hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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संयोग--मुराद मन की - 2 By Kishanlal Sharma

उस दिन के बाद अनुराग को रोज तीनो लडकिया नज़र आने लगी।वे तीनों लडकिया कहां जाती है?इस बात का पता करने के लिए एक दिन उसने उनका पीछा किया।तब उसे पता चला तीनो लडकिया किरन होटल जाती है।य...

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इन्तजार एक हद तक - 10 - (महामारी) By RACHNA ROY

रमेश बोला देखो हमें बहुत ही जरूरी है वो आशा से मिलना।अमित बोला अरे मामाजी आप।मामा जी बोले अच्छा एक बार मुझे डिन से मिलना है।फिर कुछ देर बाद डिन के आफिस में ये लोग पहुंचे गए।मामा जी...

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मुझे बचाओ !! - 1 By Brijmohan sharma

(लड़कियों से) (मीटू पुरुष) ब्रजमोहन शर्मा (1) ( एक खूबसूरत शर्मीले अध्यापक को उसके स्टाफ व छात्राओं द्वारा परेशान किए जाने की मनोरंजक दास्तान ) १ उसके अनुसार सारे दुखों की जड़ विवाह...

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नकली गहनें By SHAMIM MERCHANT

"चाचाजी, नेहा के लिए, शादी के गहने मेरी तरफ से।""लेकिन बेटा, ये तो बहुत ज़्यादा है। तुम इतना बोझ अपने सिर पर मत लो, मैं कुछ न कुछ बन्दोबस्त कर लूंगा।"परन्तु, गनेश ने अपने चाचाजी की...

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इस सुबह को नाम क्या दूँ - महेश कटारे - 4 - अंतिम भाग By राज बोहरे

महेश कटारे - इस सुबह को नाम क्या दूँ 4 फट-फट फटक, फटक फट फट की दनदनाती आवाज़ के साथ प्रवेश द्वार पर वजनी एन्फील्ड़ मोटर-साईकिल चमकी और मैदान में अपनी भरपूर आवाज़ घोषित करती हु...

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कुछ अल्फाज खामोश क्यों?? - 1 - क्या मैं लड़की हूं ? By Bushra Hashmi

वह केवल एक राज़ था जिसे मैं जानना चाहती थी मेरे अंदर जो छिपा था । मैं खुद अपने अंदर के बदलाव से दंग थी ना जाने कैसी असमंजस थी वो जिससे निकालना मेरे लिए मुश्किल सा होता जा रहा था ।श...

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जिंदगी और जंग By Anand Tripathi

जिंदगी और जंग की कहानी बड़ी विचित्र है। जीवन की धुरी पर एक साथ वर्षो तक घूर्णन करना कोई खेल नहीं है। बस एक अनुमान ही है जिसके सहारे इंसान ने विज्ञान को पाया है। जिंदगी में जिंदा रह...

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सर्कस - 3 - अंतिम भाग By Keval Makvana

हार्दिक ने उर्मी को मार डाला था। सभी कलाकार हैरान थे कि जिस जोड़े की शादी को एक महीने से भी कम समय हुआ था, वह टूट गया और पति ने अपनी पत्नी को मार डाला। हार...

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मिडल क्लास - 1 By Jigar Joshi

अपने भारत में करीब 50% मिडल क्लास के लोग रहते हे llहर समय के चलते इसमें संख्या हर साल बधता चला। ये। वो? हे जो सपने तो इनके भी बहुत कुछ है मगर अपने जीवन में कभी कभी सफल होते...

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काश By अंजु पी केशव अना

********** सर से पाव तक नज़ाकत, अंदाज़ ऐसे कि कोई देखे तो दो पल के लिए आँखे जरूर ठहर जाए। कुछ महीनों पहले ही मिली थी मैं "मिली" से, लेकिन गहरी दोस्ती हो गई थी हमार...

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बूढ़ा मरता क्यों नही ? By Neelima Sharrma Nivia

बूढ़ा मरता क्यों नी !!!रिश्ते कितने मुश्किल होते हैं आजकल . एक जमाना था सबसे आसान रिश्ता था माँ- बाप का बच्चो से और बच्चो का माँ- बाप से ,उसके बाद भाई और बहन का उस बाद के...

