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जलती रही शमा यूँ ही इंतज़ार मे, हम आये ही न यूँ किये करार मे। - Neeraj Sharma
मुहबत ने रंग बिखेर दिए। हमें समेटने न आये यारा ओ। - Neeraj Sharma
वक़्त भी एक ताजुब था। पर हम इसके, लायक न थे। - Neeraj Sharma
ख़याल कुछ ऐसे है, कुछ कह नहीं सकता। आप बहुत अजीज है, कुछ ले नहीं सकता। आफ्ते बन गयी जो, करीब ही ठहर गयी, और हकीकत मे , सागर मे वेह नहीं सकता। ख़याल कुछ ऐसे है, कुछ कह नहीं सकता। टूटना ही था कमबख्त, तो दिल जोड़ा कयो ? अकेला हूँ आज, जयादा मै रह नहीं सकता। मर जाऊ यही सोचते, उम्र बीत चली आपनी, वसीयत जो कि हमने, तकसीम दें नहीं सकता। ख़याल कुछ ऐसे है, कुछ कह नहीं सकता।
( पैमाना ) मजबूरी मे पीता हूं, जनाब, कुछ कहना है। जिम्मेदारी भी सजा है, जनाब, यही रहना है। बहुत आपनो ने, मेरा लहू निचौड़ा यही कहकर, जन्मों का हिसाब है, कुछ तो देना है। खबर बन गये,कब हम, पता चला नहीं, और कितना मेरे यारो, आपने और लेना है। मजबूरी मे पीता हूं , जनाब कुछ कहना है। नीरज शर्मा
भूल जा जो हुआ, होता रहोगे। बोलोगे नहीं तो जनाब, रोते रहोगे
गरज हैं तब तक साथ हो प्यारे। चलो साथ तो हैं हाथो मे हाथ प्यारे।
ज़िन्दगी तुम्हे कया लगी, हकीकत मे बोल। लगी हो जैसी भी , भेत न खोल। ❤️❤️
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