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🌸 कहानी का नाम: "उसने इंतज़ार किया" 🌸 किरदार: आरव — एक साधारण लड़का, जो अपने सपनों और प्यार के लिए संघर्ष करता है। सिया — एक होशियार और समझदार लड़की, जो अपने परिवार की बंदिशों में बंधी है। --- कहानी: आरव और सिया कॉलेज में मिले थे। पहली नज़र में कुछ नहीं हुआ, लेकिन वक़्त के साथ उनकी दोस्ती गहराई में बदल गई। सिया अपने सपनों में खोई रहती थी, और आरव अपने संघर्षों में। दोनों ने एक-दूसरे की खामोशियों को समझा, बिना कहे ही बहुत कुछ कह दिया। लेकिन प्यार आसान नहीं होता... एक दिन सिया के घर से रिश्ता आया — एक अमीर लड़का, बड़ी गाड़ी, बड़ा घर। सिया ने आरव से कुछ नहीं कहा... बस एक चिट्ठी छोड़ी — > "अगर तुझसे मोहब्बत मुकम्मल नहीं हो सकती, तो अधूरी ही सही... पर मैं तेरा इंतज़ार करूँगी — हर जनम में..." आरव ने उसे खो दिया — लेकिन हारा नहीं। वो मेहनत करता रहा, हर रोज़, बस उसी के नाम पर। 5 साल बाद... एक बुक लॉन्चिंग इवेंट में, एक लड़की ने पूछा — > "सर, आपकी किताब ‘उसने इंतज़ार किया’ क्या सच्ची कहानी है?" आरव मुस्कुराया... > "हाँ। और आज भी, मैं उसी के इंतज़ार में लिखता हूँ।" --- ❤️ "प्यार कभी नहीं मरता... वो बस वक़्त से लड़ता है।" ❤️ अगर आपको ये कहानी पसंद आई, तो बताइए — मैं इसका दूसरा भाग या वीडियो स्क्रिप्ट भी बना सकता हूँ। चाहें तो इसमें कुछ बदलाव भी कर सकते हैं — गाँव की प्रेम कहानी, स्कूल टाइम की या कोई ट्रैजिक एंड वाला वर्जन भी। आप बताइए कैसी कहानी चाहिए?
🏛️ प्राचीन बिहार का इतिहास 🕉️ मगध महाजनपद (600 ई.पू.) राजधानी: राजगृह, बाद में पाटलिपुत्र राजा: बिंबिसार (हर्यंक वंश) → अजातशत्रु योगदान: अजातशत्रु ने पहला जेल बनवाया; बौद्ध धर्म का संरक्षण बौद्ध धर्म का पहला संगीति (Council): राजगृह में, अजातशत्रु की अध्यक्षता 🕊️ मौर्य साम्राज्य (321–185 ई.पू.) स्थापक: चन्द्रगुप्त मौर्य (चाणक्य की मदद से) राजधानी: पाटलिपुत्र अशोक महान (273–232 ई.पू.): कलिंग युद्ध के बाद बौद्ध धर्म ग्रहण तृतीय बौद्ध संगीति: पाटलिपुत्र में अशोक के शिलालेख बिहार में भी मिले (लौंगड़ा, चम्पारण) 📜 शुंग, कण्व और गुप्त वंश गुप्त काल (319–550 ई.): "भारत का स्वर्ण युग" समुद्रगुप्त (प्रयाग प्रशस्ति) चंद्रगुप्त II विक्रमादित्य शिक्षा का केंद्र: नालंदा विश्वविद्यालय (कुमारगुप्त द्वारा स्थापित) --- 🏯 मध्यकालीन बिहार 🕌 मुस्लिम आक्रमण 1193 ई. में बख्तियार खिलजी ने नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय को जलाया दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बना 🏹 शेरशाह सूरी (1540–1545) जन्म: सासाराम (बिहार) प्रशासनिक सुधार: ग्रंथियों (registers) का निर्माण GT रोड का निर्माण चौकीदार व्यवस्था --- 🇮🇳 आधुनिक बिहार 📚 1857 की क्रांति बिहारी नेता: वीर कुंवर सिंह (जगदीशपुर) 80 