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स्वीकृति - 6 By GAYATRI THAKUR

विनीता अपनी मौसेरी बहन मीनाक्षी के आने से बेहद खुश थी ,उसके आने से मानो उसके अकेलेपन का दुख जैसे कम हो गया हो ..और साथ ही अपनी मौसेरी बहन को अपनी देवरानी के रूप में देखने...

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गृहकार्य और मिमामोरू पद्धति By Anand M Mishra

कोरोना के कारण देशबंदी में शिक्षकों को पढ़ाने का ‘जुनून’ होता है तथा साथ ही वे अपने छात्रों से ‘लगन’ के साथ ‘कठोर परिश्रम’ चाहते हैं। ये बच्चों के लिए ऑफलाइन क्लास में तो ठीक है ल...

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आधार By राज कुमार कांदु

रज्जो का पति कल्लू शहर में दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था । बहुत दिन हुए उसने शहर से कुछ नहीं भेजा था । जब पिछली बार फोन किया था , निराश लग रहा था । रुआंसा होकर उसने रज्जो को बताया थ...

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सपनों की कीमत By Rama Sharma Manavi

हर चीज की कीमत चुकानी पड़ती है,सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने पर हम अक्सर अकेले रह जाते हैं, इसे सफलता का अभिशाप भी कह सकते हैं या मूल्य,यह हमारी सोच पर भी निर्भर करता है और कुछ पर...

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ये कैसी मित्रता? By Dinesh Tripathi

मित्र का शब्द बड़ा व्यापक है| इसेसखा,सखी मित,्र दोस्त आदि नाम से जाना जाता है लेकिन प्रचलन में दोस्त शब्द व्यापक है मित्रता के बाजार में एक नया शब्द अंग्रेजी का फ्रेंड ज्यादातर उपय...

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रिश्तों में फूफा-मौसा-जीजाजी की भूमिका By Anand M Mishra

भारत में रिश्ते चुनने की परम्परा रही है। प्राचीन काल में बहुत ही कम को स्वेच्छा से रिश्ते चुनने की छूट मिली थी। उदाहरण के लिए हम सावित्री, माता सीता, द्रौपदी आदि को रख सकते हैं। इन...

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शैतानियाँ By Brijmohan sharma

( कॉलेज के छात्रों की शैतानियाँ )  भूमिका  प्रस्तुत कहानी एक सत्यकथा पर आधारित है कि किस प्रकार एक बहादुर मिलिट्री रिटायर्ड प्रिंसिपल गुंडागर्दी से त्रस्त बदनाम कॉलेज को...

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“बिशुन बिशुन बार बार” – परम्परा का खोता हुआ प्रवाह By Meenakshi Dikshit

उत्तर प्रदेश के मध्य भाग में लोक पर्वों की बहुतायत है। हिंदी पंचांग के कुछ माह तो ऐसे हैं जिनमें हर एक दो दिन बाद एक लोकपर्व आ जाता है। ये पंचमी, वो षष्ठी, ये अष्टमी और इनमें से ह...

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आधुनिकता और हमारा समाज By Anand M Mishra

हम भारतीयों ने अपनी जीवन-शैली को त्याग कर पश्चिमी देशों की नकल की। कहने को ये पश्चिमी देश विकसित हैं। हमारे देश को अविकसित या विकासशील कहते हैं। मगर विकास का पैमाना सभी के लिए अलग-...

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BOYS school WASHROOM - 20 By Akash Saxena "Ansh"

अविनाश, प्रज्ञा का हाथ थामे जैसे-तैसे उसके पड़ोस के घर, गिन्नी के दरवाजे पर पहुँच ही गया। उसने कई बार ज़ोर-ज़ोर दरवाजा थप थपाया...तब जाकर गेट खुलते ही एक औरत की आवाज़ आयी-अरे! प्रज्ञा...

