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Kanchan Singla

Kanchan Singla

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कौन उठाए अब दरिया तक जाने का जोखिम
नेकी करके उसे डालने की जब और भी जगह मौजूद हैं
सुना है फेसबुक और इंस्टाग्राम दरिया से भी अधिक गहरे हैं।।
- Kanchan Singla

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फसानों का क्या है हुजूर मशहूर हो ही जाते हैं
बात तो उनमें है जो दिल में बस जाते हैं।।
- Kanchan Singla

कैसी बेबसी का यह आलम है
जो जलाए नहीं जलता
सीने में सुलगती इक आग है
जो बुझाए नहीं बुझती ।।
- Kanchan Singla

गुजरते दिनों को भुला बैठी मैं
फिर एक बार खुद से इश्क लड़ा बैठी मैं ।।
- Kanchan Singla

ता उम्र इश्क कायम रहा उसका मुकद्दर ए सितम से
कहर बनकर ढा गया उसका मुर्तजा इश्क खुद से ।।
:- Kanchan Singla

इच्छा शक्ति एक ऐसी शक्ति जो सिर्फ स्वयं में झांकने पर ही प्राप्त हो सकती है। यह शक्ति आपके मन, कर्म और वचन सबको नियंत्रण में रख सकती है।

जब जीव का अपने बाह्य रूप पर नियंत्रण नहीं रहता तब उसे आंतरिक रूप को नियंत्रित करना चाहिए। क्योंकि आंतरिक नियंत्रण उसके बाह्य रूप स्वयं ही नियंत्रित कर लेगा। जैसे

एक व्यक्ति था जो बाहरी शारीरिक रूप से कमजोर था फिर एक दिन उसे इच्छा शक्ति के बारे में पता चला। उसने इस पर काम करना शुरू किया। जब जब उसे अपने भीतर से आवाज आती की तुम कमजोर हो वह उसे मानने से इंकार कर देता। वह निरंतर योग और ध्यान में रहकर अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत करने लगा। वह कमजोर युवक एक बलशाली युवक में ऐसे बदल गया कि वह बाघ को भी मात दे सकता था। उसने लोगों को यही बताया कि उसने अपनी इच्छा शक्ति को नियंत्रित किया।

जब जब मन यह कहता है कि नहीं आज थोड़ा मोबाइल चला लेते हैं कल पढ़ लेंगे, पक्का कल से करेंगे यह कार्य लेकिन वह कल कभी नहीं आ पाता और वह अपने जीवन की हर परीक्षा में असफल हो जाते हैं। इसके लिए भी भाग्य को दोष देते हैं लेकिन असल में ऐसा कुछ नहीं था। यह उसकी अपनी लापरवाही थी। उसे अपने मन को नियंत्रित करना चाहिए था। कल की परवाह किए बिना आज ही शुरू करना चाहिए था। कल कभी नहीं आता।

इच्छा शक्ति वह शक्ति है जो आपकी इच्छाओं को नियंत्रित करती है। आपको कमजोर इंसान से ताकतवर इंसान में बदल देती है। वह करने की शक्ति देती है जिसे दुनियां यह कहकर मना कर देती है कि तुमसे नहीं हो पाएगा।

मजबूत इच्छा शक्ति मजबूत मनुष्य को जन्म देती है।

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एक शोर आजकल मेरे कानों में भिनभिनाता है
शायद कोई मच्छर ऑर्केस्ट्रा बजाता है।।
- Kanchan Singla

एक शोर आजकल मेरे कानों में भिनभिनाता है
शायद कोई मच्छर ऑर्केस्ट्रा बजाता है।।
- Kanchan Singla

रात के सन्नाटे गूंजते हैं मुझमें
मैं खंडहर पड़ा वो मकान हूं
जो जर्जर हालत में पड़ा यूं
भयानक नजर आता है
यह देखने वालों का नजरिया है
मुझमें पलते हैं शांति से अनेक जीव
कहीं कोनों में बने हैं अनेक बिल
कहीं किनारों से लटकती मकड़ियां हैं
छिपकली, झिंगुर हो या कोकरोच
सब स्वछंदता से जीते हैं
रात के इन सन्नाटों में
जीवन गूंजता है मुझमें कहीं ।।

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जिंदगी ने उम्मीदों पर पानी फेरा है
तुम सावन की बरसात समझ लेना इसे ।।