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jagrut Patel pij

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@jagrutpatel1479


रेत सी चिपक जाती बहुतों की महोब्बत मेरे गीले पैरों लेकिन..!
एक शख्स समंदर सा मुझें किसी का होने नहीं देता..!!

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आहिस्ता आहिस्ता ख़त्म हो जायेंगे,
ग़म ना सही हम हि सही

पानी चुभा लब पर समंदर से तलब कैसी
इश्क़ तीखा गुलाब निगाहों को ताब कैसी

दिल पर अब इख़्तियार भी नहीं लगता
इंतज़ार होते हुए भी इंतज़ार नहीं लगता

न अदाएं देखी, न ज़ुल्फ-ए-पहर का किस्सा देखा
उसे खूबसूरत देखा, तो मुक़म्मल खूबसूरती का हिस्सा देखा

चराग़ जले के महोब्बत की मज़ारे क्यों नहीं बनती
बड़ा चीरता है मेहबूब, उनकी आँखों की तलवारे क्यों नहीं बनती..।

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दोनों जहाँ तेरी महोब्बत में हार के
देखें हमने भी दिन ग़म गुज़ार के

कितने अरमान है सहरा-ए-ज़िंदगी में..
एक आदत है जिए जाना भी...

एक सूरत प्यारी उस पर गुस्से की लाली..
मान ना जाएगी ऐसे ये तेज़ गुस्से वाली..

જીંદગી છે ચકડોળ નો ફેરો
આપણે તો મન મળે ત્યાં મેળો