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एक बिनती By SHAMIM MERCHANT

"एक बिनती है आपसे। माँ को इस बारे में पता न चले।"यक़ीन नहीं हो रहा था, की मैं अपने चाचाजी के सामने, मजबूर होकर, मिन्नते कर रही थी। वह मेरी मदद ज़रूर कर रहे थे, पर सिर्फ और सिर्फ अपने...

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कोरोना और पर्यावरण By Anand M Mishra

पश्चिमी दुनिया बहुत क्रूर, निर्मम है। यह मनुष्य को औसत दर्जे का होने के लिए मजबूर करता है। यह हर कदम पर चोट पहुँचा कर दम लेता है। इस जगत में माँ-पिताजी को छोड़कर प्रायः लोग मनाते...

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पहला ब्रेकअप By Rama Sharma Manavi

बारहवीं के पश्चात नए कॉलेज में एडमिशन लेने का एक अलग ही उत्साह होता है।नया परिवेश, नए मित्र,नए रोमांच, घर के तमाम बन्धनों से आजाद युवाओं को ऐसा प्रतीत होता है कि पूरा आसमान उन...

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लड़खड़ाते कदम By Anand M Mishra

आधुनिक समय में परिवारों का सामूहिक व एकत्रित चलन बिखरा है। संयुक्त परिवार टूटकर एकल परिवार में तब्दील हुआ है। पारिवारिक सामंजस्य स्थापित न हो सका है। इस कारण आज प्रायः हर घर में वृ...

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अमलतास के फूल - 15 - अंतिम भाग By Neerja Hemendra

उसके बाद      उसकी समझ में कुछ नही आ रहा है कि वह क्या कर,े क्या न करे, कहाँ जाए? ऐसी अनुभूति हो रही है जैसे अमावस की रात हो, विस्तृत घना जंगल हो, दूर-दूर तक घुप अँघ...

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पर्वों का लोकायत स्वरूप By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

पर्वों का लोकायत स्वरूप जीवन के निरंतर स्वीकार और परिष्कार के लिए मनुष्य ने भौतिक विस्तार के साथ ही अपना दर्शन, साहित्य जैसे मानसिक और हार्दिक उपक्रम भी किए हैं । जैविक आवश्यकताओं...

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शहरी बनाम ग्रामीण By Anand M Mishra

बचपन में प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत जी की कविता भारत माता ग्रामवासिनी ...पढ़ते थे. इस कविता में ग्रामीण भारत की अवस्था का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया गया है. कवि के अनुस...

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इंस्पेक्शन - 1 By Kishanlal Sharma

ट्रिन ट्रिनफोन की घटींं बजते ही पार्सल इनचार्ज मीणा ने फोन उठाया था।फोन उठाते ही आवाज सुनाइ पड़ी,"मैं मोरया।""यस सर्।"सीनियर डी सी एम की आवाज सुनते ही मीणा अपनी आवाज में...

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ऑफ्टर कोरोना इफेक्ट्स By Rama Sharma Manavi

आजकल मिताली अपने बेटे अनल को लेकर अत्यंत चिंतित रहने लगी है।वैसे अनल एक अत्यंत समझदार एवं जहीन युवक है, जिस कार्य को करने का ठान लेता है, उसे हर हाल में पूर्ण करने का माद्दा...

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बेटी हुई है By Mayank Saxena Honey

बेटी हुई है अभी नई नई शादी हुई ही थी कि शिव अपनी धर्मपत्नी आस्था से बिना भविष्य सोचे प्रणय मिलन कर बैठा जिससे आस्था का गर्भाधान हो गया। आस्था यूँ तो घरेलु, संस्कारी और गृहकार्यों म...

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जैसे को तैसा By राज कुमार कांदु

पंडित राम सनेही एक सेवानिवृत्त शिक्षक थे। अवकाश प्राप्ति के बाद उन्होंने कस्बे के बाहर शहर को जोड़नेवाली मुख्य सड़क के किनारे दो बिस्वा जगह लेकर अपना एक छोटा सा घर बना लिया था। घर बन...

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महेश कटारे - पहरूआ By राज बोहरे

महेश कटारे -कहानी-पहरूआ गोधन की नींद टूटी तब रात आधी से उतरने लगी थी, क्योंकि सोते में जागते हुए उसे लगा था कि तीसरे पहर का पहरूआ अपने अंतिम हुंकारे भर रहा है। वैसे नींद टूटने से प...

