hindi Best Classic Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Classic Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • शरद पूर्णिमा

    कहानी~~शरदपूर्णिमा✒¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤शाम का सुहाना मौसम बाग़ के सौन्दर्य को बढ़ा...

  • असीम प्रतीक्षा

    कहानी --- असीम प्रतीक्षा ✍?***********************"तुमने पार्क में मिलने को क्यो...

  • असली आज़ादी वाली आज़ादी

    देश को आज़ाद कराना आसान नही था बहुत त्याग और संघर्ष के बाद इस देश को आज़ादी नसीब ह...

रिश्ता अपनो से By Manjeet Singh Gauhar

आपने अब तक शायद सिर्फ़ ऐसे लोगों को ही देखा होगा जो ये कहते हैं कि ' मेरे परिवार में तो चार सदस्य हैं या पाँच सदस्य हैं या आठ, दस, बारह हैं।' जो परिवार के सदस्यों की गिनती...

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दास्तान-ए-अश्क - 28 By SABIRKHAN

"बस करो रज्जो अब मुझसे और नहीं भागा जा रहा!" पसीने से भीगे कपडों में उसे घबराहट हुई तो वो बोल उठी! -कुछ देर कहीं बैठ जाते हैं!' "नहीं मैडम जी मैं आप को गिरने नहीं दूंगी! मेरा ह...

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अनुराग By Mukteshwar Prasad Singh

अनुरागचारों ओर कितने परिवर्तन हो चुके थे। हों भी क्यों नही पूरा एक दशक जो बीत गया था। मुकुन्द डाक्टर बन गया था। जिन्दगी की दौड़ में वह उस मुकाम पर पहुँच गया...

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टूटी चप्पल By Manjeet Singh Gauhar

बहुत समय पहले की बात है। जबकि तब हमारे देश में मुग़ल बादशाह शाहजँहा का शासन हुआ करता था।उस समय हमारे देश हिन्दूस्तान में कुछ विदेशी लोग घूमने आएे हुए थे।हमारे देश उस समय कुछ ज़्याद...

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पलायन By Mukteshwar Prasad Singh

" पलायन "​गंगा दियारा के गाँव रामपुर में आग लग गयी थी। कुछ ही देर में गाँव के कई घरों से तेज लपटें उठने लगी। आकाश में लाल लपटें और धुएं के गुबार ने भयावह दृश्य पै...

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गुलाबो By Mukteshwar Prasad Singh

" गुलाबो ’’साहेबपुर कमाल स्टेशन के पश्चिमी छोर पर चालीस -पचास बनजारे कुछ दिनों से अपने तम्बुओं को तान डेरा जमाए थे। तम्बू फटी-चिटी चादरों और टेन्ट को हाथ सिलाई कर ब...

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शरद पूर्णिमा By Pushp Saini

कहानी~~शरदपूर्णिमा✒¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤शाम का सुहाना मौसम बाग़ के सौन्दर्य को बढ़ा रहा था,तो दूसरी तरफ कृत्रिम झरनों से फूटती कलकल की ध्वनि के साथ-साथ पक्षियों की चह चहाहट वातावरण को...

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रीति रिवाज को अनुकूल बनाएं By r k lal

रीति रिवाज को अनुकूल बनाएं आर 0 के 0 लाल तुम यहां सोई हुई हो। तुम्हें पता भी नहीं कि मेहमान चले गए हैं। तुम बड़ी हो गई हो इतना भी नहीं होता कि मां के कुछ काम ही करा लो। मेहमान क...

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सुनहरे हथियार By Manjeet Singh Gauhar

कुछ समय से प्रचलित हमारे भारत देश में एक बात बहुत ही ज़्यादा प्रसिद्ध है। और वो ये कि ' अपनी और अपने सामान की रक्षा स्वयं करें '।अब चूंकि हमारा देश भारत कुछ ज़्यादा ही धार्...

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घर का माहौल By r k lal

“घर का माहौल” आर 0 के 0 लाल हेलो सविता! कैसी हो? हम लोग सोच रहे हैं कि शुक्रवार को तुम्हारे यहां आ जाएं। बहुत दिन से मुलाकात नहीं हुई है। राधिका ने फोन पर...

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असीम प्रतीक्षा By Pushp Saini

कहानी --- असीम प्रतीक्षा ✍?***********************"तुमने पार्क में मिलने को क्यों बुलाया ? घर ही आ जाती न" --- असीम ने कहा प्रतीक्षा ने इस बात पर कुछ नहीं कहा और तलाक़ के कागज़ असी...

