Quotes by Darshita Babubhai Shah in Bitesapp read free

Darshita Babubhai Shah

Darshita Babubhai Shah Matrubharti Verified

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मैं और मेरे अह्सास

जिंदगी खुशहाल मिली हैं l
दिल की बगिया खिली हैं ll

कुछ ज्यादा ही नशे में है l
निगाहों से जो पिली हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

मौत के बाद इंसान अकेले में भटक जाता हैं l
जिन्दगी की राह में चलते हुए अटक जाता हैं ll

साँस रूकते ही जाने एक पल सब कुछ खत्म l
अपने अपनों के साथ रिश्ता चटक जाता हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

जीवन के सभी रंग लगते है बहार के l
खुशियां मनाओं आए है दिन प्यार के ll

जैसे भी जो भी हो आ जाओ मिलने l
काटे नहीं कटते है पल इंतजार के ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

जीना इसीका नाम हैं ये मशवरा भी लिखा है l
किस तरह जीना है वो रास्ता भी लिखा है ll

अपनी समझ के हिसाब से काम करना की l
अच्छे ओ बुरे के साथ वास्ता भी लिखा है ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

प्रेम का दस्तूर निभा नहीं सकता l
सरे आम आँसू बहा नहीं सकता ll

चाहे लाख कोशिस कर फ़िर भी l
दिल से यादे मिटा नहीं सकता ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

प्रेम में किसीको कोई इनाम नहीं मिला l
दिल में किसीके कभी मुकाम नहीं मिला ll

जन्मोजन्म के तलबगार आकुल व्याकुल l
प्यासे को शराब घर में जाम नहीं मिला ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

हादसा दस्तक देकर नहीं आता हैं l
वो बहुत बड़ा सदमा देकर जाता हैं ll

वक़्त बे वक़्त बिना इत्तला किये l
साथ अपने उफान को लाता हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

आज आसमाँ का रंग रंगीला लगता हैं l
देख क़ायनात का ढ़ंग रंगीला लगता हैं ll

हम उम्र के साथ साथ गप्पे लगाते हुए l
प्यारे दोस्तों का संग रंगीला लगता हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

चाहत
रंग चाहत का चढ़ा है आज देखो l
नूर आँखों का बढ़ा है आज देखो ll

हुस्न ने पर्दा उठाया जब वहां तो l
हरतरफ भगदड़ मचा है आज देखो ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

सुहाना सफ़र साथ काटे चलो आज l
सफ़र बीच दुख दर्द बाटे चलो आज ll

गुमां में फसे है हठीले से नादान l
दिलों से वफ़ा को निभाले चलो आज ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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