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वोह आने का हुनर भी जानता हैं। जाने का सलीका भी जानता हैं।। दरबदर फिरता नहीं इश्क मेरा। खामियाजा तीजारत वालो का होता है।। जबरन इश्क नहीं , कहो कि दुआ है। सुराही से प्याला भरा रहता है।। सिलवटें चेहरे की उम्रदराज होती हैं। प्यार हमेशा जवान रहता हैं।। किनारे पे तो कश्तियां रुक जाती हैं। सफर खयालों का उम्र भर होता है।। बातें तो सिर्फ जुबा का लड़कपन है। खामोशी का बया आंखों में होता है।। रब भी दुआ करे ,मेरे सा सनम पाने की । नसीब तारो और हथेली में सिमट जाता हैं।। क्यों बताऊ, मेरा अश्क आयने से शर्माता हे । दुनिया के मुखौटे से दिल घबराता हैं।।
The longest word in Sanskrit, which contains 195 latters. निरन्तरान्धकारित-दिगन्तर-कन्दलदमन्द-सुधारस-बिन्दु-सान्द्रतर-घनाघन-वृन्द-सन्देहकर-स्यन्दमान-मकरन्द-बिन्दु-बन्धुरतर-माकन्द-तरु-कुल-तल्प-कल्प-मृदुल-सिकता-जाल-जटिल-मूल-तल-मरुवक-मिलदलघु-लघु-लय-कलित-रमणीय-पानीय-शालिका-बालिका-करार-विन्द-गलन्तिका-गलदेला-लवङ्ग-पाटल-घनसार-कस्तूरिकातिसौरभ-मेदुर-लघुतर-मधुर-शीतलतर-सलिलधारा-निराकरिष्णु-तदीय-विमल-विलोचन-मयूख-रेखापसारित-पिपासायास-पथिक-लोकान्
પાગલ છે જમાનો ફૂલોનો દુનિયા છે દિવાની ફુલોની ઉપવન ને કહી દો ખેર નથી વિફરી છે જવાની ફુલોની
થનગનાટ થંભી ગયો... ગણગણાટ સમી ગયો ઝાકીર નો હણહણાટ હવે જળવાયો નહીં. થાપ અને થપાટ ... કલાવર કલાકાર આથમ્યો તબલા નો ટપાલી હવે ટપલીદાવ રમી ગયો. આંગળી જેની રુચાઓ સંભળાવતી.. તબલચી કથાકાર હવે નથી રહ્યો.
ખંડાણા છે કંઈક મોરલા, પોઢણા માં અહીં, દેવાણા દેહદાન અહીં ચાખડી પહેરનારના અહીં બોલે બંધનારા કંઈક વેરાઈ ગયાં છે ભોમ કાજે થડ પર ચોંટેલા રહી ગયા જેના આંતરડા અહીં ઢોલી ના તાલે અહીં આહીરાણી સુતી જાગી છે પાળીયા અહીં સુર પાછળ પણ બંધાણા છે જગ ઢાંકણ માટે ખોડા કંઈક ઉજ્જડ થયાં ભેરુ ખાતર કંઈક વધેરાણા સરગવાસી અહીં ધરા પણ ધ્રૂજી ઊઠે એના પગ ની ડાબલી થી કંઈક ચેતક એની હણહણાટી કરે છે માટી માં કોઈ જોગી , કોઈ અફીણી , કોઈ મરજાદી અહીં આબરુ ના અભરખા કટારી માં છે ચળકી છે
दर्द उसे भी होता है , बस बता नहीं सकता। समंदर है, अपनी सीमा लांघ नहीं सकता।। रोना हो तो , अंदर अंदर ही डूब जाता हैं। मर्द है आंसु की नुमाइश नहीं कर सकता ।। हल्की सी मुस्कुराहट उसे पिघला देती हैं। लेकिन अपना दुख किसीसे बाट नहीं सकता।। पता हैं खुदा को , उसे सुकून की जरूरत होगी। पर हर जगह वो अपनी जगह बना नहीं सकता ।। पत्नी को इसलिए ही दूसरी मां कहा रब ने । एक ही मा से वो जिंदगी बीता नहीं सकता।। टूटना चाहता है , चूर चूर होना चाहता हैं। हर पल्लू में वो अपना सर छुपा नहीं सकता।।
साथ साथ चले तो जिंदगी थम जाएगी । एकदूसरे को आगे और पीछे रहना होगा ।। कभी मुझे सब अपने पर लेना पड़ेगा । कभी तुम्हें सब अपने पर ढोना होगा ।। कभी में राह में ठोकर खाकर गिरूंगा। कभी तुम सांसों को सहारा दोगे ।। मेरे संभलने की राह तुम भी देखोगे । तुम्हारे वक्त का खयाल में भी रखूंगा ।। बारिश या छांव मिले तो तस्वीर बना लेंगे । कभी रेत में सपनो को और निखारेंगे।। पर कभी रहना मत जाना मेरे पास आकर । मिले तो फिर से रास्ते खत्म हो जाएंगे ।। मिलन सिर्फ नक्श ए कदम की तारीख है। चलना ही राहों को जिंदा रखता हैं।। मंजिल भी न हो तो क्या हुआ दोस्त । राहें भी मिला न सके तो क्या हुआ ।। याद रखना बस की जब कदम उठे थे । तब हमारा समय और मए एक ही था ।।
अपना दुख किसी से बांटो मत । हर कोई अपने से उसको तोलेगा ।। बांटने से अपनी हार नुमाइश करोगे । आपकी क़ीमत, आपकी सोच होगी ।। बांटने से आपके पास कम होगा । दूसरा अपना ढेर आपको देगा ।।
लोग कहते हे , उदासी परेशान कर देती हैं। खुशी का कोई आगाज़ पेश करती है ।। उदासी से हर कोई क्यों दूर भागता है। नजरें चुराकर क्यों आंखें मूंदते हैं।। उदासी वो हे , जो हमे अकेला करतीं है। अकेलेपन से हम घबराते क्यों हैं।। खुशी तो ऊपर ऊपर ही छूती है। उदासी अंदर की पहचान कराती है।। अकेलेपन हमे औकात दिखाता है। हमारी आस का वजूद दिखाता है ।। पूरा महसूस करो , जो भी उमड़ पड़े । हर मंजर का अपना जहा होता है।। रो लो , सिमट जाओ पूरा , खुद के लिए । पोखर कैसा भी हो , आखिर अपना होता है।।
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