hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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  • BOYS school WASHROOM - 21

    अविनाश टॉर्च घुमाता हुआ तेज़ी से वाशरूम की तरफ़ बढ़ता है…..उसके भीगे जूतों की " पचर...

  • धूल

    लेखिका - राजम कृष्णन अनुवादक - डॉ लता रामचंद्रन “क्या देख रही हो?” उ...

  • बाबूजी की जमीन

    ’’हमारे पास जमीन क्यों नहीं है?’’ बाबूजी की जमीन की बात...

BOYS school WASHROOM - 21 By Akash Saxena "Ansh"

अविनाश टॉर्च घुमाता हुआ तेज़ी से वाशरूम की तरफ़ बढ़ता है…..उसके भीगे जूतों की " पचर-पचर" की आवाज़ वहाँ अलग ही शोर मचा रही होती है। वो फट से वाशरूम का गेट खोलने लगता है…..लेकिन उसके ज़रा...

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भरोसा - 4 By Parul

4 पुलिस बार - बार तुषार को यही सवाल पूछ रही थी कि, "तुमने मौसी को क्यों मारा?" और तुषार बार - बार उनको यही जवाब देता रहता था कि, "मैंने मौसी को नहीं मारा है।" "क्या ये बात सच है कि...

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अपहरण - अंतिम भाग By Ratna Pandey

धीरे-धीरे समय व्यतीत होता रहा। रंजन में बहुत बदलाव आ गया। वह अब पहले जैसा बिल्कुल नहीं रहा। इस बात को तीन माह गुज़र गए। दो दिनों के बाद रक्षा बंधन का त्यौहार था। हर वर्ष रक्षा बंधन...

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आख़िर मैं चुप क्यों हूँ? By Rama Sharma Manavi

बेटे ने झुँझलाकर कहा,"ओफ्फोह, माँ, आपने औऱ पापा ने अपनी जिंदगी में कितने डिसीजन सही लिए हैं, यह आप अच्छी तरह जानती हैं, इसलिए अपनी जिंदगी का फैसला मुझे ख़ुद करने दीजिए।अपने फैसलों क...

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मेरी बेटी मिल गयी - 3 - अंतिम भाग By S Sinha

Last Part - 3 पहले अंक में आपने पढ़ा था - रागिनी की नासमझी से विवाह के पहले ही वह प्रेग्नेंट हो गयी थी पर उसकी माँ ने उसकी संतान को किसी अनाथालय में रख दिया था. इत्तफ़ाक़ से उसका सामन...

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धूल By Latha Ramachandran

लेखिका - राजम कृष्णन अनुवादक - डॉ लता रामचंद्रन “क्या देख रही हो?” उसकी उम्र क़रीब छह साल होगी। उसकी फ्रॉक में गीली मिट्टी के दाग लगे हुए थे, और रूखे बेजान बालों में तेल...

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असली अपराधी (भाग -6) By Ruchika Khanna

जगन ने अस्पताल से वास्तविक रिकॉर्ड प्राप्त करने का फैसला किया क्योंकि डॉ विश्वेश को अस्पताल में अपराधी पाया गया (जहां डॉ विश्वेश काम कर रहे थे)। यह बहुत जरूरी था क्योंकि जगन डॉ विश...

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नकली नारंगी By Deepak sharma

’’हलो’’, साड़ियों के एक मेले के दौरान अपने कंधे पर एक हाथ के दबाव के साथ यह अभिवादन सुना तो मैंने पीछे मुड़कर देखा। ’’नहीं पहचाना मुझे ?’&rs...

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अपना घर By Asha Parashar

वह सिर्फ दो दिन के लिए जबलपुर आयी थी, वहाँ के कन्या महाविद्यालय में बाह्म परीक्षक के रूप में। पर आज आठ दिन हो गये हैं, उसका मन ही नहीं कर रहा वापस घर जाने का! पाँच वर्ष पहले आयी थी...

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ज़िन्दगी - 5 By Mehul Pasaya

वीरेन वहा देखो वो रही छोटी उन लोगो ने पकड़ कर रखा है. चलो जल्दी वरना वो लोग कुच भी कर सकते है.अरे हा परि मुझे भी दिख रहा है. तुम ऐसे आवाज मत करो उनको पता लग जायेगा. धीरे धीरे चलो ता...