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों से युद्ध आज भी बिहार में 23 अप्रैल को 'वीर कुंवर सिंह जयंती' मनाई जाती है 🎓 शिक्षा और पुनर्जागरण पटना कॉलेज (1863), BN कॉलेज अयोध्यानाथ साहनी और श्री बाबू जैसे नेता शिक्षा में आगे --- 🏛️ बिहार का विभाजन एवं स्वतंत्रता 📅 1912 बिहार और उड़ीसा को बंगाल से अलग कर नया प्रांत बनाया गया राजधानी: पटना 🧑🌾 स्वतंत्रता संग्राम में योगदान चंपारण सत्याग्रह (1917) – गांधी जी का पहला आंदोलन आंदोलन का नेतृत्व: राजकुमार शुक्ल --- 🏛️ स्वतंत्रता के बाद बिहार 🧱 2000 में बिहार विभाजन झारखंड अलग राज्य बना (15 नवंबर 2000) राजधानी: पटना बनी रही 🧠 शिक्षा केंद्रों का विकास पटना विश्वविद्यालय, IIT पटना, Nalanda University पुनर्निर्माण --- 📌 महत्वपूर्ण स्थल स्थल विशेषता नालंदा प्राचीन विश्वविद्यालय (गुप्त काल) विक्रमशिला पाल वंश द्वारा स्थापित बौद्ध शिक्षा केंद्र वैशाली पहला गणराज्य, भगवान महावीर का जन्म राजगृह बौद्ध धर्म की प्रथम संगीति पाटलिपुत्र मौर्य और गुप्त साम्राज्य की राजधानी
"मैं खुद में ही काफी हूँ" ना किसी सहारे की ज़रूरत है मुझे, अपने हौंसलों के सहारे चलती हूँ मैं। जो भी रास्ता चुना है, खुद बनाया है, मुसीबतों से हर रोज़ टकराई हूँ मैं। औरों की छांव क्यों लूं अपने सर पर, मैं खुद ही अपनी छाया बनती हूँ मैं। कभी गिरूं, तो खुद ही उठ जाऊं, क्योंकि दूसरों से नहीं — खुद से जुड़ती हूँ मैं। 🌿 मैं खुद में ही काफी हूँ, खुद की ताक़त हूँ, हर हार में भी छुपी एक जीत की इबादत हूँ।
"चलते रहो" चलते रहो, थक कर ना रुकना, हर अंधेरे के बाद है सवेरा दिखना। जो डरते हैं गिरने से, वो उड़ान क्या समझें सच्चे ज़माने से। हर कांटा राहों का इम्तहान है, हौसले से बढ़ो, तो आसान है। मुश्किलें आएंगी, ये तो तय है, पर रुक जाना, ये तो हार की रीत है। मंज़िल उन्हीं को मिलती है, जिनके इरादों में जान होती है। जो वक्त की लहरों से नहीं डरते, वो ही इतिहास में पहचान बनाते हैं। इसलिए — उठो, जागो, और तब तक ना रुको, जब तक अपना सपना पूरा ना हो! 💪🔥
✨ कविता: खुद से प्यार करना भी जरूरी है जब थक जाऊँ दुनिया की भीड़ में, तो खुद से मिल बैठ जाना जरूरी है। हर रिश्ते को निभाते-निभाते, कभी खुद को भी सुलाना जरूरी है। आईने में जो चेहरा दिखता है, वो अनमोल है, ये जानना जरूरी है। हर आंसू को चुपचाप पी लेने से पहले, कभी खुद को भी समझाना जरूरी है। जो खुद से न हारा हो अब तक, वो ही सच्चा विजेता कहलाता है। इस दुनिया की तानों से डरने से बेहतर, खुद से प्यार निभाना जरूरी है। जब सारे रास्ते अजनबी लगें, तो खुद की छांव बन जाना जरूरी है। खामोशी में भी जो आवाज़ सुने, ऐसा अपना बनाना जरूरी है। खुद के ग़लत फैसलों को माफ़ करो, हर इंसान से पहले इंसान हो तुम। दुनिया कहे कुछ भी — पर याद रखना, अपने लिए सबसे खास हो तुम।
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