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जज्बात जो भी उमड़ते थे, लगा दी अब उसमें आग। बिना कुछ गलत किए ही, लग गया जीवन में दाग।। मिश्री - kiranvinod Jha
न कहना है , न सुनना है, बस खामोशी में घुनना है। विवादों के घेरे से निकलकर, एकांत का दामन चुनना है।। मिश्री - kiranvinod Jha
राह देखते, तब आते नहीं, बाद में बनाते कोई बहाना। सुनने और सुनाने के लिए, इंतजार का देते नजराना।। मिश्री - kiranvinod Jha
प्रेम तो है एक निर्मल भावना, शब्दों में नहीं होता जिसका मोल। मौन की भाषा भी जो समझ लेते, दिल में नहीं होता जिनके झोल।। मिश्री - kiranvinod Jha
प्रेम है तो करते रहिए,नहीं करिए किसी को बेबस। प्रेम तो एक पूजा है,नहीं होती उसमें कोई हवस।। मिश्री - kiranvinod Jha
उम्मीदें जो नहीं छोड़ते, उनकी होती कायाकल्प। ईश्वर को साक्षी मानकर, लक्ष्य पूर्ति का लें संकल्प।। सुप्रभात मिश्री - kiranvinod Jha
सबके मन की करते करते, अपने आपको ही खो दिया। क्या से क्या हो गए हम, ये सोचकर मन रो लिया।। मिश्री - kiranvinod Jha
अगर किसी के मन की न हो, तो फिर लोग हो जाते दूर। मुस्कान मुख से गायब होकर, छीन लेती है चेहरे का नूर।। मिश्री - kiranvinod Jha
सभी के मन की करना चाहते है, पर कुछ न कुछ रह जाता शेष। पूर्ण शायद कभी नहीं होगा, जब तक प्राण,न बन जाएं अवशेष।। मिश्री - kiranvinod Jha
अपनी गलतियों को छुपाकर, दूसरों पर जो लगाते आरोप। धीरे धीरे कुछ ही समय में, एक दूसरे के प्रति बढ़ता रोष।। मिश्री - kiranvinod Jha
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