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Kamlesh Parmar

Kamlesh Parmar

@kamleshparmar213429


जय श्री राम!
जय बजरंग बली!

सब्रका के ले ना ओर इम्तिहान।
टूट चुका है एक ओर इंतकाम।
मंजिल को पाया कोसों दूर,
मुसाफ़िर बनकर भटक रहा दर दर।
तनहाई का ए आलम,
कर बैठे खुदको रुसवा।
या मेरे खुदा ना कर मुझे ओर लज्जित।
हे मेरे मुल्तानी कर दे थोड़ी रेहम।
- Kamlesh Parmar

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दर्द की ए कहानी है बड़ी सुहानी है।
दर्द में खुद सहता रहा,
हुवे ना कोई मेरा।
करते रहे सब अनदेखा,
हुआ में खुद चकनाचूर।
उम्मीद को दामन छोड़ दिया,
सह ना सका और ग़म।
झूठा ही सही देता कोई दिलासा,
तो कुछ देर तो होता मन को सुकून।

- Kamlesh Parmar

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