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Satya Shubham Alokrit

Satya Shubham Alokrit

@satyashubhampandey200429


तुम्हारी याद और मै!

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जो मैं अकेले में हूँ, वो मैं हूँ।
जो तुम्हारे सामने हूँ, वो सिर्फ़ एक दिखावा है।

भीतर जज़्बातों का समंदर है,
बाहर बस इक सुखद छलावा है।

आँखों में सन्नाटा पलता है,
चेहरे पर हँसी का छाया पिटारा है।

दिल के ज़ख़्म जो बोले नहीं,
वो लफ़्ज़ों में ढला इशारा है।

मैं चुप हूँ तो मत समझना ख़ामोश हूँ,
हर चुप्पी के पीछे इक गुज़रा फ़साना है।

तन्हाई में जो मेरा सच है,
वो दुनिया के लिए इक अफ़साना है।

मैं ज़िंदा हूँ पर अधूरा सा,
हर रोज़ मरने का बहाना है।

जो मैं अकेले में हूँ, वो मैं हूँ।
जो तुम्हारे सामने हूँ, वो सिर्फ़ एक दिखावा है।

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