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गलतियाँ इंसान के मन को भ्रमित कर देती हैं । यक़ीन नहीं होता तो एक बार बिना टिकट के ट्रेन में सफ़र करके देखो, फिर हर काले कोट वाले में आपको टीटी ही नज़र आएगा । 😂 - उषा जरवाल
‘राखी’ महज़ डोर नहीं है रेशम के धागों की, ये डोर है चिर - संचित स्नेहिल रागों की । न स्वार्थ का लेप, न इच्छाओं का अवलंबन, है चट्टान सा मजबूत भाई-बहन का बंधन । कभी पूर्णमासी की भोर तो कभी उजली - सी उषा, खोल देती है दिल में मेरे यादों की मंजूषा । कभी लड़ते - झगड़ते करते थे अठखेलियाँ, कभी तकरार भरी हम बुझाते थे पहेलियाँ । रूठने पर मनुहार में बीते वो सुनहरे पल, जहाँ प्यार का बसेरा था, नहीं था कोई भी छल । फिर न जाने कब हम अचानक से बड़े हो गए, अपने - अपने जीवन की उलझन में कहीं खो गए । वो हक, वो झगड़े, वो बचपन अब कहीं खो गया है, हम बड़े क्या हुए हर रिश्ता अब मेहमान हो गया है । न होती कोई आनाकानी, न चलती मनमर्ज़ियाँ, रिश्ते चुप बैठ गए, बोलने लगी खामोशियाँ । काश ! चुरा पाती बचपन के कुछ पल, जहाँ निश्छल प्रेम की बहती थी निर्झरी हर पल । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
अपने वो नहीं जो हमेशा कमियाँ गिनाएँ । अपने वो हैं जो हमें हमारी कमियों के साथ स्वीकार करते हैं और साथ रहकर उन कमियों को दूर करने में साथ निभाते हैं । - उषा जरवाल
मैं जैसी हूँ वैसी ही सही हूँ क्योंकि मैं ये जानती हूँ कि मूल प्रति की कीमत छाया प्रति से अधिक होती है । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
बेफिक्र होकर मुस्कुराते रहिए । आपके चिंता करने से समस्याएँ कम नहीं होंगी बल्कि मुस्कुराकर उनका सामना करने से ही आप उन्हें दूर कर सकते हैं । - उषा जरवाल
जुनून मंज़िल तय करता है ख़्वाब नहीं । तेज बारिश आने पर सारे पंछी अपने - अपने घोंसलों में दुबककर बैठ जाते हैं लेकिन बाज ऊँची उड़ान भरकर आनंद उठा रहा होता है । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
कुछ लोग सूरज का साथ पाकर भी अदब नहीं भूलते और कुछ जुगनू का साथ पाकर ही मगरुर हो जाते हैं । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’
मैं उग्र स्वभाव की नहीं हूँ, बस अनुचित शब्द मेरी उग्रता को बाहर आने पर विवश कर देते हैं । - उषा जरवाल
वक्त और पैसे वक्त कहता है कि तु आए तो मैं ठहरूँ और पैसा कहता है कि तु ठहरे तो मैं आऊँ । - उषा जरवाल
ज़िंदगी का फ़साना भी लाजवाब है ! वैज्ञानिक मंगल पर जीवन ढूँढ़ रहे हैं और हम जीवन में मंगल । - उषा जरवाल
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