hindi Best Classic Stories Books Free And Download PDF

Stories and books have been a fundamental part of human culture since the dawn of civilization, acting as a powerful tool for communication, education, and entertainment. Whether told around a campfire, written in ancient texts, or shared through modern media, Classic Stories in hindi books and stories have the unique ability to transcend time and space, connecting people across generations and cu...Read More


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  • हारने से पहले

    कहानीहारने से पहले टिप....टिप.... टिप.....टपकती हुई गुल्कोज की बूंदें पिछले चार...

  • उदास इंद्रधनुष - 4

    भीतर घुसते ही ब्रीफ़केस को सोफ़े पर रखा और बोले बस फ़्रेश होकर आता हूँ बहुत थक ग...

  • सलीब अपना-अपना

    सलीब अपना अपनापरीक्षाएँ ख़त्म कर घर में यूँही बेकार बैठना अच्छा नहीं लग रहा था म...

पिता की खोज By राज कुमार कांदु

" आज तो तुम्हें बताना ही पड़ेगा अम्मी... कौन हैं मेरे अब्बू ? क्या नाम है उनका ? कहाँ रहते हैं ?.. और तुम अकेले क्यों रहती हो ?" बाईस वर्षीय नदीम ने लगभग चीखते हुए सवालों की झड़ी लग...

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संयोग-मुराद मन की - 1 By Kishanlal Sharma

या हू-------पहला लिफाफा खोलते ही उसमे से पत्र के साथ निकले फोटो को देखकर अनुराग खुशी से उछल पड़ा।"क्या हुआ बेटा?" अनुराग की आवाज सुनकर उसकी मां कमरे में चली आयी।"मिल गई।माँ मिल गई...

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हारने से पहले By Poonam Gujrani Surat

कहानीहारने से पहले टिप....टिप.... टिप.....टपकती हुई गुल्कोज की बूंदें पिछले चार दिनों से लगातार मेरे शरीर में प्रवेश कर रही थी। इसके अलावा जाने कितनी दवाइयां, इंजेक्शन, विटामिन, प्...

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दूरी क्यों--दाम्पत्य प्रेम By Kishanlal Sharma

प्लेटफार्म एक के अंतिम छोर पर खाली पड़ी बैंच पर वह आकर बैठ गया।जून का महीना।सूरज ढल चुका था।आसमान एकदम साफ था।शाम भी अपनी अंतिम अवस्था की ओर बढ़ रही थी।अंधरे की परतें आसमान में नज़र आ...

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उनींदा सा एक दिन By Abhinav Bajpai

सुकेश जब चार दिनों बाद घर पहुंचा तो वह दिन समाप्त हो चुके थे, रुई से हल्के दिन... उन चार दिनों के बाद उसके मन में घर पहुंचने की कोई ललक नहीं बची थी, वह बस पहुंचना चाहता था क्योंकि...

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कागज के फूल By राज कुमार कांदु

कमजोर, कृषकाय अमर कार की अगली सीट पर बैठा न जाने किस ख्याल में गुम था कि अचानक कार को एक हल्का सा झटका लगा और कार सड़क के किनारे खड़ी हो गई ! कार की ड्राइविंग सीट पर बैठे ब...

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उदास इंद्रधनुष - 4 By Amrita Sinha

भीतर घुसते ही ब्रीफ़केस को सोफ़े पर रखा और बोले बस फ़्रेश होकर आता हूँ बहुत थक गया हूँ । नींद भी पूरी नहीं हुई है,इसीलिए मैं सोच रहा हूँ कि थोड़ा सो लूँ । अरे खाना तो खा लो, बोलते...

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मैं वेश्या हूँ... By राज कुमार कांदु

हाँ ! तुमने ठीक कहा ! मैं वेश्या हूँ ! लेकिन क्या कभी तुमने यह भी सोचा है कि हम लड़कियाँ वेश्या क्यों बनती हैं ? नहीं न ! और तुम मर्द जात ये सोचोगे भी क्यों ?तुम लोगों को तो तब तक क...