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असली आज़ादी वाली आज़ादी By devendra kushwaha

देश को आज़ाद कराना आसान नही था बहुत त्याग और संघर्ष के बाद इस देश को आज़ादी नसीब हुई। आजादी बेशकीमती थी क्योंकि लाखों लोगों ने इसे पाने के लिए बिना कुछ सोंचे समझें अपनी जान न्योछावर...

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लल्लू By Pushp Saini

( कहानी -- लल्लू ✍)__________________"बेटा हुआ है" नर्स ने जैसे ही यह ख़बर दी तो अम्मा चहक उठी और बोली --"अरे लल्लू तू बाप बन गया,छोटा लल्लू आया है" ।जी हाँ लल्लू ! इसी नाम से ही स...

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दूर देश में मेरा दोस्त By Manjeet Singh Gauhar

एक बात तो है भाइयों अपना देश अपना होता है।इस विषय में मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँ-:मेरा एक बहुत प्यारा दोस्त था। जिसका नाम शिवम् था। लेकिन मैं प्यार से उसे शिव्बू कह कर पुकारता था...

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कठपुतली By Mukteshwar Prasad Singh

'कठपुतली‘मेनका की शादी की लगभग सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकी थी। आज की रात ही मेनका की शादी थी। मेनका की शादी उसके पिता ने अपनी पसंद से तय की थी।मेनका का होने वाला...

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उत्तेजना By r k lal

उत्तेजना आर0 के0 लाल श्वेता का तो जवाब ही नहीं है इतनी सुंदर लड़की लाखों में एक होगी। उसकी लंबी टांगे, काले खुले बाल, काली आंखें और चाल ढाल मनमोहक हैं। उसका...

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शक्ति By सरिता बघेला "अनामिका"

कहानी = "शक्ति"---------------------- रात के 3:00 बजे थे भोपाल स्टेशन पर रेल की आने की आहट पाकर सारे ऑटो वालों की हलचल तेज हो गई थी।भले हो भी क्यों नहीं रात में ही तो कमाई का सही स...

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परिवार की वापसी By r k lal

परिवार की वापसी आर0 के0 लाल मोहल्ले की किट...

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घरोंदा - कहानी - By TEJ VEER SINGH

#MORAL STORIES घरोंदा - कहानी - "रवि, आज तीन तारीख हो गयी। तुम माँ को लेने नहीं आये? महीना खत्म हुए तीन दिन ऊपर हो गये।तुम हर बार ऐसे ही करते हो|" "भाई साहब, मैं अभी सरकारी काम से...

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शेक्सपियर के नाटक ओथेलो का अनुवाद By Swapnil Vaish

चार सौ साल पहले वेनिस में लागो नाम का एक निम्न श्रेणी का अवसर रहता था। वो अपने सेनापति ऑथेलो से उसे लेफ्टिनेंट ना बनाये जाने के कारण नफरत करता था। लागो को ना चुन कर ऑथेलो ने माइकल...

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मेरा भाई By PAWAN KUMAR

मेरा भाई .. कभी कुछ बताने के लिये बहुत कुछ होता है तो कभी जितना बताओ ऊतना काम हो जाता है पर हम किसी को जानना नही छोडते तोह कभी किसी...

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पिंजड़ा By Mukteshwar Prasad Singh

"पिंजड़ा"अनिमेश आज नये आॅफिस में ज्वाइन कर लिया था। साल भर पहले ही बदली हुई थी पर बाॅस ने मुख्यालय से बदली रुकवा दी थी। पेन्डिंग पड़े सभी प्रोजेक्ट को पूरा करने के बाद अनिमेश विरमि...

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फंदा By Mukteshwar Prasad Singh

"फंदा"​एक ओर पति की अचानक मृत्यु के मानसिक आघात से बदहवास थी शकुन्तला। तो दूसरी ओर मृत आनन्द के घर वाले अवसाद मुक्त हो शकुन्तला पर कुलक्षिणी, डायन ना जाने क्या...

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समझ अपना अपना By Mukteshwar Prasad Singh

‘‘समझ अपना अपना‘‘रजनी एवं कमलेश पति-पत्नी थे। इनकी विवाहित जिन्दगी के लगभग पन्द्रह वर्ष बीत गये थे। कमलेश एक साफ्टवेयर फैक्ट्री का मालिक था। कार्य व्यस्तता के कारण देर...

