hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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पूर्ण-विराम से पहले....!!! - 22 By Pragati Gupta

पूर्ण-विराम से पहले....!!! 22. शिखा यथार्थ को कुछ-कुछ महसूस कर रही थी....तभी खुद को भविष्य के लिए मानसिक रूप से तैयार कर रही थी| बहुत अपेक्षाएं करना समीर और शिखा की आदतों में नहीं...

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गवाक्ष - 27 By Pranava Bharti

गवाक्ष 27== यह निरीह कॉस्मॉस जहाँ भी जाता, वहीं से अपने भीतर एक नई संवेदना भरकर ले आता । भयभीत भी था किन्तु बेबस भी। उसकी बुद्धि में कुछ भी नहीं आ रहा था, वह क्या करे? मंत्...

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गूंगा गाँव - 10 By रामगोपाल तिवारी (भावुक)

गूंगा गाँव 10 समाज में दो वर्ग स्पष्ट दिख रहे हैं। एक शोषक वर्ग दूसरा शोषित वर्ग। आज समाज में ऐसे जनों की आवश्यकता है जो पीड़ित जन-जीवन में जूझने के प्राण भर सकें। यह काम कर सकत...

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मृत्‍यु किस्‍तों में By Ramnarayan Sungariya

कहानी-- Mrreduy thatirits में आर। एन। सुनगरया '' कितना ही सोचूँ ..... पर कह नहीं पाती ..... ''...

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कमल पत्ते-सा हरा-भरा गाँव  By कल्पना मनोरमा

अभी दीवाली के दिन आये नहीं हैं और हवा में ठंडक आ गयी है | ये बदलाव प्रकृति के समृद्ध होने का सूचक ही कहा जाएगा क्योंकि अभी तो ये आते हुए सितम्बर की शाम है और बहती हवा में सर्द खुनक...

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आउटडेटिड By Anju Sharma

आउटडेटिड दोपहर बीत चुकी थी! ये उनके एक नींद लेकर जागने का समय था जो अब आती ही कहाँ है! उम्र का तकाजा ही है, कमबख्त ये भी गच्चा दे देती है! किस्से सुनने के लिए उन्हें घेरकर बैठे बच...

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बकरा By Aatish Alok

'दादाजी एक कहानी सुनाओ न...प्लीज़,बहुत दिन हो गए आपसे कहानी सुने हुए।' कीर्ति बोली। 'बाद में बेटा ,अभी नहीं!' रामावतार व्यस्त था सो बोला। 'अच्छा दादाजी ,आपका एक पैर का क्या हुआ?भेड़ि...

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अंतिम पूँजी By Pavitra Agarwal

अंतिम पूँजी पवित्रा अग्रवाल अनूप बहुत गुस्से में था, वह आँगन से ही बोलता हुआ आया -- 'माँ सुना आपने अभी वह क्या कहा रहा था ?' बिना पूछे ही मैं समझ गई कि वह किसके विषय में कह...

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बना रहे यह अहसास - 10 - अंतिम भाग By Sushma Munindra

बना रहे यह अहसास सुषमा मुनीन्द्र 10 पंचानन अस्पताल न जाकर होटेल आया। अपने कमरे में गया। एहतियात से रखे अम्मा के हस्ताक्षरयुक्त विदड्रावल फार्म को थरथराती ऊॅंगलियों से थाम लिया। फार...

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आखा तीज का ब्याह - 7 By Ankita Bhargava

आखा तीज का ब्याह (7) जाने अनजाने प्रतीक और वासंती की दोस्ती कुछ अलग मोड़ लेने लगी थी| उन्हें एक दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा था| उनके दोस्त भी अब उन दोनों के बारे में बातें करने लगे...

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गोधूलि - 3 By Priyamvad

गोधूलि (3) जिस दिन वह गांव में आता सारे जानवर इकट्‌ठा किए जाते थे। उत्साह होता था। जानवर उसे पहचानते थे। भागते थे, पर पकड़ लिए जाते थे। घोड़े, सुअर, मुर्गे, बकरों के अंडकोश से राजाओं...