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सलीब अपना-अपना By Amrita Sinha

सलीब अपना अपनापरीक्षाएँ ख़त्म कर घर में यूँही बेकार बैठना अच्छा नहीं लग रहा था मीता को । घर बैठे - बैठे ऊब रही थी कि माँ ने सुझाया कि क्यों नहीं वह पेंटिंग का एक क्रैश कोर्स जॉइन क...

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इस्तीफ़ा By Amrita Sinha

कहानी —- इस्तीफ़ा—— अमृता सिन्हा जबसे सिस्टर जूही स्कूल की प्रिंसिपल बनकर आयी हैं तब से पूरे स्टाफ़ रूम में हड़कंप मचा रहता है। स्कूल में अनुशासन पहले भी थाप...

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एक अजनबी से मुलाकात By Atul Baghresh

रोज़ की तरह में वाक करनेघर से पार्क के लिए निकल रहा ताहीड्फोने उठए, शूज पेह्नेओर निकल गया घर स।तोडे देर पार्क में वाक करने के बादमे अपनी जगह बैठने गयामेने देखा जहा में बेठता हु उधार...

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विश्वासघात--भाग(१२) By Saroj Verma

लीला और विजय की खबर सुनकर शक्तिसिंह जी की आँखों से आँसू बह निकलें, उनका मन व्याकुल हो उठा अपने नन्हें को देखने के लिए और उन्होंने प्रदीप से पूछा कि तुम कब मिले बेला से। जी रक्...

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वापसी By Amrita Sinha

वापसी ————। ———————-कड़क स्वभाव वाली अम्मा यूँ लाड़ कभी नहीं जतातीं, जब तक कि कोई ख़ास बात न हो, नीलिमा सुबह से ही...

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शुक्रिया दोस्त By Atul Baghresh

शुक्रिया मुझे वो ज़िन्दगी के सबसे हसीं पल देने के लिए शुक्रिया मेरी परेशानी को खुद की तकलीफ मान कर अपने सर लेने के लिए शुक्रिया उन मस्तियो के लिए और मेरा सहारा बन जाने के लिए शुक्रि...

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गुलनार By mandavi barway

गुलनारजैसे ही मेरी नींद खुली, मैंने देखा कि दूर खड़ी वो कातर दृष्टि से मुझे देख रही थी। आँखों की चमक, सेब जैसे गालों का गुलाबीपन बहुत फीका था। मुझे याद है अप्रैल का वो दिन जब मैंने...

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सलीब पर टँगी लड़की By Amrita Sinha

कहानी सलीब पर टंगी लड़की ———— अमृता सिन्हा ————————बेडरूम में आराम करते-करते थकने लगी तो किचन में आ गई पल्लवी ।साफ़-सुथरे और चमकते किचन को देखकर उसके होठों परमुस...

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आज का रावण By राज कुमार कांदु

जय श्री राम का घोष अवकाश में गूँज उठा और खुशी और कौतूहल से भरा रावण धरती के उस हिस्से पर आ धमका जहाँ से यह घोषणा अभी भी गाहे बगाहे गूँज रही थी । रावण सूक्ष्म रूप में था जो कि धरती...

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सोन पिंजरा By Prabodh Kumar Govil

रघु ने बाबू को साफ़ साफ़ कह दिया था कि चाहे मूंगफली के पैसे की उगाही धनीराम के यहां से आए या न आए, वो काकाजी के पास ज़रूर जाएगा। उसका दसवीं का इम्तहान था जिसके बस सात पेपर बाक़ी थे...

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वचन--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

वचन--(अन्तिम भाग) हाँ,भइया मुझे पक्का यकीन है कि सारंगी दीदी आपको बचा लेंगीं, दिवाकर बोला।। नहीं, दिवाकर! जब सबको पता है कि आफ़रीन का ख़ून मैने किया है तो केस लड़ने से क्या फायदा...