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बाबूजी की जमीन By Deepak sharma

’’हमारे पास जमीन क्यों नहीं है?’’ बाबूजी की जमीन की बात पहली बार मैंने अपने सातवें वर्ष में उठाई थी जब मेरे जमींदार ताऊ हमारे घर पर बासमती, मूँग और उड़द की त...

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सिर माथे By Deepak sharma

’’कोई है?’’ रोज की तरह घर में दाखिल होते ही मैं टोह लेता हूँ। ’’हुजूर!’’ पहला फॉलोअर मेरे सोफे की तीनों गद्दियों को मेरे बैठने वाले...

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स्वीकृति - 14 By GAYATRI THAKUR

बड़के चाचा के इस दावे से, कि पिछले 2 दिन से होटल के उस कमरे में जो महिला बंद पड़ी थी उसे वह जानते है, वह उनकी ही परिचित हैं , पुलिस वाले ने राहत की सांस ली कि चलो.., इस मामले से जल...

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उत्तरजीवी By Deepak sharma

विभागाध्यक्ष की ऊंची एड़ी की सैंडिल अपनी धमक के साथ विभाग की ओर तेजी से बढ़ रही थी। लिव ! लिव ! लिव ! सुधा ने मन ही मन दोहराया और मुस्कराई । पंद्रह दिन पहले अस्पताल से लौटकर जब वह अप...

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घुटन - अंतिम भाग By Ratna Pandey

एक दिन कुमुदिनी ने तिलक से कहा, "तिलक भैया आप क्यों मेरी मम्मी को यह बात नहीं बता देते। बता दो ना? मेरे पापा, मम्मी से बहुत डरते हैं। यदि माँ के सामने वह स्वीकार कर लेंगे तो शायद फ...

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एक खूबसूरत सफर By Rama Sharma Manavi

सत्य ही कहा गया है कि दुनिया बहुत छोटी है, कब किस मोड़ पर कौन बिछड़ा हुआ मिल जाय कुछ कहा नहीं जा सकता था।मैंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि अब कभी जिंदगी में उससे मुलाकात हो पाएगी।ह...

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अय्याश--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

शौक़त के घरवाले उन पर दबाव बनाने लगें,यहाँ तक कि शौक़त की अम्मी और अब्बाहुजूर भी चाहते थे कि कैसे भी उन पर दबाव बनाकर हमारा उनसे तलाक़ करवा दिया जाएं, वें सभी इस मक़सद में कामयाब भी हो...

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट14) By Kishanlal Sharma

अपने दो बेटों और एक बेटी की शादी वह कर चुके थे।शादी करने से पूर्व उन्होंने अपने बच्चों की राय जानना भी जरूरी नही समझालेकिन रमेश को विश्वास था कि उसके साथ ऐसा नही होगा।उसके ऐसा सोचन...

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कॉन्डम और प्रेम के हालात By बिट्टू श्री दार्शनिक

"कॉन्डम" स्कूल जाते बच्चे से ले कर के आज की पीढ़ी के हर बूढ़े लोग तक इस शब्द को जानते है।यह शब्द उस वस्तु के लिए उपयोग किया गया है जो की एक पतले से प्लास्टिक रबर के बने गुब्बारे जै...

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गरीब बाप - 1 By Mintu Paswan

नमस्कार दोस्तों मैं आप के बीच एक ऐसा कहा एक गरीब कि ज़िन्दगी क्या होती हैं। यह एक कहानी नहीं सच्चाई है । भारत का एक ऐसा राज्य जो गरीबों का राज्य नी लेकर आया हूँ ,जिससे पता चलता है...

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बंद हो चुकी खिड़की By Dr pradeep Upadhyay

बंद हो चुकी खिड़कीआज बत्तीस साल के बाद उससे सामना हुआ था।पहले तो सोचा भी कि उसके सामने नहीं जाऊं। फिर भी मन के किसी कोने में कहीं कोई दबी-छुपी ख्वाहिश मुझे उसके सामने जाने को विवश...

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निष्ठा By जॉन हेम्ब्रम

शाम का वक्त था परिणीति अपनी मां के लिए दवाइयां खरीदने बाजार गई हुई थी। उसके पिता बचपन में ही चल बसे थे उसका एक बड़ा भाई और सिर्फ मां थी,लेकिन उसकी मां अक्सर किसी बीमारी से पीड़ित ह...

