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आज हम इतने दोहरे चरित्र के क्यू हो गए है। एक वक्त था जब हम बच्चे थे, हमारी सभी अच्छी बुरी चीजों पे हमारे मम्मी - पापा का का अपना एक विचार होता था। हम अपनी सारी खुशियां उनसे बताने के लिए उत्सुक रहते थे। फिर अचानक एक दिन हमे लगने लगा कि हम बड़े और समझदार हो गए है। हमें अपनी पर्सनल स्पेस और प्राइवेसी की जरूरत पड़ने लगी। हम अपनी चीजों कानून छिपाने लगे। ये कैसा दोहरा मुखौटा है हमारा , विचार करने वाली बात तो है।
मुझे आपसे मोहब्बत हो गई है, सुबह शाम आपको देखने की चाहत हो गई है, हर वक्त आपकी आहट भरता है दिल सच कहीं तो आप अब जरूरत बन गई है।।
नींद रात भर नहीं आती मन शांत नहीं हो पता, आपकी याद जब भी आती दिल बेचैन हो जाता।।
क्या क्या तारीफें करूं आपकी अब मैं ...... आपकी आंखे जैसे को गहरा सागर ।।
आपको सुकून भर देख सकूं , यही तमन्ना है
मुझे कितनी शिकायत थी रब से, फिर आप मिल गए ....मानो रब ने फरिश्ता भेज दिया।।
चलो अच्छा है आपसे आपकी बातें हुई, कहीं अपने हमारा हाल पूछ लिया होता , तो हम बता भी ना पाते शायद😔😔
आपके late night 😴 conversation की आदत जो पड़ गई है, तभी morning इतनी देर होती है मेरी।।
काफी वक्त हो गया है शायद, इस वजह से आप याद आ रही हो ।।
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