मेरी सभी परेशानियों और समस्याओ का हल भी तूने ही किया है ।।लेकिन अब आ गया है मेरे जीवन में तुझसे भी अच्छा साथी , मुझे...

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क्या करूँ मैं व्यंग By Lakshmi Narayan Panna

विषय सूची1.क्या करूँ मैं व्यंग2.तोते ने किया जगरात(अवधी हास्य)3.आल आउट4.नक्शेबाजी(अवधी हास्य-व्यंग)5.राम राज्य6.नई दुल्हन(अवधी हास्य)7.शिव भोले 8.इन्शान परेशान है 10.ईशक़ब...

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बिटिया थोड़ी बड़ी हो गयी है (अप्रैल २०१९) By महेश रौतेला

बिटिया थोड़ी बड़ी हो गयी है(अप्रैल २०१९)१.थोड़ा बड़ा कर दो राजनीतिकि ठंडी ,बेहद ठंडी  रातों मेंकिसान उसे ताप सकें।जवान उसे जी सकेंबेरोजगार उसे पा सकें,शिक्षा उसे माप सके।ओ राजनीति...

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