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30 शेड्स ऑफ बेला - 14 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 14 by Rajlaxmi Tripathi राजलक्ष्मी त्रिपाठी जुड़ रहे हैं दो किनारे बेला एकटक खिड़की से बाहर देख रही थी। रात होने को थी। जबसे रि...

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यारबाज़ - 14 By Vikram Singh

यारबाज़ विक्रम सिंह (14) मुख्यमंत्री तक पहुंच गई तुरंत ही मुख्यमंत्री ने श्रम अधिकारी से बात की ,आप मैनेजमेंट से बात कर जल्द से जल्द मामला शांत कीजिए युवा वर्ग वहां आकर बैठ गया है।...

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राम रचि राखा - 6 - 2 By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा (2) उस दिन जब मुन्नर दिशा फराकत से लौटे, भैया कुएँ पर नहा रहे थे। जल्दी जाना था। एक रिश्तेदारी में किसी का देहांत हो चुका था। सोच रहे थे जल्दी निकल लूँ। बीस कोस साईकिल...

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बात बस इतनी सी थी - 9 By Dr kavita Tyagi

बात बस इतनी सी थी 9 लगभग तीन महीने बीतने के बाद एक दिन मेरे मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आयी । मेरे कॉल रिसीव करने पर उधर से एक लड़की बोली - "हैलो ! जीजू नमस्ते ! मैं रंजना बोल र...

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उत्तरकथा अर्थात तुम कहीं नहीं हो .... शेखर !! By Prabhat Milind

उत्तरकथा अर्थात तुम कहीं नहीं हो .... शेखर !! “पहला प्यार जैसे महकी बयार.... पहला प्यार लाए जीवन मे बहार....पहला प्यार....”. जब कभी टेलीविजन खोलती हूँ तो किसी साबुन के विज्ञापन में...

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यादों के झरोखों से-निश्छल प्रेम By Asha Saraswat

छोटे-छोटे बल्बों की झालरों से घर और दरवाज़े झिलमिला रहे थे ।जैसे हर नन्हा बल्ब दुल्हन की ख़ुशी का इज़हार कर रहा हो।मैं उन्हें निहारकर उनमें अपनी मॉं के हंसते मुस्कुराते चेहरे को मह...

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खनार (खण्डहर) By डा.कुसुम जोशी

खनार (खण्डहर) रमा कान्त उर्फ रमदा के बिल्कुल सड़क से सटे घर के आंगन में कार को पार्क कर उनकी छोटी सी परचून की दुकान में उनसे मुलाकात करने के लिये आगे बढ़ गया, बचपन में एक ही स्कूल...

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गूगल बॉय - 3 By Madhukant

गूगल बॉय (रक्तदान जागृति का किशोर उपन्यास) मधुकांत खण्ड - 3 गूगल की आई.टी.आई.में इस वर्ष सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इसी संदर्भ में उसके अध्याप...

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एनीमल फॉर्म - 5 By Suraj Prakash

एनीमल फॉर्म जॉर्ज ऑर्वेल अनुवाद: सूरज प्रकाश (5) सर्दियों के नजदीक आने के साथ-साथ मौली और अधिक उत्पाती होती चली गयी। वह रोज सुबह काम के लिए देर से पहुंचती। वह बहाना यह लगाती कि वह...

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जिंदगी मेरे घर आना - 6 By Rashmi Ravija

जिंदगी मेरे घर आना भाग – ६ नेहा की आँखें खुली तो पसीने से तर-ब-तर थी... ओह! ये पावरकट तो जान लेकर रहेगा एक दिन... पता नहीं कब किताब पढ़ते-पढ़ते आँख लग गई थी उसकी। बहुत देर तक ठंढे पा...

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इक समंदर मेरे अंदर - 8 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (8) वह ललक कर उस दुकान पर गई थी और उसने दो मीटर कपड़ा कटवा लिया था। दुकानदार ने कहा भी था - मैडम, यह गादी भरने के काम आता है। और उसने कहा था – ‘पैसा द...

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जय हिन्द की सेना - 10 By Mahendra Bhishma

जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म दस अपने पूर्व निर्धारित समय पर भारतीय जवानों की एक टुकड़ी जिसमें तीन कम्पनियाँ सम्मिलित थीं, मेजर पाण्डेय के नेतृत्व में सेना के सोलह ट्रकों में गोला...

