hindi Best Moral Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Moral Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cult...Read More


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पत्थरों का देवता By नंदलाल मणि त्रिपाठी

जीवेश एक साधारण परिवार की विरासत में पैदा हुआ था जीवेश के पिता जन्मेजय बहुत साधारण और सांस्कारिक व्यक्तित्व थे धर्म परायण और सच्चे इंसान जनमेजय की विनम्रता के किस्से जवार में मशहूर...

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जिन्दगी यहीं खत्म नहीं होती By Dr. Suryapal Singh

कल केन्द्र सरकार ने शासकीय कर्मचारियों, शिक्षकों के लिए छठे वेतन आयोग की संस्तुतियों को मंजूरी दे दी। आज के अखबार वेतन आयोग की रिपोर्ट पर अपनी टिप्पणियाँ देने में एक दूसरे से धक्का...

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युगांतर - भाग 25 By Dr. Dilbag Singh Virk

संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा, जिस पर कभी कोई मुसीबत न आई हो। हाँ, मुसीबतों की संख्या कम-ज्यादा हो सकती है और यह भी कहा जा सकता है कि मुसीबतें बड़ी-छोटी भी हो सकती हैं। वैसे म...

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मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 17 By Chaya Agarwal

भाग 17नुसरत ने आते ही शबीना के हाथ से काम ले लिया, जिसे वह तल्लीनता से कर रही थी। वह सेवईयों के लिये मेवें काट रही थी। नुसरत ने अपने हाथ से खिसका कर प्लेट अपनी तरफ कर ली और खुद मेव...

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नौ साल की लड़की By Dr. Suryapal Singh

गर्मियों के दिन। अन्ना अपने कमरे में दर्पण के सामने खड़ी अपने बालों को निहारती हुई। मन में थोड़ी उधेड़-बुन। उसने एक सफेद बाल को खींच लिया। आज रविवार है, छुट्टी का दिन। उसकी नौ साल...

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धर्म की दीवार.. By Saroj Verma

शाहिद लखनऊ एयरपोर्ट के बाहर आया,उसने सोचा कि किस होटल में कमरा लूँ,यहाँ तो मैं किसी को जानता भी नहीं,तभी एकायक उसके मन में विचार आया क्यों ना तिवारी मोहल्ले में ही कोई होटल तलाश कर...

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प्यार के जन्म हज़ार By नंदलाल मणि त्रिपाठी

ऐसी मान्यता है कि जो आत्मा आकस्मिक अपूर्ण इच्छा के साथ शरीर का त्याग करती है वह अपने शुक्ष्म अलौकिक अस्तित्व में ब्रह्मांड में विचरण करती है और अपने जीवन अस्तित्व की अत्रितप्ता की...

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सांस्कार कि शिक्षा By नंदलाल मणि त्रिपाठी

एक गाँव मे एक गरीब ब्राह्मण रहते थे उस गरीब ब्राह्मण के पास अपनी छोपडी के अलावा खेती की कोई जमीन नही थी जिसके कारण पंडित जी अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिये पांडित्य कर्म करते...

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नानी की कहानी By DINESH KUMAR KEER

आमतौर पर देखा गया है कि हम जो सामने देखते हैं उसे ही सच मान बैठते हैं बिना सोचे समझे सच्चाई जाने बगैर किसी को भी कोसने लगते हैं इसी तरह की एक घटना कुछ दिन पहले हमारे सामने आई जिसने...

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उदास चेहरा By Dr. Suryapal Singh

अपराह्न दो बजे का समय। गोण्डा का बस स्टेशन। दिल्ली जाने वाली बस में लोग बैठ रहे हैं। चालक और परिचालक दिल्ली.........दिल्ली की हाँक लगाते हुए। अभी बस भरी नहीं है। कभी कभी तो एक दम ठ...

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काबा जाए कि काशी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

पंडित धर्मराज के तीन बेटे हिमाशु ,देवांशु ,प्रियांशु थे तीनो भाईयों में आपसी प्यार और तालमेल था पूरे गाँव वाले पंडित जी के बेटो के गुणों संस्कारो का बखान करते नहीं थकते पंडित जी के...

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फूलों की भेंट.. By Saroj Verma

मँझली बहू गुन्जा जैसे ही दादा जी के कमरें उनके दोपहर का भोजन लेकर पहुँची तो उसने देखा कि दादा जी अपने बिस्तर पर लेटे थे,गुन्जा उनके बिस्तर के पास जाकर बोली... "माँफ कर दीजिए दादाजी...

