Quotes by Nirbhay Shukla in Bitesapp read free

Nirbhay Shukla

Nirbhay Shukla

@nirbhayshuklanashukla.146950
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Kamal khilega...❤️❤️

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> कभी-कभी हम एक कहानी लिखते हैं...
और कभी-कभी एक कहानी हमें लिख जाती है।

"प्रकाश और राधिका" की ये कहानी मैंने नहीं रची —
इसे भावनाओं ने गढ़ा है,
इसे टूटे हुए वादों और अधूरी मुलाकातों ने आकार दिया है,
और इसे उस प्रेम ने जिया है जो हर जन्म में अपना रास्ता खोज लेता है।

इस कहानी को लिखते समय मेरी उंगलियां चल रही थीं,
पर कलम को कोई और थामे था —
शायद वही राधिका, जो अभी भी किसी जीवन में
अपने प्रकाश की प्रतीक्षा कर रही है।

मुझे नहीं पता ये कहानी कहाँ तक पहुंचेगी,
लेकिन मैं इतना ज़रूर जानता हूँ कि
अगर आपके दिल में कभी किसी का नाम धड़कन की तरह बसा हो,
तो ये कहानी आपके सीने में भी धड़कने लगेगी।

ये कहानी सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं है —
इसे महसूस किया जाता है।

“कुछ कहानियाँ मुकम्मल होकर भी अधूरी होती हैं...
और कुछ अधूरी होकर भी अमर।”

–निर्भय शुक्ला....

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> कभी-कभी हम एक कहानी लिखते हैं...
और कभी-कभी एक कहानी हमें लिख जाती है।

"प्रकाश और राधिका" की ये कहानी मैंने नहीं रची —
इसे भावनाओं ने गढ़ा है,
इसे टूटे हुए वादों और अधूरी मुलाकातों ने आकार दिया है,
और इसे उस प्रेम ने जिया है जो हर जन्म में अपना रास्ता खोज लेता है।

इस कहानी को लिखते समय मेरी उंगलियां चल रही थीं,
पर कलम को कोई और थामे था —
शायद वही राधिका, जो अभी भी किसी जीवन में
अपने प्रकाश की प्रतीक्षा कर रही है।

मुझे नहीं पता ये कहानी कहाँ तक पहुंचेगी,
लेकिन मैं इतना ज़रूर जानता हूँ कि
अगर आपके दिल में कभी किसी का नाम धड़कन की तरह बसा हो,
तो ये कहानी आपके सीने में भी धड़कने लगेगी।

ये कहानी सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं है —
इसे महसूस किया जाता है।

“कुछ कहानियाँ मुकम्मल होकर भी अधूरी होती हैं...
और कुछ अधूरी होकर भी अमर।”

–निर्भय शुक्ला....

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तेरे चेहरे की वो ख़ूबसूरत तस्वीर कहाँ से लाऊँ,
हर लम्हा तेरे साथ गुज़रे ऐसी तक़दीर कहाँ से लाऊँ,
मैं माँगता हूँ हर सफ़र में साथ तेरा,
तू ही बता, मेरे हाथों में वो लकीर कहाँ से लाऊँ..!!

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संघर्ष नहीं जिनके जीवन में

संघर्ष नहीं जिनके जीवन में,
वे कैसे सुख का मान करेंगे?
नहीं लड़े जो आँधियों से,
वे कैसे जग में स्थान करेंगे?

अंधियारी रात न झेले जिनने,
वे कैसे भोर का गान करेंगे?
जो आग न तपकर निकले सोना,
वे कैसे जग में सम्मान करेंगे?

धारा अगर न पत्थर तोड़े,
तो कैसे सुर का ज्ञान करेगी?
गिरकर जो उठना न जान सके,
वह कैसे पथ की पहचान करेगी?

विजय उन्हीं के चरण चूमती,
जो रण में अडिग, महान खड़े।
संघर्ष ही जीवन का सत्य है,
यही दीप जला, यही राह गढ़े।


–Nirbhay Shukla

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"To confine truth in words is like trying to hold the
sky in your palm."

-Nirbhay Shukla

संघर्ष नहीं जिनके जीवन में

संघर्ष नहीं जिनके जीवन में,
वे कैसे सुख का मान करेंगे?
नहीं लड़े जो आँधियों से,
वे कैसे जग में स्थान करेंगे?

अंधियारी रात न झेले जिनने,
वे कैसे भोर का गान करेंगे?
जो आग न तपकर निकले सोना,
वे कैसे जग में सम्मान करेंगे?

धारा अगर न पत्थर तोड़े,
तो कैसे सुर का ज्ञान करेगी?
गिरकर जो उठना न जान सके,
वह कैसे पथ की पहचान करेगी?

विजय उन्हीं के चरण चूमती,
जो रण में अडिग, महान खड़े।
संघर्ष ही जीवन का सत्य है,
यही दीप जला, यही राह गढ़े।

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न जन्म हमारी मर्जी से होता है

न मृत्यु ही हमारी मर्जी से होती है

तो जन्म मृत्यु के बीच होने वाली व्यवस्था हमारी मर्जी से कैसे हो सकता है

जो आपके कर्मों के योग्य है वो आपको मिल जायेगा

और जो नही है वो छीन जायेगा

हमारा काम है सिर्फ कर्म करते रहना

वास्तव में कर्म क्या है?

भजन ही कर्म है बाकी तो मोह माया है

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राखी के धागों में बंधा है प्यार,
स्मृतियों में बसी है बचपन की बहार।
तेरी हँसी में बसते थे मेरे सवेरे,
तेरी आँखों में छिपे थे सपने मे....

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न कागज ना कलम न किताब से सीखा है मैंने जिंदगी जीने का हुनर अपने बाप से सीखा है....
- Nirbhay Shukla