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Pawan Adhikari

Pawan Adhikari

@pawanadhikari035834


उसके लिए कुछ

मेरी आखरी मोहब्बत हो तुम
अब शुरूआत भी तो तुम ही थी।
मेरे जिवन का लक्ष्य हो तुम
अब आखरी मंजिल भी तो तुम ही थी।
✍️ pawan

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माना फूल सी दिखती है पर,
आखिर वो भी तो सूख जाता है।
खुद को बार-बार देखती है शिशे मे
तो क्या कांच भी टूट जाता है।
ये तो झूठा संसार है साथी छूट जाता है
और कमबख्त दिल टूट जाता है।

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वो भी है

राज के कुकुरो की अलग ख्याती है
क्भोगन को भोग है रोकन को कोई नही
हासिये पर तो दुमिल कुत्ते है।
दोनो यथार्थ नही पर भूखे है
आखिर मानवता क्यो नही समझती
कि वो जिना चाहते है।

पंछी को तो अम्बर प्यारा है पर
धनी को पिजंर बन्द मिठ्ठू
मुफ्त गगन में मुफ्त का गायन है।
पिंजरे में डर का गायन यथार्थ नही है
समझ नही आता कि धनी क्यो नही समझते
कि वो भी मधुर गाते है

मनुष्य को भूख लगी है
तो जरुरी नही वो मानस ही खाये।
अपनी शक्ति के लिए
माँ की शक्ति का हनन यथार्थ नही।
आखिर चमडे का भूखा क्यो नही समझता
स्वामी की तिसरी आंख उसे देख रही है।

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