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पापा कहां थे आप By Vishram Goswami

पापा कहां थे आप                पतझड़ का मौसम था। पेड़ों के पीले पड़े हुए पत्ते जमीन को ढक कर मानो बिछौना सा बना रहे थे। शहर का बाहरी इलाका वीराने का सा एहसास कराता था । पेड़- पौधे...

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चन्द्रिका By Dr. Suryapal Singh

चन्द्रिकादो नदियों के मिलने पर जिस नदी का पानी स्थिर हो जाता है उसका समापन मान लिया जाता है। प्रयाग में यमुना का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। उसका पानी स्थिर, शान्त दिखता है गंगा का...

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काश…. पहले बता देते ! By Ashwajit Patil

काव्या का पंखे से लटका हुआ देह मुझे सोचने पर मजबूर कर रहा था. ये किस्मत का कैसा खेल है? कौन कहां पर गलत है ? पुलिस को मिले सुसाइड नोट में स्पष्ट शब्दों में लिखा था. महीप उसके बच्चे...

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ज़िन्दगी मेरे घर आना By DINESH KUMAR KEER

बेटियाँ पराई नहीं, दिलों में रहती है ... एक बार एक गरीब पिता ने अपनी एकलौती पुत्री की सगाई करवाई ... लड़का बड़े अच्छे घर से था, इसलिए माता-पिता दोनों बहुत खुश थे । लड़के के साथ लड़...

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किन्नर अभिशाप नही By नंदलाल मणि त्रिपाठी

पंडित परमात्मा जी के कोई औलाद नही थी विबाह के लगभग पंद्रह वर्ष बीत चुके थे पण्डित जी एक औलाद के लिये जाने क्या क्या जतन करते सारे तीर्थ स्थलों पर गए कोई मंदिर कुरुद्वारा नही बचा जह...

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दीवार की आंख By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी ‘‘कौन मानेगा इस बात को कि दीवार की भी आंख होती है?’’ कमल सवाल करता है और फिर स्वयं ही जवाब भी देता है -‘‘जब दीवार के कान हो सकते हैं तो आंख क्यों नहीं हो सकती।’’मग...

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पापा की परी By DINESH KUMAR KEER

  बेटी निरमा की शादी हाल ही में हुई थी, कुछ दिनों बाद पहली बार पिता जी बेटी से मिलने उनके ससुराल पहुंचे पिता जी को लगा था, मुझे देखते ही निरमा मेरे गले से लग जायेगी, अंत सोचते...

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अरमानों का आकाश By नंदलाल मणि त्रिपाठी

मानवेन्द्र के पिता सोमेंद्र और माँ रितिका अपने समय के मशहूर चिकित्सक थे डेहरी गांव के नजदीक कस्बे कखारदुल में पाइवेट नर्सिंग होम चलाते थे दोनों की प्रैक्टिस अच्छी खासी थी और दूर दू...

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खुदा का इंसाफ By नंदलाल मणि त्रिपाठी

मृगेंद्र माधव महतो का होनहार एकलौता बेटा था माधव महतो के पास ससुराल की खेती मिली थी क्योंकि महिमा माँ बाप की इकलौती संतान थी जिसकी शादी महिमा जिसकी शादी पंद्रह वर्ष पूर्व माधव से ह...

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एक टुकड़ा सुख By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी  आज एक ऐसे व्यक्ति की कहानी कहता हूँ जिसके पास धन का अभाव था मगर उसने अपने आपको कभी ग़रीब नहीं माना। उसकी पत्नी बीमार थी, बेटी बीमार थी, बेटा बीमार था यहाँ तक कि वह...

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राजू किसान By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी    1 पिता जी! जल्दी उठो, अम्मा की तबियत ख़राब है, बहुत ज़ोर का दर्द उठरिया है।’ बेटे राजू ने झंझोड़कर उठाया तो मान सिंह को मजबूरीवश उठना पड़ा। अंगड़ाई लेते हुए उसने पूछ...

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खुशबू (बेटी को मां की शिक्षा) By DINESH KUMAR KEER

खुशबू: - बेटी को मां की शिक्षा   एक बड़ी सी गाड़ी आकर बाजार में रूकी, कार में ही मोबाईल से बातें करते हुयें, महिला ने अपनी बच्ची (पायल) से कहा, जा उस बुढिया से पूछ सब्जी कैसे...

