hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी

    पुत्र का इंतज़ार करते-करते रुदाली ने चार बेटियों को जन्म दे दिया। हर बार बेटे की...

  • ग़लतफ़हमी - भाग २

    पिछले भाग में आपने पढ़ा कि माया के दिलो दिमाग में अजय को लेकर शक़ का बीज रोपित हो...

  • पुत्र दान

    सरोज और राकेश ख़ुशी और ग़म के सागर में गोते लगा रहे थे। उनकी आंखों में बेटी की शाद...

अंत... एक नई शुरुआत - 3 By निशा शर्मा

समीर,मेरा पहला प्यार,मेरी दुनिया और मेरा जीवनसाथी।समीर को अपनी ज़िंदगी में पाकर मुझे लगा कि जैसे मेरी ज़िंदगी की हर एक परेशानी,हर एक दर्द का इलाज हो गया।मेरी माँ भी मुझे समीर के साथ...

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 13 By ramgopal bhavuk

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 13 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज...

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मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी By Ratna Pandey

पुत्र का इंतज़ार करते-करते रुदाली ने चार बेटियों को जन्म दे दिया। हर बार बेटे की उम्मीद रहती, किंतु अभी तक उनकी यह इच्छा पूरी ना हो पाई थी। वह  बेटे की लालसा में हर बार 20-22 घंटे क...

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ग़लतफ़हमी - भाग २ By Ratna Pandey

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि माया के दिलो दिमाग में अजय को लेकर शक़ का बीज रोपित हो गया है। इस बात से अजय अंजान है। क्या माया का शक़ सही है, पढ़िए आगे - एक दिन शाम को ऑफिस से निकलने के ब...

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पुत्र दान By Ratna Pandey

सरोज और राकेश ख़ुशी और ग़म के सागर में गोते लगा रहे थे। उनकी आंखों में बेटी की शादी की अगर खुशी थी तो विदाई की बेला का दुःख भी नज़र आ रहा था। कन्या दान करते वक्त उनके हाथ कांप रहे थे...

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संपोले By Ranjana Jaiswal

माँ कहती थी संपोले साँप से कम खतरनाक नहीं होते |हालांकि उनमें विष साँप से थोड़ा कम होता है पर उनके काटने से भी लहर आती है |संपोले इस मायने में साँप से ज्यादा खतरनाक होते हैं कि छोटे...

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मीना कुमारी...एक दर्द भरी दास्तां - 1 By Sarvesh Saxena

"इन्हीं लोगों ने.. इन्हीं लोगों ने.. इन्हीं लोगों ने ले लीना.. दुपट्टा मेरा" दोस्तों शायद ही ऐसा कोई हो जिसने इस गाने को नहीं सुना होगा और इस गाने को सुनते ही आंखों के सामने उभर आत...

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पलायन (पार्ट 1) By Kishanlal Sharma

उसका मन अजीब सा हो रहा था।दिल उदास था।मन मे एक के बाद  एक उटपटांग ख्याल आ रहे थे।दिन भर निठल्ला  इधर उधर घूमने के बाद वह घर लौटा था।कमरे में आते ही उसे सालू की याद आने लग...

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अपनी छत By Ratna Pandey

किराये के मकान में पूरा जीवन काट देने वाले दीनानाथ, वर्षों से अपने मन में ख़ुद की छत की इच्छा दबाये हुए थे। एक-एक करके जवाबदारी आती ही जा रही थीं, जिन्हें निपटाते हुए अब वह पचपन वर्...

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तांगेवाला-दास्ताने दर्द By Kishanlal Sharma

"बाबूजी आओ बेठो"।मुझे देखते ही अधेड़ तांगेवाले ने जोर से आवाज लगायी थी।मैं रोज स्टेशन तांगे से आता जाता था इसलिए सभी तांगेवाले मुझे जानते थे।उस ताँगेवाले का नाम मुझे नही मालूम ल...

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कर्तव्य - 9 By Asha Saraswat

कर्तव्य (9) मॉं ने पूछा-“क्या तुम बड़े लल्ला को बताकर आये हो?” भैया ने कोई उत्तर नहीं दिया और बाहर चले गये । भैया हमारे पास ही रहने लगे, सुबह जाते और शाम को आ...

