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उषा जरवाल

उषा जरवाल Matrubharti Verified

@usha.jarwal
(15)

डॉ. विनोद प्रसून जी द्वारा रचित कविता


*बाल दिवस पर देश के बच्चों के नाम.......*

बाल दिवस है प्यारे बच्चो, तुम्हें बधाई मन से।
भरकर रखना अपनी दुनिया, निश्छल अपनेपन से।।

सदा खिलो तुम पुष्पों जैसा, नभ जैसा यश फैले।
पंथ कठिन है, चलो सँभलकर, भाव न होवें मैले।।

क्या अच्छा है और बुरा क्या इसका ज्ञान तुम्हें हो।
अच्छे और बुरे स्पर्शों की पहचान तुम्हें हो।।

अच्छे और बुरे लोगों का अंतर तुम्हें पता हो।
करे परेशाँ तुमको कोई, झट यह बात बता दो।।

अबे-तबे से प्यारे बच्चो बात नहीं तुम करना।
मन के शब्दकोश में पावन शब्द हमेशा भरना।।

कमरे औ' मोबाइल तक यह बचपन सिमट न जाए।
बालसुलभ ले बातें मन में, हर बच्चा मुस्काए।।

आभासी दुनिया है झूठी, असली दुनिया जानो।
लंबी फ़्रैंड लिस्ट से पहले, अपना घर पहचानो।।

उचित हो जितना, उतना ही बस फ़ोन उठाया जाए।
वक़्त बचे जो बाक़ी उसको नहीं गँवाया जाए।।

ध्यान लक्ष्य पर रखकर नित आगे बढ़ते जाओगे।
ऐसा करके जीवन में तुम कभी न पछताओगे।।

तुमपर है विश्वास दी गई सीख सदा मानोगे।
बदले-बदले युग में अपना बचपन पहचानोगे।।

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ज़िंदगी एक प्रश्नपत्र है जो हर हाल में स्वीकार्य है क्योंकि इस प्रश्नपत्र में एक भी प्रश्न वैकल्पिक नहीं है । सभी प्रश्न अनिवार्य हैं इसलिए यदि सफल होना है तो सभी प्रश्न हल करने ही होंगे ।
- उषा जरवाल

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मेरे बेटे ने सूर्यपुत्र कर्ण के जीवन को इस कथाचित्र के द्वारा प्रदर्शित किया है । सुंदर प्रस्तुति को देखकर कृपया अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें ।

https://www.instagram.com/reel/DB2wUYNJCF7/?igsh=NmJzemFzeXdwZGh6
- उषा जरवाल

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आज आइने के सामने खड़े होकर खुद से ही माफ़ी माँग ली मैंने …….
क्योंकि औरों को खुश करते - करते हमेशा खुद का ही दिल दुखाया है मैंने
- उषा जरवाल

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यदि थोड़ा - सा समय किताबें पढ़ने में लगा लेते तो आज मूर्खों की तरह बहस नहीं बल्कि विद्वानों की तरह तर्क कर रहे होते ।
- उषा जरवाल

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हम दशहरा मनाते हैं
रावण को हर बार जलाते हैं ।
जिस दिन खुद को पहचानेगा,
अंतर्मन के रावण को देख पाएगा ।
पुतला जलाकर क्या हासिल करेगा ?
केवल जीवनदायिनी हवा को दूषित करेगा ।
अंतर्मन के रावण को जला फिर देख ,
कैसे इस जग में सुख को पोषित करेगा
- उषा जरवाल

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आज सुधीर चौधरी की ये बात मुझे बहुत पसंद आई -
लोगों के बीच रहना है तो ऐसे रहिए जैसे 32 दाँतों के बीच जीभ रहती है । टच में सबसे रहना है पर दबना किसी से नहीं है ।
- उषा जरवाल

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यदि आपके परिवार का कोई सदस्य जो दिल से रिश्ते निभाता था पर अब उस सदस्य ने रिश्ते निभाने बंद कर दिए है तो इसका मतलब है कि ज़रूर आपने उसके स्वाभिमान को गहरी ठेस पहुँचाई होगी ।
- उषा जरवाल

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राह में चलते समय जब पैर में काँटा चुभ जाता है तो उस काँटे को निकालकर हम अगले कदम सँभलकर चलना शुरु कर देते हैं पर मंज़िल पर पहुँचने से पहले चलना बंद नहीं करते ।
फिर जीवन - रूपी राह में काँटे देखकर क्यों घबराने लगते हैं ?
विचार कीजिए ।
- उषा जरवाल

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जिन्हें हम पसंद हैं वे इसका अभिमान करें,
जिन्हें हम पसंद नहीं हैं वे अपना नेत्रदान करें ।
- उषा जरवाल