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कोख़ में हत्या By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी  सुधा को मुहल्ले भर के सभी बच्चे, जवान और बूढ़े जानते थे। सभी सुधा से बेहद लगाव रखते। सुधा भी तो सभी के दुःख दर्द में शरीक़ होती। वह कहती -दुःख बाँटना आत्मसंतुष्टि क...

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कृतज्ञता By Dr Jaya Shankar Shukla

जीवन में मिले असहयोगों या उपेक्षाओं की सूची तैयार करते समय कदाचित हम प्राप्त उपकारों और सहयोगों की भी गिनती करने लगें तो खिन्नता और क्रोध का आधा हिस्सा प्रसन्नता और कृतज्ञता के अधि...

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समझौता By नंदलाल मणि त्रिपाठी

कांट्रेक्ट मैरेज यानी संविदा विवाह कुछ निश्चित शर्तो के आपसी समझ बुझ का बंधन जिसे विवाह कहना न्यायोचित नही होगा ।।क्योकी विवाह दो जिस्म का एक जान हमेशा के लिये हो जाना जीवन के हर म...

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सोना By नंदलाल मणि त्रिपाठी

भोला नाम का ही भोला नही था सीधा साधा व्यक्तित्व निष्पाप या यूं कहें कि उसे आधुनिकता और विकसित होते राष्ट्र समाज का कोई भान नही था ।।वह दुनियां के छल प्रपंच कपट से दूर धर्म भीरू और...

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कर्ज़ By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी  सावन का महीना बीत चुका था। आम की फसल इस बार कम ही थी, सो आम का समय भी गया ही समझो। कोयल की कूक तो बस अब अगले साल ही सुनने को मिल पाएगी। गर्मी के मारे बुरा हाल है।...

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ग्रीन चेन By नंदलाल मणि त्रिपाठी

कायनात यानी ब्रह्मांड के दो प्रमुख आधार स्तम्भ है पहला प्रमुख स्तम्भ है प्रकृति पेड़ पौधे झरना झील नदियाँ समंदर पहाड़ जिनमे अदृश्य चेतना जागृति होती है जिनके कारण ऋतुएं मौसम आदि निर्...

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भाई-बहन का पवित्र रिश्ता By DINESH KUMAR KEER

जब बस में सफर कर रहा था... और ड्राइवर के बगल में खड़ा था... इतने में एक महिला ने ड्राइवर से बोला की "भैया" मुझे यहीं उतार दो...   ड्राइवर ने उसे उतार दिया और फिर बस चलाते हुए म...

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मतदान By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी   अब तो हद हो गई है। बर्दाश्त की भी कोई सीमा होती है? बात सभी सीमाओं को लांघ चुकी है। पानी सिर से ऊपर नहीं बल्कि बांध के ऊपर से बहने लगा है। जिन्हें संभलना था वो त...

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एक मुलाकात कि वर्षात By नंदलाल मणि त्रिपाठी

वारणसी उतर प्रदेश का मुख्य शहर एव भारत की पौराणिक धार्मिक नगरी है सुबहे बनारस बहुत मसहूर है सुबह मंदिरों में बजते घंटे घड़ियाल और वेद मंत्रों की ऋचाओं से पूरा शहर अपनी विशेष पहचान क...

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ग़लती By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी -‘बेटे लाठी मारने से पानी अलग नहीं हो जाता है।’ मान सिंह ने अपने बड़े बेटे को समझाने का प्रयास किया। -‘और वो मुझे मार डाले तब।’ नरेश ने शिक़ायती लहजे में कहते हुए अप...

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हिमांशी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

हिमांशी को भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की घोषणा क्या हुई कला हांडी के पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गयी पूरे क्षेत्र के लांगो को लग रहा था जैसे पुरष्कृत उन्ही...

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उज्ज्वला By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी   समीर आज पचास साल बाद गाँव आ रहा था। जब से वह शहर गया था उसे गाँव का जीवन नीरस और निरर्थक लगने लगा था। उसने शहर में कड़ी मेहनत कर एक घर बना लिया और वहीं पर बस गया...

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दी औरते - (अंतिम क़िस्त) By Kishanlal Sharma

रात का प्रथम पहर आधे से ज्यादा बीत चुका था।चारो तरफ वातावरण शांत और खामोश था।दूर दूर तक किसी तरह की आवाज नही कोई आहट नही।कोई शोर नही।कुत्तों के भोकने की आवाजें भी नही आ रही थी।सुरे...