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आशियाना By Kishanlal Sharma

"यमुना किनारे सुरम्य वातावरण में आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण गेट बंद कालोनी--वह गांव में जनमा पला पढा था लेकिन नौौकरी लगी तो शहर आना पड़ा था।वह पड़ता था तभी उसकी शादी हो गयी थी।...

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तोहफ़ा By Jagruti Joshi

मुंबई सिटी भागदौड़ वाली सब अपने अपने काम में लगे हुए हे,,,,,!! किसी को किसी के लिए थोड़ा भी वक्त निकाल ना भारी पड़ जाता है,,, आम दिनो मे ! पर आज संडे था तो फॅमिली टाईम,,,,, सब ल...

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सोशल मीडिया से लाभ-हानि By Anand M Mishra

बहुत पहले ही हमारे ऋषि-मुनियों ने कह दिया था कि– अति सर्वदा वर्जयेत! बात सोलह आने सही है। कोई भी कार्य यदि ‘अति’ को ध्यान में रखकर किया जाता है तो उसका दुष्परिणाम निकलना स्वाभावि...

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अम्मा By Mayank Saxena Honey

"तुमने अम्मा को बता दिया कि आज हम बाहर खाना खाकर आएंगे?" पार्थ ने संयोगिता से संदेहास्पद तरीके से पूछा। पार्थ की प्रश्नपूर्ण निगाहें, होंठों पर विचित्र मंद मुस्कान के साथ गर्दन ह...

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जब निकली दिल से दुआ... By anshu Singh

मौली...उठो बेटा। सुबह के नौ बजने को आए, आज क्लास है न तुम्हारी? मां द्वारा नींद से जगाने की कई कोशिशों के बाद बेटी ने जवाब दिया, नहीं। और उसने करवट ले ली..। आधा-पौन घंटा और बीता......

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कहो पुस्तकालय! कैसे हो : एक निजी संवाद By Anand M Mishra

"कहो पुस्तकालय! कैसे हो : एक निजी संवाद" सोच रहा था कि पुस्तकालय जाऊं तथा वहां की स्थिति को देखूं। लेकिन कार्य की व्यस्तता के कारण जाने का अवसर प्राप्त नहीं हो रहा था। आज अचानक...

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मिडिल क्लास लड़के By hemant Ydv

मुझ जैसे मिडिल क्लास लड़के अक्सर जिम्मेदारियां जल्दी निभाना सीख जाते हैं। रिश्तेदारों के तमाम अड़ंगों के बावजूद मां-बाप का विश्वास कैसे बनाये रखना है इन्हें बखूबी आता है।पापा से खूब...

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ऐसे थे मेरे बाऊजी - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

इधर ब्याह की तैयारियाँ हो रही थीं और उधर दुर्गेश की आत्मा प्रयागी के लिए तड़प रही थी,ज्यों ज्यों ब्याह की तिथि नजदीक आती जा रही थी दुर्गेशप्रताप का दिल डूबता जा रहा था,आखिरकार ब्याह...

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बचपन की यादें By Anand M Mishra

दशहरे और दीपावली से से मुझे लगाव है। इस पर्व से मेरे बचपन की यादें जुडी हैं। मन को ताजा रखने के लिए हमेशा याद करता हूँ। इन यादों में मुझे सबसे ज्यादा याद मुझे फूल तोड़ने का आता है...

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Real Incidents - Incident 4: अखरोट By Anil Patel_Bunny

Incident 4: अखरोटआज से करीबन 2 साल पहले,रोहन अपने दोस्तों के साथ मॉर्निंग शो में फ़िल्म देखने गया था। फ़िल्म खत्म होने के बाद उसने अपने दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट में लंच किया। घर वाप...

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सिने संसार और युवा पीढ़ी By Anand M Mishra

पहले तो कोरोना के कारण लंबी बंदिशें लगी। फिर जब सब कुछ सामान्य होने लगा तो एक के बाद एक घटना ऐसी घटनी लगी कि मन खिन्न हो गया। लखीमपुर खीरी की घटना के साथ-साथ हमारी युवा पीढ़ी नशे...

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इन्तजार एक हद तक (महामारी) - 18 By RACHNA ROY

फिर बच्चे इधर उधर बैठे थे उर्मी ने देखते ही कहा चलो सब पढ़ने बैठ जाओ। पढ़ाई बहुत जरूरी है। रवि ने कहा हां चाची जरूर।आप पहले भी हमें ऐसा कहती थी। फिर सभी बच्चे पढ़ने बैठ गए। रमेश ने...