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माहौल          By amit kumar mall

बहुत दौड़ भाग करने और सिफारिश लगाने के बाद भी शहर के इकलौते विश्वविद्यालय में प्रवेश नही मिला।उस समय सांध्य कॉलेज , सेल्फ फाइनेंस के कोर्स नही थे। ले देकर केवल एक विश्वविद्यालय...

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शादी का निमंत्रण By Anand M Mishra

कोरोना काल का समय। फोन की घंटी बजी। देखा तो बोकारो में कार्यरत भाई का फोन था। उत्सुकता से फोन उठाया। उधर से काफी प्रसन्नता से भाई ने अपने सुपुत्र के जो कि टाटा स्टील, जमशेदपुर मे...

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सामाजिक अस्वीकृत का भय प्रेम का बड़ा शत्रु । By विवेक वर्मा

प्रेम एक ऐसा विषय है जिसपर बहुत कुछ कहा और लिखा जा चुका है।अगर आप देखें तो पाएंगे की हर वक्ता,समाजसुधारक आदि अगर नैतिकता शांति जैसे विषयों पर भाषण देता हो तो वह प्रेम पर बोलता...

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ज़हरीली शराब By Rama Sharma Manavi

आज कमली काम पर वापस आ गई, कल शाम को ही फोन कर दिया था कि आँटी बर्तन मत धुलना, मैं कल सुबह से आना शुरू कर दूंगी।कल ही तेरहवीं थी उसके पति की।मैं थोड़ी हैरान तो थी,लेकिन उसकी सारी...

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सेफ्टी वाल्व By amit kumar mall

छोटी गोल, बड़ी गोल करते करते आठवीं पास होने तक , मैं गांव के प्राइमरी पाठशाला और जूनियर हाई स्कूल में पढ़ता रहा । प्राइमरी पाठशाला में पटिया , नरकट की कलम , दूधिया की दवात तथा किताब...

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संयोग--मुराद मन की - 2 By Kishanlal Sharma

उस दिन के बाद अनुराग को रोज तीनो लडकिया नज़र आने लगी।वे तीनों लडकिया कहां जाती है?इस बात का पता करने के लिए एक दिन उसने उनका पीछा किया।तब उसे पता चला तीनो लडकिया किरन होटल जाती है।य...

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इन्तजार एक हद तक - 10 - (महामारी) By RACHNA ROY

रमेश बोला देखो हमें बहुत ही जरूरी है वो आशा से मिलना।अमित बोला अरे मामाजी आप।मामा जी बोले अच्छा एक बार मुझे डिन से मिलना है।फिर कुछ देर बाद डिन के आफिस में ये लोग पहुंचे गए।मामा जी...

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मुझे बचाओ !! - 1 By Brijmohan sharma

(लड़कियों से) (मीटू पुरुष) ब्रजमोहन शर्मा (1) ( एक खूबसूरत शर्मीले अध्यापक को उसके स्टाफ व छात्राओं द्वारा परेशान किए जाने की मनोरंजक दास्तान ) १ उसके अनुसार सारे दुखों की जड़ विवाह...

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नकली गहनें By SHAMIM MERCHANT

"चाचाजी, नेहा के लिए, शादी के गहने मेरी तरफ से।""लेकिन बेटा, ये तो बहुत ज़्यादा है। तुम इतना बोझ अपने सिर पर मत लो, मैं कुछ न कुछ बन्दोबस्त कर लूंगा।"परन्तु, गनेश ने अपने चाचाजी की...

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इस सुबह को नाम क्या दूँ - महेश कटारे - 4 - अंतिम भाग By राज बोहरे

महेश कटारे - इस सुबह को नाम क्या दूँ 4 फट-फट फटक, फटक फट फट की दनदनाती आवाज़ के साथ प्रवेश द्वार पर वजनी एन्फील्ड़ मोटर-साईकिल चमकी और मैदान में अपनी भरपूर आवाज़ घोषित करती हु...