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चाहत दिलकी - 2 By SWARNIM स्वर्णिम

पहुंचने की जगह की जिज्ञासा से अधिक, मन उसके साथ चलने के लिए उत्साहित था। उसके साथ चलते समय, मैं अक्सर सोचती थी कि जैसे-जैसे मैं चलूँ, सड़क और लंबी हो जाए और समय धीमे हो जाए, चलने म...

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आर्यन By Prabodh Kumar Govil

और दिनों के विपरीत आर्यन छुट्टी होते ही बैग लेकर स्कूल बस की ओर नहीं दौड़ा बल्कि धीरे-धीरे चलता हुआ, क्लास रूम के सामने वाले पोर्च में रुक गया। इतना ही नहीं, उसने दिव्यांश को भी कला...

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प्रोटोकॉल By Prabodh Kumar Govil

जाड़े के दिनों में पेड़-पौधों को पानी की बहुत ज़्यादा ज़रूरत नहीं रहती। तापमान कम रहने से वातावरण की नमी जल्दी नहीं सूखती। बल्कि इस मौसम में खिलते फूलों को तो हल्की-हल्की गुलाबी धूप ही...

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एक फैसला By राज कुमार कांदु

रहमान आज सुबह से ही परेशान था । नशे की सनक में उसने अपनी प्यारी सी बेगम सलमा को रात में ‘ न आव देखा न ताव ‘ तलाक ‘ दे दिया था । सुनकर सलमा सन्न रह गयी थी । दहाड़ें मारकर रोने लगी ।...

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चल बताऊं तोय By Prabodh Kumar Govil

- वाह, क्या बात है ! बप्पी लाहिड़ी सुन ले तो अभी एडवांस चैक दे जाए। तुम तो ऐसा करो अम्मा, कि ए आर रहमान को चिट्ठी लिख दो, वो ज़रूर ले जाएगा तुम्हें। तमाम वक्रोक्तियों और अलंकारों क...

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पूत पांव और पालना By Prabodh Kumar Govil

रात के तीन बजे थे। सुकरात थरमस लेकर सीढ़ियों पर चढ़ रहा था। उसे थरमस की कॉफी बड़ी नर्स दीदी को देकर शिफ़्ट बदलने का अलार्म बजाना था। अकस्मात पूरे हॉस्पिटल की बत्ती गुल हो गई। सुकरा...

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चाणक्य की चतुराई By राज बोहरे

चाणक्य ऐतिहासिक कहानी चाणक्य की चतुराई मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र उस दिन दुलहिन की तरह सजाई गई थी। साम्राज्य के नये राजा चन्द्रगुप्त को राजसिंहासन पर बैठाया जा रहा था। पाट...

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शराफ़त By Prabodh Kumar Govil

मेरी और शराफ़त की पहली मुलाकात बेहद नाटकीय तरीक़े से हुई थी। भोपाल तक सोलह घंटे का सफ़र था, बस का। सारी रात बस में निकाल लेने के बावजूद अभी कुल नौ घंटे हुए थे और कम से कम सात घंटे...

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आज़ादी By Prabodh Kumar Govil

सारा गांव स्कूल की ओर बढ़ रहा है। आज पंद्रह अगस्त है, स्कूल में झण्डा फहराया जाएगा। शहीदों से प्रेम नहीं है गांव को, पर क्योंकि कुछ भी हो रहा है, इसलिए सारा गांव जा रहा है। समय बहु...

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इतिहास भक्षी By Prabodh Kumar Govil

इतिहास-भक्षी नब्बे साल की बूढ़ी आँखों में चमक आ गई। लाठी थामे चल रहे हाथों का कंपकपाना कुछ कम हो गया। … वो उधर , वो वो भी, वो वाला भी... और वो पूरी की पूरी कतार … कह कर जब बूढ़ा...

