Quotes by Nirbhay Shukla in Bitesapp read free

Nirbhay Shukla

Nirbhay Shukla

@nirbhayshuklanashukla.146950
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"काश हम बच्चे होते..."
यह किताब केवल बचपन की यादों का पिटारा नहीं है, बल्कि एक ऐसा जादुई दर्पण है, जिसमें झाँकते ही हम अपने मासूम दिनों की गलियों में लौट जाते हैं — जहाँ माँ की गोदी सबसे सुरक्षित ठिकाना थी, पापा की डाँट में छुपा हुआ दुलार था, और दादी की धोती में बंधे सिक्के किसी ख़ज़ाने से कम नहीं लगते थे।

ज़िंदगी की इस भागदौड़ में जब मन थककर चुप हो जाता है, जब अवसाद (डिप्रेशन) और दिमागी दबाव हमें भीतर से भारी कर देते हैं, तब यह किताब हमारे दिल को थाम लेती है। इसके शब्द थके हुए मन को सहलाते हैं, बोझिल दिमाग को हल्का करते हैं और हमें उस मासूमियत की धरती पर ले जाते हैं, जहाँ चिंता का नाम भी नहीं था।

लेखक निर्भय शुक्ला ने अपने सहज और गहरे शब्दों से यह दिखाया है कि बड़ा होने की जटिलताओं के पीछे आज भी एक बच्चा हम सबके भीतर जीवित है — जो हँसना चाहता है, खेलना चाहता है और बिना किसी बोझ के जीना चाहता है।

यह किताब केवल स्मृतियाँ नहीं जगाती, बल्कि आपके अंतर्मन को छूकर आपके भीतर की टूटन को जोड़ती है। यह आपको अपने उस भूले-बिसरे रूप से मिलवाएगी और शायद आपके होंठों पर भी वही आहट ले आएगी —
"काश हम बच्चे होते..." 🌸

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"संघर्ष नहीं जिनके जीवन में

संघर्ष नहीं जिनके जीवन में,
वे कैसे सुख का मान करेंगे?
नहीं लड़े जो आँधियों से,
वे कैसे जग में स्थान करेंगे?

अंधियारी रात न झेले जिनने,
वे कैसे भोर का गान करेंगे?
जो आग न तपकर निकले सोना,
वे कैसे जग में सम्मान करेंगे?

धारा अगर न पत्थर तोड़े,
तो कैसे सुर का ज्ञान करेगी?
गिरकर जो उठना न जान सके,
वह कैसे पथ की पहचान करेगी?

विजय उन्हीं के चरण चूमती,
जो रण में अडिग, महान खड़े।
संघर्ष ही जीवन का सत्य है,
यही दीप जला, यही राह गढ़े।"

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Na tu jamee ke liye hai na asamaa ke liye hai....

Jahan hai tere liye..
Tu nahi hai jahan ke liye...💓

Kamal khilega...❤️❤️

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> कभी-कभी हम एक कहानी लिखते हैं...
और कभी-कभी एक कहानी हमें लिख जाती है।

"प्रकाश और राधिका" की ये कहानी मैंने नहीं रची —
इसे भावनाओं ने गढ़ा है,
इसे टूटे हुए वादों और अधूरी मुलाकातों ने आकार दिया है,
और इसे उस प्रेम ने जिया है जो हर जन्म में अपना रास्ता खोज लेता है।

इस कहानी को लिखते समय मेरी उंगलियां चल रही थीं,
पर कलम को कोई और थामे था —
शायद वही राधिका, जो अभी भी किसी जीवन में
अपने प्रकाश की प्रतीक्षा कर रही है।

मुझे नहीं पता ये कहानी कहाँ तक पहुंचेगी,
लेकिन मैं इतना ज़रूर जानता हूँ कि
अगर आपके दिल में कभी किसी का नाम धड़कन की तरह बसा हो,
तो ये कहानी आपके सीने में भी धड़कने लगेगी।

ये कहानी सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं है —
इसे महसूस किया जाता है।

“कुछ कहानियाँ मुकम्मल होकर भी अधूरी होती हैं...
और कुछ अधूरी होकर भी अमर।”

–निर्भय शुक्ला....

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> कभी-कभी हम एक कहानी लिखते हैं...
और कभी-कभी एक कहानी हमें लिख जाती है।

"प्रकाश और राधिका" की ये कहानी मैंने नहीं रची —
इसे भावनाओं ने गढ़ा है,
इसे टूटे हुए वादों और अधूरी मुलाकातों ने आकार दिया है,
और इसे उस प्रेम ने जिया है जो हर जन्म में अपना रास्ता खोज लेता है।

इस कहानी को लिखते समय मेरी उंगलियां चल रही थीं,
पर कलम को कोई और थामे था —
शायद वही राधिका, जो अभी भी किसी जीवन में
अपने प्रकाश की प्रतीक्षा कर रही है।

मुझे नहीं पता ये कहानी कहाँ तक पहुंचेगी,
लेकिन मैं इतना ज़रूर जानता हूँ कि
अगर आपके दिल में कभी किसी का नाम धड़कन की तरह बसा हो,
तो ये कहानी आपके सीने में भी धड़कने लगेगी।

ये कहानी सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं है —
इसे महसूस किया जाता है।

“कुछ कहानियाँ मुकम्मल होकर भी अधूरी होती हैं...
और कुछ अधूरी होकर भी अमर।”

–निर्भय शुक्ला....

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तेरे चेहरे की वो ख़ूबसूरत तस्वीर कहाँ से लाऊँ,
हर लम्हा तेरे साथ गुज़रे ऐसी तक़दीर कहाँ से लाऊँ,
मैं माँगता हूँ हर सफ़र में साथ तेरा,
तू ही बता, मेरे हाथों में वो लकीर कहाँ से लाऊँ..!!

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संघर्ष नहीं जिनके जीवन में

संघर्ष नहीं जिनके जीवन में,
वे कैसे सुख का मान करेंगे?
नहीं लड़े जो आँधियों से,
वे कैसे जग में स्थान करेंगे?

अंधियारी रात न झेले जिनने,
वे कैसे भोर का गान करेंगे?
जो आग न तपकर निकले सोना,
वे कैसे जग में सम्मान करेंगे?

धारा अगर न पत्थर तोड़े,
तो कैसे सुर का ज्ञान करेगी?
गिरकर जो उठना न जान सके,
वह कैसे पथ की पहचान करेगी?

विजय उन्हीं के चरण चूमती,
जो रण में अडिग, महान खड़े।
संघर्ष ही जीवन का सत्य है,
यही दीप जला, यही राह गढ़े।


–Nirbhay Shukla

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"To confine truth in words is like trying to hold the
sky in your palm."

-Nirbhay Shukla

संघर्ष नहीं जिनके जीवन में

संघर्ष नहीं जिनके जीवन में,
वे कैसे सुख का मान करेंगे?
नहीं लड़े जो आँधियों से,
वे कैसे जग में स्थान करेंगे?

अंधियारी रात न झेले जिनने,
वे कैसे भोर का गान करेंगे?
जो आग न तपकर निकले सोना,
वे कैसे जग में सम्मान करेंगे?

धारा अगर न पत्थर तोड़े,
तो कैसे सुर का ज्ञान करेगी?
गिरकर जो उठना न जान सके,
वह कैसे पथ की पहचान करेगी?

विजय उन्हीं के चरण चूमती,
जो रण में अडिग, महान खड़े।
संघर्ष ही जीवन का सत्य है,
यही दीप जला, यही राह गढ़े।

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