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प्रेम अपना अपना By Mukteshwar Prasad Singh

​​​​ "‘प्रेम अपना अपना‘‘अचानक महानगर से एक कस्बाई शहर में आ गयी थी। बदला-बदला वातावरण अनजाने लोग, अजनबी गलियाँ, जर्जर मकान में निवास, बिल्कुल अकेलापन था यहाँ। सामने लो...

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रिश्ता अपनो से By Manjeet Singh Gauhar

आपने अब तक शायद सिर्फ़ ऐसे लोगों को ही देखा होगा जो ये कहते हैं कि ' मेरे परिवार में तो चार सदस्य हैं या पाँच सदस्य हैं या आठ, दस, बारह हैं।' जो परिवार के सदस्यों की गिनती...

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दास्तान-ए-अश्क - 28 By SABIRKHAN

"बस करो रज्जो अब मुझसे और नहीं भागा जा रहा!" पसीने से भीगे कपडों में उसे घबराहट हुई तो वो बोल उठी! -कुछ देर कहीं बैठ जाते हैं!' "नहीं मैडम जी मैं आप को गिरने नहीं दूंगी! मेरा ह...

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अनुराग By Mukteshwar Prasad Singh

अनुरागचारों ओर कितने परिवर्तन हो चुके थे। हों भी क्यों नही पूरा एक दशक जो बीत गया था। मुकुन्द डाक्टर बन गया था। जिन्दगी की दौड़ में वह उस मुकाम पर पहुँच गया...

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टूटी चप्पल By Manjeet Singh Gauhar

बहुत समय पहले की बात है। जबकि तब हमारे देश में मुग़ल बादशाह शाहजँहा का शासन हुआ करता था।उस समय हमारे देश हिन्दूस्तान में कुछ विदेशी लोग घूमने आएे हुए थे।हमारे देश उस समय कुछ ज़्याद...

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पलायन By Mukteshwar Prasad Singh

" पलायन "​गंगा दियारा के गाँव रामपुर में आग लग गयी थी। कुछ ही देर में गाँव के कई घरों से तेज लपटें उठने लगी। आकाश में लाल लपटें और धुएं के गुबार ने भयावह दृश्य पै...

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गुलाबो By Mukteshwar Prasad Singh

" गुलाबो ’’साहेबपुर कमाल स्टेशन के पश्चिमी छोर पर चालीस -पचास बनजारे कुछ दिनों से अपने तम्बुओं को तान डेरा जमाए थे। तम्बू फटी-चिटी चादरों और टेन्ट को हाथ सिलाई कर ब...

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शरद पूर्णिमा By Pushp Saini

कहानी~~शरदपूर्णिमा✒¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤शाम का सुहाना मौसम बाग़ के सौन्दर्य को बढ़ा रहा था,तो दूसरी तरफ कृत्रिम झरनों से फूटती कलकल की ध्वनि के साथ-साथ पक्षियों की चह चहाहट वातावरण को...

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रीति रिवाज को अनुकूल बनाएं By r k lal

रीति रिवाज को अनुकूल बनाएं आर 0 के 0 लाल तुम यहां सोई हुई हो। तुम्हें पता भी नहीं कि मेहमान चले गए हैं। तुम बड़ी हो गई हो इतना भी नहीं होता कि मां के कुछ काम ही करा लो। मेहमान क...

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सुनहरे हथियार By Manjeet Singh Gauhar

कुछ समय से प्रचलित हमारे भारत देश में एक बात बहुत ही ज़्यादा प्रसिद्ध है। और वो ये कि ' अपनी और अपने सामान की रक्षा स्वयं करें '।अब चूंकि हमारा देश भारत कुछ ज़्यादा ही धार्...

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घर का माहौल By r k lal

“घर का माहौल” आर 0 के 0 लाल हेलो सविता! कैसी हो? हम लोग सोच रहे हैं कि शुक्रवार को तुम्हारे यहां आ जाएं। बहुत दिन से मुलाकात नहीं हुई है। राधिका ने फोन पर...

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असीम प्रतीक्षा By Pushp Saini

कहानी --- असीम प्रतीक्षा ✍?***********************"तुमने पार्क में मिलने को क्यों बुलाया ? घर ही आ जाती न" --- असीम ने कहा प्रतीक्षा ने इस बात पर कुछ नहीं कहा और तलाक़ के कागज़ असी...

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असली आज़ादी वाली आज़ादी By devendra kushwaha

देश को आज़ाद कराना आसान नही था बहुत त्याग और संघर्ष के बाद इस देश को आज़ादी नसीब हुई। आजादी बेशकीमती थी क्योंकि लाखों लोगों ने इसे पाने के लिए बिना कुछ सोंचे समझें अपनी जान न्योछावर...

