hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


Languages
Categories
Featured Books
  • दादी

    अमन कुमार त्यागी चेतन अभी भी अचेतन नहीं थे। उन्होंने पोजीशन चेंज करने के लिए ज्य...

  • मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 3

    भाग 3आरिज़ ने तो कई बार उसके साथ मार-पीट भी की थी। तब भी कोई कुछ नही बोला था। उसक...

  • टुकड़े पत्थर के

    अनिरुद्ध बोला मैडम नमस्कर पुनः मुलाकात की इच्छा लेकर जा रहा हूँ मुझे विश्वास है...

परतें By sudha jugran

“परतें”फोन की घंटी बजी। मां का फोन था। “हैलो मां, प्रणाम” लेकिन मां के आशीर्वाद में ही उनका सारा दर्द छलक गया।“क्या हुआ?” जिया चिन्तित हो गई।“गिर गई, कमर में दर्द हो रहा है”“हां, व...

Read Free

मातृत्व - किराए की कोख - 1 By Kishanlal Sharma

"ऐसे नही,"सुशांत ने पत्नी को अपने से सटा या तो नताशा पति से अलग होते हुए बोली,"ऐसे नही।""तो कैसे?""पहले कंडोम।""ओहो नताशा,"पत्नी की बात सुनकर सुशांत बोला,"आखिर कब तक हम शारीरिक मि...

Read Free

दादी By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी चेतन अभी भी अचेतन नहीं थे। उन्होंने पोजीशन चेंज करने के लिए ज्यों ही पैरों को सीधा किया, एक अजीब से दर्द के आनंद का अनुभव हुआ। दर्द इसलिए कि घुटने जितनी पीड़ा पाँव...

Read Free

मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 3 By Chaya Agarwal

भाग 3आरिज़ ने तो कई बार उसके साथ मार-पीट भी की थी। तब भी कोई कुछ नही बोला था। उसका गुनाह था कि उसने कठपुतली बनने से इन्कार कर दिया था। मजलूम औरतों के हक़ के लिये लड़ने की ठानी थी। ये...

Read Free

टुकड़े पत्थर के By नंदलाल मणि त्रिपाठी

अनिरुद्ध बोला मैडम नमस्कर पुनः मुलाकात की इच्छा लेकर जा रहा हूँ मुझे विश्वास है कि हमारी अगली मुलाकात में द्वंद दोष शिकायत का कोई स्थान नही होगा और हम एक दूसरे से बहुत प्रसन्न बाता...

Read Free

सन्तो By Dr. Suryapal Singh

गांव में बाघ की ही चलती। दीनहीन उसके अनाचारों से तंग रहते। संतो ने अपने समाज के लोगों के सामने अपनी कठिनाई को रखा पर बाघ का नाम आते ही सभी चुप हो गए। आखिर उसने ही एक फैसला किया। अत...

Read Free

नटिनी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

जान्हवी को ना जाने क्या हो गया था अनिरुद्ध से मिलने के बाद वह माँ जंगिया को समाज मे नारी के साथ विकसित एव पढ़े लिखे सभ्य समाज द्वारा किये जा रहे भेद भाव को विशेषकर आदिवासी नारी के प...

Read Free

एक रेखा और..... By Sharovan

एक रेखा और *** कहानी अंश... ‘अब जब देखो, तब ही महारानी के समान बिस्तर पर आराम फरमाती रहती है। एक तो लड़की पैदा की और वह भी मरी हुई . . . . .’ अरे, हमने भी ये सब किया था। इतना आराम...

Read Free

विस्तार सपनों का By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी कभी-कभी परिस्थितियाँ इतनी भयावह हो जाती हैं। आदमी सोचता कुछ है, करता कुछ है और हो कुछ जाता है। जीवन भर योजना बनाता है मगर अंतिम समय में किसी रेतीली दीवार सा भरभराक...

Read Free

बासी खाना By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी चारों ओर हाहाकार मचा था। शहर का एक भी अस्पताल ऐसा नहीं था जिसमें संक्रमित मरीजों को भर्ती न कराया गया हो। पत्रकारों के लिए यह अच्छी ख़बर थी और चिकित्सकों के लिए अच्...

Read Free

युगांतर - भाग 19 By Dr. Dilbag Singh Virk

रश्मि के घर आने के बाद रमन को तो जैसे नया जीवन मिल गया। यशवंत का स्कूल में दाखिला करवा दिया गया। यशवंत के स्कूल जाने के बाद वह रश्मि को संभालने में व्यस्त रहती। यशवंत के आने के बाद...