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CORONA@2020 By Kalyan Singh

आज हम सभी देशवासिओं को इस मुश्किल के दौर में एक दूसरे का सहारा बनने की जरूरत है। हम लड़ेंगे ... और तब तक लड़ेंगे जब तक इस महामारी पर जीत हासिल नहीं कर लेते।इसीलिए सरकार ने इसे रो...

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बीता हुआ कल By Gopal Mathur

बीता हुआ कल गोपाल माथुर रात शाम की दहलीज पर आते आते ठिठक गई थी. शाम ने उसे रोक रखा था. पर केवल रात ही नहीं, बहुत कुछ ठिठका हुआ था. लग रहा था कि ठिठके हुए इस समय से अलग भी कोई अन्य...

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नश्तर खामोशियों के - 2 By Shailendra Sharma

नश्तर खामोशियों के शैलेंद्र शर्मा 2. प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं की पहली क्लास थी. मैं बैठी थी वैसे ही - रोज़ की तरह खामोश,अपने को कहीँ भी एडजस्ट न कर पाने की झुंझलाहट और क्षोभ से...

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अपने-अपने इन्द्रधनुष - 4 By Neerja Hemendra

अपने-अपने इन्द्रधनुष (4) कई दिनों के उपरान्त विक्रान्त आज काॅलेज में दिखाई दिया। मुझे वह बदला-बदला सा लगा। चेहरे पर बेतरतीब-सी उगी दाढ़ी जैसे कई दिनों से समय न मिला हो शेव करने का।...

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कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर - 18 - अंतिम भाग By Neena Paul

कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर 18 "तो फिर मैं क्या करूँ बताइए। मेरे भी तो बेटी को लेकर कई अरमान हैं," सरोज आँखों में आँसू भर कर बोली। "इस माहौल में पले-बढ़े बच्चों के लिए यह आँसू बहाना स...

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स्थानांतरण By Deepak sharma

स्थानांतरण “बधाई हो,” प्रधानाचार्य ने मेरे तबादले के सरकारी निर्देश मेरे हाथ से लिए और तीन बार पढ़कर मेज पर धर दिए, “तुम्हारी दौड़-धूप आखिर सफल हो ही गई| अब तो तुम्हें पूरी एक किलो क...

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सड़क पार की खिड़कियाँ - 1 By Nidhi agrawal

सड़क पार की खिड़कियाँ डॉ. निधि अग्रवाल (1) ज्यों दुनिया के अधिकतर देशों में सेकंड स्ट्रीट होती है, ज्यों हर हिल स्टेशन पर मॉल रोड, वैसे ही यह एक चमचमाती नई सड़क है जो लगभग हर गाँव, हर...

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क्षितिज पार By Priyadarshini

क्षितिज पार घर में घुसते ही मिसेज सिंह ने महिम के गालों पर झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया जिससे दूध का पूरा गिलास उसके नन्हें हाथों से छिटक कर दूर जा गिरा । और समूचा संगमरमरी फर्श...

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समय के गर्भ में By Rajesh Malik

समय के गर्भ में राजेश मलिक पृथ्वी की डोर आसमान के हाथ में थी। वह जिसे चाहे इधर और जिसे चाहे उधर कर दें। पृण्य घट और पाप बढ़ रहा था। मुल्क, ज़मीन, परिवार कई हिस्सों मेंबट गये थे। चारो...

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आपकी आराधना - 2 By Pushpendra Kumar Patel

अतीत के कुछ अनसुलझे रहस्य जो बदल देंगे आराधना की जिन्दगी.....

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पूर्ण-विराम से पहले....!!! - 22 By Pragati Gupta

पूर्ण-विराम से पहले....!!! 22. शिखा यथार्थ को कुछ-कुछ महसूस कर रही थी....तभी खुद को भविष्य के लिए मानसिक रूप से तैयार कर रही थी| बहुत अपेक्षाएं करना समीर और शिखा की आदतों में नहीं...

