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Aachaarya Deepak Sikka

Aachaarya Deepak Sikka Matrubharti Verified

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*ॐ नमः शिवाय*

*दशम भाव में केतु*

*केतु के कारकत्व* केतु को आध्यात्मिक विकास, मोक्ष, वैराग्य, तर्क, ज्ञान, अलगाव, और त्याग का कारक माना जाता है। यह व्यक्ति के पूर्व कर्मों को भी दर्शाता है और आकस्मिक घटनाओं, रहस्यमय मामलों और अज्ञात भय से संबंधित होता है। केतु शारीरिक कष्ट, बीमारियों, और भौतिक सुखों से दूरी का प्रतिनिधित्व भी करता है।

*केतु की दृष्टि* केतु की तीन दृष्टि मानी गई हैं ५, ७ और ९।

*अब केतु यदि दशम भाव में बैठेगा तो वो द्वितीय, चतुर्थ और षष्ठम भावों में दृष्टि डालेगा। इस प्रकार केतु ४ भावों में प्रभाव डालेगा २, ४, ६ और १०।*

अब समझते हैं केतु के दशम भाव में होने वाले परिणामों को।

१) कार्यक्षेत्र में बाधाएं डालेगा। जातक को अपना प्रोफेशन बार बार बदलना पड़ेगा या बार बार नौकरी बदलनी पड़ेगी। केतु एक प्रोफेशन में ज़्यादा समय तक टिकने नहीं देता।

२) जातक की आमदनी स्थिर नहीं रह पाएगी।

३) जातक को पिता का साथ नहीं मिलता या पिता से दूर रहता है या पिता से अलगाव रहता है।

४) जातक को सरकार का भी साथ या तो मिलता ही नहीं या फिर न्यूनतम मिलता है।

५) जातक का अपने परिवार वालों से अलगाव रहता है और परिवार का साथ नहीं मिल पाता।

६) जातक को वाणी दोष हो सकता है। जातक की रूखी और कड़वी वाणी होती है और जातक अपनी वाणी के कारण अपने सारे काम और संबंध बिगाड़ लेता है। जातक अपनी बात को स्पष्ट रूप से दूसरों के सामने रख नहीं पाता।

७) जातक की आमदनी स्थिर न रहने के कारण जातक की सेविंग्स न के बराबर होती है या तो सेविंग्स होती ही नहीं जिसके कारण जातक को समय समय पर आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

८) जातक की माता का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता। जातक का अपनी माता से भी मतभेद रहता है।

९) जातक को अपनी प्रॉपर्टी बनाने में बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। प्रॉपर्टी यदि किसी प्रकार बन भी जाए तो जातक उस प्रॉपर्टी को एंजॉय नहीं कर पाता। पैतृक प्रॉपर्टी प्राप्त करने में भी समस्याएं आती हैं और कानूनी पचड़ों में जातक को पड़ना पड़ता है।

१०) जातक अपनी दिनचर्या संतुलित नहीं कर पाता। जातक को नौकरी मिलने में समस्याएं आती हैं और यदि नौकरी मिल भी जाए तो जातक का तबादला बार बार होता रहता है या फिर जातक को बार बार नौकरी बदलनी पड़ती है।

११) जातक दबंग तो होता है परंतु शत्रुओं से घिरा रहता है जिसके कारण वो कभी कभी दूसरों के सामने भीगी बिल्ली बन जाता है। हां परंतु अपने घर में जातक बब्बर शेर होता है।

१२) जातक को स्वास्थ्य समस्याएं भी आती रहती हैं। हालांकि जातक की इम्युनिटी सशक्त होती है।

१३) जातक का मन स्थिर नहीं रहता, वाणी कड़वी और रूखी होती है जिसके कारण उसको कार्यक्षेत्र में, आर्थिक स्थिति में और संबंधों में उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ता है।

१४) यदि जातक अपनी वाणी और मन को संतुलित रखे और आध्यात्म की तरफ जाए तो बहुत आगे बढ़ सकता है।

*आचार्य दीपक सिक्का*
*संस्थापक ग्रह चाल कंसल्टेंसी

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*ॐ नमः शिवाय*



*शुक्र ग्रह के कुछ अद्भुत उपाय*



निम्नलिखित उपाय हैं:—

१) अपने घर का आग्नेय कोण (SE) ठीक रखें।

२) गऊ सेवा।

३) लक्ष्मी जी की उपासना करें।

४) श्री सूक्त अथवा कनकधारा स्तोत्र का पाठ।

५) शुक्राचार्य जी के गुरु महादेव की उपासना।

६) शुक्र के मंत्रों का जाप।

७) हीरा/ ओपल/ फिरोजा धारण कर सकते हैं।

८) अपने जीवन में अधिक से अधिक लग्ज़री का इस्तेमाल करना।

९) परफ्यूम, डिओड्रेंट, खुशबूदार इत्र, केवड़े का इत्र, मोगरे का इत्र, खुशबूदार पाउडर आदि का उपयोग करना।

१०) स्त्रियों की इज़्ज़त करना। स्त्रियों की रिस्पेक्ट करना।

बाकि कौनसा उपाय ज़्यादा कारगर है ये तो जातक की कुंडली ही बता सकती है। उसमें ग्रहों की स्थितियां, दशा, अंतर्दशा आदि।

*आचार्य दीपक सिक्का*
*संस्थापक ग्रह चाल कंसल्टेंसी*

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*ॐ नमः शिवाय*

*तारा चक्र*

*कुल 9 प्रकार के तारा माने गए हैं, और हर नक्षत्र से ये क्रम चलता है।*
तारा और उनके फल
1. जन्म तारा — जन्म से संबंधित सामान्य।
2. सम्पत तारा — धन, संपदा, सफलता, लाभकारी।
3. विपत तारा — बाधा, रोग, अशुभ।
4. क्षेम तारा — सुख, शांति, सुरक्षा मिलेगी अवश्य परंतु अपने सामर्थ्य अनुसार दूसरों की सेवा और समाज सेवा करने पर।
5. प्रत्यारी तारा — हानि, विवाद, अशुभ
6. साधक तारा — कार्य सिद्धि, सर्वार्थ सिद्धि, सफलता मिलेगी परंतु अपने आप को जानने और साधने के बाद।
7. वध तारा — कष्ट, संकट, मृत्यु तुल्य कष्ट, अशुभ।
8. मित्र तारा — सहायक, शुभ।
9. अतिमित्र तारा — यहां मेरे विचार बिल्कुल भिन्न हैं। ये आपका शत्रु नहीं अपितु अतिमित्र होता है। और मित्र की भांति ही आपके लिए सहायक बल्कि अति सहायक होता है।
ये साइकिल प्रत्येक माह में तीन बार ही रिपीट होगी क्योंकि प्रत्येक तारे में ३—३ नक्षत्र आते हैं।

अतः मेरे विचार से:—

1. सम्पत, मित्र, अतिमित्र — शुभ फलदाई
2. जन्म, क्षेम, साधक — सामान्य फलदाई
3. विपत, प्रत्यारी, वध — अशुभ फलदाई

एक और बात आपकी कुंडली में जो भी ग्रह आपके तारा चक्र के अनुसार जिस भी तारे वाले नक्षत्र में पड़ेगा वो ग्रह आपको वैसा ही फल देगा।

उदाहरणार्थ आपको धन, संपदा वही ग्रह देगा जो आपकी कुंडली में आपके तारा चक्र के अनुसार सम्पत तारे वाले नक्षत्रों में बैठा होगा।

*आचार्य दीपक सिक्का*
*संस्थापक ग्रह चाल कंसल्टेंसी*

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