Read Free

किन्ने By Dr. Suryapal Singh

डॉ. सूर्यपाल सिंह की कहानी ‘किन्ने’ समाज की विसंगतियों पर एक तीखी टिप्पणी है। सबसे कमजोर व्यक्ति भी अपना धर्म बदल कर कुछ पाने की इच्छा नहीं रखता है। ईमान ही उसका धर्म है। कैसे उसे...

Read Free

ईमानदारी और शराफत पर ठहाके By Vijay Tiwari Kislay

ईमानदारी और शराफत पर ठहाके एक ही शहर में रहने वाले आदर्श और अशोक ने साथ-साथ पढ़ाई की थी। संयोगवश अशोक अपने दबंग पिताजी की धन-संपत्ति और राजनीतिक रौब के चलते एक चर्चित नेता बन गया।...

Read Free

यह बंधन नही है - 4 By Kishanlal Sharma

औरत का अकेले रहना पहले भी आसान नही था और आज भी नही है।अकेली औरत को अनेक समस्यों का साम्बा करना पड़ता है।अनेक परेशानी आती है अकेली औरत के सामने।मुझे भी अनेक छोटी बड़ी मुसीबतों परेशानि...

Read Free

संस्कार By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी संदीप को क्रोध आ गया था। वह सीधा बाबू जी के पास पहँुचा और बिना किसी भूमिका के बरसना शुरू हो गया- ‘हद हो गई बाबू जी! अलका भी आख़िर इंसान ही तो है.... मुन्ना.... मैं...

Read Free

वैशाली By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी भारतीय संविधान ने वैशाली को इतना अधिकार तो दिला ही दिया था कि वह चुनाव जीत गई और मंत्री बन गई थी। शपथ समारोह के बाद अपने नगर का उसका यह पहला दौरा था। जब वह डाक बंग...

Read Free

नीड़ By Dr. Suryapal Singh

डॉ. सूर्यपाल सिंह की संवेदनशील कहानी ‘नीड़।’ ‘नीड़’ कहानी बड़े पेड़ों के कटते जाने के कारण पक्षियों के सामने उत्पन्न संकट को रेखांकित करती है। कपोत-कपोती के माध्यम से केवल पक्षियों...

Read Free

बेसहारा By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी जनवरी की कँपकँपा देने वाली सर्दी थी। मैंने स्वेटर और जैकेट पहने होने के बावजूद सर्दी से ठिठुरन का अहसास किया। चाय पीने का मन हुआ और एक मित्र के साथ छोटे से होटल मे...

Read Free

अकेला‌ चिड़ा By Yogesh Kanava

डाली सातवीं कक्षा की छात्रा, इस बार ही एक नया विषय सिलेबस में जुड़ा है आज उसी की कक्षा है। मैडम भी थोड़ी सी सोचती सी लड़कियों को इस विषय को बताने के लिए शुरू कहां से करूं। कुछ सोचते स...

Read Free

बंजर By Aman Kumar

  अमन कुमार त्यागी जिस्म को झुलसा देने वाली तेज़ धूप थी। मेरे कदम तेज़ी से आगे बढ़ते चले जा रहे थे। दिमाग़ में एक साथ अनगिनत सवाल थे। क्या पति परमेश्वर ही होता है, भले ही वो पत्नी को ज...

Read Free

हादसा - भाग 8 - अंतिम भाग By Ratna Pandey

उस हादसे को हुए जब लगभग एक हफ़्ता बीत गया तो गोताखोरों ने भी जवाब दे दिया। वे ना तो प्रकाश को ढूँढ पाए ना उसके पार्थिव शरीर को। पूरा परिवार अंतिम बार प्रकाश की एक झलक देखना चाहता था...

Read Free

कजरी By Vishram Goswami

कजरी               दीपावली के बाद दिसंबर के प्रथम सप्ताह में ठीक ठंड पड़ने लगी थी। राते थोड़ी बड़ी हो गई थी। जल्दी सुबह जब भ्रमण के लिए निकला तो कस्बे के मुख्य बाजार वाली सड़क पर अ...

Read Free

उसके हिस्से का दुःख By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी सरिता सौम्य एवं सुशील लड़की थी। वह अपने बहन-भाइयों में सबसे बड़ी होने के कारण सबसे अधिक समझदार भी थी। जब भी पिताजी कुछ खाने की चीजें़ लाते वह अपनी बहन व भाइयों को ही...