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रत्नावली-19 अन्त संस्कृतानुवादकः पं. गुलामदस्तगीरः - अंतिम भाग By रामगोपाल तिवारी

रत्नावली-19 अन्त संस्कृतानुवादकः पं. गुलामदस्तगीरः लेखकः रामगोपाल ‘भावुकः’ संस्कृतानुवादकः पं. गुलामदस्तगीरः मुंबई सम्पादकः डा. विष्णुनारायण तिवारी रत्नावली - 19...

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पिता की खोज By राज कुमार कांदु

" आज तो तुम्हें बताना ही पड़ेगा अम्मी... कौन हैं मेरे अब्बू ? क्या नाम है उनका ? कहाँ रहते हैं ?.. और तुम अकेले क्यों रहती हो ?" बाईस वर्षीय नदीम ने लगभग चीखते हुए सवालों की झड़ी लग...

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संयोग-मुराद मन की - 1 By Kishanlal Sharma

या हू-------पहला लिफाफा खोलते ही उसमे से पत्र के साथ निकले फोटो को देखकर अनुराग खुशी से उछल पड़ा।"क्या हुआ बेटा?" अनुराग की आवाज सुनकर उसकी मां कमरे में चली आयी।"मिल गई।माँ मिल गई...

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हारने से पहले By Poonam Gujrani Surat

कहानीहारने से पहले टिप....टिप.... टिप.....टपकती हुई गुल्कोज की बूंदें पिछले चार दिनों से लगातार मेरे शरीर में प्रवेश कर रही थी। इसके अलावा जाने कितनी दवाइयां, इंजेक्शन, विटामिन, प्...

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दूरी क्यों--दाम्पत्य प्रेम By Kishanlal Sharma

प्लेटफार्म एक के अंतिम छोर पर खाली पड़ी बैंच पर वह आकर बैठ गया।जून का महीना।सूरज ढल चुका था।आसमान एकदम साफ था।शाम भी अपनी अंतिम अवस्था की ओर बढ़ रही थी।अंधरे की परतें आसमान में नज़र आ...

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उनींदा सा एक दिन By Abhinav Bajpai

सुकेश जब चार दिनों बाद घर पहुंचा तो वह दिन समाप्त हो चुके थे, रुई से हल्के दिन... उन चार दिनों के बाद उसके मन में घर पहुंचने की कोई ललक नहीं बची थी, वह बस पहुंचना चाहता था क्योंकि...

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कागज के फूल By राज कुमार कांदु

कमजोर, कृषकाय अमर कार की अगली सीट पर बैठा न जाने किस ख्याल में गुम था कि अचानक कार को एक हल्का सा झटका लगा और कार सड़क के किनारे खड़ी हो गई ! कार की ड्राइविंग सीट पर बैठे ब...

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उदास इंद्रधनुष - 4 By Amrita Sinha

भीतर घुसते ही ब्रीफ़केस को सोफ़े पर रखा और बोले बस फ़्रेश होकर आता हूँ बहुत थक गया हूँ । नींद भी पूरी नहीं हुई है,इसीलिए मैं सोच रहा हूँ कि थोड़ा सो लूँ । अरे खाना तो खा लो, बोलते...

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मैं वेश्या हूँ... By राज कुमार कांदु

हाँ ! तुमने ठीक कहा ! मैं वेश्या हूँ ! लेकिन क्या कभी तुमने यह भी सोचा है कि हम लड़कियाँ वेश्या क्यों बनती हैं ? नहीं न ! और तुम मर्द जात ये सोचोगे भी क्यों ?तुम लोगों को तो तब तक क...

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सलीब अपना-अपना By Amrita Sinha

सलीब अपना अपनापरीक्षाएँ ख़त्म कर घर में यूँही बेकार बैठना अच्छा नहीं लग रहा था मीता को । घर बैठे - बैठे ऊब रही थी कि माँ ने सुझाया कि क्यों नहीं वह पेंटिंग का एक क्रैश कोर्स जॉइन क...

