Quotes by Jyoti Jyoti in Bitesapp read free

Jyoti Jyoti

Jyoti Jyoti

@jyotijyoti122156


Silence is not weakness. It's a choice, a strength, a strategy.

जब दुनिया ने मेरी चुप्पी को एटीट्यूड समझा, मैंने उसे अपनी ऊर्जा, शांति और फ़ोकस बना लिया।

हर बार बोलना जरूरी नहीं, कभी-कभी खामोशी ही सबसे बड़ी भाषा होती है -जो शब्दों से ज़्यादा असर छोड़ती है।

यह कविता - "मैं चुप हूं, पर कमजोर नहीं" -मेरी अपनी यात्रा से निकली है। उन सभी के लिए जो अक्सर misunderstood होते हैं, पर भीतर से बेहद मजबूत हैं।

अगर आप भी कभी चुप रहे हैं, तो यह कविता आपके लिए है।

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धूल चेहरे पर थी... और मैं आईना साफ करता रहा।'

कभी सोचा है, हम कितनी बार दूसरों को दोषी ठहराते हैं जबकि असल में जरूरत होती है खुद को टटोलने की।

Self-reflection isn't weakness; it's wisdom. We waste time fixing the mirror, while the dust lies quietly on our own face.

This poem is a gentle reminder:

Change begins not when we criticize others, but when we courageously confront ourselves.

From the heart and pen of Jyoti.

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मिट्टी की सीखः घमंड क्यों करें जब हम सब मिट्टी ही हैं?

एक बार किसी ने एक मिट्टी के बर्तन से पूछा, "तू हर परिस्थिति में इतना शांत और ठंडा कैसे रहता है?"

बर्तन ने मुस्कराकर उत्तर दियाः

"मैं बस इतना याद रखता हूं कि मैं मिट्टी से बना हूं और एक दिन फिर उसी मिट्टी में मिल जाऊंगा। तो फिर घमंड और गुस्सा करने का क्या अर्थ?"

इस उत्तर में जीवन का एक गहरा सत्य छिपा है।

हमें अक्सर ऐसा लगता है कि कुछ हासिल कर लेने से हम दूसरों से बेहतर हो गए हैं-थोड़ी शोहरत, कुछ पैसा, या एक पद। पर क्या सच में यह स्थायी है? हम सब उसी मिट्टी के बने हैं, जो एक दिन फिर मिट्टी में मिल जाएगी।

जैसा कबीरदास ने कहा था:

"माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोहे, एक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूंगी तोहे।"

मिट्टी की ये बात हमारे अहंकार को झकझोर देती है। वह अहंकार जो अक्सर हमें दूसरों से ऊपर समझने पर मजबूर करता है।

पर घमंड से हमें क्या मिलता है?

कुछ नहीं-सिवाय गुस्से, थकान और अंततः पछतावे के।मैं कुछ भी नहीं, बस मिट्टी हूं।"

और जब यह भाव हमारे भीतर सच्चाई से उतर जाएगा, तब न घमंड रहेगा, न क्रोध।

बचेगा तो सिर्फ शांति, प्रेम और विनम्रता।

निष्कर्षः

विनम्रता केवल एक गुण नहीं, बल्कि जीवन का एक तरीका है। जितना जल्दी हम यह समझ जाएं, उतना ही अच्छा। क्योंकि अंत में वही व्यक्ति वास्तव में बड़ा होता है, जो मिट्टी की तरह झुकना जानता है।

जब जान लिया कि मिट्टी से बने हैं और मिट्टी में ही लौटना है, तो फिर घमंड और गुस्सा कैसा?

बर्तन की ये सीख याद दिलाती है कि विनम्रता ही असली सुंदरता है।

जो झुकता है, वही जीवन में टिकता है।

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अब समझ आता है घर सिर्फ दीवारें नहीं, एक एहसास होता है।

जब ज़िंदगी की असल पढ़ाई शुरू होती है, तब माँ-बाप के हर त्याग का मतलब समझ आता है।

इस कविता के माध्यम से मैंने उन अनकहे जज़्बातों को शब्द देने की कोशिश की है, जो हम तब समझते हैं जब खुद ज़िम्मेदारियों से गुज़रते हैं।

पढ़िए, महसूस कीजिए और अगर आप भी ऐसा कुछ जी चुके हैं -तो एक बार माँ-बाप को कॉल ज़रूर कीजिए।

▲ Jyoti - एक बेटी, जो अब बेटियों के दिल की आवाज़ बनना चाहती है...

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