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कुछ अल्फाज खामोश क्यों?? - 1 - क्या मैं लड़की हूं ? By Bushra Hashmi

वह केवल एक राज़ था जिसे मैं जानना चाहती थी मेरे अंदर जो छिपा था । मैं खुद अपने अंदर के बदलाव से दंग थी ना जाने कैसी असमंजस थी वो जिससे निकालना मेरे लिए मुश्किल सा होता जा रहा था ।श...

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जिंदगी और जंग By Anand Tripathi

जिंदगी और जंग की कहानी बड़ी विचित्र है। जीवन की धुरी पर एक साथ वर्षो तक घूर्णन करना कोई खेल नहीं है। बस एक अनुमान ही है जिसके सहारे इंसान ने विज्ञान को पाया है। जिंदगी में जिंदा रह...

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सर्कस - 3 - अंतिम भाग By Keval Makvana

हार्दिक ने उर्मी को मार डाला था। सभी कलाकार हैरान थे कि जिस जोड़े की शादी को एक महीने से भी कम समय हुआ था, वह टूट गया और पति ने अपनी पत्नी को मार डाला। हार...

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मिडल क्लास - 1 By Jigar Joshi

अपने भारत में करीब 50% मिडल क्लास के लोग रहते हे llहर समय के चलते इसमें संख्या हर साल बधता चला। ये। वो? हे जो सपने तो इनके भी बहुत कुछ है मगर अपने जीवन में कभी कभी सफल होते...

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काश By अंजु पी केशव अना

********** सर से पाव तक नज़ाकत, अंदाज़ ऐसे कि कोई देखे तो दो पल के लिए आँखे जरूर ठहर जाए। कुछ महीनों पहले ही मिली थी मैं "मिली" से, लेकिन गहरी दोस्ती हो गई थी हमार...

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बूढ़ा मरता क्यों नही ? By Neelima Sharrma Nivia

बूढ़ा मरता क्यों नी !!!रिश्ते कितने मुश्किल होते हैं आजकल . एक जमाना था सबसे आसान रिश्ता था माँ- बाप का बच्चो से और बच्चो का माँ- बाप से ,उसके बाद भाई और बहन का उस बाद के...

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स्वीकृति - 6 By GAYATRI THAKUR

विनीता अपनी मौसेरी बहन मीनाक्षी के आने से बेहद खुश थी ,उसके आने से मानो उसके अकेलेपन का दुख जैसे कम हो गया हो ..और साथ ही अपनी मौसेरी बहन को अपनी देवरानी के रूप में देखने...

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गृहकार्य और मिमामोरू पद्धति By Anand M Mishra

कोरोना के कारण देशबंदी में शिक्षकों को पढ़ाने का ‘जुनून’ होता है तथा साथ ही वे अपने छात्रों से ‘लगन’ के साथ ‘कठोर परिश्रम’ चाहते हैं। ये बच्चों के लिए ऑफलाइन क्लास में तो ठीक है ल...

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आधार By राज कुमार कांदु

रज्जो का पति कल्लू शहर में दिहाड़ी मजदूरी का काम करता था । बहुत दिन हुए उसने शहर से कुछ नहीं भेजा था । जब पिछली बार फोन किया था , निराश लग रहा था । रुआंसा होकर उसने रज्जो को बताया थ...

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सपनों की कीमत By Rama Sharma Manavi

हर चीज की कीमत चुकानी पड़ती है,सफलता की ऊंचाइयों पर पहुंचने पर हम अक्सर अकेले रह जाते हैं, इसे सफलता का अभिशाप भी कह सकते हैं या मूल्य,यह हमारी सोच पर भी निर्भर करता है और कुछ पर...

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ये कैसी मित्रता? By Dinesh Tripathi

मित्र का शब्द बड़ा व्यापक है| इसेसखा,सखी मित,्र दोस्त आदि नाम से जाना जाता है लेकिन प्रचलन में दोस्त शब्द व्यापक है मित्रता के बाजार में एक नया शब्द अंग्रेजी का फ्रेंड ज्यादातर उपय...