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महामारी के कारण मानसिकता में बदलाव By Anand M Mishra

कोरोना काल में काम करने वालों के मानसिकता में काफी परिवर्तन हुआ है। बिटिया के प्रवेश परीक्षा के सिलसिले में पूर्वोत्तर के एक बड़े शहर में जाना पड़ा। आने-जाने, रहने-खाने-पीने आदि सभ...

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रिश्ते तिज़ारत नहीं होते - 3 - अंतिम भाग By Ranjana Jaiswal

(3) अपने कस्बे की दो घटनाएं आज भी मेरे चित्त पर अंकित हैं। सुचिता मासी ....मेरी माँ की पड़ोसन!अपने समय की बेहद खूबसूरत महिला! धर्म- कर्म, दान- पुण्य, पूजा -पाठ में आस्था और विश...

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अम्मा By Saroj Prajapati

"आओ आओ अम्मा! इस बार बहुत दिनों बाद दर्शन दिए तुमने। कहीं चली गई थी क्या!" "अरे, मैं कहां जाऊंगी बहुरिया! वो बहु बीमार थी। बस इसलिए निकलना ना हुआ और सुना बाल बच्चे सब सही!" "हां अम...

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दयालु By amit kumar mall

रामेश्वर जी की दयालुता के चर्चे सारी तरफ थे । मैं भी नौकरी में हूँ , लेकिन रिश्तेदारों की नजर में देखे - तो कहाँ रामेश्वर दयाल जी और कहाँ मैं। अब तो मुझे भी लगता है कि कहाँ रामेश्व...

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इंस्पेक्शन (भाग 4) By Kishanlal Sharma

जी एम कपूर साहिब और डी आर एम देवड़ा एक कार मे बैठे थे।दूसरी कार में मिसेज जी एम और मिसेज डी आर एम बैठी थी।इंजिनयरिंग विभाग की रेलवे की जीप भी बुला ली गयी थी।उसमें मौर्या और मीना व...

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आजादी का अमृत महोत्सव तथा शिक्षकों की स्थिति By Anand M Mishra

‘सा विद्या या विमुक्तये’ यह उक्ति तो दिन-रात सामने आती है। बच्चों के बिल्ले पर लिखा रहता है। देख कर मन को सुकून मिलता है। हमारे बच्चे उपरोक्त उक्ति का अर्थ भी अच्छी तरह से जानते...

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रिमझिम गिरे सावन - 3 - अन्तिम भाग By Saroj Verma

(अन्तिम भाग) जब झुम्पा घर आई तो उसके बाबा ने उससे पूछा.....    क्या जतिन्दर तुझे पसंद करता है?झुम्पा पलकें झुकाए और गरदन नीचे करके खड़ी हो गई लेकिन बोली कुछ नहीं... ...

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अक्टूबर महीने की गर्मी: नयी चुनौतियाँ By Anand M Mishra

अक्टूबर महीने की गर्मी की विभीषिका को देखकर ऐसा लगा कि मानव अभी भी प्रकृति से बहुत पीछे है। पसीने से शरीर लगभग नहा ही गया था। उफ़ यह जानलेवा गर्मी! मनुष्य अभी बेहतर पूर्वानुमान लगा...

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अंत... एक नई शुरुआत - 3 By निशा शर्मा

समीर,मेरा पहला प्यार,मेरी दुनिया और मेरा जीवनसाथी।समीर को अपनी ज़िंदगी में पाकर मुझे लगा कि जैसे मेरी ज़िंदगी की हर एक परेशानी,हर एक दर्द का इलाज हो गया।मेरी माँ भी मुझे समीर के साथ...

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औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ - 13 By ramgopal bhavuk

औघड़ किस्से और कविताएँ-सन्त हरिओम तीर्थ 13 एक अजनबी जो अपना सा लगा परम पूज्य स्वामी हरिओम तीर्थ जी महाराज...

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मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी By Ratna Pandey

पुत्र का इंतज़ार करते-करते रुदाली ने चार बेटियों को जन्म दे दिया। हर बार बेटे की उम्मीद रहती, किंतु अभी तक उनकी यह इच्छा पूरी ना हो पाई थी। वह  बेटे की लालसा में हर बार 20-22 घंटे क...

