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क्या सोचते हो आप, लोग अच्छे होते है या बुरे? आप बोलेंगे के उनका अच्छा होना या बुरा होना matter तब करता है जब , हम किस नज़रिये से उन्हें देख रहे है समझ रहे है उसपे है । जैसे कि समुंदर कितना गहरा है वो हम कहा उतरे है उसके ऊपर निर्भर करता है। वैसे ही अगर कोई अपने घर के लोगो को लिए चोरी करता है तो वह गलत या सही? आप उसे कुछ भी समजो लेकिन जो लुटा गया है उनके लिए वो गलत ही हैं। उसी तरह कोई आदमी हमेशा सच बोलता है वोह अच्छा है, जब तक उसके सच की वजह से किसी अपने का बुरा न हो। Read my new Blog by clicking below link... https://www.matrubharti.com/book/19974094/unkahe-rishtey-6
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ज़िंदगी की राह पर चलते वक्त हमे यही तो ध्यान रखना है कि किसीको इतना पानी (प्यार) ना दे दिया जाए जो बंधनो रूपी हमारा Flowerpot सड़ा दे। बस पर्याप्त वक्त, खाद (Understanding), पानी (प्यार) ही एक अच्छे संबंध को टिकाएं रखता है। ध्यान रखना है कि किसी एक कि देखभाल की चक्कर मे किसी एक से साथ न छूट जाए, सभी रिश्तों को साथ लेकर आगे बढ़ना है। Read full blog through below link "Unkahe रिश्ते - 5" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19947476/unkahe-rishtey-5
कीतना पागल हु न में, रिश्तो को बीच रास्ते मे छोड़कर ही दूसरे रिश्ते बनाने चल पड़ा। ये सोचा ही नही की वो कितना अधूरे feel करते होंगे जब वोह मुझे अपने पास नही पाते जब उन्हें मेरी ज़रूरत है । वोह मेरा इंतज़ार करते है, शायद ज़िन्दगी भर करते रहेगे क्योकि जीवन के मझधार मे जो में उन्हें छोर आया हु और दुख की बात तो येह की मुझे इसका अहसास होगा भी नही की कोई तड़प रहा है मेरी यादों के सहारे। में तो मसरुफ हु अपने नए रिश्ते बनाने मे। read full blog through below link... "Unkahe रिश्ते - 4" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19947346/unkahe-rishtey-4
"Unkahe रिश्ते - 4" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19947346/unkahe-rishtey-4
read my new Blog through below link 👇 "Unkahe रिश्ते - 5" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19947476/unkahe-rishtey-5
"Unkahe रिश्ते - 2" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19938659/unkahe-rishtey-2
जीवन बस इतना ही है - कनेक्शन और बंधनों की एक श्रृंखला जो हम अपने आस-पास के लोगों के साथ बनाते हैं। ये बंधन मजबूत और अटूट हो सकते हैं, या वे नाजुक हो सकते हैं और आसानी से टूट सकते हैं। लोगों के बीच बंधन का एक सुंदर उदाहरण फूल के गमलों की उपमा के माध्यम से देखा जा सकता है। read full blog through below link 👇 "Unkahe रिश्ते - 5" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19947476/unkahe-rishtey-5
कीतना पागल हु न में, रिश्तो को बीच रास्ते मे छोड़कर ही दूसरे रिश्ते बनाने चल पड़ा। ये सोचा ही नही की वो कितना अधूरे feel करते होंगे जब वोह मुझे अपने पास नही पाते जब उन्हें मेरी ज़रूरत है । वोह मेरा इंतज़ार करते है, शायद ज़िन्दगी भर करते रहेगे क्योकि जीवन के मझधार मे जो में उन्हें छोर आया हु और दुख की बात तो येह की मुझे इसका अहसास होगा भी नही की कोई तड़प रहा है मेरी यादों के सहारे। में तो मसरुफ हु अपने नए रिश्ते बनाने मे। "Unkahe रिश्ते - 4" by Vivek Patel read free on Matrubharti https://www.matrubharti.com/book/19947346/unkahe-rishtey-4
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