Quotes by Darshita Babubhai Shah in Bitesapp read free

Darshita Babubhai Shah

Darshita Babubhai Shah Matrubharti Verified

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मैं और मेरे अह्सास

अपनों के साथ
अपनों के साथ बगैर हसीन मंजर ना मिलेगा l
खिलखिलाता खूबसूरत सा घर ना मिलेगा ll

ज़माने भर की खुशियां भले ही मिल जाए l
माँ की ममता औ ढ़ेर सारा प्यार ना मिलेगा ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

संबंध में सब से कीमती विश्वास हैं ये बात पुरानी कही हुईं हैं l
क़ायनात में सर्दियों से ही बड़े बुजुर्ग की
महोर लगी हुई हैं ll

जिंदगी जीने के लिए लोगों का भरोसा बनाये
रखना जरूरी l
आज दुनिया एक दूसरे पर भरोसे की निब पर ही टिकी हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

शांति का अधिकार चाहिए तो शांति बनाये रखना चाहिए l
एकजुट रहकर मुकम्मल अमन का फेलावा करना चाहिए ll

चाहें कुछ भी हो जाए अपने आप को शांत
करके हर पल l
स्वभाव और प्रकृति में बर्फ़ सी शीतलता
भरना चाहिए ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

परम सुख का अनुभव ईश के चरणों में होता हैं l
ईश्वर का आशीर्वाद जीवन में सुकून को बोता हैं ll

जिंदगी बहुत आसान और आरामदायक होती हैं l
जब इन्सां उम्र भर अच्छे कर्मों को सजोता हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

दूर क्षितिज से संदेश आया हैं l
हवा का बयार महक लाया हैं ll

एक अजीब सी लहरखी आई तो l
दूसरी दुनिया की रूह पाया हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

मौन संवाद
महफ़िल में मौन संवाद कर लिया l
आँखों से बातों को समझ लिया ll

ज़माने की नज़रों से बचकर आज l
इशारों में ही रूह को भर लिया ll

जाने क्या था उस अनकही बात में l
पल दो पल जीकर छलक लिया ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

नम आँखें
एक मुद्दत बाद मिले तो नम आँखें हुईं l
फ़िर बातों ही बातों में ताजा यादें हुईं ll

दोनों ने ही अपनी कहानी सुनाई तो l
पुराने लम्हों के साथ मुलाकातें हुईं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

अनमोल रिस्तों की कदर करना सीख लेना चाहिए l
दिल में प्यार का एहसास भरना सीख लेना चाहिए l

खामोश रिश्ते ज़्यादा नहीं टिकते रिश्ते जिन्दा रखने को l
क़दम से क़दम मिलाकर चलना सीख लेना चाहिए l

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

अनमोल रिश्ते की बुनियाद यकीन पर टिकी
है और l
वो मीठी यादें होती हैं वहीं जीने का सहारा होती है ll

ये जो चंद बातें होती हैं वहीं जीने का सहारा होती है l
वो नशीली राते होती हैं वहीं जीने का सहारा होती है ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

हौसला हमसफ़र बन गया हैं l
और आसां सफ़र बन गया हैं ll

एक नजर देखकर दिल चुराया l
ख्वाइशों का शजर बन गया हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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