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ग़लतफ़हमी - भाग २ By Ratna Pandey

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि माया के दिलो दिमाग में अजय को लेकर शक़ का बीज रोपित हो गया है। इस बात से अजय अंजान है। क्या माया का शक़ सही है, पढ़िए आगे - एक दिन शाम को ऑफिस से निकलने के ब...

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पुत्र दान By Ratna Pandey

सरोज और राकेश ख़ुशी और ग़म के सागर में गोते लगा रहे थे। उनकी आंखों में बेटी की शादी की अगर खुशी थी तो विदाई की बेला का दुःख भी नज़र आ रहा था। कन्या दान करते वक्त उनके हाथ कांप रहे थे...

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संपोले By Ranjana Jaiswal

माँ कहती थी संपोले साँप से कम खतरनाक नहीं होते |हालांकि उनमें विष साँप से थोड़ा कम होता है पर उनके काटने से भी लहर आती है |संपोले इस मायने में साँप से ज्यादा खतरनाक होते हैं कि छोटे...

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मीना कुमारी...एक दर्द भरी दास्तां - 1 By Sarvesh Saxena

"इन्हीं लोगों ने.. इन्हीं लोगों ने.. इन्हीं लोगों ने ले लीना.. दुपट्टा मेरा" दोस्तों शायद ही ऐसा कोई हो जिसने इस गाने को नहीं सुना होगा और इस गाने को सुनते ही आंखों के सामने उभर आत...

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पलायन (पार्ट 1) By Kishanlal Sharma

उसका मन अजीब सा हो रहा था।दिल उदास था।मन मे एक के बाद  एक उटपटांग ख्याल आ रहे थे।दिन भर निठल्ला  इधर उधर घूमने के बाद वह घर लौटा था।कमरे में आते ही उसे सालू की याद आने लग...

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अपनी छत By Ratna Pandey

किराये के मकान में पूरा जीवन काट देने वाले दीनानाथ, वर्षों से अपने मन में ख़ुद की छत की इच्छा दबाये हुए थे। एक-एक करके जवाबदारी आती ही जा रही थीं, जिन्हें निपटाते हुए अब वह पचपन वर्...

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तांगेवाला-दास्ताने दर्द By Kishanlal Sharma

"बाबूजी आओ बेठो"।मुझे देखते ही अधेड़ तांगेवाले ने जोर से आवाज लगायी थी।मैं रोज स्टेशन तांगे से आता जाता था इसलिए सभी तांगेवाले मुझे जानते थे।उस ताँगेवाले का नाम मुझे नही मालूम ल...

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कर्तव्य - 9 By Asha Saraswat

कर्तव्य (9) मॉं ने पूछा-“क्या तुम बड़े लल्ला को बताकर आये हो?” भैया ने कोई उत्तर नहीं दिया और बाहर चले गये । भैया हमारे पास ही रहने लगे, सुबह जाते और शाम को आ...

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आशियाना By Kishanlal Sharma

"यमुना किनारे सुरम्य वातावरण में आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण गेट बंद कालोनी--वह गांव में जनमा पला पढा था लेकिन नौौकरी लगी तो शहर आना पड़ा था।वह पड़ता था तभी उसकी शादी हो गयी थी।...

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तोहफ़ा By Jagruti Joshi

मुंबई सिटी भागदौड़ वाली सब अपने अपने काम में लगे हुए हे,,,,,!! किसी को किसी के लिए थोड़ा भी वक्त निकाल ना भारी पड़ जाता है,,, आम दिनो मे ! पर आज संडे था तो फॅमिली टाईम,,,,, सब ल...

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सोशल मीडिया से लाभ-हानि By Anand M Mishra

बहुत पहले ही हमारे ऋषि-मुनियों ने कह दिया था कि– अति सर्वदा वर्जयेत! बात सोलह आने सही है। कोई भी कार्य यदि ‘अति’ को ध्यान में रखकर किया जाता है तो उसका दुष्परिणाम निकलना स्वाभावि...

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अम्मा By Mayank Saxena Honey

"तुमने अम्मा को बता दिया कि आज हम बाहर खाना खाकर आएंगे?" पार्थ ने संयोगिता से संदेहास्पद तरीके से पूछा। पार्थ की प्रश्नपूर्ण निगाहें, होंठों पर विचित्र मंद मुस्कान के साथ गर्दन ह...

