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दिल बहुत कुछ चाहता है, पर होती सबकी कुछ मजबूरी। ये दुनियां कोई इल्जाम न दे, इस लिए रहती है कुछ दूरी।। मिश्री - kiranvinod Jha
समय मांगों तो देते नहीं, ऐसे लोग होते,मद में चूर। अपने को श्रेष्ठ दिखाकर, अपने लोगों से ,होते दूर।। मिश्री - kiranvinod Jha
आज की पीड़ा कोई न समझे, कल ठीक का,सब दें आश्वासन। कल का कुछ भी पता नहीं, श्वांस कब छोड़ दे,तन का आसन।। मिश्री - kiranvinod Jha
चाहा हुआ अगर मिल जाए,वो होता है खुशनसीब। वरना उसे छीनने के,किस्मत खेलती खेल अजीब।। मिश्री - kiranvinod Jha
सुनकर आपके महबूब की तारीफें, ये दिल उनसे मिलना चाहता है। हम भी देखें उन्हें अपनी आंखों से, जिसका जिक्र आपकी जुबां से नहीं जाता है।। मिश्री - kiranvinod Jha
इतनी जल्दी न जाइए, कर लो थोड़ी सी गुफ्तगू। याद यहां सभी करते है, कानों पर क्यों रेंगी जू।। मिश्री😂 - kiranvinod Jha
पुलकित हृदय के साथ में, भोर का करेंगे हम स्वागत। आज के दिन ये प्रण लेंगे, नहीं करेंगे किसी को आहत।। सुप्रभात मिश्री - kiranvinod Jha
बार बार उम्र को दिखाते हो, आप क्या जताना चाहते हों। कोई और दूसरी देख ली क्या, जो उसको पटाना चाहते हो।। 😂मिश्री🙏🏻 - kiranvinod Jha
आंखों में क्या देखते हो,कभी तो दिल में उतरो। दूर दूर से बस देखोगे,कभी तो जुल्फें बिखरो।। मिश्री - kiranvinod Jha
कब से बाहें फैलाएं है,कब तुम गले लगाओगे। इंतजार अब करें कितना, कब तुम यहां आओगे।। मिश्री - kiranvinod Jha
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