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राधा और कृष्ण की प्रीत है गहरी। एक है सागर दूजी नदिया सुनहरी।। सागर में मिलती हैं नदिया जाकर। वैसे ही राधा मिलीं श्याम में आकर। साक्षीथागोकुलऔरवृन्दावन नगरी। राधा और कृष्ण की प्रीत है गहरी।। प्रीत है पावन, अखंड है अमर। मुरली है राधा ,मुरलीधर के अधर। मोहनहैकाला,कंचनवर्णीबृजेश्वरी। राधा और कृष्ण की प्रीत है गहरी।। मोरमुकुट माधव के नैनो की थी ये जादूगरी , अपने अस्तित्व को समेटे कृष्णा, कृष्ण मे समा रही, संपूर्ण जगत को निश्छल प्रेम का अनोखा पाठ पढ़ा रही । अतुल्यअनुपम प्रेमकेहैं ये प्रहरी। राधा और कृष्ण की प्रीत है गहरी।। बंसी की धुन पर रास रचाया, दुनिया को प्रेम का रहस्य समझाया, कृष्ण है प्राण तो राधा है काया, अद्धभुत अप्रतिमप्रेम की छलकती है गगरी। राधा और कृष्ण की प्रीत है गहरी।।
अक्सर अंदाज़–ए–सादगी भी असर दिखाती है, हज़ारों तकलीफ के बावजूद भी ज़िंदगी मुस्कुराती है।। खुशियों और ग़मो की कशमकश से परे है जो, वो ही जिंदादिलों के लिए ज़िंदगी कहलाती है।। 🌹🌹🌹
आसमाँ सेआई एक खबर ने शहर में चर्चा–ए–आम कर दिया, कि सूरज ने बादलों के साथ मिलकर धूप का काम तमाम कर दिया।। सितारे भी फुसफुसा के कह रहे हैं चांद से तुम्हारी गीली और नुकीली रात भी कुछ कम नहीं, जिसने ज़िंदगी के कत्ल का सामान कर दिया ।।
बेवजह तो नहीं मिले थे तुम, कोई तो रिश्ता पुराना रहा होगा। यूं ही नहीं धड़कता ये दिल, कोई तो जज़्बा अनजाना रहा होगा। एक तेरी मुस्कान पर कुर्बान कर दी ये ज़िंदगी, ये सिलसिला आज का नहीं जनमों का अफसाना रहा होगा।
# मन के मीत # +++++++++++ जब से आप मेरे मनमीत बन गए। जीवन सुमन कुछ यूं खिल गए।। साज छेड़ा है इन हवाओं ने आकर, जैसे घटा और बादल कहीं मिल गये जब से आप मेरे मनमीत बन गए।। तुमको पाकर सारा जहाँ पा लिया न कोई तमन्ना-ए-दिल रह गई। सफर जिन्दगी का हंसीन होगा तेरे संग, नये ख्वाब आंखो में फिर पल गए जब से आप मेरे मन मीत बन गए।। मन के मंदिर में है मूरत तुम्हारी, नैनो में सूरत दिल में चाहत तुम्हारी। सपनों में तुम थे, हकीकत में तुम हो दिल मे उम्मीदों के चिराग जल गए। जब से आप मेरे मनमीत बन गए।। ♥️♥️♥️
डम डम डम डम डमरू बाजे कैलाश पर्वत पे नंदी गण नाचे सज धज के देवी देवता विराजे बंदनवारों ,दीप मालाओं से जगमगा गई है रात महादेव महाकाल की सज गई बारात बम बम भोले चले होले होले हिमाचल के द्वारे लाए खुशियों की सौगात गौरा को ब्याहन आए शिव शंभू ले कर बारात हर हर महादेव का हो रहा हुंकार शिव संग गौरा,गौरा संग शिव तुम्हारी जयजयकार भक्तों का तुमको प्रणाम बारंबार पूर्ण करो सबकी मनोकामना महापर्व शिवरात्रि की सभी को शुभकामना 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🌷 नन्ही कली🌷 ++++++++++++++++ दूर कहीं बाग के किसी कोने में एक नन्हा पौधा तरुणाई में झूम रहा था, अपनी बाँहें फैलाए आसमान