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“बिशुन बिशुन बार बार” – परम्परा का खोता हुआ प्रवाह By Meenakshi Dikshit

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आधुनिकता और हमारा समाज By Anand M Mishra

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अविनाश, प्रज्ञा का हाथ थामे जैसे-तैसे उसके पड़ोस के घर, गिन्नी के दरवाजे पर पहुँच ही गया। उसने कई बार ज़ोर-ज़ोर दरवाजा थप थपाया...तब जाकर गेट खुलते ही एक औरत की आवाज़ आयी-अरे! प्रज्ञा...

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एक बिनती By SHAMIM MERCHANT

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कोरोना और पर्यावरण By Anand M Mishra

पश्चिमी दुनिया बहुत क्रूर, निर्मम है। यह मनुष्य को औसत दर्जे का होने के लिए मजबूर करता है। यह हर कदम पर चोट पहुँचा कर दम लेता है। इस जगत में माँ-पिताजी को छोड़कर प्रायः लोग मनाते...

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लड़खड़ाते कदम By Anand M Mishra

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अमलतास के फूल - 15 - अंतिम भाग By Neerja Hemendra

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पर्वों का लोकायत स्वरूप By कृष्ण विहारी लाल पांडेय

पर्वों का लोकायत स्वरूप जीवन के निरंतर स्वीकार और परिष्कार के लिए मनुष्य ने भौतिक विस्तार के साथ ही अपना दर्शन, साहित्य जैसे मानसिक और हार्दिक उपक्रम भी किए हैं । जैविक आवश्यकताओं...

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बचपन में प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत जी की कविता भारत माता ग्रामवासिनी ...पढ़ते थे. इस कविता में ग्रामीण भारत की अवस्था का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया गया है. कवि के अनुस...

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आजकल मिताली अपने बेटे अनल को लेकर अत्यंत चिंतित रहने लगी है।वैसे अनल एक अत्यंत समझदार एवं जहीन युवक है, जिस कार्य को करने का ठान लेता है, उसे हर हाल में पूर्ण करने का माद्दा...

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बेटी हुई है अभी नई नई शादी हुई ही थी कि शिव अपनी धर्मपत्नी आस्था से बिना भविष्य सोचे प्रणय मिलन कर बैठा जिससे आस्था का गर्भाधान हो गया। आस्था यूँ तो घरेलु, संस्कारी और गृहकार्यों म...

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महेश कटारे - पहरूआ By राज बोहरे

महेश कटारे -कहानी-पहरूआ गोधन की नींद टूटी तब रात आधी से उतरने लगी थी, क्योंकि सोते में जागते हुए उसे लगा था कि तीसरे पहर का पहरूआ अपने अंतिम हुंकारे भर रहा है। वैसे नींद टूटने से प...

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कोरोना काल का समय। फोन की घंटी बजी। देखा तो बोकारो में कार्यरत भाई का फोन था। उत्सुकता से फोन उठाया। उधर से काफी प्रसन्नता से भाई ने अपने सुपुत्र के जो कि टाटा स्टील, जमशेदपुर मे...

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सामाजिक अस्वीकृत का भय प्रेम का बड़ा शत्रु । By विवेक वर्मा

प्रेम एक ऐसा विषय है जिसपर बहुत कुछ कहा और लिखा जा चुका है।अगर आप देखें तो पाएंगे की हर वक्ता,समाजसुधारक आदि अगर नैतिकता शांति जैसे विषयों पर भाषण देता हो तो वह प्रेम पर बोलता...

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ज़हरीली शराब By Rama Sharma Manavi

आज कमली काम पर वापस आ गई, कल शाम को ही फोन कर दिया था कि आँटी बर्तन मत धुलना, मैं कल सुबह से आना शुरू कर दूंगी।कल ही तेरहवीं थी उसके पति की।मैं थोड़ी हैरान तो थी,लेकिन उसकी सारी...

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सेफ्टी वाल्व By amit kumar mall

छोटी गोल, बड़ी गोल करते करते आठवीं पास होने तक , मैं गांव के प्राइमरी पाठशाला और जूनियर हाई स्कूल में पढ़ता रहा । प्राइमरी पाठशाला में पटिया , नरकट की कलम , दूधिया की दवात तथा किताब...

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