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वह सिसकती रही By नंदलाल मणि त्रिपाठी

भोपाल भारत के मशहूर शहरों में शुमार अपनी विशिष्ट विशेषताओं के लिये मशहूर भोपाल अपनी खूबसूरती प्राकृतिक सुंदरता के लिये जाना जाता है अमूमन यहां के लोग शांति प्रिय और भारत की सांस्कृ...

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बेरंग दुनिया By Urooj Khan

शीर्षक = बेरंग दुनियादीवार पर टंगी एक तस्वीर को नम आँखों से काफी देर देखने के बाद, आखिर कार उस तस्वीर को उतार कर अपने सीने से लगाते हुए, राहुल वही पास पड़ी कुर्सी पर बैठ जाता है...

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पत्थरों का देवता By नंदलाल मणि त्रिपाठी

जीवेश एक साधारण परिवार की विरासत में पैदा हुआ था जीवेश के पिता जन्मेजय बहुत साधारण और सांस्कारिक व्यक्तित्व थे धर्म परायण और सच्चे इंसान जनमेजय की विनम्रता के किस्से जवार में मशहूर...

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जिन्दगी यहीं खत्म नहीं होती By Dr. Suryapal Singh

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मुजाहिदा - ह़क की जंग - भाग 17 By Chaya Agarwal

भाग 17नुसरत ने आते ही शबीना के हाथ से काम ले लिया, जिसे वह तल्लीनता से कर रही थी। वह सेवईयों के लिये मेवें काट रही थी। नुसरत ने अपने हाथ से खिसका कर प्लेट अपनी तरफ कर ली और खुद मेव...

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नौ साल की लड़की By Dr. Suryapal Singh

गर्मियों के दिन। अन्ना अपने कमरे में दर्पण के सामने खड़ी अपने बालों को निहारती हुई। मन में थोड़ी उधेड़-बुन। उसने एक सफेद बाल को खींच लिया। आज रविवार है, छुट्टी का दिन। उसकी नौ साल...

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धर्म की दीवार.. By Saroj Verma

शाहिद लखनऊ एयरपोर्ट के बाहर आया,उसने सोचा कि किस होटल में कमरा लूँ,यहाँ तो मैं किसी को जानता भी नहीं,तभी एकायक उसके मन में विचार आया क्यों ना तिवारी मोहल्ले में ही कोई होटल तलाश कर...

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प्यार के जन्म हज़ार By नंदलाल मणि त्रिपाठी

ऐसी मान्यता है कि जो आत्मा आकस्मिक अपूर्ण इच्छा के साथ शरीर का त्याग करती है वह अपने शुक्ष्म अलौकिक अस्तित्व में ब्रह्मांड में विचरण करती है और अपने जीवन अस्तित्व की अत्रितप्ता की...

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सांस्कार कि शिक्षा By नंदलाल मणि त्रिपाठी

एक गाँव मे एक गरीब ब्राह्मण रहते थे उस गरीब ब्राह्मण के पास अपनी छोपडी के अलावा खेती की कोई जमीन नही थी जिसके कारण पंडित जी अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिये पांडित्य कर्म करते...

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नानी की कहानी By DINESH KUMAR KEER

आमतौर पर देखा गया है कि हम जो सामने देखते हैं उसे ही सच मान बैठते हैं बिना सोचे समझे सच्चाई जाने बगैर किसी को भी कोसने लगते हैं इसी तरह की एक घटना कुछ दिन पहले हमारे सामने आई जिसने...

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अपराह्न दो बजे का समय। गोण्डा का बस स्टेशन। दिल्ली जाने वाली बस में लोग बैठ रहे हैं। चालक और परिचालक दिल्ली.........दिल्ली की हाँक लगाते हुए। अभी बस भरी नहीं है। कभी कभी तो एक दम ठ...

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काबा जाए कि काशी By नंदलाल मणि त्रिपाठी

पंडित धर्मराज के तीन बेटे हिमाशु ,देवांशु ,प्रियांशु थे तीनो भाईयों में आपसी प्यार और तालमेल था पूरे गाँव वाले पंडित जी के बेटो के गुणों संस्कारो का बखान करते नहीं थकते पंडित जी के...

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फूलों की भेंट.. By Saroj Verma

मँझली बहू गुन्जा जैसे ही दादा जी के कमरें उनके दोपहर का भोजन लेकर पहुँची तो उसने देखा कि दादा जी अपने बिस्तर पर लेटे थे,गुन्जा उनके बिस्तर के पास जाकर बोली... "माँफ कर दीजिए दादाजी...