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गवाक्ष - 27 By Pranava Bharti

गवाक्ष 27== यह निरीह कॉस्मॉस जहाँ भी जाता, वहीं से अपने भीतर एक नई संवेदना भरकर ले आता । भयभीत भी था किन्तु बेबस भी। उसकी बुद्धि में कुछ भी नहीं आ रहा था, वह क्या करे? मंत्...

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गूंगा गाँव - 10 By रामगोपाल तिवारी (भावुक)

गूंगा गाँव 10 समाज में दो वर्ग स्पष्ट दिख रहे हैं। एक शोषक वर्ग दूसरा शोषित वर्ग। आज समाज में ऐसे जनों की आवश्यकता है जो पीड़ित जन-जीवन में जूझने के प्राण भर सकें। यह काम कर सकत...

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मृत्‍यु किस्‍तों में By Ramnarayan Sungariya

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कमल पत्ते-सा हरा-भरा गाँव  By कल्पना मनोरमा

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आउटडेटिड By Anju Sharma

आउटडेटिड दोपहर बीत चुकी थी! ये उनके एक नींद लेकर जागने का समय था जो अब आती ही कहाँ है! उम्र का तकाजा ही है, कमबख्त ये भी गच्चा दे देती है! किस्से सुनने के लिए उन्हें घेरकर बैठे बच...

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बकरा By Aatish Alok

'दादाजी एक कहानी सुनाओ न...प्लीज़,बहुत दिन हो गए आपसे कहानी सुने हुए।' कीर्ति बोली। 'बाद में बेटा ,अभी नहीं!' रामावतार व्यस्त था सो बोला। 'अच्छा दादाजी ,आपका एक पैर का क्या हुआ?भेड़ि...

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अंतिम पूँजी By Pavitra Agarwal

अंतिम पूँजी पवित्रा अग्रवाल अनूप बहुत गुस्से में था, वह आँगन से ही बोलता हुआ आया -- 'माँ सुना आपने अभी वह क्या कहा रहा था ?' बिना पूछे ही मैं समझ गई कि वह किसके विषय में कह...

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बना रहे यह अहसास - 10 - अंतिम भाग By Sushma Munindra

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आखा तीज का ब्याह - 7 By Ankita Bhargava

आखा तीज का ब्याह (7) जाने अनजाने प्रतीक और वासंती की दोस्ती कुछ अलग मोड़ लेने लगी थी| उन्हें एक दूसरे का साथ अच्छा लगने लगा था| उनके दोस्त भी अब उन दोनों के बारे में बातें करने लगे...

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गोधूलि - 3 By Priyamvad

गोधूलि (3) जिस दिन वह गांव में आता सारे जानवर इकट्‌ठा किए जाते थे। उत्साह होता था। जानवर उसे पहचानते थे। भागते थे, पर पकड़ लिए जाते थे। घोड़े, सुअर, मुर्गे, बकरों के अंडकोश से राजाओं...

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30 शेड्स ऑफ बेला - 14 By Jayanti Ranganathan

30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 14 by Rajlaxmi Tripathi राजलक्ष्मी त्रिपाठी जुड़ रहे हैं दो किनारे बेला एकटक खिड़की से बाहर देख रही थी। रात होने को थी। जबसे रि...

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यारबाज़ - 14 By Vikram Singh

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राम रचि राखा - 6 - 2 By Pratap Narayan Singh

राम रचि राखा (2) उस दिन जब मुन्नर दिशा फराकत से लौटे, भैया कुएँ पर नहा रहे थे। जल्दी जाना था। एक रिश्तेदारी में किसी का देहांत हो चुका था। सोच रहे थे जल्दी निकल लूँ। बीस कोस साईकिल...

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बात बस इतनी सी थी 9 लगभग तीन महीने बीतने के बाद एक दिन मेरे मोबाइल पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आयी । मेरे कॉल रिसीव करने पर उधर से एक लड़की बोली - "हैलो ! जीजू नमस्ते ! मैं रंजना बोल र...

