Quotes by Darshita Babubhai Shah in Bitesapp read free

Darshita Babubhai Shah

Darshita Babubhai Shah Matrubharti Verified

@dbshah2001yahoo.com
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मैं और मेरे अह्सास
दहेज
दहेज का शजर दिनप्रतिदिन फेलता जा रहा हैं l
इन्सानों का लालच का मुँह खुलता जा रहा हैं ll

बाप सारी उम्र पाई पाई इकट्ठा करता रहता l
इंसानियत की तरह बदन झुकता जा रहा हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

चाँद
हौसलों के चाँद की चमक बढ़ रही हैं l
ओ उड़ान के साथ ख्वाइशे चड़ रही हैं ll

जिंदगी में उतार चढ़ाव को सहकर भी l
सदाक़त से अपने हक़ को लड़ रही हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

सच्चाई
जिंदगी की सच्चाई को जल्द समझ जाना चाहिए l
ढ़ंग से जिंदगी को जीने का तरीक़ा आना चाहिए ll

कोई उम्रभर साथ नहीं चलता ये स्वीकार करके l
खुद ही अकेले चलने के ज़ज्बे को पाना
चाहिए ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

यादों के पेड़ उगने लगे हैं भीतर l
अब ख्वाब जगने लगे हैं भीतर ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास
बयार
झूमती बयार कानों में ये क्या कह गए?
नशीली रात ख़्वाबों में ये क्या कह गए?

निगाहों से जाम पिलाते रह्ते रातभर तो l
छलकी शराब प्यालों में ये क्या कह गए?

महफ़िल में यार दोस्तों के बीच इशारों से l
आज अनकहे लफ़्ज़ों में ये क्या कह गए?

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

अजनबी
अपने ही शहर से अजनबी हम हैं l
शुक्र है अपनेआप से करीबी हम हैं ll

दो पल मिलने की फुर्सत नहीं जिसे l
कहने को दोस्तों के हबीबी हम हैं ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

शिकवा
शिकवा है दिल के राज़ छुपाने से l
बिना कुछ भी कहे चले जाने से ll

जरा सी खुशी भी खटकती है क्या?
अब तो एतराज है मुस्कुराने से ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास
मोहब्बत
मोहब्बत निगाहों से बयान होती है l
तभी से चालू ये दास्तान होती है ll

कभी भी गिरने नहीं देते है जिसमें l
सबसे ज्यादा बसी जान होती है ll

जब आग दो तरफ़ से लगी हो l
तब मोहब्बत जवान होती है ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

बेनियाज़
रास्तें में सामने गर्दिशों का पहाड़ खड़ा हैं l
बेनियाज बेखौफ होके कारवाँ चल पड़ा है ll

आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जज्बातों ने l
मन के भीतर ख्वाबों अरमानों का दड़ा है ll

गुजिश्ता कर दी ख़ुद की भावनाओं को तो l
कई बार गुस्से में अपने आप से लड़ा है ll

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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मैं और मेरे अह्सास

छाले हमारे पाँव के देख यूँ उदास ना हो l
घर हमारा चलाने के लिए इसे तो छीलना ही था l

सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह

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