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क्या मैं पैसे खाती हूं! By Saroj Prajapati

बड़े शहर में रहने के कारण उनके खर्चे काफी बढ़ने लगे थे। कितना भी देखभाल कर खर्च करती है लेकिन महीने का अंत आते आते लाख चाहने के बाद भी बचत तो दूर खर्चे पूरे करने भी दूभर होने लगे थ...

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BOYS school WASHROOM - 21 By Akash Saxena "Ansh"

अविनाश टॉर्च घुमाता हुआ तेज़ी से वाशरूम की तरफ़ बढ़ता है…..उसके भीगे जूतों की " पचर-पचर" की आवाज़ वहाँ अलग ही शोर मचा रही होती है। वो फट से वाशरूम का गेट खोलने लगता है…..लेकिन उसके ज़रा...

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भरोसा - 4 By Parul

4 पुलिस बार - बार तुषार को यही सवाल पूछ रही थी कि, "तुमने मौसी को क्यों मारा?" और तुषार बार - बार उनको यही जवाब देता रहता था कि, "मैंने मौसी को नहीं मारा है।" "क्या ये बात सच है कि...

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अपहरण - अंतिम भाग By Ratna Pandey

धीरे-धीरे समय व्यतीत होता रहा। रंजन में बहुत बदलाव आ गया। वह अब पहले जैसा बिल्कुल नहीं रहा। इस बात को तीन माह गुज़र गए। दो दिनों के बाद रक्षा बंधन का त्यौहार था। हर वर्ष रक्षा बंधन...

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आख़िर मैं चुप क्यों हूँ? By Rama Sharma Manavi

बेटे ने झुँझलाकर कहा,"ओफ्फोह, माँ, आपने औऱ पापा ने अपनी जिंदगी में कितने डिसीजन सही लिए हैं, यह आप अच्छी तरह जानती हैं, इसलिए अपनी जिंदगी का फैसला मुझे ख़ुद करने दीजिए।अपने फैसलों क...

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मेरी बेटी मिल गयी - 3 - अंतिम भाग By S Sinha

Last Part - 3 पहले अंक में आपने पढ़ा था - रागिनी की नासमझी से विवाह के पहले ही वह प्रेग्नेंट हो गयी थी पर उसकी माँ ने उसकी संतान को किसी अनाथालय में रख दिया था. इत्तफ़ाक़ से उसका सामन...

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धूल By Latha Ramachandran

लेखिका - राजम कृष्णन अनुवादक - डॉ लता रामचंद्रन “क्या देख रही हो?” उसकी उम्र क़रीब छह साल होगी। उसकी फ्रॉक में गीली मिट्टी के दाग लगे हुए थे, और रूखे बेजान बालों में तेल...

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असली अपराधी (भाग -6) By Ruchika Khanna

जगन ने अस्पताल से वास्तविक रिकॉर्ड प्राप्त करने का फैसला किया क्योंकि डॉ विश्वेश को अस्पताल में अपराधी पाया गया (जहां डॉ विश्वेश काम कर रहे थे)। यह बहुत जरूरी था क्योंकि जगन डॉ विश...

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नकली नारंगी By Deepak sharma

’’हलो’’, साड़ियों के एक मेले के दौरान अपने कंधे पर एक हाथ के दबाव के साथ यह अभिवादन सुना तो मैंने पीछे मुड़कर देखा। ’’नहीं पहचाना मुझे ?’&rs...

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अपना घर By Asha Parashar

वह सिर्फ दो दिन के लिए जबलपुर आयी थी, वहाँ के कन्या महाविद्यालय में बाह्म परीक्षक के रूप में। पर आज आठ दिन हो गये हैं, उसका मन ही नहीं कर रहा वापस घर जाने का! पाँच वर्ष पहले आयी थी...

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ज़िन्दगी - 5 By Mehul Pasaya

वीरेन वहा देखो वो रही छोटी उन लोगो ने पकड़ कर रखा है. चलो जल्दी वरना वो लोग कुच भी कर सकते है.अरे हा परि मुझे भी दिख रहा है. तुम ऐसे आवाज मत करो उनको पता लग जायेगा. धीरे धीरे चलो ता...

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बाबूजी की जमीन By Deepak sharma

’’हमारे पास जमीन क्यों नहीं है?’’ बाबूजी की जमीन की बात पहली बार मैंने अपने सातवें वर्ष में उठाई थी जब मेरे जमींदार ताऊ हमारे घर पर बासमती, मूँग और उड़द की त...

