Quotes by Dr Darshita Babubhai Shah in Bitesapp read free

Dr Darshita Babubhai Shah

Dr Darshita Babubhai Shah Matrubharti Verified

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मैं और मेरे अह्सास

तस्वीर का दीदार
तस्वीर का दीदार करके गुजारा कर रहे हैं l
बस यहीं एक सहारे दिन रात सर रहे हैं ll

पूनम की शीतल चाँदनी रात में मिलन के l
लम्हें याद आते आँखों से आंसू झर रहे हैं ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

घर
खुशबु बनकर हवाओं में बिखर जाएंगे l
घर ही लौटेंगे श्याम वर्ना किधर जाएंगे ll

इजाजत देदो आँधी की तरह बह जाएंगे l
बिना ऊपर देखे ही गली से गुजर जाएंगे ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

परवाह
रात ढलने को है घर जाते हैं l
आओ महफिल से उतर जाते हैं ll

अफडा तफडी है मची दुनिया में l
आँधीओ से गुल बिखर जाते हैं ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास
रिश्ता
दर्द का रिश्ता भी सुहाना लगता है l
बातों से तो राबता पुराना लगता है ll

सब के नजरिए अलग अलग है कि l
नजरों से सीधा निशाना लगता है ll

होशों हवास में क़ब्ज़ा किया हो उसे l
सदंतर भुलाने में ज़माना लगता है ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास
क़ैदी
तेरे घर के सामने खिड़की नहीं बनाऊँगा l
प्यार को सरे आम तमाशी नहीं बनाऊँगा ll

इख़्तियार में है ख़ुद के जो भी बनाना है l
कुछ भी हो जीभ को बरछी नहीं बनाऊँगा ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

साथ
साथ दोगे सदा इस बात का वादा कर लो l
प्यारी सी एक मुलाकात का वादा कर लो ll

शुभ घड़ियां मिलन की कहीं बीत न जाए तो l
जल्द ही लाओगे बारात का वादा कर लो ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

मंज़र
दिल को बहला देनेवाला मंज़र तलाश कर l
फूलों से लहराता हुआ शज़र तलाश कर ll

संगेमरमर का हो या कोटा स्टोन का जो l
घर को घर बनादे वो पत्थर तलाश कर ll

हमसफ़र के संग सफ़र का मजा लेकर l
दूर तक जाना हैं तो समुंदर तलाश कर ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

मुलाकात
कुछ तो पैदा करो हालात क़रीब आ जाओ l
यादगार बनाएंगे मुलाकात क़रीब आ जाओ ll

चांद सितारों से भरी मुरादों वाली सुहानी l
फ़िर न आएंगी ये रात क़रीब आ जाओ ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

घर से बाहिर निकलते ही मिट्टी
की सोढ़ी खुशबु घेरे और l
सुबह की पहली किरण से पहेले
प्रभातियां गाता देख रही हैं ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

ममता
प्यार और ममता से भरा घर न मिलेगा l
चाहो तो भी अगली बार मंज़र न मिलेगा ll

क़ायनात के किसी भी जगह जाओ पर l
माता पिता का हाथ सर पर न मिलेगा ll

"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

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