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. सब्र ये है कि कुछ कहा नहीं मैंने किसी को ताज्जुब ये है कि लोग फिर भी खफा रहते हैं - Tr. RAJ KHARA
रुख़्सत हुआ तो आँख मिला कर नहीं गया, वो क्यूँ गया है ये भी बता कर नहीं गया। - Tr. RAJ KHARA
सुकून की बस अब दो ही वजह है, एक-तुम्हारा ख़्याल, दूसरा-ख़्यालों में तुम... - Tr. RAJ KHARA
ये बिंदिया पसंद है मुझकों, लगा के रखा कर सब ताकते हैं, ख़ुद को तू, छुपा के रखा कर ! - Tr. RAJ KHARA
कसूर मौजों का नहीं वो तो र'वानी में है ये तो साहिल हैं जो फासलों पे खड़ा हैं !! - Tr. RAJ KHARA
पूरा दिन बीत गया तुमसे बात करते करते काश ठहर जाए ये वक्त साथ चलते चलते... - Tr. RAJ KHARA
छांव कितनी भी गहरी हो, धूप थमती नहीं. असली रौशनी कभी पर्दों में छुपती नहीं.. - Tr. RAJ KHARA
इबादतें ही बनाती हैं पत्थरों को खुदा, ये तेरा हुस्न भी मेरे इश्क की बदौलत है....! - Tr. RAJ KHARA
दुआ है उसको चोट ना लगी हो, मेरा यार गिरा है मेरी नज़रों से। - Tr. RAJ KHARA
वो आज़मा रहें थे सब्र हमारा फिर कुछ हम भी बेपरवाह हो गए!! - Tr. RAJ KHARA
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