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Durgesh Tiwari

Durgesh Tiwari

@durgeshtiwari715565


चल ! एक बार फिर से उन,
गलियों में घूम कर आते हैं ।
छुपते छुपाते एक दूजे के,
गालों को चूम कर आते हैं ।
फिर वही किराए का घर,
फिर वही दोस्तों का संग,
फिर चुपके से तेरे गालों पर,
होली के, रंगों को लगाकर आते हैं ।
चल ! एक बार फिर से उन,
गलियों में घूम कर आते हैं ।
अपनी कहानी अलग है सबसे,
ज़माने को बता कर आते हैं ।
वो हाथ पकड़े, कसके जकड़े,
चौराहों पर, सुनसान राहों में,
फिर से हों, एक दूजे की बाहों में,
अपनी मोहब्बत का ऐलान,
सरेआम कर के आते हैं ।
चल ! एक बार फिर से उन,
गलियों में घूम कर आते हैं ।
सूनीं पड़ी गलियों में,
मुरझाती हुई कलियों में,
प्यार भरे सतरंगी,
रंगों को भर कर आते हैं ।
चल ! एक बार फिर से उन,
गलियों में घूम कर आते हैं ।
छुपते छुपाते एक दूजे के,
गालों को चूम कर आते हैं ।

~~ डी के तिवारी ~~ ✍️✍️

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