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छोटे-छोटे बल्बों की झालरों से घर और दरवाज़े झिलमिला रहे थे ।जैसे हर नन्हा बल्ब दुल्हन की ख़ुशी का इज़हार कर रहा हो।मैं उन्हें निहारकर उनमें अपनी मॉं के हंसते मुस्कुराते चेहरे को मह...

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खनार (खण्डहर) By डा.कुसुम जोशी

खनार (खण्डहर) रमा कान्त उर्फ रमदा के बिल्कुल सड़क से सटे घर के आंगन में कार को पार्क कर उनकी छोटी सी परचून की दुकान में उनसे मुलाकात करने के लिये आगे बढ़ गया, बचपन में एक ही स्कूल...

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गूगल बॉय - 3 By Madhukant

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जिंदगी मेरे घर आना - 6 By Rashmi Ravija

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इक समंदर मेरे अंदर - 8 By Madhu Arora

इक समंदर मेरे अंदर मधु अरोड़ा (8) वह ललक कर उस दुकान पर गई थी और उसने दो मीटर कपड़ा कटवा लिया था। दुकानदार ने कहा भी था - मैडम, यह गादी भरने के काम आता है। और उसने कहा था – ‘पैसा द...

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जय हिन्द की सेना - 10 By Mahendra Bhishma

जय हिन्द की सेना महेन्द्र भीष्म दस अपने पूर्व निर्धारित समय पर भारतीय जवानों की एक टुकड़ी जिसमें तीन कम्पनियाँ सम्मिलित थीं, मेजर पाण्डेय के नेतृत्व में सेना के सोलह ट्रकों में गोला...

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CORONA@2020 By Kalyan Singh

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बीता हुआ कल By Gopal Mathur

बीता हुआ कल गोपाल माथुर रात शाम की दहलीज पर आते आते ठिठक गई थी. शाम ने उसे रोक रखा था. पर केवल रात ही नहीं, बहुत कुछ ठिठका हुआ था. लग रहा था कि ठिठके हुए इस समय से अलग भी कोई अन्य...

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नश्तर खामोशियों के - 2 By Shailendra Sharma

नश्तर खामोशियों के शैलेंद्र शर्मा 2. प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं की पहली क्लास थी. मैं बैठी थी वैसे ही - रोज़ की तरह खामोश,अपने को कहीँ भी एडजस्ट न कर पाने की झुंझलाहट और क्षोभ से...

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अपने-अपने इन्द्रधनुष - 4 By Neerja Hemendra

अपने-अपने इन्द्रधनुष (4) कई दिनों के उपरान्त विक्रान्त आज काॅलेज में दिखाई दिया। मुझे वह बदला-बदला सा लगा। चेहरे पर बेतरतीब-सी उगी दाढ़ी जैसे कई दिनों से समय न मिला हो शेव करने का।...

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कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर - 18 - अंतिम भाग By Neena Paul

कुछ गाँव गाँव कुछ शहर शहर 18 "तो फिर मैं क्या करूँ बताइए। मेरे भी तो बेटी को लेकर कई अरमान हैं," सरोज आँखों में आँसू भर कर बोली। "इस माहौल में पले-बढ़े बच्चों के लिए यह आँसू बहाना स...

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स्थानांतरण By Deepak sharma

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सड़क पार की खिड़कियाँ - 1 By Nidhi agrawal

सड़क पार की खिड़कियाँ डॉ. निधि अग्रवाल (1) ज्यों दुनिया के अधिकतर देशों में सेकंड स्ट्रीट होती है, ज्यों हर हिल स्टेशन पर मॉल रोड, वैसे ही यह एक चमचमाती नई सड़क है जो लगभग हर गाँव, हर...

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क्षितिज पार By Priyadarshini

क्षितिज पार घर में घुसते ही मिसेज सिंह ने महिम के गालों पर झन्नाटेदार थप्पड़ रसीद कर दिया जिससे दूध का पूरा गिलास उसके नन्हें हाथों से छिटक कर दूर जा गिरा । और समूचा संगमरमरी फर्श...

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समय के गर्भ में By Rajesh Malik

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आपकी आराधना - 2 By Pushpendra Kumar Patel

अतीत के कुछ अनसुलझे रहस्य जो बदल देंगे आराधना की जिन्दगी.....

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