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पापा कहां थे आप By Vishram Goswami

पापा कहां थे आप                पतझड़ का मौसम था। पेड़ों के पीले पड़े हुए पत्ते जमीन को ढक कर मानो बिछौना सा बना रहे थे। शहर का बाहरी इलाका वीराने का सा एहसास कराता था । पेड़- पौधे...

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चन्द्रिका By Dr. Suryapal Singh

चन्द्रिकादो नदियों के मिलने पर जिस नदी का पानी स्थिर हो जाता है उसका समापन मान लिया जाता है। प्रयाग में यमुना का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। उसका पानी स्थिर, शान्त दिखता है गंगा का...

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किन्नर अभिशाप नही By नंदलाल मणि त्रिपाठी

पंडित परमात्मा जी के कोई औलाद नही थी विबाह के लगभग पंद्रह वर्ष बीत चुके थे पण्डित जी एक औलाद के लिये जाने क्या क्या जतन करते सारे तीर्थ स्थलों पर गए कोई मंदिर कुरुद्वारा नही बचा जह...

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दीवार की आंख By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी ‘‘कौन मानेगा इस बात को कि दीवार की भी आंख होती है?’’ कमल सवाल करता है और फिर स्वयं ही जवाब भी देता है -‘‘जब दीवार के कान हो सकते हैं तो आंख क्यों नहीं हो सकती।’’मग...

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पापा की परी By DINESH KUMAR KEER

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मृगेंद्र माधव महतो का होनहार एकलौता बेटा था माधव महतो के पास ससुराल की खेती मिली थी क्योंकि महिमा माँ बाप की इकलौती संतान थी जिसकी शादी महिमा जिसकी शादी पंद्रह वर्ष पूर्व माधव से ह...

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राजू किसान By Aman Kumar

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खुशबू (बेटी को मां की शिक्षा) By DINESH KUMAR KEER

खुशबू: - बेटी को मां की शिक्षा   एक बड़ी सी गाड़ी आकर बाजार में रूकी, कार में ही मोबाईल से बातें करते हुयें, महिला ने अपनी बच्ची (पायल) से कहा, जा उस बुढिया से पूछ सब्जी कैसे...

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कोख़ में हत्या By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी  सुधा को मुहल्ले भर के सभी बच्चे, जवान और बूढ़े जानते थे। सभी सुधा से बेहद लगाव रखते। सुधा भी तो सभी के दुःख दर्द में शरीक़ होती। वह कहती -दुःख बाँटना आत्मसंतुष्टि क...

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भोला नाम का ही भोला नही था सीधा साधा व्यक्तित्व निष्पाप या यूं कहें कि उसे आधुनिकता और विकसित होते राष्ट्र समाज का कोई भान नही था ।।वह दुनियां के छल प्रपंच कपट से दूर धर्म भीरू और...

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अमन कुमार त्यागी  सावन का महीना बीत चुका था। आम की फसल इस बार कम ही थी, सो आम का समय भी गया ही समझो। कोयल की कूक तो बस अब अगले साल ही सुनने को मिल पाएगी। गर्मी के मारे बुरा हाल है।...

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अमन कुमार त्यागी   अब तो हद हो गई है। बर्दाश्त की भी कोई सीमा होती है? बात सभी सीमाओं को लांघ चुकी है। पानी सिर से ऊपर नहीं बल्कि बांध के ऊपर से बहने लगा है। जिन्हें संभलना था वो त...

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उज्ज्वला By Aman Kumar

अमन कुमार त्यागी   समीर आज पचास साल बाद गाँव आ रहा था। जब से वह शहर गया था उसे गाँव का जीवन नीरस और निरर्थक लगने लगा था। उसने शहर में कड़ी मेहनत कर एक घर बना लिया और वहीं पर बस गया...

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दी औरते - (अंतिम क़िस्त) By Kishanlal Sharma

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भोपाल भारत के मशहूर शहरों में शुमार अपनी विशिष्ट विशेषताओं के लिये मशहूर भोपाल अपनी खूबसूरती प्राकृतिक सुंदरता के लिये जाना जाता है अमूमन यहां के लोग शांति प्रिय और भारत की सांस्कृ...

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बेरंग दुनिया By Urooj Khan

शीर्षक = बेरंग दुनियादीवार पर टंगी एक तस्वीर को नम आँखों से काफी देर देखने के बाद, आखिर कार उस तस्वीर को उतार कर अपने सीने से लगाते हुए, राहुल वही पास पड़ी कुर्सी पर बैठ जाता है...

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