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इस्तीफ़ा By Amrita Sinha

कहानी —- इस्तीफ़ा—— अमृता सिन्हा जबसे सिस्टर जूही स्कूल की प्रिंसिपल बनकर आयी हैं तब से पूरे स्टाफ़ रूम में हड़कंप मचा रहता है। स्कूल में अनुशासन पहले भी थाप...

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एक अजनबी से मुलाकात By Atul Baghresh

रोज़ की तरह में वाक करनेघर से पार्क के लिए निकल रहा ताहीड्फोने उठए, शूज पेह्नेओर निकल गया घर स।तोडे देर पार्क में वाक करने के बादमे अपनी जगह बैठने गयामेने देखा जहा में बेठता हु उधार...

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विश्वासघात--भाग(१२) By Saroj Verma

लीला और विजय की खबर सुनकर शक्तिसिंह जी की आँखों से आँसू बह निकलें, उनका मन व्याकुल हो उठा अपने नन्हें को देखने के लिए और उन्होंने प्रदीप से पूछा कि तुम कब मिले बेला से। जी रक्...

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वापसी By Amrita Sinha

वापसी ————। ———————-कड़क स्वभाव वाली अम्मा यूँ लाड़ कभी नहीं जतातीं, जब तक कि कोई ख़ास बात न हो, नीलिमा सुबह से ही...

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शुक्रिया दोस्त By Atul Baghresh

शुक्रिया मुझे वो ज़िन्दगी के सबसे हसीं पल देने के लिए शुक्रिया मेरी परेशानी को खुद की तकलीफ मान कर अपने सर लेने के लिए शुक्रिया उन मस्तियो के लिए और मेरा सहारा बन जाने के लिए शुक्रि...

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गुलनार By mandavi barway

गुलनारजैसे ही मेरी नींद खुली, मैंने देखा कि दूर खड़ी वो कातर दृष्टि से मुझे देख रही थी। आँखों की चमक, सेब जैसे गालों का गुलाबीपन बहुत फीका था। मुझे याद है अप्रैल का वो दिन जब मैंने...

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सलीब पर टँगी लड़की By Amrita Sinha

कहानी सलीब पर टंगी लड़की ———— अमृता सिन्हा ————————बेडरूम में आराम करते-करते थकने लगी तो किचन में आ गई पल्लवी ।साफ़-सुथरे और चमकते किचन को देखकर उसके होठों परमुस...

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आज का रावण By राज कुमार कांदु

जय श्री राम का घोष अवकाश में गूँज उठा और खुशी और कौतूहल से भरा रावण धरती के उस हिस्से पर आ धमका जहाँ से यह घोषणा अभी भी गाहे बगाहे गूँज रही थी । रावण सूक्ष्म रूप में था जो कि धरती...

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सोन पिंजरा By Prabodh Kumar Govil

रघु ने बाबू को साफ़ साफ़ कह दिया था कि चाहे मूंगफली के पैसे की उगाही धनीराम के यहां से आए या न आए, वो काकाजी के पास ज़रूर जाएगा। उसका दसवीं का इम्तहान था जिसके बस सात पेपर बाक़ी थे...

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वचन--(अन्तिम भाग) By Saroj Verma

वचन--(अन्तिम भाग) हाँ,भइया मुझे पक्का यकीन है कि सारंगी दीदी आपको बचा लेंगीं, दिवाकर बोला।। नहीं, दिवाकर! जब सबको पता है कि आफ़रीन का ख़ून मैने किया है तो केस लड़ने से क्या फायदा...

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चाहत दिलकी - 2 By SWARNIM स्वर्णिम

पहुंचने की जगह की जिज्ञासा से अधिक, मन उसके साथ चलने के लिए उत्साहित था। उसके साथ चलते समय, मैं अक्सर सोचती थी कि जैसे-जैसे मैं चलूँ, सड़क और लंबी हो जाए और समय धीमे हो जाए, चलने म...

