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PANKAJ THAKUR

PANKAJ THAKUR

@unspokenwordskp


प्रेम
प्रेम वह संगम है
जिसका कोई किनारा नहीं।
जो एक बार इसके सरोवर में डूब गया,
उसे फिर किसी तिनके का सहारा नहीं मिलता।

प्रेम एक अलग दुनिया है,
जिसका इस वास्तविक संसार से कोई मेल नहीं।
इसे समझना आसान नहीं—
हर कोई इसे अपनी तरह से परिभाषित करता है,
कोई इसमें जी उठता है,
तो कोई इसमें मिट जाता है।

सच्चा प्रेम आकर्षण से नहीं,
सूरत से नहीं, जिस्म से नहीं,
बल्कि रूह से होता है।
यह एक-दूसरे की खामोशी को सुनने से,
एक-दूसरे में उतर जाने से जन्म लेता है।

प्रेम वह है
जिसे शब्दों से नहीं,
सिर्फ महसूस करने से जिया जाता है।
जो इसमें डूब गया,
वह इस मतलबी दुनिया से कहीं आगे निकल जाता है,
जहाँ उसका पूरा संसार
बस उसका प्रेम बन जाता है।

प्रेम—
दिलों का संगम,
जज़्बातों का प्रवाह,
और रूह से रूह के जुड़ने का नाम है।

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अब कुछ कहना चाहता हूं — प्रकृति से, खुद से, इस जीवन से।
दिल की उमंगों को
अब मैं अपनी कल्पना के भीतर नहीं,
उससे बाहर जीना चाहता हूं।

मन के अंदर जो जाले बुनें हैं वर्षों से,
अब उन्हें पूरी तरह मिटाना चाहता हूं।

कब तक यूं ही
शब्दों के जाल में उलझा रहूंगा?
अब इस उलझन से
मैं खुद को आज़ाद करना चाहता हूं।

जिन निर्जीव कल्पनाओं को
अब तक अपने शब्दों से भिगोता रहा,
अब उन्हें संजीव करके
शब्दों की दुनिया से बाहर लाना चाहता हूं।

मेरे हर शब्द का
अब मैं मोल चाहता हूं —
अब मैं अपनी कलम को
एक नई पहचान देना चाहता हूं।।

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