की ओर नित प्रतिदिन ऊँचाइयों को चूम रहा था। नयी तरंगों नयी उमंगों की कोंपलें उसे श्रृंगारित कर गुनगुना रहीं थीं, शिशिर शरद हेमन्त धूप बरखा बसंत संग प्यार से खिलखिला रहींथीं। समय काल परिस्थिति का चक्र अपनी गति से चल रहा था, आज वो पौधा ख़ुशी से भीअधिक खुश लग रहा था। हुआ भी था कुछ ऐसा जिससे उसकी रंगत निखार आई थी, आज उसकी गोद में एक नन्ही कली मुस्कुराई थी । अपनी बाँहों में उसे समेटे वो ख़ुशी के कुलाँचें भर रहा था, हवा के झोंकों संग प्रेम मग्न हो ममत्व के हिलोरें भर रहा था, समूचे बाग में वो सबसे भाग्यशाली है यही सोच कर गर्व कर रहा था। कोमल कली भी अपने को सुरक्षित बाँहों में पाकर धीरे धीरे अपनी नींद से जाग रही थी, अपनी छोटी छोटी पंखुड़ी को खोल हौले हौले मुस्कुरा रही थी । समय के साथ कली के स्वरूप ने भी आकार लिया , उसके पल्लवित होने से खुश उस पौधे के मन में कई चिन्ताओं ने बसेरा किया । चिंता थी उस आने वाले कल कि, बिछड़ के दूर जाने वाले उस पल की इतने जतन से सम्भाला था जिसे नाज़ों नख़रों से पाला था जिसे । वो जो आज है रौनक़ यहाँ की कल रौशनी बनेगी सारे जहाँ की। कल जो इसे दूर ले जायेगा मेरी आँखों से , क्या सम्भाल पाएगा अपनी पलकों पे । कितने धर्म इसे निभाने होंगे , क्या क्या ज़ख़्म खाने होंगे। दुनिया का ये दस्तूर तो निभाना होगा, कली को अपने कर्म के लिए दूर तो जाना होगा । कभी ठोकर खाएगी कभी कभी मुरझायेगी, पर जी सीख समझ उसे सिखलाई है वही ढाल बन जाएगी । जो आज यहाँ की ख़ुशबू है वो कल सारा जहां महकायेगी, आज इन बाहों में मुस्कुरा रही है कल सारी दुनिया में छा जाएगी । ये सोच कर मुस्कुरा कर कली को दुलराते हुए बोला, ए कली तुम अपने आप को कमज़ोर मत समझना, हर घड़ी हर हाल में मुझे अपने संग समझना। हिम्मत और बुद्धि से ही पहचान बनाई जाती है, अंधकार कितना ही गहरा क्यों ना हो एक छोटे से दिये की लौ से रोशनी बिखर जाती है । इसलिए ना कम हो और ना अपने को कमतर मानो, जीवन रथ पर ख़ुशियों की लगाम थाम कर सफलता के कदम बढ़ाये चलो बढ़ाये चलो ।
दिल से दिल को राहत होती है, दिल की राहों मे मुश्किलात बड़ी होती है। जो हमराह साथ हो तो, ज़माने का दम निकलता है। जो तन्हा हो सफर तो, ज़िंदगी दम तोड़ती है।।
🌹मातृ भाषा –हिंदी🌹 -------------------------------- जैसे माँ के ललाट पर सुशोभित है बिंदी वैसे ही अनुपम है पावन पवित्र है भाषाओं की रानी हिंदी भावों की अभिव्यक्ति का है दर्पण कभी कभी सख़्त तो कभी कभी कोमल जैसे हो मां का मन रस छंद अलंकारों से सुसज्जित है रूपा स्वर व्यंजन शब्द वाक्यों से बुनी काया कभी कहीं सौम्य कभी कहीं चंचल जैसे हो मां का लहराता आंचल पूज्यनीय सम्माननीय परम पुनीता कवि की कल्पना और लेखकों को लेखनी से लिखी गाथा करते है प्रणाम,नमन वंदन मां स्वरूपा मातृभाषा तुझे कोटि कोटि अभिनंदन 🙏🙏
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