Read Free

अरुण- डूबता सूरज!! By Munish Sharma

अरुण- डूबता सूरज!! --------------------------- ----भाग एक- गांव छोड़ना----अरूणः मां मैं कल सुबह खोड़ा जीजी जीजाजी के पास जाऊंगा। कुछ भिजवा हो तो झोले में रख दियो। पापा से कुछ पैसे भ...

Read Free

जानकारी ही बचाव By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी नीता को मायके आए पूरे पाँच महीने बीत चुके थे। इतने दिन मायके में बिताना समाज मेें अच्छा नहीं माना जाता है। मुहल्ले की औरतों में कानाफूसी शुरू हो गई थी। कोई कहती- ‘...

Read Free

मन न भये दस बीस By sudha jugran

“मन न भये दस बीस”आरुषि ने ट्रैक सूट पहना कटे बालों को पोनी बना कर हेयर बैंड के हवाले किया। स्पोर्टस शूज के तस्मे कसे। एक झलक खुद को शीशे में देखा और फ्लैट से बाहर हो ली। सामने वाले...

Read Free

दिव्या By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी -‘डाॅक्टर! मुझे मरने में और कितना समय लगेगा?’ -‘तुम जल्दी ही अच्छी हो जाओगी।’ -‘नहीं डाॅक्टर, मैं अब कभी भी अच्छी नहीं हो सकती। मुझे रोज़ मरना पड़े, उससे बेहतर है......

Read Free

ऑनर किलिंग By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी रात किसी को बुरी नहीं लगती क्योंकि सभी जानते हैं कि सुबह होनी ही है। सुबह का इंतज़ार रात्रि को मजे़दार बना देता है। लेकिन जिसे पता हो कि अब सुबह कभी नहीं होगी, उसके...

Read Free

बहू मैं चटोरापन करती तो आज तुम्हारी ये हैसियत ना होती By Saroj Prajapati

सरला तू तो बड़ी बातों को मन में रखती है। बता रोज हमारे पास बैठती है लेकिन एक बार भी नहीं बताया कि इतवार को तुम कीर्तन करा रहे हो!! अपनी पड़ोसन के मुंह से कीर्तन की बात सुन सरला जी...

Read Free

वनवासी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आशीष सनातन दीक्षित जी से महाकाल लौटने की अनुमति लेने के लिए गया सनातन जी बहुत भारी मन से कहते है बाल गोपाल आप आये कितने सुखद अनुभूतियों को लेकर जिसे ओंकारेश्वरवासी कभी विस्मृत नही...

Read Free

दहेज़ के बदले By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी समीर मेहनती युवक था। एमए करने के बाद उसने नौकरी तलाशने में समय बर्बाद नहीं किया। बिना किसी शर्म और दिखावे के उसे जो भी काम मिला, करता गया। वह निम्न मध्यम वर्गीय मा...

Read Free

भाग्यरेखा By Vishram Goswami

भाग्यरेखा अपने घर की बालकनी में बैठा मनोहर, बाहर आंगन में लगे नीम के पेड़ की डाल पर बने घोसले से बाहर , छोटी सी टहनी पर बैठे चिड़ा की ओर एकटक देखे जा रहा था । उस चिड़े को देखते हुए...

Read Free

प्रकृति के साथ विज्ञान By Dhruv Prajapati

-- कई वर्ष पूर्व हमारा देश और समाज को विज्ञान की छाया मिलना असंभव था । लेकिन इस देश की हरियाली और स्वच्छता इस देश की कारण बनी हुई है । तो आज स्वच्छ और हरित समाज के लिए विज्ञान ही ज...

Read Free

आंसु पश्चाताप के - भाग 15 - अंतिम भाग By Deepak Singh

जब वक्त बेरहम होता है तो जो भी उसकी चपेट में आता है , वह उसे नहीं छोड़ता , ठीक वैसे ही प्रकाश के साथ हुआ । प्रकाश अपनी बाइक से अपने पुत्र राहुल से मिलने जा रहा था , रास्ते में सामन...

Read Free

दोनों आधे-अधूरे By Yogesh Kanava

हमेशा की तरह मैं खड़की में बैठा दूर आसमान से उभरते चाँद को देख रहा था। चाँद आधा-सा, अधूरा-सा, फिर अपने ग़म की परछाई को छुपाता-सा। शायद उसे भी यह मालूम था कि मैं रोज़ाना की तरह ही उसका...