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सिर माथे By Deepak sharma

’’कोई है?’’ रोज की तरह घर में दाखिल होते ही मैं टोह लेता हूँ। ’’हुजूर!’’ पहला फॉलोअर मेरे सोफे की तीनों गद्दियों को मेरे बैठने वाले...

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स्वीकृति - 14 By GAYATRI THAKUR

बड़के चाचा के इस दावे से, कि पिछले 2 दिन से होटल के उस कमरे में जो महिला बंद पड़ी थी उसे वह जानते है, वह उनकी ही परिचित हैं , पुलिस वाले ने राहत की सांस ली कि चलो.., इस मामले से जल...

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उत्तरजीवी By Deepak sharma

विभागाध्यक्ष की ऊंची एड़ी की सैंडिल अपनी धमक के साथ विभाग की ओर तेजी से बढ़ रही थी। लिव ! लिव ! लिव ! सुधा ने मन ही मन दोहराया और मुस्कराई । पंद्रह दिन पहले अस्पताल से लौटकर जब वह अप...

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घुटन - अंतिम भाग By Ratna Pandey

एक दिन कुमुदिनी ने तिलक से कहा, "तिलक भैया आप क्यों मेरी मम्मी को यह बात नहीं बता देते। बता दो ना? मेरे पापा, मम्मी से बहुत डरते हैं। यदि माँ के सामने वह स्वीकार कर लेंगे तो शायद फ...

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एक खूबसूरत सफर By Rama Sharma Manavi

सत्य ही कहा गया है कि दुनिया बहुत छोटी है, कब किस मोड़ पर कौन बिछड़ा हुआ मिल जाय कुछ कहा नहीं जा सकता था।मैंने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि अब कभी जिंदगी में उससे मुलाकात हो पाएगी।ह...

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अय्याश--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

शौक़त के घरवाले उन पर दबाव बनाने लगें,यहाँ तक कि शौक़त की अम्मी और अब्बाहुजूर भी चाहते थे कि कैसे भी उन पर दबाव बनाकर हमारा उनसे तलाक़ करवा दिया जाएं, वें सभी इस मक़सद में कामयाब भी हो...

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट14) By Kishanlal Sharma

अपने दो बेटों और एक बेटी की शादी वह कर चुके थे।शादी करने से पूर्व उन्होंने अपने बच्चों की राय जानना भी जरूरी नही समझालेकिन रमेश को विश्वास था कि उसके साथ ऐसा नही होगा।उसके ऐसा सोचन...

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कॉन्डम और प्रेम के हालात By बिट्टू श्री दार्शनिक

"कॉन्डम" स्कूल जाते बच्चे से ले कर के आज की पीढ़ी के हर बूढ़े लोग तक इस शब्द को जानते है।यह शब्द उस वस्तु के लिए उपयोग किया गया है जो की एक पतले से प्लास्टिक रबर के बने गुब्बारे जै...

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गरीब बाप - 1 By Mintu Paswan

नमस्कार दोस्तों मैं आप के बीच एक ऐसा कहा एक गरीब कि ज़िन्दगी क्या होती हैं। यह एक कहानी नहीं सच्चाई है । भारत का एक ऐसा राज्य जो गरीबों का राज्य नी लेकर आया हूँ ,जिससे पता चलता है...

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बंद हो चुकी खिड़की By Dr pradeep Upadhyay

बंद हो चुकी खिड़कीआज बत्तीस साल के बाद उससे सामना हुआ था।पहले तो सोचा भी कि उसके सामने नहीं जाऊं। फिर भी मन के किसी कोने में कहीं कोई दबी-छुपी ख्वाहिश मुझे उसके सामने जाने को विवश...

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निष्ठा By जॉन हेम्ब्रम

शाम का वक्त था परिणीति अपनी मां के लिए दवाइयां खरीदने बाजार गई हुई थी। उसके पिता बचपन में ही चल बसे थे उसका एक बड़ा भाई और सिर्फ मां थी,लेकिन उसकी मां अक्सर किसी बीमारी से पीड़ित ह...

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क्या मैं पैसे खाती हूं! By Saroj Prajapati

बड़े शहर में रहने के कारण उनके खर्चे काफी बढ़ने लगे थे। कितना भी देखभाल कर खर्च करती है लेकिन महीने का अंत आते आते लाख चाहने के बाद भी बचत तो दूर खर्चे पूरे करने भी दूभर होने लगे थ...

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