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हम प्रतिक्षा कर रहे हैं। कितनी? नहीं बना है शब्द... शायद सहरा में एक बूंद बारिश जितनी या उससे अधिक, अहं अत्याधिक। ❣️ ...Abhipsha...
प्रेम में हक के लिए लडना प्रेम नहीं संघर्ष कहलाता है। भावनायें समर्पण की हो तो ईश्वर पत्थर की मूर्त से भी प्रेम बरसाता है। ये निर्विवाद सत्य है 😊 थोड़ा मुश्किल तब बनता है, जब समर्पण न चाहते हुए जब प्रेमी ये कहे कि बांधकर रखो ना मुझे खुद से, तुम हक जताया करो ना मुझपर! और जता देने पर संघर्ष हो!
जानी पहचानी प्यार की कुछ बात है कभी बढती कभी घटती कभी आसमान सी विशाल कभी शून्य अहसास करवटें बदलता रहता है ये ठीक भी है जब तक कोई भी रिश्ता है ❣️ बस जो इन्सां के साथ की "आदतें" होती है ना? उसका इलाज नहीं बना है अब तक ... ...तु चाहिए हमेशा... ❣️ ...Abhipsha...
बहुत कुछ कहने सुनने के बाद एक अंतराल और फिर वो समय आता है जब कहने को खामोशी और सुनने को सन्नाटे रह जाते हो ❣️ शायद यही वो समय हो जब प्यार चरम पर हो और बस कैसे भी करके 'जताया जाएगा' इस प्रतिक्षा में तूटती नब्ज गिन रहा हो..! ❣️ ...Abhipsha...
कहां चाहते हैं हम प्यार करते रहो बस वहम जो पाल रखा है दिल ने, उसे तो जिंदा रखो! ❣️ ...Abhipsha...
एकबार पूछकर देखो ना... "कैसे हो?" सारे हकीम, सारी दवाईयां... धरी की धरी रह जाएगी और तबियत बाग-बाग हो जाएगी ...सच्ची मुच्ची... 🤗 ❣️ ...Abhipsha...
आइये आओ आ जा बस इनका फर्क समज लो सरकार! मालूम हो जाए जब, कैसे बुलाते हैं... बुला लेना, बेशक उसी पल आ जाएंगे। 😊 ।। बाकी सयानापन फिजूल है।। ... ❣️ ...Abhipsha...
वैसे तो सब सही ही लगा था बनाते वक्त ... पता नहीं क्यों, चाय थोड़ी फिक्की लग रही है, तुम जरा मेरे इस कुल्हड से एक दो चुस्कियां लगा लो ❣️ सही हो ही जाएगी 😌❣️😌 ❣️ ...Abhipsha...
आबाद तो आप रहेंगे ही हमारे साथ हो या हमारे बाद ❣️ बहुत मिन्नतें की है आपके नाम ... तन्हाई तो नहीं छू पाएंगी आपको बस, दर्द कभी रहे भी, तो बंटते रहेना उन लोगों में जिनसे घिरे रहेते हो आजकल 😊 ... ❣️ ...Abhipsha...
चलो मान लिया है हम वैसे नहीं है जैसे हुआ करते थे ... शायद तब रोटी सब्जी से थे पेट भरने को रोज चाहिए ... अब मिष्ठान्न से हैं, कभी कभी होने चाहिए, बदलाव के लिए बस ... अब, भला इतने मीठे तो हम हो भी कैसे पाएंगे! ❣️ ...Abhipsha...
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