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लल्लू By Pushp Saini

( कहानी -- लल्लू ✍)__________________"बेटा हुआ है" नर्स ने जैसे ही यह ख़बर दी तो अम्मा चहक उठी और बोली --"अरे लल्लू तू बाप बन गया,छोटा लल्लू आया है" ।जी हाँ लल्लू ! इसी नाम से ही स...

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दूर देश में मेरा दोस्त By Manjeet Singh Gauhar

एक बात तो है भाइयों अपना देश अपना होता है।इस विषय में मैं आपको एक कहानी सुनाता हूँ-:मेरा एक बहुत प्यारा दोस्त था। जिसका नाम शिवम् था। लेकिन मैं प्यार से उसे शिव्बू कह कर पुकारता था...

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कठपुतली By Mukteshwar Prasad Singh

'कठपुतली‘मेनका की शादी की लगभग सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकी थी। आज की रात ही मेनका की शादी थी। मेनका की शादी उसके पिता ने अपनी पसंद से तय की थी।मेनका का होने वाला...

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उत्तेजना By r k lal

उत्तेजना आर0 के0 लाल श्वेता का तो जवाब ही नहीं है इतनी सुंदर लड़की लाखों में एक होगी। उसकी लंबी टांगे, काले खुले बाल, काली आंखें और चाल ढाल मनमोहक हैं। उसका...

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शक्ति By सरिता बघेला "अनामिका"

कहानी = "शक्ति"---------------------- रात के 3:00 बजे थे भोपाल स्टेशन पर रेल की आने की आहट पाकर सारे ऑटो वालों की हलचल तेज हो गई थी।भले हो भी क्यों नहीं रात में ही तो कमाई का सही स...

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परिवार की वापसी By r k lal

परिवार की वापसी आर0 के0 लाल मोहल्ले की किट...

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घरोंदा - कहानी - By TEJ VEER SINGH

#MORAL STORIES घरोंदा - कहानी - "रवि, आज तीन तारीख हो गयी। तुम माँ को लेने नहीं आये? महीना खत्म हुए तीन दिन ऊपर हो गये।तुम हर बार ऐसे ही करते हो|" "भाई साहब, मैं अभी सरकारी काम से...

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शेक्सपियर के नाटक ओथेलो का अनुवाद By Swapnil Vaish

चार सौ साल पहले वेनिस में लागो नाम का एक निम्न श्रेणी का अवसर रहता था। वो अपने सेनापति ऑथेलो से उसे लेफ्टिनेंट ना बनाये जाने के कारण नफरत करता था। लागो को ना चुन कर ऑथेलो ने माइकल...

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मेरा भाई By PAWAN KUMAR

मेरा भाई .. कभी कुछ बताने के लिये बहुत कुछ होता है तो कभी जितना बताओ ऊतना काम हो जाता है पर हम किसी को जानना नही छोडते तोह कभी किसी...

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पिंजड़ा By Mukteshwar Prasad Singh

"पिंजड़ा"अनिमेश आज नये आॅफिस में ज्वाइन कर लिया था। साल भर पहले ही बदली हुई थी पर बाॅस ने मुख्यालय से बदली रुकवा दी थी। पेन्डिंग पड़े सभी प्रोजेक्ट को पूरा करने के बाद अनिमेश विरमि...

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फंदा By Mukteshwar Prasad Singh

"फंदा"​एक ओर पति की अचानक मृत्यु के मानसिक आघात से बदहवास थी शकुन्तला। तो दूसरी ओर मृत आनन्द के घर वाले अवसाद मुक्त हो शकुन्तला पर कुलक्षिणी, डायन ना जाने क्या...

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समझ अपना अपना By Mukteshwar Prasad Singh

‘‘समझ अपना अपना‘‘रजनी एवं कमलेश पति-पत्नी थे। इनकी विवाहित जिन्दगी के लगभग पन्द्रह वर्ष बीत गये थे। कमलेश एक साफ्टवेयर फैक्ट्री का मालिक था। कार्य व्यस्तता के कारण देर...

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प्रेम अपना अपना By Mukteshwar Prasad Singh

​​​​ "‘प्रेम अपना अपना‘‘अचानक महानगर से एक कस्बाई शहर में आ गयी थी। बदला-बदला वातावरण अनजाने लोग, अजनबी गलियाँ, जर्जर मकान में निवास, बिल्कुल अकेलापन था यहाँ। सामने लो...

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