Read Free

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय By Guri baba

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देश का एक बड़ा विश्वविद्यालय है। पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह ने भारतीय संस्कृति और परंपरा को पोषित करने के लिए 11 जनवरी 1957...

Read Free

परतें By sudha jugran

“परतें”फोन की घंटी बजी। मां का फोन था। “हैलो मां, प्रणाम” लेकिन मां के आशीर्वाद में ही उनका सारा दर्द छलक गया।“क्या हुआ?” जिया चिन्तित हो गई।“गिर गई, कमर में दर्द हो रहा है”“हां, व...

Read Free

मातृत्व - किराए की कोख - 1 By Kishanlal Sharma

"ऐसे नही,"सुशांत ने पत्नी को अपने से सटा या तो नताशा पति से अलग होते हुए बोली,"ऐसे नही।""तो कैसे?""पहले कंडोम।""ओहो नताशा,"पत्नी की बात सुनकर सुशांत बोला,"आखिर कब तक हम शारीरिक मि...

Read Free

दादी By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी चेतन अभी भी अचेतन नहीं थे। उन्होंने पोजीशन चेंज करने के लिए ज्यों ही पैरों को सीधा किया, एक अजीब से दर्द के आनंद का अनुभव हुआ। दर्द इसलिए कि घुटने जितनी पीड़ा पाँव...

Read Free

मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 3 By Chaya Agarwal

भाग 3आरिज़ ने तो कई बार उसके साथ मार-पीट भी की थी। तब भी कोई कुछ नही बोला था। उसका गुनाह था कि उसने कठपुतली बनने से इन्कार कर दिया था। मजलूम औरतों के हक़ के लिये लड़ने की ठानी थी। ये...

Read Free

टुकड़े पत्थर के By नंदलाल मणि त्रिपाठी

अनिरुद्ध बोला मैडम नमस्कर पुनः मुलाकात की इच्छा लेकर जा रहा हूँ मुझे विश्वास है कि हमारी अगली मुलाकात में द्वंद दोष शिकायत का कोई स्थान नही होगा और हम एक दूसरे से बहुत प्रसन्न बाता...

Read Free

सन्तो By Dr. Suryapal Singh

गांव में बाघ की ही चलती। दीनहीन उसके अनाचारों से तंग रहते। संतो ने अपने समाज के लोगों के सामने अपनी कठिनाई को रखा पर बाघ का नाम आते ही सभी चुप हो गए। आखिर उसने ही एक फैसला किया। अत...

Read Free

नटिनी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

जान्हवी को ना जाने क्या हो गया था अनिरुद्ध से मिलने के बाद वह माँ जंगिया को समाज मे नारी के साथ विकसित एव पढ़े लिखे सभ्य समाज द्वारा किये जा रहे भेद भाव को विशेषकर आदिवासी नारी के प...

Read Free

एक रेखा और..... By Sharovan

एक रेखा और *** कहानी अंश... ‘अब जब देखो, तब ही महारानी के समान बिस्तर पर आराम फरमाती रहती है। एक तो लड़की पैदा की और वह भी मरी हुई . . . . .’ अरे, हमने भी ये सब किया था। इतना आराम...

Read Free

विस्तार सपनों का By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी कभी-कभी परिस्थितियाँ इतनी भयावह हो जाती हैं। आदमी सोचता कुछ है, करता कुछ है और हो कुछ जाता है। जीवन भर योजना बनाता है मगर अंतिम समय में किसी रेतीली दीवार सा भरभराक...

Read Free

बासी खाना By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी चारों ओर हाहाकार मचा था। शहर का एक भी अस्पताल ऐसा नहीं था जिसमें संक्रमित मरीजों को भर्ती न कराया गया हो। पत्रकारों के लिए यह अच्छी ख़बर थी और चिकित्सकों के लिए अच्...

Read Free

युगांतर - भाग 19 By Dr. Dilbag Singh Virk

रश्मि के घर आने के बाद रमन को तो जैसे नया जीवन मिल गया। यशवंत का स्कूल में दाखिला करवा दिया गया। यशवंत के स्कूल जाने के बाद वह रश्मि को संभालने में व्यस्त रहती। यशवंत के आने के बाद...