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जब निकली दिल से दुआ... By anshu Singh

मौली...उठो बेटा। सुबह के नौ बजने को आए, आज क्लास है न तुम्हारी? मां द्वारा नींद से जगाने की कई कोशिशों के बाद बेटी ने जवाब दिया, नहीं। और उसने करवट ले ली..। आधा-पौन घंटा और बीता......

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कहो पुस्तकालय! कैसे हो : एक निजी संवाद By Anand M Mishra

"कहो पुस्तकालय! कैसे हो : एक निजी संवाद" सोच रहा था कि पुस्तकालय जाऊं तथा वहां की स्थिति को देखूं। लेकिन कार्य की व्यस्तता के कारण जाने का अवसर प्राप्त नहीं हो रहा था। आज अचानक...

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मिडिल क्लास लड़के By hemant Ydv

मुझ जैसे मिडिल क्लास लड़के अक्सर जिम्मेदारियां जल्दी निभाना सीख जाते हैं। रिश्तेदारों के तमाम अड़ंगों के बावजूद मां-बाप का विश्वास कैसे बनाये रखना है इन्हें बखूबी आता है।पापा से खूब...

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ऐसे थे मेरे बाऊजी - (अन्तिम भाग) By Saroj Verma

इधर ब्याह की तैयारियाँ हो रही थीं और उधर दुर्गेश की आत्मा प्रयागी के लिए तड़प रही थी,ज्यों ज्यों ब्याह की तिथि नजदीक आती जा रही थी दुर्गेशप्रताप का दिल डूबता जा रहा था,आखिरकार ब्याह...

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बचपन की यादें By Anand M Mishra

दशहरे और दीपावली से से मुझे लगाव है। इस पर्व से मेरे बचपन की यादें जुडी हैं। मन को ताजा रखने के लिए हमेशा याद करता हूँ। इन यादों में मुझे सबसे ज्यादा याद मुझे फूल तोड़ने का आता है...

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Real Incidents - Incident 4: अखरोट By Anil Patel_Bunny

Incident 4: अखरोटआज से करीबन 2 साल पहले,रोहन अपने दोस्तों के साथ मॉर्निंग शो में फ़िल्म देखने गया था। फ़िल्म खत्म होने के बाद उसने अपने दोस्तों के साथ रेस्टोरेंट में लंच किया। घर वाप...

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सिने संसार और युवा पीढ़ी By Anand M Mishra

पहले तो कोरोना के कारण लंबी बंदिशें लगी। फिर जब सब कुछ सामान्य होने लगा तो एक के बाद एक घटना ऐसी घटनी लगी कि मन खिन्न हो गया। लखीमपुर खीरी की घटना के साथ-साथ हमारी युवा पीढ़ी नशे...

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कोरोना काल में काम करने वालों के मानसिकता में काफी परिवर्तन हुआ है। बिटिया के प्रवेश परीक्षा के सिलसिले में पूर्वोत्तर के एक बड़े शहर में जाना पड़ा। आने-जाने, रहने-खाने-पीने आदि सभ...

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अम्मा By Saroj Prajapati

"आओ आओ अम्मा! इस बार बहुत दिनों बाद दर्शन दिए तुमने। कहीं चली गई थी क्या!" "अरे, मैं कहां जाऊंगी बहुरिया! वो बहु बीमार थी। बस इसलिए निकलना ना हुआ और सुना बाल बच्चे सब सही!" "हां अम...

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दयालु By amit kumar mall

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इंस्पेक्शन (भाग 4) By Kishanlal Sharma

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‘सा विद्या या विमुक्तये’ यह उक्ति तो दिन-रात सामने आती है। बच्चों के बिल्ले पर लिखा रहता है। देख कर मन को सुकून मिलता है। हमारे बच्चे उपरोक्त उक्ति का अर्थ भी अच्छी तरह से जानते...

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रिमझिम गिरे सावन - 3 - अन्तिम भाग By Saroj Verma

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अक्टूबर महीने की गर्मी: नयी चुनौतियाँ By Anand M Mishra

अक्टूबर महीने की गर्मी की विभीषिका को देखकर ऐसा लगा कि मानव अभी भी प्रकृति से बहुत पीछे है। पसीने से शरीर लगभग नहा ही गया था। उफ़ यह जानलेवा गर्मी! मनुष्य अभी बेहतर पूर्वानुमान लगा...

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