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आर्यन By Prabodh Kumar Govil

और दिनों के विपरीत आर्यन छुट्टी होते ही बैग लेकर स्कूल बस की ओर नहीं दौड़ा बल्कि धीरे-धीरे चलता हुआ, क्लास रूम के सामने वाले पोर्च में रुक गया। इतना ही नहीं, उसने दिव्यांश को भी कला...

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प्रोटोकॉल By Prabodh Kumar Govil

जाड़े के दिनों में पेड़-पौधों को पानी की बहुत ज़्यादा ज़रूरत नहीं रहती। तापमान कम रहने से वातावरण की नमी जल्दी नहीं सूखती। बल्कि इस मौसम में खिलते फूलों को तो हल्की-हल्की गुलाबी धूप ही...

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एक फैसला By राज कुमार कांदु

रहमान आज सुबह से ही परेशान था । नशे की सनक में उसने अपनी प्यारी सी बेगम सलमा को रात में ‘ न आव देखा न ताव ‘ तलाक ‘ दे दिया था । सुनकर सलमा सन्न रह गयी थी । दहाड़ें मारकर रोने लगी ।...

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चल बताऊं तोय By Prabodh Kumar Govil

- वाह, क्या बात है ! बप्पी लाहिड़ी सुन ले तो अभी एडवांस चैक दे जाए। तुम तो ऐसा करो अम्मा, कि ए आर रहमान को चिट्ठी लिख दो, वो ज़रूर ले जाएगा तुम्हें। तमाम वक्रोक्तियों और अलंकारों क...

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पूत पांव और पालना By Prabodh Kumar Govil

रात के तीन बजे थे। सुकरात थरमस लेकर सीढ़ियों पर चढ़ रहा था। उसे थरमस की कॉफी बड़ी नर्स दीदी को देकर शिफ़्ट बदलने का अलार्म बजाना था। अकस्मात पूरे हॉस्पिटल की बत्ती गुल हो गई। सुकरा...

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चाणक्य की चतुराई By राज बोहरे

चाणक्य ऐतिहासिक कहानी चाणक्य की चतुराई मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र उस दिन दुलहिन की तरह सजाई गई थी। साम्राज्य के नये राजा चन्द्रगुप्त को राजसिंहासन पर बैठाया जा रहा था। पाट...

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शराफ़त By Prabodh Kumar Govil

मेरी और शराफ़त की पहली मुलाकात बेहद नाटकीय तरीक़े से हुई थी। भोपाल तक सोलह घंटे का सफ़र था, बस का। सारी रात बस में निकाल लेने के बावजूद अभी कुल नौ घंटे हुए थे और कम से कम सात घंटे...

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आज़ादी By Prabodh Kumar Govil

सारा गांव स्कूल की ओर बढ़ रहा है। आज पंद्रह अगस्त है, स्कूल में झण्डा फहराया जाएगा। शहीदों से प्रेम नहीं है गांव को, पर क्योंकि कुछ भी हो रहा है, इसलिए सारा गांव जा रहा है। समय बहु...

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इतिहास भक्षी By Prabodh Kumar Govil

इतिहास-भक्षी नब्बे साल की बूढ़ी आँखों में चमक आ गई। लाठी थामे चल रहे हाथों का कंपकपाना कुछ कम हो गया। … वो उधर , वो वो भी, वो वाला भी... और वो पूरी की पूरी कतार … कह कर जब बूढ़ा...

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रत्नावली-19 अन्त संस्कृतानुवादकः पं. गुलामदस्तगीरः - अंतिम भाग By रामगोपाल तिवारी

रत्नावली-19 अन्त संस्कृतानुवादकः पं. गुलामदस्तगीरः लेखकः रामगोपाल ‘भावुकः’ संस्कृतानुवादकः पं. गुलामदस्तगीरः मुंबई सम्पादकः डा. विष्णुनारायण तिवारी रत्नावली - 19...

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