Read Free

किन्ने By Dr. Suryapal Singh

डॉ. सूर्यपाल सिंह की कहानी ‘किन्ने’ समाज की विसंगतियों पर एक तीखी टिप्पणी है। सबसे कमजोर व्यक्ति भी अपना धर्म बदल कर कुछ पाने की इच्छा नहीं रखता है। ईमान ही उसका धर्म है। कैसे उसे...

Read Free

ईमानदारी और शराफत पर ठहाके By Vijay Tiwari Kislay

ईमानदारी और शराफत पर ठहाके एक ही शहर में रहने वाले आदर्श और अशोक ने साथ-साथ पढ़ाई की थी। संयोगवश अशोक अपने दबंग पिताजी की धन-संपत्ति और राजनीतिक रौब के चलते एक चर्चित नेता बन गया।...

Read Free

यह बंधन नही है - 4 By Kishanlal Sharma

औरत का अकेले रहना पहले भी आसान नही था और आज भी नही है।अकेली औरत को अनेक समस्यों का साम्बा करना पड़ता है।अनेक परेशानी आती है अकेली औरत के सामने।मुझे भी अनेक छोटी बड़ी मुसीबतों परेशानि...

Read Free

संस्कार By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी संदीप को क्रोध आ गया था। वह सीधा बाबू जी के पास पहँुचा और बिना किसी भूमिका के बरसना शुरू हो गया- ‘हद हो गई बाबू जी! अलका भी आख़िर इंसान ही तो है.... मुन्ना.... मैं...

Read Free

वैशाली By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी भारतीय संविधान ने वैशाली को इतना अधिकार तो दिला ही दिया था कि वह चुनाव जीत गई और मंत्री बन गई थी। शपथ समारोह के बाद अपने नगर का उसका यह पहला दौरा था। जब वह डाक बंग...

Read Free

नीड़ By Dr. Suryapal Singh

डॉ. सूर्यपाल सिंह की संवेदनशील कहानी ‘नीड़।’ ‘नीड़’ कहानी बड़े पेड़ों के कटते जाने के कारण पक्षियों के सामने उत्पन्न संकट को रेखांकित करती है। कपोत-कपोती के माध्यम से केवल पक्षियों...

Read Free

बेसहारा By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी जनवरी की कँपकँपा देने वाली सर्दी थी। मैंने स्वेटर और जैकेट पहने होने के बावजूद सर्दी से ठिठुरन का अहसास किया। चाय पीने का मन हुआ और एक मित्र के साथ छोटे से होटल मे...

Read Free

अकेला‌ चिड़ा By Yogesh Kanava

डाली सातवीं कक्षा की छात्रा, इस बार ही एक नया विषय सिलेबस में जुड़ा है आज उसी की कक्षा है। मैडम भी थोड़ी सी सोचती सी लड़कियों को इस विषय को बताने के लिए शुरू कहां से करूं। कुछ सोचते स...

Read Free

बंजर By Aman Kumar

  अमन कुमार त्यागी जिस्म को झुलसा देने वाली तेज़ धूप थी। मेरे कदम तेज़ी से आगे बढ़ते चले जा रहे थे। दिमाग़ में एक साथ अनगिनत सवाल थे। क्या पति परमेश्वर ही होता है, भले ही वो पत्नी को ज...

Read Free

हादसा - भाग 8 - अंतिम भाग By Ratna Pandey

उस हादसे को हुए जब लगभग एक हफ़्ता बीत गया तो गोताखोरों ने भी जवाब दे दिया। वे ना तो प्रकाश को ढूँढ पाए ना उसके पार्थिव शरीर को। पूरा परिवार अंतिम बार प्रकाश की एक झलक देखना चाहता था...

Read Free

कजरी By Vishram Goswami

कजरी               दीपावली के बाद दिसंबर के प्रथम सप्ताह में ठीक ठंड पड़ने लगी थी। राते थोड़ी बड़ी हो गई थी। जल्दी सुबह जब भ्रमण के लिए निकला तो कस्बे के मुख्य बाजार वाली सड़क पर अ...

Read Free

उसके हिस्से का दुःख By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी सरिता सौम्य एवं सुशील लड़की थी। वह अपने बहन-भाइयों में सबसे बड़ी होने के कारण सबसे अधिक समझदार भी थी। जब भी पिताजी कुछ खाने की चीजें़ लाते वह अपनी बहन व भाइयों को ही...

Read Free

अरुण- डूबता सूरज!! By Munish Sharma

अरुण- डूबता सूरज!! --------------------------- ----भाग एक- गांव छोड़ना----अरूणः मां मैं कल सुबह खोड़ा जीजी जीजाजी के पास जाऊंगा। कुछ भिजवा हो तो झोले में रख दियो। पापा से कुछ पैसे भ...

