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आइने के टुकड़ों को जोड़कर देखा है हमने , आंखो में तेरा ही चेहरा नजर आता था, इसलिए हजारों बार तोड़कर देखा है हमने ... -डॉ . प्रदीप फड
गाना ही गुनगुना सकता हूं अब , क्योंकि दिल दर्दो पर कोई मरहम काम ही नहीं करता .. -डॉ . प्रदीप फड
लिखना बहुत चाहा मैंने , लेकिन मालिक तो दिल था ... जब आदेश देता है ,तब लब्ज को मौका मिलता हैं ... -डॉ . प्रदीप फड
अकेले में रोया करना , मेरी याद आए तो .. दुनिया बहुत जालीम हैं , नाटक समझ बैठेगी... -डॉ . प्रदीप फड
दिल भी बेताब हैं मिलने को तुमसे .... यादों का वार अब सहा नहीं जाता..... -डॉ . प्रदीप फड
मै बेबस था , बोलना तो बहुत चाहता था , खास लकीर हाथो पर थी , मगर फकीर बनकर घूमना चाहता था..... -डॉ . प्रदीप फड
जिस दिन यह दाना देने वाला किसान खुशी से झूम उठेगा , उस दिन हर घर तिरंगा लहराएगा .... -डॉ . प्रदीप फड
आजादी का मोल - कितने सारे क्रांतिवीरों के परिवारों की हुई बर्बादी .. तब जाकर कहा मिली हमें ये आजादी .... -डॉ . प्रदीप फड
टूटे हुए दिल को कई बार जोड़ा है मैंने , क्योंकि हर वक्त मेरा दिल तोड़ा है तूने.. -डॉ . प्रदीप फड
तेरा साथ अगर हो , तो दुनिया कैसी हैं यह देखणे को वक्त ही नही ... -डॉ . प्रदीप फड
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