Read Free

जानकारी ही बचाव By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी नीता को मायके आए पूरे पाँच महीने बीत चुके थे। इतने दिन मायके में बिताना समाज मेें अच्छा नहीं माना जाता है। मुहल्ले की औरतों में कानाफूसी शुरू हो गई थी। कोई कहती- ‘...

Read Free

मन न भये दस बीस By sudha jugran

“मन न भये दस बीस”आरुषि ने ट्रैक सूट पहना कटे बालों को पोनी बना कर हेयर बैंड के हवाले किया। स्पोर्टस शूज के तस्मे कसे। एक झलक खुद को शीशे में देखा और फ्लैट से बाहर हो ली। सामने वाले...

Read Free

दिव्या By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी -‘डाॅक्टर! मुझे मरने में और कितना समय लगेगा?’ -‘तुम जल्दी ही अच्छी हो जाओगी।’ -‘नहीं डाॅक्टर, मैं अब कभी भी अच्छी नहीं हो सकती। मुझे रोज़ मरना पड़े, उससे बेहतर है......

Read Free

ऑनर किलिंग By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी रात किसी को बुरी नहीं लगती क्योंकि सभी जानते हैं कि सुबह होनी ही है। सुबह का इंतज़ार रात्रि को मजे़दार बना देता है। लेकिन जिसे पता हो कि अब सुबह कभी नहीं होगी, उसके...

Read Free

बहू मैं चटोरापन करती तो आज तुम्हारी ये हैसियत ना होती By Saroj Prajapati

सरला तू तो बड़ी बातों को मन में रखती है। बता रोज हमारे पास बैठती है लेकिन एक बार भी नहीं बताया कि इतवार को तुम कीर्तन करा रहे हो!! अपनी पड़ोसन के मुंह से कीर्तन की बात सुन सरला जी...

Read Free

वनवासी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

आशीष सनातन दीक्षित जी से महाकाल लौटने की अनुमति लेने के लिए गया सनातन जी बहुत भारी मन से कहते है बाल गोपाल आप आये कितने सुखद अनुभूतियों को लेकर जिसे ओंकारेश्वरवासी कभी विस्मृत नही...

Read Free

दहेज़ के बदले By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी समीर मेहनती युवक था। एमए करने के बाद उसने नौकरी तलाशने में समय बर्बाद नहीं किया। बिना किसी शर्म और दिखावे के उसे जो भी काम मिला, करता गया। वह निम्न मध्यम वर्गीय मा...

Read Free

भाग्यरेखा By Vishram Goswami

भाग्यरेखा अपने घर की बालकनी में बैठा मनोहर, बाहर आंगन में लगे नीम के पेड़ की डाल पर बने घोसले से बाहर , छोटी सी टहनी पर बैठे चिड़ा की ओर एकटक देखे जा रहा था । उस चिड़े को देखते हुए...

Read Free

प्रकृति के साथ विज्ञान By Dhruv Prajapati

-- कई वर्ष पूर्व हमारा देश और समाज को विज्ञान की छाया मिलना असंभव था । लेकिन इस देश की हरियाली और स्वच्छता इस देश की कारण बनी हुई है । तो आज स्वच्छ और हरित समाज के लिए विज्ञान ही ज...

Read Free

आंसु पश्चाताप के - भाग 15 - अंतिम भाग By Deepak Singh

जब वक्त बेरहम होता है तो जो भी उसकी चपेट में आता है , वह उसे नहीं छोड़ता , ठीक वैसे ही प्रकाश के साथ हुआ । प्रकाश अपनी बाइक से अपने पुत्र राहुल से मिलने जा रहा था , रास्ते में सामन...

Read Free

दोनों आधे-अधूरे By Yogesh Kanava

हमेशा की तरह मैं खड़की में बैठा दूर आसमान से उभरते चाँद को देख रहा था। चाँद आधा-सा, अधूरा-सा, फिर अपने ग़म की परछाई को छुपाता-सा। शायद उसे भी यह मालूम था कि मैं रोज़ाना की तरह ही उसका...

Read Free

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय By Guri baba

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देश का एक बड़ा विश्वविद्यालय है। पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह ने भारतीय संस्कृति और परंपरा को पोषित करने के लिए 11 जनवरी 1957...

Read Free